JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: Physicsphysics

transistor and transistor amplifiers in hindi ट्रांजिस्टर तथा ट्रांजिस्टर प्रवर्धक के नोट्स परिभाषा क्या है

ट्रांजिस्टर तथा ट्रांजिस्टर प्रवर्धक के नोट्स परिभाषा क्या है transistor and transistor amplifiers in hindi ?

अध्याय –  ट्रांजिस्टर तथा ट्रांजिस्टर प्रवर्धक (Transistor and Transistor Amplifiers)

 प्रस्तावना (INTRODUCTION)

इलेक्ट्रॉनिक युक्ति ट्रॉजिस्टर का आविष्कार वैज्ञानिक वाल्टर एच. बातें (Walter H. Brattain) तथा जॉन बादन (John Bardeen) ने सन् 1948 में अमेरिका की बेल प्रयोगशाला (Bell Laboratory) में किया तथा उन्होंने इस युक्ति की प्रवर्धन की क्रिया (amplifying action) को सर्वप्रथम प्रदर्शित किया। कुछ समय पश्चात् शोक्ले (Shockley) ने संधि-ट्रॉजिस्टर के प्रारूप की प्रस्तावना की जो बातें व बार्दीन के बिंदु संपर्क ट्रॉजिस्टर ( point contact transistor) से अधिक उपयुक्त युक्ति थी ।

इन वैज्ञानिकों को इस आविष्कार के लिये 1956 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार भी प्रदान किया गया। इस नवीन इलेक्ट्रॉनिक युक्ति का नाम उसकी मूलभूत क्रिया Transfer resistor के आधार पर Transistor (ट्रॉजिस्टर) रखा गया। ट्रॉजिस्टर की खोज से इलेक्ट्रॉनिक – औद्योगिकी के क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुये। ट्रॉजिस्टर ने निर्वात नलिकाओं (vacuum tubes) का स्थान ले लिया तथा कई प्रकार से ये युक्तियाँ निर्वात नलिकाओं की अपेक्षा अधिक उपयोगी तथा सुविधाजनक पायी गयी । उदाहरण के लिये ट्रॉजिस्टर में किसी गरम तन्तु या हीटर की आवश्यकता नहीं होती है, ट्रॉजिस्टर आकार में छोटा तथा भार में हल्का होता है, इसके लिए कम वोल्टता स्रोत की आवश्यकता होती है, ट्रॉजिस्टर की आयु (life) अधिक होती है, इत्यादि । ट्रॉजिस्टर को सामान्यतः द्विध्रुवी संधि ट्रॉजिस्टर, BJT (Bipolar Junction Transistor) कहते हैं, क्योंकि इसमें आवेश वाहक इलेक्ट्रॉन व होल होते हैं।

 द्विध्रुवी संधि ट्रांजिस्टर ( BIPOLAR JUNCTION TRANSISTOR)

संधि ट्रॉजिस्टर सामान्य रूप से सिलिकन (Si) या जरमेनियम (Ge) का एकल (single) क्रिस्टल होता है, जिसमें तीन अलग-अलग भाग (regions) होते हैं। इसके बीच के भाग को आधार (base) B, तथा बाहरी भागों को क्रमशः उत्सर्जक (emitter) E और संग्राहक ( collector) C कहते हैं, उत्सर्जक तथा आधार के बीच की संधि को उत्सर्जक-आधार संधि (emitter-base junction ) JEB तथा संग्राहक और आधार के बीच की संधि को संग्राहक – आधार संधि (collector-base junction) JCB कहते हैं। उत्सर्जक E, बहुसंख्यक धारा वाहकों (इलेक्ट्रॉन या होल) को प्रदान करता है जो ट्रॉजिस्टर में धारा प्रवाह करते है इसलिये उत्सर्जक अर्धचालक को अन्य भागों की तुलना में अधिक मात्रा में मादित करके बनाया जाता है। आधार भाग, अर्धचालक की पतली पट्टी के रूप में उत्सर्जक E तथा संग्राहक C के बीच में होता है उसे उत्सर्जक या संग्राहक के विपरीत प्रकार की अशुद्धि तत्व से मादित किया जाता है। आधार क्षेत्र की चौड़ाई व ट्राजिस्टर कुल लम्बाई लगभग 1 : 150 अनुपात में होती है तथा इस क्षेत्र में मादन (doping ) भी कम होता है। उत्सर्जक क्षेत्र में मादन सर्वाधिक (लगभग 10 19 प्रति सेमी ) होता है, संग्राहक क्षेत्र में मादन मध्यम ( लगभग 107 प्रति सेमी) व आधार क्षेत्र में मादन न्यूनतम ( लगभग 106 प्रति सेमी ) होता है। संग्राहक C भाग, दोनों भागों से अधिक आकार का होता है, उसे उत्सर्जक E के समान प्रकृति की परन्तु कम मात्रा में अशुद्धि तत्व से मादित किया हुआ होता है। इस प्रकार उत्सर्जक व संग्राहक एक प्रकार के अर्धचालक होते हैं व आधार विपरीत प्रकार का। संधि ट्रॉजिस्टर की बनावट की निम्न चित्र (4.2.1) तथा (4.2.2) में प्रदर्शित किया गया है। 5

