transduction in bacteria in hindi , पारक्रमण क्या है जीवाणु में रूपान्तरण , transformation in bacteria in hindi

जाने transduction in bacteria in hindi , पारक्रमण क्या है जीवाणु में रूपान्तरण , transformation in bacteria in hindi ?

रूपान्तरण (Transformation)

“रूपान्तरण” नामक आनुवंशिक पुनर्योजन क्रिया की खोज का श्रेय अंग्रेज स्वास्थ अधिकारी एवं वैज्ञानिक फ्रेडरिक ग्रिफिथ (Frederick Griffith, 1928) को है। इन्होंने न्यूमोकॉकस (Pneumococcus) अर्थात् डिप्लोकॉकस न्यूमोनी (Diplococcus pneumoniae) के दो प्रभेद (strains) लिये एवं इन्जेक्शन द्वारा मूसा (mice) में प्रवेश कराये। इन दोनों प्रभेदों में से एक प्रपेद (S III) उग्र (virulent) प्रकार का था अर्थात् जो रोग उत्पन्न करने में सक्षम था, सम्मति (capsulated) था जो चिकनी सतह वाली निवह (colony) बनाने का गुण रखता था। दूसरा प्रपेद अनुग्र (non-virulent) अर्थात् रोग फैलाने में अक्षम, RII प्रकार का था जिसमें खुरदरी सतह वाली निवह बनाने का गुण था। इनके द्वारा ये परीक्षण प्रयोगशाला में निम्न प्रकार से किये गये-

(i) उग्र विभेद – मूसों में प्रवेश कराने पर → मूसों की मृत्यु हो गयी।

(ii) अनुग्र विभेद – मूसों में प्रवेश कराने पर – मूसे अप्रभावित एवं जीवित रहे।

(iii) उग्र विभेद को गर्म करके- मूसों में प्रवेश कराने पर – मूसे अप्रभावित एवं जीवित रहे।

निष्क्रिय कर दिया गया

(iv) अनुग्रविभेद + गर्म कर – मूसों में प्रवेश कराने पर- मूसों की मृत्यु हो गयी।

निष्क्रिय किये गये उग्र विभेद

इस प्रयोग द्वारा प्राप्त मृत्त मूसों की देह से उग्र प्रकार का न्यूमोकॉकस विभेद भी प्राप्त हुआ।

ग्रिफिथ के प्रयोग नं. iv से स्पष्ट हो गया कि अनुग्र विभेद गर्म करके निष्क्रिय किये हुए उग्र विभेद के सम्पर्क में आने पर उग्र विभेद में परिवर्तित हो गया था, जिससे मूसों की मृत्यु हुई, इसे इन्होंने “रूपान्तरण” ‘ (transformation) द्वारा आनुवंशिक पदार्थ का स्थानान्तरण होना बताया। कुछ कारक जो गर्म करे निष्क्रिय किये गये उग्र विभेद में उपस्थित थे तथा अनुग्र विभेद में स्थानान्तरित हो गये थे, इन्हे रूपान्तरणकारी कारक (transforming principle) कहा गया। यद्यपि ग्रिफिथ ने रूपान्तरणकारी कारक को सम्पुट में उपस्थित पॉलीसेकेराइड माना था किन्तु 1944 में ओ.टी. ऐवेरी (O.T. Avery), सी. एम. मैक्लिओड (C.M. Macleod) तथा एम. मेकार्थी (M. Mearthy) ने उपरोक्त प्रयोगों को दोहराया तथा पाया कि यह रूपान्तरणकारी कारक वास्तव में DNA था। इसी

