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असंतृप्त वसीय अम्ल के उदाहरण क्या है , संतृप्त और असंतृप्त वसीय अम्ल में अंतर , unsaturated fatty acid in hindi

unsaturated fatty acid in hindi असंतृप्त वसीय अम्ल के उदाहरण क्या है , संतृप्त और असंतृप्त वसीय अम्ल में अंतर ?

लिपिड्स : संरचना कार्य महत्व एवं उपापचय (Lipids : Structure, Functions Significance and Metabolism)

वसा एवं उनके व्युत्पन्न सामूहिक रूप से लिपिड कहलाते हैं। लिपिड ऐसे कार्बनिक यौगिक हैं जो जल में नही घुलने लेकिन ईथर, क्लोरोफार्म, बेंजीन, गर्म ऐल्कोहल तथा पेट्रोलियम ईंथर में घुल जाते हैं। इनके अणुओं में लम्बी श्रृंखलाओं के ऐलिफेटिक हाइड्रोकार्बन अथवा बेंजीन वलय होते हैं। लिपिड़ों में अध्रुवी (nonpolar) व्यवस्था होती है तथा ये जल- अपकर्षी (hydrophobic) होते हैं।

ये कोशिकाओं की अधिकतर कोशिका झिल्लीयों में, हार्मोनों में तथा विटामिनों में पाए जाते हैं, तथा कोशिकाओं के लिए ऊर्जा के स्रोत का भी कार्य करते हैं। लिपिडों में कार्बन (C), हाइड्रोजन (H), तथा ऑक्सीजन (O) होती है। कुछ लिपिडों से सल्फर (S), नाइट्रोजन (N), एवं फॉस्फोरस (P) भी पाये जाते हैं।

लिपिड्स का वर्गीकरण (Classification of lipids)

  1. सरल लिपिड (Simple lipids)

ये ऐल्कोहलों के ऐंटर अथवा वसा अम्लों एवं ऐल्कोहलों से युक्त ट्राइग्लीसराइड होते हैं। इसमें वसा (fats), वसीय अम्ल (fatty acids) एवं मोम (waxes) आते हैं।

वसीय अम्ल + ग्लीसरॉल  –> ट्राइग्लीसराइड + 3H2O

वसीय अम्लों के तीन अणु, ग्लीसरॉल के एक अणु से संयोजित होकर वसा का एक अणु, तथा पानी के तीन अणु बनाते हैं। संश्लेषण में प्रत्येक वसीय अम्ल linkage) द्वारा संयोजित होता है।

ग्लीसरॉल एक 3 – कार्बन परमाणुओं वाला एल्कोहल है। वसा ग्लीसरॉल के एक कार्बन परमाणु से एस्टर बन्धता (ester) एस्टर बन्ध अपेक्षाकृत क्षीण बन्ध होता है जो गर्म करने पर सरलता से टूट जाता है।

(i) वसीय अम्ल (Fatty acids)

वसाओं के जल अपघटन (hydrolysis) द्वारा वसीय अम्ल प्राप्त होते हैं। प्राकृतिक वसाओं (natural fats) में पाये जाने वाले वसीय अम्लों में सम संख्या (4 से 30) वाले कार्बन परमाणुओं की सीधी श्रृंखलायें होती हैं।

यह श्रृंखला संतृप्त (saturated), अर्थात् बिना किसी द्वि-बन्ध (double bond) वाली.. अथवा असंतृप्त (unsaturated) होती है जिसमें एक या अधिक द्वि-बन्ध पाये जाते हैं। इन श्रृंखलाओं के एक छोर पर कार्बोक्सिल समूह -COOH पाया जाता है जो वसीय अम्ल को अम्लीय गुण प्रदान करता है क्योंकि कार्बोक्सिल समूह का H वियोजित (HCOOH) है जो प्रोणियों के पसीने, मूत्र आदि में पाया जाता है तथा चींटियों में महत्वपूर्ण संरक्षात्मक कार्य करता है। इस वसीय अम्ल के साथ -CH, समूहों क्रमिक रूप से संयोजित होने के फलस्वरूप अधिक जटिल वसीय अम्ल बनते हैं।

वसीय अम्ल दो प्रकार के होते हैं :

  1. संतृप्त (Saturated )
  2. असंतृप्त (Unsaturated)

(a) संतृप्त वसीय अम्ल (Saturated fatty acids)

इस श्रेणी का प्रथम सदस्य एसिटिक अम्ल है जिसकी रचना पर आधारित अन्य सदस्यों को हम CnH2n+1 ‘COOH के सामान्य सूत्र से प्रदर्शित कर सकते हैं।

कोशिकाओं में वसीय अम्लों का संश्लेषण ऐसिटिक अम्ल की 2 कार्बन (सम संख्या) वाली इकाईयों द्वारा होता है। कार्यिकीय महत्व के संतृप्त अम्लों के उदाहरण उपरोक्त सारणी 15.1 में दिये गये हैं।

प्राणियों में पाये जाने वाले पिलिड्स से सबसे प्रचुर मात्रा में मिलने वाले संतृप्त वसीय अम्ल पामिटिक (C16) तथा स्टीयरिक (C18) अम्ल होते हैं। इनके अतिरिक्त थोड़ी मात्रा में छोटी श्रृंखला (C14 तथा C12) वाले तथा बड़ी श्रृंखला (C28 तक) वाले सदस्य (उदाहरण : मोनोटेनिक अम्ल) भी पाये जाते हैं। वसीय अम्लों के क्वथनांक (boiling points) तथा गलनांक (melting points) श्रृंखला को बढ़ती हुई लम्बाई के साथ-साथ बढ़ते हैं। 10 कार्बन परमाणुओं से कम संख्या वाले, सम-संख्या (even membered) संतृप्त वसीय अम्ल कमरे के तापक्रम पर द्रव होते हैं। इसके बड़ी श्रृंखला वाले सदस्य ठोस अवस्था में पाये जाते हैं।