संधि ट्रॉजिस्टर दो प्रकार के होते हैं-

(i) NPN

(ii) PNP

NPN प्रकार के ट्रांजिस्टर में उत्सर्जक E तथा संग्राहक C दोनों N प्रकार के अर्धचालक और आधार B. P प्रकार का अर्धचालक होता है। जबकि PNP प्रकार के ट्रॉजिस्टर में उत्सर्जक E तथा संग्राहक C, P प्रकार के अर्धचालक आधार B. N प्रकार का अर्धचालक होता है। NPN तथा PNP प्रकार के ट्रॉजिस्टर को उनके प्रतीकों के साथ क्रमश: निम्न चित्र (4.2-1 ) तथा (4.2–2) में प्रदर्शित किया गया है। यद्यपि चित्र (4.2 -1 ) तथा (4.2-2) में ट्रॉजिस्टर के भाग को अधिक मोटी परत के रूप में प्रदर्शित किया गया है लेकिन वास्तव में ये अल्प मोटाई की होती है।

ट्रॉजिस्टर NPN तथा PNP के प्रतीकों को प्रदर्शित किया। करता है-

चित्र (4.2-1-b) तथा चित्र (4.2-1-b) में क्रमश: है। इन चित्रों में प्रदर्शित तीर का निशान निम्न बातों को व्यक्त

(i) उत्सर्जक E की स्थिति

(ii) ट्रॉजिस्टर का प्रकार

(iii) धारा की दिशा ।

NPN ट्रॉजिस्टर में इलेक्ट्रॉन बहुसंख्यक धारावाहक होते हैं जो कि उत्सर्जक E से आधार B की ओर गति करते हैं अर्थात् चिरसम्मत धारा (conventional current) की दिशा आधार B से उत्सर्जक E की ओर होती है, जैसा कि चित्र (4.2-1-b) में दर्शाया गया है। इसी प्रकार PNP ट्रॉजिस्टर में होल (कोटर) बहुसंख्यक धारा वाहक होते हैं ज उत्सर्जक E से आधार B की ओर गति करते हैं। अतः चिरसम्मत धारा (conventional current) भी उसी दिशा में अर्थात् उत्सर्जक E से आधार B की ओर प्रवाहित होती है, जैसा कि चित्र (4.2-2-b) में प्रदर्शित किया गया है।

ट्रॉजिस्टर को आर्द्रता इत्यादि से बचाने के लिये उसे किसी धातु या प्लास्टिक के कवच में रखकर सील कर दिया जाता है तथा ट्रॉजिस्टर के प्रत्येक भाग से धातु की लीड ( leads) जुड़ी हुई होती है इन्हें संयोजक लीड (connecting leads) कहते हैं।

ट्रॉजिस्टर में लीड का अभिनिर्धारण उनके बीच दूरी से सरलता से किया जा सकता है। ट्रॉजिस्टर में आधार लीड B, उत्सर्जक लीड E तथा संग्राहक लीड C के बीच में होता है। संग्राहक लीड तथा आधार लीड के मध्य अन्तराल अधिक होता है जबकि इसके सापेक्ष उत्सर्जक लीड तथा आधार लीड में अन्तराल कम होता है। ट्रॉजिस्टर के कवच (body) पर संग्राहक लीड के पास एक रंगीन (लाल) बिन्दु (dot) भी लगा होता है। ट्रॉजिस्टर के बाह्य स्वरूप (external structure ) को चित्र (4.2-3) में दर्शाया गया है।

संधि ट्रांजिस्टर का प्रचालन (OPERATION OF A JUNCTION TRANSISTOR)

