JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: BiologyBiology

कठफोड़वा की विशेषताएं क्या है , पर जानकारी कहाँ रहता है क्या खाता है Woodpeckers in hindi

Woodpeckers in hindi कठफोड़वा की विशेषताएं क्या है , पर जानकारी कहाँ रहता है क्या खाता है ?

चित्तीदार कठफोड़वा चित्तीदार कठफोड़वा जंगलों का एक साधारण निवासी है (प्राकृति १२३)! वह अपना जीवन पेड़ों पर बिताता है। यहीं वह अपना भोजन ढूंढ लेता है। वृक्षों की छालों और लकड़ी में रहनेवाले कीट-डिंभ, बीटल और पेड़ों पर रेंगनेवाले अन्य कीड़े उसके भोजन में शामिल हैं। वह शंकुल (coniferous) पौधों के बीज भी खा लेता है।
पेड़ों पर के जीवन का प्रतिबिंव कठफोड़वे के शरीर की संरचना में देखा जा सकता है। उसके पैरों की अंगुलियों में तीक्ष्ण नखर होते हैं पर उनकी व्यवस्था दूसरे पक्षियों की अंगुलियों जैसी नहीं होती। उसकी दो अंगुलियों का रुख आगे की ओर और बाकी दो का पीछे की ओर होता है। इस व्यवस्था के कारण पेड़ के तने पर चढ़ते समय उसकी छाल को पकड़े रहने में अच्छी मदद मिलती है। तने को अपने नखरों से पकड़े हुए कठफोड़वा आधार के लिए अपनी पूंछवाले सख्त सदंड परों पर झुका रहता है। ये पर ग्राम परों से भिन्न होते हैं। उनका पक्ष-दंड मजबूत , लचीला और जाल सिरे की ओर नुकीला होता है। इस प्रकार इस पक्षी के तीन आधार बिंदु होते हैं। इसके अलावा कठफोड़वा अपने पैर एक दूसरे से काफी दूर गड़ा सकता है। पेड़ पर बैठे हुए वह उन्हें शरीर के दोनों ओर सरकाता है जिससे शरीर को और अधिक स्थिरता प्राप्त होती है।
टांगों और पूंछ की विशिष्ट संरचना के कारण कठफोड़वा तने को ऐसी मजबूती से पकड़े बैठता है कि वह बड़े जोर से वृक्षों की छालों में चोंच से प्रहार कर सकता है। वह छाल पर जब चोंच मारता रहता है तो उसकी ध्वनि शांत वन में दूर से सुनाई देती है। कठफोड़वा अपनी चोंच से शंकुओं को तोड़कर उनमें से बीज निकाल सकता है। इससे पहले वह शंकु को किस सूखी शाखा के गड्ढे में या तने औ शाखा की संधि में अटका देता है।
कठफोड़वा अपनी संकरी जबान के मदद से वृक्ष की छाल और लकड़ी में से कीट-डिंभ निकाल लेता है। जवान चिपचिपी होती है और उसके सिरे पर पिछली ओर झुके हुए छोटे छोटे उभाड़ होते हैं। छोटे कीड़े जबान में चिपक जाते हैं और बड़े उसके सिरे में टंगे रहते हैं।
हानिकर कीटों का सफाया करके कठफोड़वा जंगलों को बड़ा फायदा पहुंचाता है। चीड़ के बीज खाकर वह जो नुकसान पहुंचाता है उसका पूरा मुआवजा इस काम से मिल जाता है।
कठफोड़वा पेड़ों के प्राकृतिक गड्ढों में डेरा डालता है या अपने घोंसले के लिए ऐसे गड्ढे खोद लेता है। घोंसले में वह लकड़ी के भूसे का अस्तर लगा लेता है।
इस प्रकार पक्षियों की संरचना और बरताव दोनों उनकी जीवन-स्थितियों के अनुकूल होते हैं।
प्रश्न – १. शुतुरमुर्ग की टांगों और डैनों की संरचना के विशेष लक्षण कौनसे हैं और वे ऐसे क्यों हैं ? २. अबाबील की टांगों और डैनों की संरचना के विशेष लक्षण कौनसे हैं और वे ऐसे क्यों हैं ? ३. बुरे मौसम में अबाबीलें क्यों जमीन के नजदीक रहती हैं ? ४. जंगली बत्तख में जलगत जीवन की दृष्टि से कौनसी विशेष अनुकूलताएं हैं ? ५. कठफोड़वे की संरचना के कौनसे विशेष लक्षण उसके पेड़ों पर के जीवन से संबंध रखते हैं ?