सर्वप्रथम यह सिद्ध किया जा सका कि DNA ही जीवों में आनुवंशिक पदार्थ होता है। रूपान्तरण की क्रिया विधि के बारे में पूर्ण जानकारी उपलब्ध नहीं है, किन्तु अनुमान है कि एक जीवाणु कोशिका के DNA कुछ अंश दूसरे जीवाणु की देह भित्ति पर अधिशोषित (absorbed) हो जाता है, जो कि ग्राही कोशिका की देह में प्रवेश कर लेता है तथा अवशोषित DNA खण्ड के जीन्स ग्राही कोशिका के DNA के कुछ समजातीय जीन्स को प्रतिस्थापित (replace) कर देता है। इस प्रकार दाता कोशिका के कुछ लक्षण ग्राही कोशिका में स्थानान्तरित हो जाते हैं। ये नये लक्षण ग्राही कोशिका में स्थायी रूप से उपस्थित होकर नयी बनने वाली पीढ़ी में स्थानान्तरित भी किये जाते हैं।

इस प्रकार रूपान्तरण वह क्रिया है जिससे कोशिका रहित या नग्न DNA जिसमें कुछ निर्धारित मात्रा में आनुवंशिक सूचना होती है, का स्थानान्तरण एक जीवाणु कोशिका से दूसरी कोशिका में होता है। दाता कोशिका से DNA ग्राही कोशिका में प्राकृतिक कोशिका लयन (lysis) या रसायनिक निष्कर्षण (chemical extraction) के द्वारा होता है। DNA के ग्राही कोशिका के उपरान्त पुनयोजन की क्रिया होती है। दाता कोशिका के वे लक्षण जो ग्राही कोशिका में वंशागत होते हैं, रूपान्तरित लक्षण (transformed characters) कहलाते हैं। इस प्रकार कुछ जीवाणु जिनका संवर्धन अन्य मृत जीवाणुओं की उपस्थिति में अथवा संवर्धन निस्पंद (filterate) या कोशिका निष्कर्षण के साथ होता है तो ग्राही कोशिका में दाता कोशिका के लक्षण वंशागत होते हैं।

यह पाया गया है कि ग्राही कोशिका में प्रवेशित DNA जो द्विलड़ीय होता है की एक लड़ (strand) शीघ्र ही डीऑक्सी राइबोन्युक्लिएज के द्वारा अपघटित हो जाती है किन्तु दूसरी लड़ (D) ग्राही कोशिका के गुणसूत्र के समजात भाग के साथ युग्मन (pairing) करती है एवं ग्राही के DNA अणु के साथ समायोजित (integrated) हो जाती है। चूंकि पूरक क्षार युग्मन की क्रिया दाता के DNA के विशिष्ट अंश के मध्य होती है। यह क्रिया निकटतः सम्बन्धित जीवाणुओं के प्रभेदों के मध्य ही सम्पन्न होती है।

इस प्रकार की क्रिया स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिएई, बेसिलस, हीमोफिलस, नाइसेरिया एजोटोबैक्टर एवं राइजोबियम वंशों में पायी जाती है।

जीवाणुओं में रूपान्तरण की क्रिया कुछ विशेष परिस्थितियों में ही होती है कोशिका की यह अवस्था सामर्थ्य अवस्था (state of competance) कहलाती है। उच्च तापक्रम, पराबैंगनी किरणों, रासायनिक उत्परिवर्तजनों की उपस्थिति में यह क्षमता नष्ट हो जाती है। किन्तु यदि संवर्धन माध्यम में आकार्बनिक फॉस्फेट की मात्रा बढ़ा दी जाये तो रूपान्तरण की आवृत्ति (frequency) में वृद्धि होती है।

रूपान्तरण संयुग्मन से निम्नलिखित प्रकार से भिन्नता रखता है-

संयुग्मन से प्राप्त आनुवंशिक परिवर्तन अस्थायी होते हैं जबकि रूपान्तरण द्वारा आनुवंशिक परिवर्तन स्थायी होते हैं क्योंकि ये ग्राही कोशिका के DNA के साथ समायोजित अवस्था में सम्पन्न होते हैं।