संधि ट्रॉजिस्टर के सक्रिय प्रचालन (active operation) के लिये उसके उत्सर्जक आधार (E-B) संधि को अग्रदिशिक-बायसित (forward biased) तथा संग्राहक – आधार (C-B) संधि को पश्चदिशिक बायसित (reverse biased) किया जाता है। निम्न चित्र (4.3 – 1) में NPN ट्रॉजिस्टर तथा चित्र (4.3-2) में PNP ट्रॉजिस्टर की बायसन व्यवस्था को प्रदर्शित किया गया है।

चित्र (4.3-1) तथा चित्र (4.3-2) में बायसन वोल्टता के साथ संधि-ट्रॉजिस्टर में प्रवाहित धारा की दिशा को भी प्रदर्शित किया गया है तथा चिरसम्मत धारा (conventional current) की दिशा इलेक्ट्रॉन के प्रवाह के दिशा के विपरीत ली गयी है। सबसे पहले चित्र (4.3 – 1 ) में प्रदर्शित NPN संधि ट्रॉजिस्टर के सक्रिय प्रचालन का विश्लेषण करते हैं।

NPN संधि ट्रॉजिस्टर की उत्सर्जक संधि अग्रदिशिक बायसित होने के कारण उसके अवक्षय क्षेत्र (depletion region) या विभव रोधिका (barrier potential) का प्रभाव कम हो जाता है। इसलिये N क्षेत्र (उत्सर्जक) के बहुसंख्यक आवेश वाहक इलेक्ट्रॉन बैटरी के ऋणात्मक टर्मिनल से प्रतिकर्षित होकर तथा संधि को पार करके P क्षेत्र (आधार) की ओर विसरित होते हैं। साथ ही P क्षेत्र (आधार) के अल्प संख्यक आवेश वाहक होल भी बैटरी के ऋणात्मक टर्मिनल द्वारा आकर्षित होते हैं तथा वे संधि को पार करके N क्षेत्र (उत्सर्जक) की ओर विसरित होते हैं। आवेश वाहकों के प्रवाह के कारण परिणामी धारा बहुसंख्यक आवेश वाहक इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जक भाग से आधार की ओर तथा अल्पसंख्यक आवेश वाहक होलों के आधार से उत्सर्जक भाग की ओर गतिमान होने के कारण प्राप्त होती है। चूंकि अल्पसंख्यक आवेश वाहक होलों की संख्या, बहुसंख्यक आवेश वाहक इलेक्ट्रॉनों की तुलना में बहुत कम होती है तथा संधि में विसरित होने में कुछ होलों का इलेक्ट्रॉनों से ग्रहण होने के कारण क्षय हो जाता है इसलिए VEB होलों के कारण उत्पन्न धारा का मान अत्यल्प ( नगण्य ) होता है। अत: ( eV) धारा मुख्यतः इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के कारण होती है । उत्सर्जक भाग में प्राप्त इस धारा को उत्सर्जक धारा (emitter current) IE कहते हैं। NPN ट्रॉजिस्टर में धारा IE उत्सर्जक टर्मिनल से बाहर की ओर की दिशा में होती है जैसा कि चित्र (4.3-1) में दर्शाया गया है।

आधार क्षेत्र में पुन: संयोजन ( recombination) से पूर्व आवेश वाहक (इलेक्ट्रॉन) जो औसत दूरी तय कर सकता है उसके सापेक्ष आधार क्षेत्र की मोटाई अल्प रखी जाती है। अतः जब बहुसंख्यक इलेक्ट्रॉन उत्सर्जक संधि से अन्त: क्षेपित होकर आधार क्षेत्र में पहुंचते हैं तो अधिकांश आधार क्षेत्र को पार कर संग्राहक क्षेत्र में लगी बैटरी के धनात्मक टर्मिनल से आकर्षित होते हैं आधार संधि पर बायस पश्चदिशिक होता है। इन इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के कारण संग्राहक भाग में धारा प्रवाहित होती है। इस धारा को संग्राहक धारा (collector current) I. कहते हैं। ट्रॉजिस्टर में उत्सर्जक धारा IE] तथा संग्राहक धारा I का मान समान नहीं होता है। वास्तव में उत्सर्जक आधार संधि को पार करने वाले आवेश वाहकों की संख्या संग्राहक आधार संधि को पार करने वाले की तुलना में अधिक होती है। उपरोक्त दोनों। धाराओं का अन्तर आधार धारा (base current) In होती है। संग्राहक धारा I का मान उत्सर्जक धारा I के मान से कम होता है इसके दो मुख्य कारण होते हैं- (i) उत्सर्जक धारा का कुछ भाग होलों के प्रवाह के द्वारा उत्पन्न धारा के. कारण होता है जो कि संग्राहक धारा में नहीं होता है। (ii) आधार में अन्त:क्षेपित (injected) सभी इलेक्ट्रॉन सफलता पूर्वक संग्राहक में नहीं पहुंच पाते हैं। चित्र (4.3 – 1 ) में NPN ट्रॉजिस्टर में संग्राहक धारा I तथा आधार धारा Ig की दिशा को प्रदर्शित किया गया है।

