हिंदी माध्यम नोट्स
जल संग्रहण water conservation in hindi , जल संग्रहण करने का उद्देश्य , तरीके , बाँध ,बाँध बनाने के लाभ
water conservation in hindi ( जल संग्रहण ) :-
इसका उद्देश्य यह है की भूमि पर उपस्थित पर जल का संग्रहण करना ताकि मुसीबत के समय पर यह उपयोग में आ सके।
जल संग्रहण करने का उद्देश्य
1. जल संभर प्रबंधन में मिट्टी एवं जल संरक्षण पर जोर दिया जाता है जिससे कि जैव मात्रा उत्पादन में वृद्धि हो सके।
2.भूमि एवं जल के प्राथमिक स्रोतों का विकास, द्वितीयक संसाधन पौधों एवं जंतुओं का उत्पादन इस प्रकार करना जिससे पारिस्थितिक अंसतुलन पैदा न हो।
3.जल संभर प्रबंधन न केवल जल संभर समुदाय का उत्पादन एवं आय बढाता है।
4. जल संभर प्रबंधन सूखे एवं बाढ़ से भी लोगो को रहत देता है तथा निचले बाँध एवं जलाशयों का सेवा काल भी बढ़ाता है अर्थात् इसमें जल के स्तर को भी बढाता है।
अनेक संगठन जो की प्राचीनकालीन जल संरक्षण की प्रणालियों को पुनर्जीवित करने में लगे हैं। इन संगठनो ने जल संरक्षण के ऐसे सैकड़ों तरीके विकसित किए हैं जिनके द्वारा धरती पर पड़ने वाली प्रत्येक बूँद का संरक्षण किया जा सके। जैसे की छोटे-छोटे गड्ढे खोदना, झीलों का निर्माण, साधारण जल संभर व्यवस्था की स्थापना, मिट्टी के छोटे बाँध बनाना, रेत तथा चूने के पत्थर के संग्रहक बनाना तथा घर की छतों से जल एकत्र करना। इससे भूमि में उपस्थित जल का स्तर बढता है तथा नदी में भी जल आता है जिसके कारण नदी पुनः जीवित हो जाती है।
जल संग्रहण भारत में बहुत पुरानी संकल्पना है अर्थात् जल संग्रहण बहुत वर्षो पहले से ही किया जा रहा है। राजस्थान में खादिन, बड़े पात्र एवं नाड़ी, महाराष्ट्र के बंधारस एवं ताल, मध्यप्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में बंधिस, बिहार में अहार तथा पाइन, हिमाचल प्रदेश में कुल्ह, जम्मू के काँदी क्षेत्र में तालाब तथा तमिलनाडु में एरिस, केरल में सुरंगम, कर्नाटक में कट्टा आदि अनेक राज्यों में जल को संग्रहित करने के तरीके है।
वर्षा जल संग्रहण = वर्षा के जल को भोम जल के रूप में भूमि के अन्दर संगृहीत करने की प्रक्रिया को ही वर्षा जल संग्रहण कहा जाता है।
जल को संगृहीत करने के तरीके
1.तालाब 2.कुआँ 3. कुल्ह 4.ताल 5. एरिस
बाँध
नदियों में पत्थर की दीवार बनाकर उसके पानी को एक जगह एकत्रित करना ही बाँध कहलाता है। बड़े बाँध में जल संग्रहण पर्याप्त मात्रा में किया जा सकता है जिसका उपयोग केवल सिंचाई के लिए ही नहीं बल्कि विद्युत उत्पादन के लिए भी किया जाता है। इनसे निकलने वाली नहरें जल की बड़ी मात्रा को दूर दूर तक के स्थानों तक ले जाती हैं। उदाहरणतः इंदिरा गांधी नहर से राजस्थान के काफ़ी बड़े क्षेत्र में जल पहुचता है जिसके कारण बड़े बड़े क्षेत्र में हरियाली होती है। अत: बड़ी बड़ी नदियों पर बड़े बड़े बांध बनाकर बहुउदेशीय योजनाए (जिसका उपयोग बहुत से कार्यो के लिए किया जाता है) चलायी जाती है।
नदियों पर बनाये गए बांध
1. नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध
2. सतलज नदी पर भाखड़ा नागल बांध
3. गंगा नदी पर तिहरी बांध
4. तावा बांध
जल के खराब प्रबंधन के कारण मात्र कुछ व्यक्तियों द्वारा ही इसका लाभ उठाने के कारण जल प्रबंधन के लाभ से बहुत सारे लोग वंचित रह गए हैं। जल का समान वितरण नहीं होता है जिसके कारण जल स्रोत के निकट रहने वाले व्यक्ति गन्ना एवं धान जैसी अधिक जल-खपत वाली फसल उगा लेते हैं जबकि दूर के लोगों को जल मिल ही नहीं पाता। अत: उन व्यक्तियों की व्यथा और भी ज्यादा हो जाती है तथा असंतोष होता है जबकि उन व्यक्तियों को जिन्हें बाँध एवं नहर बनाते समय विस्थापित किया जाता है और उस समय किए गए वायदे भी उनसे पूरे नहीं किए जाते है। ऐसे लोग ही बांध के निर्माण में विरोध करते है।
बांधो के निर्माण के विरोध में आन्दोलन
गंगा नदी पर बना टिहरी बाँध का कई सालो तक विरोध होता रहा। ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ में जिसमें नर्मदा नदी पर बनने वाले बाँध की ऊँचाई बढ़ाने का विरोध हुआ है।
बाँध बनाने के लाभ
1.सिचाई के लिए जल प्राप्त होना
2.विधुत का उत्पाधन करने के लिए
3.मछलियो को पालने हेतु
4.पर्यटन क्षेत्र के रूप में
5. क्षेत्र में रहने वाले लोगो जल की लगातार आपूर्ति
बाँध बनाने से आने वाली समस्याए
बड़े बाँध के निर्माण से मुख्यतः तीन समस्याओं आती है-
1.सामाजिक समस्याएँ = बांध बनाने से बड़ी संख्या में किसान और आदिवासी विस्थापित होते हैं और इन्हें मुआवजा भी नहीं मिलता जिसके कारण लोग इसके निर्माण का विरोध करते है
2.आर्थिक समस्याएँ = बांध का निर्माण करने के लिए जनता का बहुत अधिक धन लगता है और उस अनुपात में लाभ इससे अपेक्षित नहीं है।
3.पर्यावरणीय समस्याएँ = बांध बनाने के कारण बड़े स्तर पर वनों का विनाश होता है तथा जैव विविधता की क्षति होती है।
बांध बनाने की विभिन्न परियोजनाओं में विस्थापित होने वाले अधिकतर व्यक्ति गरीब आदिवासी होते हैं जिन्हें इन परियोजनाओं से कोई लाभ नहीं होता तथा उन्हें अपनी भूमि एवं जंगलों से भी हाथ धोना पड़ता है जिसकी क्षतिपूर्ति भी समुचित नहीं होती है। उदहारण के रूप में 1970 में बने तावा बाँध के विस्थापितों को अभी भी वह लाभ नहीं मिल सके है जिनका उनसे वायदा किया गया था।
Recent Posts
सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ
कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…
रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?
अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…