हिंदी माध्यम नोट्स
VOLTAGE MULTIPLIER in hindi वोल्टता गुणक किसे कहते हैं , वोल्टता संवर्धक का चित्र की परिभाषा
वोल्टता गुणक किसे कहते हैं , वोल्टता संवर्धक का चित्र की परिभाषा VOLTAGE MULTIPLIER in hindi ?
वोल्टता गुणक (संवर्धक ) (VOLTAGE MULTIPLIER)
वे दिष्टकारी परिपथ जिनके द्वारा प्रत्यावर्ती निविष्ट वोल्टता के शिखर मान Vp के गुणज रूप में (2Vp 3Vp, 4Vp ….) दिष्ट वोल्टता निर्गम पर प्राप्त करते हैं, वोल्टता गुणक (voltage multiplier) कहलाते हैं। इन वोल्टता संवर्धकों का उपयोग कैथोड किरण नलिका ( cathode ray tube), दूरदर्शन सैट (televsion set), दोलनदर्शी (oscilloscope) तथा अभिकलित्र प्रदर्शों (computer displays ) आदि की चित्र नलिका में किया जाता है। वोल्टता गुणक कई प्रकार के होते हैं जो वोल्टता के संवर्धन के मान पर निर्भर करते हैं।
(i) वोल्टता द्विगुणक (Voltage doubler)
वोल्टता द्विगुणक का परिपथ चित्र (3.9-1) में दर्शाया गया है। जब P व Q के मध्य प्रत्यावर्ती वोल्टता VI = Vp
sin of निवेश किया जाता है तो P व Q पर एकान्तर क्रम में अर्ध चक्र समय के लिए वोल्टता धनात्मक एवं ऋणात्मक होते रहते हैं। जब Q पर अर्ध चक्र के लिए वोल्टता धनात्मक होती है तो D1
डायोड अग्र दिशिक बायसित हो जाने के कारण C संधारित्र का आवेशन निविष्ट वोल्टता के शिखर मान Vp तक हो
जाता है।
इस स्थिति में C1 की डायोड D1 के द्वारा बिन्दु Q से जुड़ी प्लेट धनात्मक व बिन्दु P से जुड़ी प्लेट ऋणात्मक होती है जैसा कि चित्र में प्रदर्शित है। दूसरे अर्ध चक्र बिन्दु P का विभव धनात्मक होता है और डायोड D2 अग्र बायसित हो जाता है। बिन्दु P पर विभव + Vp तक पहुंचने पर C1 पर विभवान्तर Vp तथा P, Q के मध्य विभवान्तर Vp श्रेणी क्रम में होते हैं जिससे डायोड D2 के द्वारा संधारित्र C2 का 2V, वोल्टता तक आवेशन होता है। पूर्ण आवेशन में निविष्ट वोल्टता के कुछ चक्र लग जाते हैं। यदि संधारित्र C2 के सिरों Q व R के मध्य उच्च प्रतिरोध R लगा दें तो निर्गत वोल्टता 2Vp के बराबर प्राप्त हो जायेगा ( संधारित्र C2 तथा प्रतिरोध R के परिपथ का कालांक RLC2 अत्यधिक होना चाहिये ताकि संधारित्र C2 का अनावेशन नहीं हो ) ।
इस परिपथ को अर्ध-तरंग वोल्टता द्विगुणक भी कहते हैं क्योंकि निर्गत संधारित्र C2 का आवेशन प्रत्येक चक्र अर्ध भाग में ही होता है। इस द्विगुणक में प्रमुख ऊर्मिका आवृत्ति निविष्ट प्रत्यावर्ती वोल्टता की आवृत्ति के बराबर ही होते हैं। इसमें डायोड D2 तथा संधारित्र C2 के लिये वोल्टता सहन करने की क्षमता 2Vp होनी चाहिये । चित्र (3.9-2 ) में पूर्ण तरंग वोल्टता द्विगुणक प्रदर्शित किया गया है।
इन द्विगुणक में दोनों संधारित्र C1 व C2 निर्गम टर्मिनलों से संबंधित है तथा एक अर्ध चक्र में C का व दूसरे अर्ध चक्र में C2 का आवेशन होता है और परिणामी निर्गत वोल्टता लगभग 2Vpप्राप्त होती है। इस परिपथ में निर्गत वोल्टता में प्रमुख ऊर्मिका की आवृत्ति निविष्ट वोल्टता की आवृत्ति की दुगुनी होती है तथा डायोडों के लिये प्रतीप शिखर वोल्टता Vp होती है। इस परिपथ का एक अवगुण यह है कि स्रोत तथा लोड के लिये उभयनिष्ठ भूसम्पर्क (common ground) प्रदान नहीं किया जा सकता है। जैसा कि कुछ अनुप्रयोगों में आवश्यक होता है।