इलेक्ट्रॉनों के लिए NPN ट्रॉजिस्टर में ऊर्जा स्तर आरेख चित्र (4.3 3) में दिखाया गया है। Vo संपर्क-विभव (contact potential) है। उत्सर्जक संधि पर अग्रदिशिक ब्रायस के कारण उत्सर्जक- आधार संधि प विभव रोधिका (potential barrier) घट जाती है तथा संग्राहक आधार संधि पर पश्चदिशिक बायस के कारण विर रोधिका बढ़ जाती है। अग्रदिशिक बायस युक्त संधि का प्रतिरोध बहुत कम (~100 कोटि का) होता है जबि पश्चदिशिक बायसित संधि का प्रतिरोध बहुत अधिक (~105कोटि का) होता है। ट्रॉजिस्टर संक्रिया के कारण लगभग समान धारा निवेश पर अग्रदिशिक बायसित संधि से व निर्गम पर पश्चदिशिक बायसित संधि से गुजरती है। अत: निर्गम पर वोल्टता व शक्ति निवेश पर वोल्टता व शक्ति से बहुत अधिक प्राप्त होती है। अर्थात् ट्रॉजिस्टर द्वारा वोल्टता व शक्ति प्रवर्धन प्राप्त होता है इस प्रकार से संधि ट्रॉजिस्टर NPN का सक्रिय प्रचालन होता है।

उपर्युक्त विश्लेषण की भांति PNP प्रकार के संधि ट्रॉजिस्टर के सक्रिय प्रचालन को समझा जा सकता है। संधि ट्रॉजिस्टर PNP के बायस व्यवस्था को चित्र (4.3-2) में दर्शाया गया है। PNP संधि ट्रॉजिस्टर का प्रचालन बिल्कुल NPN ट्रॉजिस्टर के ही समान होता है यदि इलेक्ट्रॉन तथा होल के व्यवहार को एक दूसरे से बदल (interchange) दिया जाये। PNP ट्रॉजिस्टर में उत्सर्जक धारा IE, संग्राहक धारा I तथा आधार धारा Ig के दिशाओं को भी चित्र (4.3-2) में प्रदर्शित किया गया है। इसमें भी संग्राहकं धारा I का मान, उत्सर्जक धारा IE के मान से कम होता है।

PNP ट्रॉजिस्टर में धनात्मक आवेश वाहक होल के लिए ऊर्जा स्तर आरेख चित्र (4.3-4) में प्रदर्शित है। यहां प्रारूप PNP ट्रॉजिस्टर में विभव वितरण के लिये होगा क्योंकि विभव एकांक धनात्मक आवेश की ऊर्जा को निरूपित करता है। विभव के लिये आरेख में VEB, V. व VCB वोल्ट में होंगे।

संधि ट्रॉजिस्टर के प्रचालन के अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि उत्सर्जक परिपथ में धारा में वृद्धि या कमी के संगत संग्राहक परिपथ में संग्राहक धारा में भी वृद्धि या कमी होती है, अर्थात् उत्सर्जक धारा का संग्राहक धारा पर नियंत्रण होता है।

इस प्रकार ट्रॉजिस्टर एक धारा प्रचालित (current operated) युक्ति होती है जिसका मुख्य कार्य आवेश वाहको का नियंत्रण है।

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

18 hours ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

3 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

5 days ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

5 days ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

5 days ago

FOURIER SERIES OF SAWTOOTH WAVE in hindi आरादंती तरंग की फूरिये श्रेणी क्या है चित्र सहित

आरादंती तरंग की फूरिये श्रेणी क्या है चित्र सहित FOURIER SERIES OF SAWTOOTH WAVE in…

1 week ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now