width of bright & dark fringe equation in hindi , दीप्त फ्रिन्जो की फ्रिंज चौड़ाई , अदीप्त फ्रिन्जो की फ्रिंज चौड़ाई (β) :-
यंग का द्वि स्लिट प्रयोग या यंग का द्वि-झिरी प्रयोग (young’s double slit experiment in hindi) : माना S एक बिंदु प्रकाश स्रोत लेते है , इससे गोलाकार तरंगाग्र उत्सर्जित हो रहा है। बिंदु प्रकार स्रोत S से b दूरी पर एक आयताकार गत्ता M रखा होता है।
आयताकार गत्ते के बिंदु O’ से समान दूरी पर दो छिद्र S1 व S2 करते है , जिनके मध्य की दूरी d है। आयताकार गत्ते M से D दूरी पर पर्दा रखा होता है। जब बिन्दु प्रकाश स्रोत S से प्रकार S1 व S2 पर आपतित होता है तो S1 व S2 दो कला सम्बन्ध प्रकाश स्रोत की भाँती व्यवहार करते है जिनसे प्रकाश द्वितीयक तरंगीकाओ के रूप में आगे की ओर संचरित होता है। यह द्वितीयक तरंगीकाएं आयताकार गत्ते M व पर्दे N के मध्य संचरित होती है एवं संचरण के पश्चात् इन द्वितीयक तरंगिकाओं में अध्यारोपण होता है जिससे व्यतिकरण प्रतिरूप पर्दे पर प्राप्त होता है।
जिन बिन्दुओ पर प्रकाश तरंगो के श्रृंग-श्रृंग या गर्त-गर्त आपस में मिलते है , उन बिन्दुओ पर संपोषी व्यतिकरण होता है और पर्दे पर दीप्त या चमकीली फ्रिन्जे प्राप्त होती है एवं जिन बिन्दुओ पर प्रकाश तरंगो के श्रृंग-गर्त या गर्त-श्रृंग मिलते है , उन बिन्दुओ पर विनाशी व्यतिकरण होता है और पर्दे पर अद्विप्त या काली फ्रिंज प्राप्त होती है।
यंग के द्विस्लिट प्रयोग में व्यतिकरण प्रतिरूप पर्दे पर एकान्तर क्रम में दीप्त एवं अदीप्त फ्रिन्जे प्राप्त होती है।
दो क्रमागत दीप्त फ्रिंजो अथवा दो क्रमागत अदीप्त फ्रिन्जो के मध्य की दूरी एक समान होती है।
यही यंग के द्विस्लिट प्रयोग का व्यतिकरण के लिए प्रायोगिक सत्यापन है।
फ्रिंज चौड़ाई (B) : दो क्रमागत दीप्त फ्रिन्जो अथवा दो क्रमागत अदिप्त फ्रिंजो के मध्य की दूरी को फ्रिंज चौड़ाई कहते है। इसे B (बीटा) से व्यक्त करते है। इसका मात्रक मीटर (m) होता है।
माना S1 व S2 प्रकाश स्रोत से पर्दे के बिंदु O पर पहुँचने वाली प्रकाश तरंगो द्वारा तय की गयी दूरी एक समान होती है। जिसके कारण इन प्रकाश तरंगो के मध्य पथांतर शून्य होता है। जिससे पर्दे के केंद्र बिंदु O पर सदैव दीप्त फ्रिंज प्राप्त होती है। पर्दे के केन्द्र बिंदु O से ‘y’ दूरी पर स्थित बिंदु P पर व्यतिकरण का अध्ययन करना है। व्यतिकरण का अध्ययन करने के लिए S1 व S2 प्रकाश स्रोत से बिंदु P पर पहुँचने वाली प्रकाश तरंगो द्वारा तय की गयी दूरी क्रमशः S1P व S2P होती है। इन प्रकाश तरंगो में पथांतर ज्ञात करने के लिए बिंदु S1 से S2 पर लम्ब S1A डालते है।
अत: प्रकाश तरंगों के मध्य पथांतर △x हो तो –
△x = S2P – S1P
चूँकि S2P = S2A + AP
तथा AP = S1P
मान रखने पर –
△x = S2A + S1P – S1P
△x = S2A समीकरण-1
△S1S2A से –
Sinθ = S2A/S1S2
Sinθ = △x/d समीकरण -2
यदि θ अत्यंत कम हो तो –
Sinθ = θ , cosθ = 1
अत:
θ = △x/d समीकरण -3
△O’OP
tanθ = OP/O’O
θ = अत्यंत कम हो तो –
tanθ = y/D समीकरण -4
tanθ = θ
θ = y/D समीकरण -5
समीकरण-3 व 5 से –
△x/d = y/D
△x = yd/D
या
Y = △x D/d समीकरण -6
विशेष स्थितियाँ
- दीप्त फ्रिन्जो की फ्रिंज चौड़ाई (β): माना पर्दे के बिन्दु P पर n वीं दीप्त फ्रिंज बनती है , जिसकी बिन्दु O से दूरी ynहै , n वीं दीप्त फ्रिन्ज के लिए पथांतर –