(ii) वोल्टता त्रिगुणक (Voltage tripler) : उपरोक्त परिपथ में संधारित्र C3 तथा डायोड D♭को चित्र (3.9–3) के अनुसार संयोजित कर दें तो निविष्ट वोल्टता के शिखर मान के तीन गुने के बराबर निर्गत वोल्टता प्राप्त की जा सकती है। इस प्रकार के परिपथ को वोल्टता त्रिगुणक कहते हैं।
परिपथ में C1 तथा C2 संधारित्र का आवेशन वोल्टता द्विगुणक परिपथ के अनुसार होता है तथा जब Q पर वोल्टता धनात्मक होती है तो D3 डायोड पर अग्र दिशिक बायस हो जाने के कारण संधारित्र C3 का आवेशन प्रारम्भ हो जाता है। कुछ चक्रों के पश्चात् इसका आवेशन 2Vp वोल्टता तक हो जाता है। यदि P व S सिरों पर उच्च प्रतिरोध R जोड़ दें तो इसके सिरों पर निर्गत वोल्टता 3Vp प्राप्त होगी ।
इसी प्रकार निविष्ट वोल्टता के शिखर मान के चार गुने के बराबर वोल्टता प्राप्त करने के लिए वोल्टता चर्तुगुणक
(voltage quadrupler) का परिपथ चित्र (3.9–4) में प्रदर्शित किया गया है।
सिद्धान्तः इस परिपथ में संधारित्र तथा डायोड एक खण्ड की रचना करते हैं व ऐसे अनेक खण्ड समान्तर क्रम में जोड़ सकते हैं परन्तु इस प्रकार के परिपथ में निर्गत वोल्टता में ऊर्मिका गुणांक में वृद्धि होती जाती है। इस कारण से निम्न वोल्टता प्रदायकों में इन परिपथों का उपयोग नहीं होता है परन्तु उच्च वोल्टता प्रदायका (कुछ हजार वोल्ट तक) में इनका उपयोग किया जाता है।
डायोड अनुमतांक (DIODE RATINGS)
दिष्टकारी परिपथों में डायोडों के उपयोग में कुछ सीमायें होती हैं जिनका ध्यान रखना आवश्यक होता है।
अधंचालक डायोडों के लिये मुख्य अनुमतांक निम्न हैं-
(i) अधिकतम् औसत धारा (Maximum average current)- डायोड का आन्तरिक तापन या उसमें शक्ति ह्रास उसमें प्रवाहित औसत धारा I, पर निर्भर होता है। अतः डायोड से प्रवाहित धारा निर्धारित अधिकतम् औसत भार से अधिक नहीं होनी चाहिये।
(ü) धारा का शिखर मान (Peak current)- अर्ध चालक डायोड का तात्क्षणिक अधिकतम तापन धारा के शिखर मान पर निर्भर होता है। अतः प्रयोग में धारा का शिखर मान इस अनुमतांक से कम रखना पड़ता है।
(iii) प्रतीप शिखर वोल्टता (Peak inverse voltage) डायोड के अचालन (non conducting) को अवस्था में उस पर वोल्टता का अधिकतम् मान प्रतीप शिखर वोल्टता (PIV) कहलाता है। उत्क्रमित अवस्था में वोल्टल भंजन (voltage breakdown) न होने देने के लिये इस अनुमतांक के ज्ञान की आवश्यकता होती है।
(iv) प्रचालन ताप (Operating temperature) उत्क्रमित संतृप्ति धारा (reverse saturation current) कम रखने के लिये डायोड का प्रचालन ताप इस अनुमतांक से कम रहना चाहिये। जरमेनियम व सिलीकन डायोडों के लिये ताप के सीमान्त मान क्रमश: 85°C तथा 190°C है।
कुछ सिलीकन दिष्टकारी डायोडों के अनुमतांक निम्न हैं-
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…