भारतीय पक्षियों की विविधता
उष्ण जलवायु और समृद्ध प्रकृति के कारण भारत विभिन्न पक्षियों का घर वना हुआ है। भारत में उनके डेढ़ हजार से अधिक प्रकार मिलते हैं। जंगलों, खेतों और बगीचों में , जहां भी जानो , पक्षी देखने को मिलते ही हैं – कौए , सारिकाएं, बड़े और सुंदर मोर , प्राममान में चक्कर काटनेवाली अबावीलें और पानी में तैरनेवाली तरह तरह की बत्तखे।
राजा कौना हवा में कीटों का पीछा करता है या मवेशियों की पीठों पर उतर आकर वहां छिपे हुए कीट चुग लेता है। सारिकाएं और मैनाएं उद्यान-पथों पर अक्सर पायी जाती हैं। इनके सिर के दोनों ओर पीले ठप्प होते हैं। लाल उदरवाली नन्हीं नन्हीं बुलबुलों के मधुर संगीत स्वर कैसे मनोहर होते हैं। बुलबुल के सिर पर काले परों की कलगी होती है। पेड़ों से लटकनेवाले गोल या बोतल की शकल के घोंसले तो तुमने देखे ही होंगे। ये हैं वया के घोंसले । बया घास के तिनकों से ये घोंसले वड़ी चतुराई से बुन लेती हैं। नीचे की ओर घोंसले का प्रवेश द्वार होता है। ये पक्षी खुद तो बीज खाते हैं पर अपने बच्चों को . कीड़े खिलाते हैं। कीड़ों के नाश के कारण मनुष्य का बड़ा लाभ होता है।
जाड़ों के दौरान भारत में बड़ी संख्या में परदार प्रवासी देखे जा सकते हैं। ये सोवियत संघ , उत्तरी चीन इत्यादि देशों से आते हैं। उनके घर तो उक्त देशों में होते हैं पर जाड़ों के मौसम में वे भारत आते हैं और फिर वसंत में मातृभूमि को लौट जाते हैं।
इस प्रकार वेदांतांगल (मद्रास से ६४ किलोमीटर पर स्थित ) रक्षित उपवन में ऐसी बत्तखें पायी गयीं जिनपर सोवियत संघ में छल्ले चढ़ाये गये थे जबकि सोवियत संघ में एक ऐसा जल-पक्षी पाया गया जिसपर भारत में छल्ले चढ़े थे।
दूसरे यूरोपीय देशों के पक्षी भी जाड़ों के लिए भारत आते हैं। इस प्रकार भारत में जाड़े बितानेवाले पक्षियों में जर्मनी के सफेद क्रौंच, हंगरी की गुलाबी सारिकाएं या रोजी पैस्टर इत्यादि शामिल हैं।
पक्षियों के स्वरूप, आकार, संरचना और जीवन-प्रणाली उनके वासस्थान, भोजन और भोजन प्राप्त करने के तरीकों के अनुसार भिन्न होते हैं। इस विविधता की कुछ कल्पना प्राप्त करने की दृष्टि से हम पेड़ों तथा जमीन पर रहनेवाले पक्षियों और फिर शिकारभक्षी तथा पौधों के जीवन-रस पर निर्वाह करनेवाले पक्षियों का परीक्षण करेंगे।
पेड़ों पर रहने वाले पक्षी तोते भारत में चमकीले रंगों वाले तोतों के १५ विभिन्न प्रकार पेड़ों पर मौजूद हैं। इनमें से सबसे आम हैं लंबी पूंछवाले हरे तोते। रहनेवाले इनके बड़े बड़े झुंड पेड़ों पर देखे जा सकते हैं। ये तीव्र, कर्णकर्कश आवाज करते हुए बड़ी फुर्ती के साथ पेड़ों पर फुदकते हैं।