△x = nλ
समीकरण-6 से –
yn = nλD/d समीकरण -7
इसी प्रकार पर्दे के बिंदु P पर (n+1) वीं दीप्त फ्रिंज की बिन्दु O से दूरी (yn+1) हो तो –
समीकरण-7 से –
Yn+1 = (n+1) λD/d
फ्रिंज चौड़ाई (β) की परिभाषा से –
β = yn+1 – yn
समीकरण-7 व 8 से –
β = λD/d समीकरण -9
समीकरण-9 जो कि दो क्रमागत फ्रिन्जो के फ्रिंज की चौड़ाई है |
- अदीप्त फ्रिन्जो की फ्रिंज चौड़ाई (β): माना पर्दे के बिंदु P पर n वीं अदिप्त फ्रिन्ज बनती है |जिसकी बिंदु O से दूरी Yn है |
n वीं अदीप्त फ्रिंज के लिए पथांतर –
△x = (2n – 1)λ/2
समीकरण- 6 से –
Yn’ = (2n-1) λD/2d समीकरण -10
इसी प्रकार पर्दे के बिंदु P पर (n+1) वीं अदीप्त फ्रिंज की बिंदु O से दूरी Y’n+1 हो तो –
समीकरण-10 से –
Y’n+1 = [2(n+1)-1] λD/2d
Y’n+1 = (2n+1)λD/2d समीकरण -11
फ्रिन्जो की चौड़ाई (β) की परिभाषा से –
β = Y’n+1 – Yn’
β = λD/d समीकरण -12
जो कि दो क्रमागत अदीप्त फ्रिन्जो की फ्रिंज चौड़ाई का सूत्र है |
समीकरण-9 व समीकरण-12 से स्पष्ट है कि दो क्रमागत दीप्त फ्रिन्जो अथवा दो क्रमागत अदीप्त फ्रिन्जो की फ्रिंज चौड़ाई एक समान होती है |
यदि यंग के द्वि स्लिट प्रयोग में फ्रिंजो की कोणीय फ्रिंज चौड़ाई △θ हो तो –
△θ = △y/D
चूँकि कोण = चाप/त्रिज्या
β = yn+1 – yn = △y
△θ = β/D
चूँकि β = λD/d
△θ = λ/d समीकरण -13
समीकरण-13 से स्पष्ट है कि कोणीय फ्रिंज चौड़ाई का मान आयताकार गत्ते व पर्दे के मध्य की दूरी D पर निर्भर नहीं करता है |
फ्रिंज चौड़ाई (β) निम्न राशियों पर निर्भर करती है |
β = λD/d समीकरण -14
जहाँ λ = प्रकाश की तरंग दैर्ध्य
D = गत्ते व पर्दे के मध्य दूरी
d = स्लिटों के मध्य की दूरी
- यदि d व D नियत हो तो –
समीकरण-14 से –
β↑ ∝ λ↑
अत: लाल रंग > नीला रंग
βRed > βblue
अत: स्पष्ट है कि तरंग दैर्ध्य का मान बढ़ने पर फ्रिंज चौड़ाई का मान भी बढ़ता है , इसलिए लाल रंग की फ्रिंज चौड़ाई बैंगनी रंग से अधिक होती है |
- यदि λ , d नियत हो तो –
समीकरण-14 से –
β ∝ D
अत: स्पष्ट है कि फ्रिंज चौड़ाई का मान गत्ते व पर्दे के मध्य की दूरी पर निर्भर करता है |
- यदि λ , D नियत हो तो –
समीकरण-14 से –
↑ β ∝ 1/d ↓
अत: स्पष्ट है कि β का मान स्लिटों की मध्य की दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होता है , d का मान कम होने पर β के मान में वृद्धि होती है |
यदि यंग के द्वि स्लिट प्रयोग को n अपवर्तनांक के द्रव में रखा जाए तो माध्यम में प्रकाश की तरंग दैर्ध्य λ होती है एवं वायु में प्रकाश की तरंग दैर्ध्य λ ‘ हो तो अपवर्तनांक –
n = υ1/υ2
मान रखने पर
n = (λ/T)/( λ’/T)
n = λ/λ’
λ’ = λ/n
जहाँ n = अपवर्तनांक
अत: माध्यम में फ्रिंज चौड़ाई β’ हो तो –
β’ = λ’ D/d
β’ = λ’ D/nd
β’ = 1/n (λ’ D/d)
चूँकि λ’ D/d = βair
β’ = βair/n
उपर्युक्त समीकरण से स्पष्ट है कि माध्यम में फ्रिंज चौड़ाई का मान वायु में फ्रिंज चौड़ाई का 1/n वाँ भाग होता है |
नोट : यदि यंग के द्विस्लिट प्रयोग में λ1 तरंग दैर्ध्य के प्रकाश को आपतित करने पर पर्दे पर n1 फ्रिन्जे दिखाई देती है तथा λ2 तरंग दैर्ध्य का प्रकाश आपतित करने पर n2 फ्रिन्जे दिखाई देती है तो –
y1 = n1 β1
चूँकि β1 = λ1D/d
y2 = n2 β2
चूँकि β2 = λ2D/d
चूँकि y1 = y2
n1 β1 = n2 β2
n1 (λ1D/d) = n2 (λ2D/d)
n1 λ1 = n2 λ2