हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
कुमार गंधर्व ने किस आयु में गायकी प्रारंभ कर दी | कुमार गंधर्व का जन्म कहां हुआ था , मूल नाम क्या था
कुमार गंधर्व का जन्म कहां हुआ था , मूल नाम क्या था वास्तविक नाम क्या है कुमार गंधर्व ने किस आयु में गायकी प्रारंभ कर दी |
फैयाज खांः जो गायक ख्याल से लेकर ठुमरी, दादरा और गजल तक को कलात्मक ढंग से सुना सके और श्रोताओं को संगीत के रस में सराबोर कर सके, वह निश्चित रूप से असाधारण प्रतिभा का गायक होगा। अपने मिजाज को प्रत्येक शैली के अनुकूल बनाकर गाना हर गायक के बूते की बात नहीं। उस्ताद फैयाज खां ऐसी ही चैमुखी प्रतिभा के गायक थे। उन्हें ‘आफताबे मौसिकी’ कहा जाता था।
फैयाज खां का जन्म 1880 में आगरा के पास सिकंदरा में हुआ था। उन्होंने आगरा घराने के उस्ताद गुलाम अब्बास खां से तालीम ली थी। मुंबई की एक महफिल में मियां जाग खां के बराबर राग मुल्तानी में ख्याल गाकर इन्होंने बड़ी ख्याति अर्जित की थी। हालांकि आगरा घराने में एक से एक नामचीन संगीता हुए, किंतु फैयाज खां ने इस घराने में अपनी अलग शैली निकाली। आगरा घराने की गायकी में सरलता, संयम और असीम कल्पना का अद्भुत समन्वय मिलता है। फैयाज साहब की गायकी में गंभीरता, भावुकताए, संयम और रोचकता का उचित सम्मिश्रण था। वह इस घराने के एकमात्र ऐसे गायक थे, जिन्होंने अपने घराने की शैली पर अपने व्यक्तित्व की मुहर लगाई।
ख्याल शैली के अद्वितीय गायक होने के साथ उस्ताद फैयाज खां आलाप और होरी-धमार में भी अपना सानी नहीं रखते थे। दरबारी, पूरिया, देसी, तोड़ी, आसावरी, रामकली, यमन-कल्याण, जैजैवंती, बरवा आदि रागों को जब वह अलापते थे, तो श्रोता झूम उठते थे।
उस्ताद फैयाज खां ब्रज भाषा का सही और सुंदर उच्चारण करते थे और ‘प्रेमपिया’ के नाम से रचनाएं भी करते थे। बोल-तान, मीड़, गमक, सीधी-सरल तानें, स्थायी अंतरे का भराव, राग की बढ़त, फिरत, मुरकी, लयकारी, सम का संकेत एवं प्रतीक्षा सभी गुण उनके गायन में थे। 5 नवंबर, 1950 को उनका देहावसान हुआ।
कुमार गंधर्वः कर्नाटक में बेलगाम के पास सुलेभावी गांव में 8 अप्रैल, 1924 को जन्मे कुमार गंधर्व लिंगायत सम्प्रदाय के कोमकाली मठ के प्रमुख सिद्धरामैया के तीसरे पुत्र थे। बचपन से ही वह बड़े कलाकारों के गायन की नकल उतारते थे। इनका असली नाम था शिवपुत्र सिद्धरामैया कोमकाली। दस वर्ष की उम्र में इनका गायन सुनकर गुरुकलमठ स्वामी इतने मुग्ध हुए कि बोल पडे़ ‘‘अरे, यह तो कोई गंधर्व का अवतार जाग पड़ता है। यह तो कुमार गंधर्व है।’’ बस, उसी दिन से शिवपुत्र सिद्धरामैया कुमार गंधर्व हो गए।
वास्तव में कुमार इतनी बढ़िया नकल करते थे कि वह असल लगने लगता था। उस्ताद फैयाज खां, पंडित ओंकारनाथ ठाकुर, रामकृष्ण बुवा वझे, सवाई गंधर्व सबने अपने गायन की नकल सुनकर उन्हें आशीर्वाद दिया। दरअसल, उन गायकों के प्रति कुमार के मन में असीम श्रद्धा थी और इसी श्रद्धा से अनुकरण उपजता था। लेकिन फिर भी उन्हें रागों के नियम-कायदों की समझ नहीं थी। काफी बाद में प्रोफेसर बी.आर. देवधर की तालीम के फलस्वरूप यह सब बदलता गया।