III. पराक्रमण (Transduction)

इस क्रिया में एक जीवाणु कोशिका से आनुवंशिक पदार्थ का स्थानान्तरण दूसरी जीवाणु कोशिका में जीवाणुभोजी (bacteriophage) के माध्यम से होता है। इसकी खोज सन् 1952 में जिन्डर एवं लेडरबर्ग (Zinder and Lederberg) द्वारा सैल्मोनेला टाइफीम्यूरियम (Salmonella typhimurium) नामक जीवाणु में की गयी। इन्होंने पाया की विभोजी कण (phage particle) किसी विशिष्ट जीवाणु कोशिका पर आक्रमण करके उस विशिष्ट जीवाणु के लक्षण ग्रहण कर लेता है। जब यह विभेजी अन्य किसी जीवाणु कोशिका पर आक्रमण करता है तो उस विशिष्ट जीवाणु के लक्षण द्वितीय जीवाणु में स्थानान्तरित कर देता है।

पराक्रमण दो प्रकार का होता है-

प्रतिरक्षाविज्ञान, सूक्ष्मजैविकी एवं जैव प्रौद्योगिकी

(a) विशिष्ट पराक्रमण (Specialised transduction)

(b) व्यापकीकृत पराक्रमण (Generalised transduction)

(a) विशिष्ट पराक्रमण (Specialised transduction) : यह क्रिया निम्नलिखित पदों में समझी जा सकती है-

(i) जीवाणुभोजी जीवाणु कोशिका के ग्राही स्थल ( receptor site) पर संलग्न हो जाता है तथा

विभोजी का DNA जीवाणु कोशिका के कोशिकाद्रव्य में स्थानान्तरित हो जाता है।

(ii) विभोजी का DNA जीवाणु कोशिका में कुछ विशेष प्रकार के प्रोटीन संश्लेषण हेतु कोडित होता है इन्हें दमनकर प्रोटीन ( repressor protein) कहते हैं। इनका कार्य जीवाणु कोशिका में विभोजी कणों के संश्लेषण को रोकना होता है। विभोजी का DNA जीवाणु कोशिका में खण्डों (fregments) में रहता है इन्हें प्रोफाज (prophage) कहते हैं। ये जीवाणु कोशिका में मुक्त रूप से वितरित या जीवाणु के गुणसूत्र के साथ संलग्न होते हैं। प्रोफाज युक्त जीवाणु कोशिका लयजनक (lysogenic) कहलाती है। जीवाणु कोशिका अनेक पीढ़ियों तक लयजनक रह सकती है एवं विभोजी DNA जीवाण्विक गुणसूत्र के साथ विभाजित होता रहता है । किन्तु एक अवस्था ऐसी आती है जब जीवाणु कोशिका में दमनकारी प्रोटीन का संश्लेषण रूक जाता है तथा इसमें विभोजी घटकों का संश्लेषण (synthesis of phage components) आरम्भ जाता है। (चित्र 10-15a)।

(iii) ऐसी स्थिति में विभोजी DNA जो अब तक जीवाण्विक गुणसूत्र के साथ संलग्न था पृथक होकर विभोजी प्रोटीन (phage proteins) का संश्लेषण आरम्भ कर देता है। (चित्र 10.15b)। (iv) विभोजी DNA जब जीवाण्विक गुणसूत्र से अलग होता है तो जीवाणु की कुछ जीन्स भी इसके साथ संलग्न रह जाती है । (चित्र 10.15b ) । इसकी पुनरावृत्ति विभाजी DNA के साथ होती रहती है तथा यह नये विभोजी कणों का एक भाग बन जाती है। जब ये नये विभोजी कण अन्य किन्हीं नये जीवाणुओं को संक्रमित करते हैं तो इनमें उपस्थित जीवाण्विक जीन्स नये जीवाणु के गुणसूत्र के साथ समावेशित हो जाती है । (चित्र 10.14d, e, f) । नई जीवाणु कोशिका (पुन: संयोजित कोशिका) के गुणसूत्र में अपने स्वयं के जीन्स के अतिरिक्त मातृ अथवा पूर्व वाले जीवाणु कोशिका के जीन भी होते हैं।

आनुवंशिक पदार्थ का यह विनिमय विशिष्ट पराक्रमण कहलाता है क्योंकि इसमें जीवाणु गुणसूत्र के केवल कुछ विशिष्ट जीन का ही स्थानान्तरण होता है।

