हिंदी माध्यम नोट्स
Categories: rajasthan
मत्स्य संघ की स्थापना कब हुई | मत्स्य संघ का उद्घाटन कब हुआ प्रधानमंत्री United States of Matsya in hindi
United States of Matsya in hindi मत्स्य संघ की स्थापना कब हुई | मत्स्य संघ का उद्घाटन कब हुआ प्रधानमंत्री ?
प्रश्न : मत्स्य संघ का इतिहास अथवा जानकारी दीजिये।
उत्तर : 18 मार्च 1948 को अलवर , भरतपुर , करौली , धौलपुर , रियासतों और ठिकाना नीमराणा को मिलाकर मत्स्य संघ का निर्माण कर राजस्थान के एकीकरण का प्रारंभ हुआ। साथ ही इन शासकों को यह स्पष्ट कर दिया गया कि भविष्य में यह संघ राजस्थान अथवा उत्तर प्रदेश में मिलेगा। अलवर को संघ की राजधानी और धौलपुर महाराजा उदयभान सिंह को राजप्रमुख और शोभाराम कुमावत को संघ का प्रधानमंत्री बनाया गया। के.एम. मुंशी के आग्रह पर संघ का नाम मत्स्य संघ रखा गया।
प्रश्न : पूर्व राजस्थान / राजस्थान संघ ?
उत्तर : 25 मार्च 1948 को कोटा , बूंदी , झालावाड़ , टोंक , किशनगढ़ , प्रतापगढ़ , शाहपुरा , डूंगरपुर ,बाँसवाड़ा , रियासतों और कुशलगढ़ और लावा के ठिकानों को मिलाकर राजस्थान संघ का निर्माण कर राजस्थान के एकीकरण का दूसरा चरण पूरा किया गया। कोटा को संघ की राजधानी बनाया गया। कोटा के महाराव भीमसिंह को राजप्रमुख , बूंदी महाराव को उपराजप्रमुख और प्रो. गोकुललग्न असावा को संघ का प्रधानमंत्री बनाया गया। बाँसवाड़ा महारावल चन्द्रवीर सिंह ने विलयपत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहा “मैं मेरे डेथ वारण्ट पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ। “
प्रश्न : राजस्थान के एकीकरण के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिये।
उत्तर : देश की आजादी के समय राजस्थान में 19 रियासतें , 3 ठिकाने और एक अजमेर – मेरवाड़ का केंद्रशासित प्रदेश था। इनके एकीकरण की प्रक्रिया 18 मार्च 1948 से प्रारम्भ होकर 1 नवम्बर 1956 तक 7 चरणों में पूरी हुई। इसमें 8 वर्ष , 5 माह 4 दिन का समय लगा। राजस्थान के एकीकरण में सरदार पटेल की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका रही। राजस्थान के एकीकरण में सरदार पटेल की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका रही। राजस्थान के एकीकरण के विभिन्न चरण निम्न प्रकार संपन्न हुए –
1. प्रथम चरण – मत्स्य संघ : 18 मार्च 1948 ईस्वीं को अलवर , भरतपुर , करौली और धौलपुर रियासतों और ठिकाना नीमराना को मिलाकर मत्स्य संघ का निर्माण कर एकीकरण का प्रथम चरण पूरा किया गया। संघ की राजधानी अलवर और धौलपुर महाराजा उदयभानसिंह को राजप्रमुख और शोभाराम कुमावत को संघ का प्रधानमंत्री बनाया गया।
2. द्वितीय चरण पूर्व राजस्थान/राजस्थान संघ : 25 मार्च 1948 को कोटा , बूंदी , झालावाड़ , टोंक , किशनगढ़ , प्रतापगढ़ , शाहपुरा , डूंगरपुर और बाँसवाड़ा रियासतों और कुशलगढ़ और लावा ठिकानों को मिलाकर पूर्व राजस्थान निर्मित कर एकीकरण का दूसरा चरण पूरा किया गया। कोटा को संघ की राजधानी कोटा महाराव भीमसिंह को राजप्रमुख और प्रो. गोकुललाल असावा को राजस्थान संघ का प्रधानमंत्री बनाया गया।
3. तृतीय चरण – संयुक्त राजस्थान : 18 अप्रैल 1948 को मेवाड़ का विलय पूर्व राजस्थान में कर “संयुक्त राजस्थान” का निर्माण कर एकीकरण का तृतीय चरण पूरा हुआ। उदयपुर को संघ की राजधानी मेवाड़ महाराणा भूपाल सिंह को राजप्रमुख और माणिक्य लाल वर्मा को संघ का प्रधानमंत्री बनाया गया।
4. चतुर्थ चरण- वृहत राजस्थान : 30 मार्च 1949 को जयपुर , जोधपुर , बीकानेर और जैसलमेर रियासतों को संयुक्त राजस्थान में मिलाकर वृहद राजस्थान का निर्माण कर चतुर्थ चरण पूरा हुआ। जयपुर को संघ की राजधानी बनाया। जयपुर महाराजा सवाई मानसिंह को राजप्रमुख और महाराणा भूपालसिंह को महाराज प्रमुख और पं. हीरालाल शास्त्री को संघ का प्रधानमंत्री बनाया गया। 30 मार्च को “राजस्थान दिवस” घोषित किया गया।
5. पंचम चरण – संयुक्त वृहद् राजस्थान : 15 मई 1949 को वृहद राजस्थान में मत्स्य संघ का विलय कर “संयुक्त वृहद् राजस्थान” का निर्माण कर एकीकरण का पंचम चरण पूरा किया। राजनितिक और प्रशासनिक व्यवस्था पूर्ववत बनाये रखी।
6. षष्टम चरण – राजस्थान : 26 जनवरी 1950 को आबू और देलवाड़ा को छोड़ शेष सिरोही का विलय संयुक्त वृहद राजस्थान में कर राजस्थान के निर्माण का छठा चरण पूरा किया। प्रशासनिक व्यवस्था पूर्ववत रही।
7. सप्तम चरण – राजस्थान : 1 नवम्बर 1956 को अजमेर मेरवाड़ा , आबू , देलवाड़ा और मध्यप्रदेश का सुनेल टप्पा राजस्थान में और कोटा का सिरोंज क्षेत्र मध्यप्रदेश में मिलाकर वर्तमान राजस्थान का निर्माण कर एकीकरण का अंतिम सप्तम चरण पूरा हुआ। 1 नवम्बर ‘राजस्थान स्थापना दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
इस प्रकार सरदार पटेल की चतुराई , बुद्धिमता और कुशल निति से , राजस्थानी शासकों की अनिच्छाओं पर जनमत के प्रभावशाली दबाव से और राजस्थान के जननेताओं के 8 वर्ष 5 माह तथा 4 दिन के अथक प्रयासों से राजधानी लोगों का स्वप्न साकार हुआ। यह विश्व इतिहास में एक आश्चर्यचकित संग्राम था जिसमें रजवाड़ों ने बिना रक्तपात के अपना राज्य जनता को सौंप दिया।
Recent Posts
सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ
कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…
4 weeks ago
रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?
अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…
4 weeks ago
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
2 months ago
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
2 months ago
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
2 months ago
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
2 months ago