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तरंग की परिभाषा क्या है (what is wave in hindi) , प्रकार , उदाहरण , प्रगामी तरंग , अनुप्रस्थ , अनुदैर्ध्य तरंग
(what is wave in hindi) तरंग की परिभाषा क्या है , प्रकार , उदाहरण , प्रगामी तरंग , अनुप्रस्थ , अनुदैर्ध्य तरंग तरंगे किसे कहते है ?
परिभाषा : जब ऊर्जा का संचरण दोलन , कम्पन्न या उतार चढाव के रूप में होता है और ऊर्जा एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित हो जाती है इसे ही तरंग कहते है।
तरंगों के प्रकार (types of waves)
तरंग : किसी भी माध्यम में उत्पन्न वह विक्षोप जो अपना बिना रूप बदले माध्यम में एक निश्चित वेग से आगे बढती है , तरंग कहलाती है।
तरंग गति : तरंग गति ऊर्जा संचरण की वह विधि है जिसमे बिना माध्यम के स्थानान्तरण के ऊर्जा का एक स्थान से दूसरे स्थान तक संचरण होता है , तरंग गति कहलाती है।
तरंग गति की विशेषताएँ :
1. माध्यम के कण अपना स्थान नहीं छोड़ते बल्की अपनी साम्यावस्था के इधर उधर कम्पन्न करते है।
2. माध्यम स्वयं गति नहीं करता।
3. माध्यम में ऊर्जा और वेग का स्थानान्तरण होता है।
4. माध्यम के भिन्न भिन्न कणों की कला स्तब्ध रूप से परिवर्तित होती है।
तरंग संचरण के लिए माध्यम में आवश्यक गुण
तरंगे
तरंगों के द्वारा ऊर्जा का एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानान्तरण होता है। तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बाँटा जा सकता है-
1. यांत्रिक तरंगें- वे तरंगें, जो किसी माध्यम (ठोस, द्रव एवं गैस) में संचरित होती है, यांत्रिक तरंगें कहलाती है। इन तरंगों के किसी माध्यम में संचरण के लिए यह आवश्यक है कि माध्यम में प्रत्यास्थ्ता व जड़त्व के गुण मौजूद है।
यांत्रिक तरंगों के प्रकार- यह मुख्यतः दो प्रकार की होती है
1. अनुप्रस्थ तरंगें।
2. अनुदैर्ध्य तरंगें।
1. अनुप्रस्थ तरंगेंः जब किसी माध्यम में तरंग गति की दिशा माध्यम के कणो के कम्पन करने की दिशा के लम्बवत होती है, तो इस प्रकार की तरंगों को अनुप्रस्थ तरंगें कहते है। अनुप्रस्थ तरंगें केवल ठोस माध्यम में एवं द्रव के ऊपरी सतह पर उत्पन्न की जा सकती है। द्रवो के भीतर एवं गैसों में अनुप्रस्थ तरंगें उत्पन्न नहीं की जा सकती हैं। अनुप्रस्थ तरंगें शीर्ष एवं गर्त के रूप में संचरित होती है।
2. अनदैर्ध्य तरंगें– जब किसी माध्यम में तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों की कम्पन करने की दिशा के अनुदिश या समान्तर होती है, तो ऐसी तरंगों को अनुदैर्ध्य तरंगें कहते हैं। अनुदैर्ध्य तरंगें सभी माध्यम में उत्पन्न की जा सकती है। ये तरंगें संपीडन और विरलन के रूप में संचरित होती है। संपीडन वाले स्थान पर माध्यम का दाब एवं घनत्व अधिक होता है, जबकि विरलन वाले स्थान पर माध्यम का दाब एवं घनत्व कम होता है। वायु में उत्पन्न तरंगें, भूकम्प तरंगें, स्प्रिंग में उत्पन्न तरंगें आदि सभी अनुदैर्ध्य तरंगें होती है।
2. अयांत्रिक तरंगें या विद्युत-चुम्बकीय तरंगें-यांत्रिक तरंगों के अतिरिक्त अन्य प्रकार की तरंगें भी होती है, जिनके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नही होती तथा वे तरंगें निर्वात में भी संचरित हो सकती है। इन्हें अयांत्रिक या विद्युत चुम्बकीय तरंगें कहते हैं, जैसे- प्रकाश तरंगें, रेडियों तरंगे, ग्-तरंगें आदि।
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