तोता वास्तविक अर्थ में पेड़ पर रहनेवाला पक्षी है। उसका जीवन पेड़ के निवास के लिए अनुकूल होता है। वहीं उसे घोंसले के लिए स्थान मिलता है और भोजन भी। कठफोड़वे की तरह तोते की भी दो अंगुलियों का रुख आगे की ओर और बाकी दो का पीछे की ओर होता है। अंगुलियों में तेज नखर होते हैं। ऐसी टांगें शाखाओं को पकड़े रहने में अच्छे साधनों का काम देती हैं। तोता पेड़ पर चढ़ने में अपनी चोंच का भी उपयोग करता हैं। एक बार वह चोंच से शाखा को पकड़ता है तो दूसरी बार नखरों से। उसकी बड़ी चोंच की अपनी विशेषताएं होती हैं। अन्य पक्षियों के विपरीत चोंच का नीचे की ओर झुका हुआ ऊपरवाला हिस्सा हिल सकता है। ऐसी चोंच से न केवल पेड़ पर चढ़ने में बल्कि फल और पौधों के बीज खाने में भी मदद मिलती है। तोते का चमकीला रंग उसे जंगल के पेड़-पौधों की चमकीली पत्तियों में छिपे रहने में सहायता देता है।
तोते जोड़े बनाकर रहते हैं और पेड़ों पर घोंसले बना लेते हैं।
गेंडा-पक्षी भारत के रोचक पक्षियों में से एक गैंडा-पक्षी है (प्राकृति – गैंडा-पक्षी १२४)। यह भी पेड़ों पर रहता है। यह एक बड़ा पक्षी . है और उसकी चोंच लंबी तथा नुकीली होती है। फल खाने के लिए ऐसी चोंच अनुकूल रहती है। सिर पर सींग के आकार का एक अवयव होता है और इसी लिए इस पक्षी को सींगदार गैंडा-पक्षी कहते हैं।
यह बड़ा-सा सींग वजन में बहुत ही हल्का होता है। यह हड्डी की पाली कोशिकाओं मे बना रहता है।
गैंडा-पक्षी जंगलों में पेड़ों पर रहता है और फल , कोट तथा अन्य छोटे छोटे प्राणी खाता है। इनका अंडों को सेने का तरीका विशेष दिलचस्प है। यह अपने घोंसले पेड़ों के खोंडरों में बनाते हैं। जव घोंसला बनकर तैयार हो जाता है तो मादा खोंडर में चली जाती है और नर एक छोटा-सा सूराख्ख खाली रखकर उसे बंद कर देता है। वच्चों के सेये जाने और उनमें पर निकल पाने के समय तक नर इस सूराख के जरिये मादा को खिलाता रहता है। इसके बाद ही मादा को ‘कैद‘ से आजादी मिलती है।
जमीन पर रहने पक्षी। मोर
जमीन पर रहने और भोजन पानेवाले पक्षियों में तीतर, मोर, जंगली मुर्गी शामिल हैं।
जमीन पर रहनेवाले पक्षी मोर मोर एक बड़ा और सुंदर पक्षी है। नर विशेष सुंदर होता है। उसके रंग-बिरंगी आंखों वाली लंबी दुम होती है। मोरनी के आगे अपने नखरे दिखाते समय मोर अपने ये पर उठाकर एक बड़े खूबसूरत पंखे की शक्ल में खोल देता है। मोर के सिर पर परों की एक सुंदर कलगी सजी होती है। टांगों में मजबूत एड़ियां होती हैं।
मोर ऐसे पक्षियों का एक उदाहरण है जिनके नर और मादा के स्वरूप भिन्न होते हैं। आम तौर पर मादा का रंग कम आकर्षक होता है। इसका कारण यह है कि मादा को अंडों पर बैठना पड़ता है और उस समय यह जरूरी है कि उसे कोई परेशानी न हो और न कोई शत्रु उसे देख पाये।
जंगली मोर भारत के जंगलों और झाड़ी-झुरमुटों से ढंके हुए पहाड़ी इलाकों में बड़ी संख्या में घूमते हुए नजर आते हैं। ग्राम तौर पर वे छोटे छोटे झंडों में रहते हैं। मोर की खोटे नखरों वाली मजबूत टांगें जमीन पर चलने के लिए अच्छी तरह अनुकूल होती हैं। वे जमीन पर ही अपना भोजन पाते हैं। इसमें पौधों के बीज , घास, कीट और कभी कभी छोटी छोटी छिपकलियां और सांप भी शामिल हैं। मोर के डैने छोटे होते हैं और लंबी उड़ान की दृष्टि से उपयुक्त नहीं होते। केवल रात के समय वे पेड़ों पर उड़ते हैं। मोर अपना घोंसला जमीन पर ही बनाते हैं और उसमें टहनियों, पत्तियों तथा घास का अस्तर लगाते हैं।