एक रात देवास में अपने गायक मित्र श्री कृष्णराव मजूमदार के यहां गाते हुए राग भीम पलासी ऐसा जमा कि कुमार गंधर्व को मानो साक्षात्कार-सा हुआ ‘यह मेरा खुद का गाना है! मुझे गाना आ गया। बाद में वह तपेदिक के मरीज हो गए। पांच साल की लम्बी बीमारी के बाद 1952 में वह उज्जैन में फिर गये।
प्रभाष जोषी के शब्दों में, ‘‘कुमार गंधर्व के गायन में शिव, गंगोत्री को टेरती गंगा और कबीर के रागमय दर्शन की त्रिवेणी’’ गजर आती है। उन्होंने कभी एक बंदिश,एक भजन,एक लोकगीत सभी जगह एक जैसा नहीं गाया। वे गाते हुए सृजन करते थे, सृजन की पीड़ा और आनंद को श्रोताओं तक पहुंचाते हुए उन्हें भी हिस्सेदार बना लेते थे। उनका संगीत रियाज से नहीं, बल्कि साधना से उपजा और पल्लवित-पुष्पित हुआ।’’
उन्होंने राजस्थानी तथा मालवी लोकगीतों और सूरदास, तुलसी, मीराबाई, कबीर एवं संत तुकाराम की रचनाओं को शास्त्रीय संगीत का जामा पहनाया। उनका कहना था ‘‘घराने का जो आधार है, वह ताश के किले जैसा है। फूंक मारने से गिर जागे वाला। जिसको कुछ नहीं करना है, वह घराने पर चले।’’
कुमार की अपनी रची बंदिशों और गयारह नए रागों का एक संकलन ‘अनूप राग विलास’ 1965 में प्रकाशित हुआ। उनकी रची ‘गीत वर्षा’ में वर्षा की ध्वनियों और स्वभाव की समझ है। उनकी अन्य कृतियां हैं गीत हेमंत, गीत वसंत, त्रिवेणी, ऋतुराज महफिल, मेला उमजलेले बाल गंधर्व, तांबे गीत रजनी, होरी दर्शन आदि।
पद्मभूषण के अलंकरण, संगीत अकादमी की फैलोशिप से लेकर विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा ‘डाॅक्टर आॅफ लेटर्स’ की मानद उपाधि तक उन्हें ढेर सारे पुरस्कार मिले। ‘निरभय निरगुण गुण रे गाऊंगा’ के गायक कुमार गंधर्व का निधन 12 जनवरी, 1992 को हुआ।
पुरंदरदासः 1484 में दक्षिण महाराष्ट्र में जन्मे श्रीनिवास नायक, ऐसा कहा जाता है कि बड़े कंजूस थे। विजयनगर के शासकों के गुरु व्यासराय के शिष्य बनने के उपरांत ही उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। वह स्वामी हरिदास के सम्प्रदाय में शामिल हो गए। इसके बाद से उनका नाम पुरंदरदास हो गया। वह एक उच्च कोटि के संगीतकार थे। उन्होंने ‘माया मालवगैल’ के आधार पर संगीत शिक्षा को आगे बढ़ाया। यहां तक कि आज भी कर्नाटक संगीत की प्रारंभिक शिक्षा लेने वालों को सिखाया जागे वाला पहला राग यही है। उन्होंने स्वरावली में कुछ अध्याय जोड़े। जनता वरिसाई और अलंकार इत्यादि के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान किया। यही कारण है कि उन्हें कर्नाटक संगीत का ‘आदिगुरु’ और ‘जनक’ कहा जाता है।
