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ulrich zwingli in hindi contribution to the reformation युलरिच जिविंग्ली या हुल्द्रिख ज्विंगली कौन थे योगदान
पढ़िए ulrich zwingli in hindi contribution to the reformation युलरिच जिविंग्ली या हुल्द्रिख ज्विंगली कौन थे योगदान ?
प्रश्न: यूलरिच जिविंग्ली
उत्तर: 16वीं शताब्दी के स्विट्जरलैण्डवासी कैथोलिक पादरी ज्विंगली कैथोलिक धर्म की बुराईयों तथा धर्माधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार का कटु आलोचक था। ज्विंगली ने पोप की सर्वोच्चता को अस्वीकार कर दिया और कहा कि धर्मानुकुल जीवन-यापन का मार्गदर्शक चर्च नहीं है, बल्कि बाईबिल है। उपवास और पादरियों के अविवाहित जीवन की प्रथाओं पर भी उसने प्रहार किया। ज्विंगली की शिक्षा थी- ‘विश्वास और नैतिकता के मामलों में बाईबिल ही सर्वोच्च सत्ता है और चर्च के संस्कार तथा परम्पराएं विशुद्ध ईसाइयत से काफी दूर हैं।‘‘ उसकी उपलब्धियों में –
ऽ उसने 67 सिद्धांत दिये। इन्हें ष्सिक्सटी सेवन थीसिसश् कहते हैं।
ऽ उसने चर्च में सामूहिक प्रार्थनाओं का विरोध किया।
ऽ उसने चर्च में मूर्तियां, चित्र आदि लगाने का विरोध किया।
ऽ उसने पाप मोचन पत्रों का विरोध किया।
ऽ उसने लैटिन में लिखित बाईबिल का विरोध किया।
ऽ उसने पोप की सेना में भर्ती व सम्मिलित होने का विरोध किया।
1525 में कैथोलिक चर्च से नाता तोड़कर नवीन सुधारवादी चर्च (Reformed Church) की स्थापना की। लूथर ने कैथोलिक धर्म के ‘तत्वान्तरण‘ के सिद्धांतों को अमान्य कर नये सिद्धांत ‘द्वितत्ववाद‘ का प्रतिपादन किया। ज्विंगली के साथ लूथर का वाद-विवाद मारबर्ग विवाद 1529 कहलाता है। सन् 1531 में एक युद्ध में कापेल (Kapel) नामक स्थान पर उसकी मृत्यु हो गयी। मृत्यु के समय उसने कहा- ‘‘आप मेरा शरीर नष्ट कर सकते हैं मेरी आत्मा नहीं।‘‘ बाद में ‘कापेल की संधि‘ के द्वारा वहां पर कैथोलिक व प्रोटेस्टेंट दोनों मतों को मान्यता मिली।
प्रमुख योगदानकर्ता एवं देश के विभिन्न भागों से योगदान
प्रश्न: विपिन चंद्र पाल
उत्तर: विपिन चंद्र पाल (1858-1932 ई.) प्रतिष्ठित नेता और भारत में क्रांतिकारी विचारधारा के जनक 1886 ई. में कांग्रेस के सदस्य बने। ‘परदिर्शक‘ (साप्ताहिक) के प्रकाशक और ‘बंगाली‘ और ‘द ट्रिब्यून‘ के सहायक संपादक थे। पाल ब्रिटिश साम्राज्य के बाहर भारतीय स्वराज के महान व्याख्याता थे।
प्रश्न: डॉ. अंसारी
उत्तर: चिकित्सा क्षेत्र में ख्याति प्राप्त डॉ. अंसारी (1880-1936 ई.) ने 1912-13 में टर्की के अखिल भारतीय चिकित्सा मिशन का संयोजन किया। डॉ. अंसारी ने होमरूल आंदोलन में मुख्य भूमिका निभायी। 1920 में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष बने एवं खिलाफत और असहयोग आंदोलनों में प्रमुखता से भाग लिया। 1920 में उन्होंने राष्ट्रवादी शैक्षणिक संस्थान ‘जामिया मिलिया इस्लामिया‘ की स्थापना की। एक राष्ट्रवादी मुसलमान थे और स्वतंत्रता सेनानी जो कांग्रेस कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे।
प्रश्न: सर मोहम्मद इकबाल