मोर जंगलों में न केवल उनके बड़े आकार से पर उनकी कर्कश , अरोचक पुकारों से भी पहचाने जा सकते हैं। उनकी पुकार कुछ हद तक विल्ली की म्याऊं जैसी होती है।
पालतू मोर बहुत-से देशों में मिलते हैं , पर उनकी जन्मभूमि भारत ही है। यहां वे जंगलों ही में नहीं , देहातों के आसपास भी बड़ी संख्या में पाये जाते हैं। लोग उन्हें कभी परेशान नहीं करते। कहीं कहीं तो उन्हें पवित्र माना जाता था और उनके शिकार की मनाही थी।
जंगली मुर्गी भारत के जंगलों में जंगली मुर्गियों के कई (४) प्रकार मिलते हैं। ये भी मोर की तरह विशिष्ट स्थलचर पक्षी हैं। खोटे नखरों वाले मजबूत पैरों से वे जमीन को खोदकर अपना भोजन ढूंढ लेते हैं। इनके भोजन में बीज, कृमि और कीट शामिल हैं।
इस वक्त संसार-भर में फैली हुई पालतू मुर्गियां भारतीय जंगली मुर्गियों के खानदान की ही औलाद हैं। (६३ वां परिच्छेद देखो। ) जंगली मुर्गियां कभी कभी जंगलों से बाहर खेतों में चली आती हैं । मुर्गा और मुर्गी दोनों की पुकार पालतू मुर्ग की कुकुड़- जैसी ही होती है। हां, मादा की पुकार कुछ हृस्व होती है।
शिकारभक्षी पक्षी पक्षियों का भोजन और उसे प्राप्त करने का तरीका उनकी संरचना में प्रतिबिंबित होता है। यह दूसरे पक्षियों, स्तनधारियों और उरगों को मारकर खानेवाले शिकारभक्षी पक्षियों में विशेष रूप से देखा जा सकता है।
भारत में शिकारभक्षी पक्षियों के बहुत-से प्रकार हैं। इनमें बाज, चील और गरुड शामिल हैं। भारतीय बाज या शिकरा बड़ी संख्या में पाया जाता है।
जिंदा शिकार पकड़नेवाले इन सभी पक्षियों के मजबूत डैने और लंबी पूंछे होती हैं। शिकार का पीछा करते समय वे भली भांति उड़ सकते हैं। उनकी टांगें बड़ी मजबूत होती हैं और नखर तेज और झुकावदार। कब्जा किये गये शिकार को वे इन नखरों से बड़ी मजबूती से पकड़ रखते हैं। बड़ी-सी चोंच का ऊपरवाला प्राधा हिस्सा नीचे की ओर झुका होता है। ऐसी चोंचों और नखरों की सहायता से शिकारभक्षी पक्षी अपने शिकार के टुकड़े टुकड़े कर देते हैं।
शिकारभक्षी पक्षी उसके बाह्य लक्षणों से पहचाना जा सकता है।
गिद्धों की शक्ल-सूरत शिकारभक्षी पक्षियों की सी होती है और ये हैं भी उसी कुल के पर ये पक्षी जिंदा शिकार नहीं पकड़ते वे मुर्दा मांस खाते हैं। भागते हुए शिकार को पकड़ने की नौबत उनपर कभी नहीं आती। अतः उनके नखर वास्तविक शिकारभक्षी पक्षियों जितने तेज नहीं होते पर नजर उनकी उतनी ही पैनी होती है। दोनों को काफी दूर से अपने शिकार का भेद लेना पड़ता है। गिद्ध उड़ते हुए और अधिकतर हवा में स्थिर रहते हुए वराबर मुर्दा मांस की खोज में रहते हैं।