मुथुस्वामी दीक्षितारः बाल्यकाल से ही संगीत में दक्ष मुथुस्वामी का जन्म तंजवूर के तिरूवरूर में हुआ था। संगीत की शिक्षा इन्हें अपने पिता से ही मिली। उनकी सुप्रसिद्ध रचनाएं हैं तिरतुत्तानी कृति, नववर्ण कृति और नवग्रह कृति। इन्होंने कुछ अप्रचलित रागों, जैसे सारंग नट, कुमुदक्रिया और अमृत वर्षिनी, में कुछ धुनें तैयार कीं जिनके आधार पर इन रागों का प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने विभिन्न तालों का जटिल प्रयोग कर संगीत की कुछ नई तकनीकें विकसित कीं। उनमें से कुछ हैं वायलिन का कर्नाटक संगीत में प्रयोग, जिसे अभी तक पश्चिमी वाद्य माना जाता था, हिंदुस्तानी संगीत के कुछ स्वरों को लेते हुए नई रचनाएं करना, वृंदावनी सारंग और हमीर कल्याणी जैसे कुछ रागों का प्रयोग, गमक इत्यादि। कर्नाटक संगीत की त्रयी में श्यामा शास्त्री और त्यागराजा के साथ इनका नाम भी लिया जाता है।
श्यामा शास्त्रीः तिरुवरूर में 1762 में जन्मे वेंकटसुब्रमण्यम ही बाद में श्यामा शास्त्री कहलाए। वह उद्भट विद्वान और संगीता थे। उनकी रचनाएं संगीत तकनीकी, खास तौर पर सुरों के संबंध में काफी जटिल एवं कठिन हैं। कर्नाटक संगीत की त्रयी में से एक श्यामा शास्त्री ने अपने गीतों में श्याम कृष्ण का नाम दिया है। ऐसा कहा जाता है कि तालों के जागकार श्यामा शास्त्री ने किसी महफिल में अपने सरभनंदन ताल का प्रयोग कर दुर्जेय केशवय्या को हरा दिया था।
त्यागराजाः तमिलनाडु के तंजवूर जिले के तिरूवरूर में 1759 (या 1767) में जन्मे त्यागराजा कर्नाटक संगीत की ‘त्रयी’ में विशिष्ट स्थान रखते हैं। उन्होंने अपना अधिकांश समय तिरूवय्युरू में बिताया और यहीं समाधिस्थ हुए। विद्वान एवं कवि त्यागराजा ने कर्नाटक संगीत को नई दिशा दी। उनकी प्रसिद्ध कृतियों में पंचरत्नमकृति, उत्सव सम्प्रदाय कीर्तनई, दो नृत्य नाटिकाएं प्रह्लाद भक्ति विजयम और नौका चरित्रम हैं। इसके अलावा उनकी कई रचनाएं तेलुगू में हैं। उन्होंने कई नए रागों को जन्म दिया करहार प्रियाए हरिकम्भोजी, देव गोधारी इत्यादि। भगवान राम के अनन्य भक्त त्यागराजा ने भक्ति और संगीत के अलावा अन्य किसी विद्या में दखल नहीं दिया। कर्नाटक संगीत के जागकारों में उनका नाम बड़े ही आदर से लिया जाता है।
Recent Posts
द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन क्या हैं differential equations of second order and special functions in hindi
अध्याय - द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन (Differential Equations of Second Order…
नियत वेग से गतिशील बिन्दुवत आवेश का विद्युत क्षेत्र ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi
ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi नियत वेग से…
four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं
चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…
Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा
आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…
pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए
युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…
THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा
देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…