वाच्य किसे कहते हैं ? voice in hindi grammar वाच्य के भेद या प्रकार , उदाहरण , प्रश्न उत्तर परिवर्तन के नियम

voice in hindi grammar , वाच्य किसे कहते हैं ? वाच्य के भेद या प्रकार , उदाहरण , प्रश्न उत्तर परिवर्तन के नियम क्या है , परिभाषा ?

वाच्य (voice)

वाच्य क्रिया का वह परिवर्तन है जिसके द्वारा इस बात का बोध होता है कि वाक्य के अंतर्गत कर्ता, कर्म अथवा भाव- इन तीनों में किसकी प्रधानता है तथा इनमें किसके अनुसार क्रिया के पुरुष, वचन आदि आते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि वाक्य में क्रिया के लिंग, वचन या तो कर्ता के अनुसार होते हैं अथवा कर्म के अनुसार या भाव के अनुसार ।

वाच्य के तीन भेद होते हैं – (1) कत्तृवाच्य, (2) कर्मवाच्य, (3) भाववाच्य।

कर्तवाध्य- क्रिया के उस रूपान्तर को कर्तृवाच्य कहते हैं जिसमें क्रिया कर्ता के लिंग, वचन एवं पुरुष के अनुसार अपना सप बदलती है। स्पष्ट है कि इस वाच्य में क्रिया कर्ता के अनुरूप अपना रूप बदलती है अर्थात् क्रिया के लिंग और पुरुष कर्ता के अनुसार होते हैं। उदाहरणार्थ-लड़के जाते हैं, राम जाता है, लड़कियाँ खेलती हैं, मैं जाता हूँ आदि ।

कर्मवाच्य- कर्मवाच्य उसे कहते हैं जब क्रिया का फल कर्ता पर न पड़कर कर्म पर लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार पड़ता है। इस प्रकार इस वाच्य के अन्तर्गत कर्ता करण के रूप में और कर्म कर्ता के रूप में प्रयुक्त होता है तथा क्रिया कर्म के अनुसार रूपान्तरित होती है। जैसे- श्याम ने गीत गाया। मैंने रोटी खाई। मैंने पुस्तक पढ़ी। इन वाक्यों में क्रियाएँ कर्म के अनुसार रूपान्तरित हुई है।

भाववाच्य- भाववाच्य में क्रिया न तो कर्ता के अनुसार होती है और न कर्म के अनुसार। इस वाच्य में क्रिया सदा एकवचन, पुल्लिंग और अन्य पुरुष में रहती है तथा कर्ता एवं कर्म दोनों से मुक्त हो जाती है । स्पष्ट है कि इस प्रकार की क्रियाओं के सप कर्ता-कर्म के अनुरूप नहीं बतलाये। यहाँ वाक्य निषेधात्मक होते हैं। उदाहरणार्थ- मुझसे टहला भी नहीं जाता। राम से बैठा भी नहीं जाता। उससे खाया नहीं जाता। यहाँ कर्ता एवं कर्म दोनों के स्थान पर क्रियाएँ ही प्रधान रहती हैं।