गिद्ध का एक विशेष लक्षण यह है कि उसके सिर और गर्दन पर छोटे छोटे रोओं की हल्की-सी परत रहती है या वे बिल्कुल सफाचट होते हैं। इस विशेषता का कारण यह है कि जिस मुरदे पर वे चोंच मारते हैं वह अक्सर सड़ने-गलने की स्थिति में होता है और उन्हें मुर्दा मांस में अपनी तेज चोंच गड़ानी पड़ती है। कभी कभी तो गिद्ध मुर्दे की प्रांतों में अपनी गर्दन तक गड़ा देता है। यदि उसके सिर और गर्दन पर साधारण परों का आवरण होता तो उक्त स्थिति में गर्दन आसानी से खराब हो जाती। पर गिद्ध की नंगी या रोएंदार गर्दन के कारण यह टलता है। इस चिह्न के द्वारा गिद्ध फौरन अन्य पक्षियों से अलग पहचाना जा सकता है।
लंबी चोंचवाला भारतीय गिद्ध और सफेद पीठवाला गिद्ध भारत के साधारण गिद्ध हैं । वे अवसर बड़े बड़े झुंडों में कस्बों और देहातों में मुर्दा मांस पर जमे हुए नजर आते हैं। इसी वर्ग में गंजा या राजा गिद्ध आता है जिसका सिर और गर्दन पूरी तरह गंजे होते हैं।
चूंकि गिद्ध मुर्दा मांस का सफाया कर डालते हैं इसलिए उन्हें उपयोगी पक्षी कहा जा सकता है।
इससे अधिक उपयोगी है सफेद मेहतर या फेरो का मुर्ग (प्राकृति १२५) जो न केवल मुर्दा मांस बल्कि सभी निकम्मी और सड़ी-गली चीजें खाता है। जिन जिन बस्तियों में यह पक्षी जाता है वहीं का सारा कूड़ा-करकट खाकर बस्तियों की सफाई का काम करता है।
सूर्य-पक्षी सूर्य-पक्षी कहलानेवाले नन्हे नन्हे पक्षियों के भोजन का तरीका एकदम दूसरा होता है। उदाहरणार्थ, हरे सूर्यपक्षी को ही लो। इसका मुलायम परों का आवरण चमकोली धात की तरह दमकता है। फूलदार पेड़-पौधों पर बैठकर यह उनके फूलों की मधुर सुधा का पान करता है। हां, यह सही है कि इस पुष्प-रस के अलावा वह छोटे छोटे कीट भी खाता है।
सूर्य-पक्षियों की संरचना भोजन के रूप में पुष्प-रस का उपयोग करने के अनुकूल होती है। इसके लंबी , पतली , नुकीली चोंच होती है। जबान के बीच खड़ी नाली-सी होती है और सिरे पर जबान दो फंदों में विभक्त होती है। केवल ऐसी चोंच और जबान से ही कोई पक्षी पुष्प-रस चूस सकता है।
मधु-मक्खियों की तरह सूर्य-पक्षी भी फूलों को पगगित करते है। अतः वे उपयोगी पक्षी हैं।
प्रश्न – १. तोतों के कौनसे संरचनात्मक लक्षण उनके वृक्षस्थित जीवन से संबंध रखते हैं ? २. किन संरचनात्मक लक्षणों के आधार पर मोर को जमीन पर रहनेवाला पक्षी माना जाता है ? ३. वाज में शिकारभक्षी पक्षी की कौनसी अनुकूलताएं मौजूद हैं ? ४. वास्तविक शिकारभक्षी पक्षियों से गिद्ध किस माने में भिन्न है ? ५. गिद्ध और सफेद मेहतर किस प्रकार उपयोगी हैं ? ३. सूर्य-पक्षियों में पुष्परस-पान की दृष्टि से कौनसी अनुकुलताएं होती हैं ?

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

1 day ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

3 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

5 days ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

5 days ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

5 days ago

FOURIER SERIES OF SAWTOOTH WAVE in hindi आरादंती तरंग की फूरिये श्रेणी क्या है चित्र सहित

आरादंती तरंग की फूरिये श्रेणी क्या है चित्र सहित FOURIER SERIES OF SAWTOOTH WAVE in…

1 week ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now