उत्तर: पंजाब में जन्में उर्दू के प्रख्यात शायर एवं पेशे से वकील सर मोहम्मद इकबाल (1873-1938 ई.) अपने प्रांरभिक जीवन में राष्टवादी थे। उन्होंने ही प्रसिद्ध राष्ट्रभक्ति गीत ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा‘ लिखा। बाद में मुस्लिम लीग की ओर आकृर्षित हो गए। इन्होंने लीग के इलाहाबाद अधिवेशन की 1930 में अध्यक्षता की एवं उत्तर-पश्चित भारत में ‘पृथक-मुस्लिम राज्य‘ का विचार सर्वप्रथम प्रस्तुत किया। उन्होंने ‘बाल-ए-जिबरैल‘ नामक पुस्तक की रचना की।
प्रश्न: डॉ. केशवराव बलिराम हेगड़ेवार
उत्तर: डॉ. केशवराव बलिराम हेगड़ेवार (1899-1940 ई.) मेडिकल स्नातक थे, इन्होंने अपना संपूर्ण जीवन राजनीतिक एवं राष्ट्रवादी गतिविधियों में लगा दिया। अपने जीवन के प्रारंभ में इनका संबंध कांग्रेस से था एवं इन्होंने होमरूल आन्दोलन में सक्रियतापूर्वक भाग लिया था। इनका सबसे प्रमुख योगदान था 27 सितंबर, 1925 को विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आर.एस.एस.) की स्थापना करना।
प्रश्न: सेठ जमना लाल बजाज
उत्तर: सेठ जमना लाल बजाज (1889-1942 ई.) मानवतावादी, व्यवसायी एवं कांग्रेस से संबंधित व्यक्तित्व थे। भारत के प्रति भेदभावकारी ब्रिटिश नीति के विरोध में इन्होंने अपनी ‘रायबहादुर‘ की उपाधि त्याग दी। ये कांग्रेस के कोषाध्यक्ष (192042) व गांधी सेवा संघ के संस्थापक रहे और कांग्रेस के नागपुर अधिवेश में स्वागत समिति के अध्यक्ष थे। ग्रामीण उद्योगों एवं हथकरघा वस्त्र के विकास में उनकी गहरी रूचि थी।
प्रश्न: महादेव देसाई
उत्तर: महादेव देसाई (1892-1942 ई.) 25 वर्षों तक महात्मा गांधी के सचिव रहे एवं चंपारण (1917) से भारत छोड़ो (1942) तक सभी आंदोलनों में भाग लिया। भारत छोड़ो आंदोलन में गिरफ्तारी के बाद गांधी जी के साथ आगा खां पैलेस में ये कैद थे जहां 1942 में इनकी मृत्यु हो गई। महादेव देसाई ने नवजीवन औद ‘द इंडिपेंडेन्ट‘ समाचार पत्रों का संपादन किया।
प्रश्न: रास बिहारी बोस
उत्तर: रास बिहारी बोस (1886-1945 ई.) क्रांतिकारी आंतकवाद के प्रथम चरण के महान क्रांतिकारी थे, इनका संबंध युगांतर पार्टी एवं गदर पार्टी से था। 1912 में इन्होंने और बसंत विश्वास ने दिल्ली में वायसराय हार्डिंग पर बम फेंका। 1915 में ये भागकर जापान चले गए और 1942 में ‘इंडियन इंडिपेंडेंट लीग‘ एवं ‘आजाद हिंद फौज‘ की स्थापना की।
प्रश्न: भूला भाई देसाई
उत्तर: भूला भाई देसाई (1877-1946 ई.) व्यवसाय से वकील एवं कांग्रेसी नेता थे। इन्होंने केंद्रीय विधानसभा में नौ वर्ष तक कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया। 1944 में कांग्रेस और लीग के बीच समझौता कराने के लिए ‘देसाई-लियाकत‘ समझौता किया। 1946 में मृत्यु से पूर्व उनका अंतिम महान कार्य आई.एन.ए. के कैदियों के बचाव पक्ष के वकीलों की अध्यक्षता करना था।
प्रश्न: मदन मोहन मालवीय
उत्तर: मदन मोहन मालवीय (1861-1946 ई.) अग्रणी राष्ट्रवादी एवं देशभक्त मालवीय प्रारंभ में स्कूल में एक अध्यापक और बाद में पेशे से वकील रहे। 1909 में इन्होंने पत्रकारिता में रूचि दिखाई एवं हिन्दी और अंग्रेजी में हिंदुस्तान, किसान, अभ्यदय (साप्ताहिक) दि इंडियन यूनियन एवं मर्यादा (मासिक) एवं अंग्रेजी दैनिक द लीडर आदि पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित की। वे 1909 और 1918 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। ये कट्टर हिंदू और हिंदू महासभा के संस्थापक थे। इन्होंने 1916 में बनारस हिंदू विश्व विद्यालय की स्थापना की एवं इसके कुलपति (1919-38) तक रहे।