 (b) असंतृप्त वसीय अम्ल (Unsaturated fatty acids)

इनका असंतृप्तीकरण (unsaturation) के कारण वसीय अम्लों के कुछ गुण स्पष्ट रूप से परिवर्तित हो जाते हैं। इनका सामान्यतः गलनांक बहुत कम हो जाता है। प्रकृति में पाये जाने वाले सभी मनुष्य असंतृप्त वसीय अम्ल कमरे के तापक्रम पर द्रव अवस्था (liquid state) में होते हैं।

असंतृप्ता की दशा (degree) के अनुसार उन्हें फिर से उपविभाजित किया जा सकता है:

(1) एकल संतृप्त अम्ल (Mono-unsaturated acids)

सामान्य सूत्र CnH2n-1COOH होता है। इनमें एक द्वि-बन्ध (double bond) पाया जाता है। इनके उदाहरण जंतुओं के पिलिड्स में पाये जाने वाले पामिटोलीक (palmitoletic, C16) तथा ओलीक (oleic, C18) अम्ल है।

ओलिक अम्ल प्रकृति से सबसे प्रचुर मात्रा में मिलने वाला वसीय अम्ल है।

(2) बहु-असंतृप्त अम्ल (Polyunsaturated acids)

(i) दो द्वि-बन्ध वाले (Two double bonds)

सामान्य सूत्र: CnH2-3 COOH

उदाहरण : लिनोलीक अम्ल (Linolic acid, Cig

(ii) तीन द्वि-बन्ध वाले (Three double bonds)

सामान्य सूत्र : CnH2n-SCOOH

उदाहरण : लिनोलेलिक अम्ल (Linolenic acid, C18)

(iii) चार द्वि-बन्ध वाले (Four double bonds)

सामान्य सूत्र : CnH2n7COOH

उदाहरण : एरैकिडोनिक अम्ल (Arachadonic acid, C18)

तालिका 15.2 असंतृप्त वसीय अम्ल (Unsaturated fatty acids)

प्रोस्टाग्लैडिन्स (Prostaglandins), असंतृप्त वसीय अम्लों का एक महत्वपूर्ण समूह है जिसके सदस्य उपापचय में मूलतः एरैकिडोनिक अम्ल से उत्पन्न होते हैं। यह अरेखित माँसपेशियों (unstriated muscles), रक्त वाहिनियाँ (blood vessels), तथा वसा ऊत्तक (adipose tissure) पर महत्वपूर्ण औषधीय (pharmacological) तथा जैव-रासायनिक (biochemical) क्रिया करते हैं।

किसी भी वसीय अम्ल कार गलनांक (melting point) उसकी कार्बन श्रृंखला की लम्बाई तथा असंतृप्तता (unsaturity) की दशा (degree) से प्रभावित होता है। श्रृंखला के कार्बन परमाणुओं की संख्या में वृद्धि होने पर गलनांक बढ़ता है। स्टीयरिक अम्ल (C18) का गलनांक पामिटिक अम्ल (C16) के गलनांक से 6.5° अधिक होता है।

असंतृप्त वसीय अम्लों (unsaturated fatty acids) के गलनांक उसी लम्बाई की श्रृंखला वाले संतृप्त वसीय अम्लों के गलनांक से कम होते हैं। जैसे स्टीयरिक अम्ल (संतृप्त) का गलनांक 69.6°C है जबकि ओलिक अम्ल ( जिसमें एक द्वि-बन्ध पाया जाता है) का गलनांक केवल 13.4 °C होता है।

(ii) मोम (Waxes )

यह ग्लीसरॉल के स्थान पर किसी अन्य अधिक अणु भार वाले एल्कोहल के साथ वसीय अम्लों के एस्टर्स होते हैं। रासायनिक दृष्टि से मोम निष्क्रिय होते हैं, क्योंकि उनकी हाइड्रोकार्बन श्रृंखलाओं में द्वि-बन्ध नहीं पाये जाते तथा वे जल में सर्वथा अघुलनशील होते हैं। ये पत्तियों की सतह पर एक रक्षात्मक आच्छादन (protective covering) बनाते हैं जिससे पौधों की जल क्षति (water loss) तथा अपघर्षण ( abrasion) से रक्षा होती है।

मोम पानी में रहने वाले कीट तथा पक्षियों की देह पर जल-अवरोधन (water barrier) प्रदान करता है। स्पर्म व्हेल नामक स्तनधारी के शीर्ष तैल (head oil) से मिलने वाला स्पर्मेस्टिाई (spermaceti) मुख्यतः सिटाइल पामीटेट (cetyl palmitate) में होता है। बहुत से समुद्री प्लवक जीवधारियों (marine plankton organisms) का प्रमुख लिपिड एक प्रकार का मोम ही होता है। यह जीवधारी समुद्र में भोजन का प्राथमिक स्रोत होते हैं।

लैनोलिन (lanoline) मधुमक्खियों से प्राप्त मोम तथा सेरुमिन (cerumen) भी मोम का ही अन्य उदाहरण हैं।