प्रश्न: मोहम्मद अली जिन्ना
उत्तर: मोहम्मद अली जिन्ना (1875-1948 ई.) प्रमुख वकील मुस्लिम लीग के नेता एवं पाकिस्तान के संस्थापक थे। असहयोग आदोंलन का कड़ा विरोध करते हुए उन्होंने कांग्रेस से त्याग पत्र दे दिया और उसके बाद पूर्णतः लीग के साम्प्रदायिक राजनीति से संबद्ध हो गए। 1929 में इन्होंने नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकृत करते हुए चैदह सूत्रों को रखा। उन्होंने कुख्यात द्विराष्ट्र सिद्धांत‘ लाहौर अधिवेशन (1940) में पाकिस्तान प्रस्ताव एवं 1946 में ‘प्रत्यक्ष कार्यवाही‘ को प्रोत्साहित किया। 1940-47 के दौरान उन्होंने पाकिस्तान बनाने के लिए पूर्णतः विभेदक नीति अपनाई। भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान के गवर्नर-जनरल बने। उन्हें ‘कायदे-आजम‘ के नाम से भी जाना जाता था।
प्रश्न: स्वामी सहजानंद सरस्वती
उत्तर: स्वामी सहजानंद सरस्वती (1889-1950 ई.) आजन्म संन्यासी, स्वतंत्रता सेनानी और बिहार के प्रमुख किसान नेता थे। इन्होंने असहयोग एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। इन्होंने सामंतवादी उत्पीड़न के ज्वलंत प्रश्नों जैसे बेगार, बलात वसूली, बेदखली आदि को उठाते हुए किसानों के प्रतिरोध एवं संघर्ष का आयोजन किया। 1929 में इन्होंने अपने नेतृत्व में बिहार किसान सभा की स्थापना की। अखिल भारतीय किसान सभा के लखनऊ (1956) के प्रथम अधिवेशन के अध्यक्ष बने। इन्होंने बिहार में ‘बकाश्त आन्दोलन‘ चलाया। किसानों के प्रति इनकी सेवाओं के कारण ही इन्हें ‘किसान-प्राण‘ कहा जाता था।
प्रश्न: लियाकत अली खां
उत्तर: लियाकत अली खां (1895-1951 ई.) मुस्लिम लीग के प्रमुख सदस्य थे। 1944 में कांग्रेस और लीग में समझौते के लिए भूलाभाई देसाई से निजी बातचीत की, जिससे बाद में वे मुकर गए। अंतरिम केंद्रीय सरकार में वित्तमंत्री रहे। 1947 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। 1951 में रावलपिंडी में इनकी हत्या कर दी गई।
प्रश्न: गोविंद वल्लभ पंत
उत्तर: गोविंद वल्लभ पंत (1887-1961 ई.) का जन्म अल्मोड़ा (उत्तराखंड) में हुआ था, व्यवसाय से वकील और प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। साइमन कमीशन के विरुद्ध प्रदर्शन के दौरान लाठी चार्ज में बुरी तरह घायल हुए थे। 1946 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इन्होंने कृषि एवं अन्य सुधारों की आधार शिला रखी। बाद में केंद्रीय सरकार के गृहमंत्री बने।
प्रश्न: सुबह्मण्यम भारती
उत्तर: सुबह्मण्यम भारती (1882-1961 ई.) तमिल पुनर्जागरण के विख्यात कवि थे। उन्हें महज 11 वर्ष की आयु में इत्यापुरम (तमिलनाडु) के राजा ने ‘भारती की उपाधि‘ दी थी। ये कांग्रेस के उग्र पंथियों से संबंधित थे। इन्होंने गांधी जी, गुरू गोविंद सिंह समेत सुप्रसिद्ध व्यक्तियों एवं देवी-देवताओं के अलावा रूस की प्रशंसा में कविताएं एवं गीत लिखे।
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