(b) व्यापकीकृत पराक्रमण (Generalised transduction) : यह एक अधिक सामान्य घटना है। यह उन फेग कणों द्वारा की जाती है जो संक्रमित जीवाणु कोशिका के कोशिकाद्रव्य में उपस्थित होते हैं (गुणसूत्र में नहीं) इस क्रिया को निम्नलिखित पदों द्वारा समझा जा सकता है-

(i) लयजनक जीवाणु कोशिका (lysogenic bacterial cell) में उपस्थित विभोजी DNA नये. विभोजी घटकों का संश्लेषण आरम्भ करता है। इस क्रिया में जीवाणु कोशिका गुणसूत्र खण्डों में विभक्त हो जाता है तथा इन खण्डों का कुछ अंश नये विभोजी DNA में समावेशन (incorporation) हो जाता है (चित्र 10:15d) इस प्रकार लयजनक कोशिका में उपस्थित कुछ विभोजियों में केवल विभोजी DNA होता है जबकि कुछ अन्य में जीवाणु गुणसूत्र के खण्ड भी समावेशित होते हैं।

(ii) जब ऐसे विभोजी जिसमें जीवाणु गुणसूत्र के खण्ड समावेशित होते हैं किसी अन्य जीवाणु कोशिका में संक्रमणित करते हैं तो उसमें उपस्थित मातृ जीवाण्विक जीन नयी जीवाणु कोशिका के भीतर स्थानान्तरित हो जाते हैं। इस प्रकार इनमें पराक्रमण की क्षमता पायी जाती है।

जबकि ऐसे विभोजी कण जिनमें केवल विभोजी DNA होता है वह पराक्रमण करने में अक्षम रहता है

प्रश्न (Questions)

  1. निम्नलिखित के अंतिलघु उत्तर दीजिये

Give very short answer for the following:

  1. जीवाणुओं में प्रजनन विधियों के नाम लिखिये।

Write the reproduction methods in bacteria.

  1. अनुकूलन परिस्थितियों में जीवाणुओं में द्विभाजन की क्रिया कितने समय के अन्तराल पर होती

How much time is taken for binary fission in bacteria in favourable conditions.

  1. मुकुलन की विधि से किस जीवाणु में प्रजनन होता है।

In which bacteria reproduction take place by budding.

  1. संयुग्मन की विधि से किस जीवाणु में लैंगिक प्रजनन होता है ?

In which bacteria sexual reproduction takes place by conjugation?

  1. सैक्सडक्शन नाम किस वैज्ञानिक द्वारा दिया गया है ?

Which scientist gave the name sexduction?

  1. अनुकूल परिस्थितियों में एक जीवाणु 24 घण्टे के भीतर संख्या कितनी बना सकता है ?

In favourable conditions how much will be the number of bacteria after 24 hours?

  1. जीवाणुओं में कायिक प्रजनन की विधियों के नाम लिखिये ।

Write the name of somatic reproduction methods in bacteria.

  1. जीवाणुओं में अलैंगिक प्रजनन की दो विधियों के नाम लिखिये ।

Write the names of two methods of asexual reproduction in bacteria.

  1. किन्हीं दो जीवाणुओं के नाम बताइये जिनमें एण्डोस्पोर अधिकता से पाये जाते हैं।

Write the names of two bacteria in which generally endorspores are found.

  1. उस प्रक्रिया का नाम क्या है जिसके अन्तर्गत जीवाणुओं में आनुवंशिक पदार्थ का एक दिशा में स्थानान्तरण होता है ?

What is the name of that process which includes transfer of genetic material in one direction in bacteria. ?

  1. दो जीवाणु कोशिकाओं के मध्य सेतु बनने की क्रिया प्रजनन की किस विधि में होती है ?

In which method of reproduction bridge formation takes place between two bacteria.

  1. इ. कोलाई के पूर्ण एक गुणसूत्र की प्रतिकृति बनाने में कितना समय लिया जाता है ?

How much time is taken in replication of one complete chromosome in E.Coli.

  1. रूपान्तरण की क्रिया किन जीवाणुओं में देखी जाती है? दो के नाम बताइये।

Transformation is seen in which bacteria ? Write names of the two.

  1. पराक्रमण की खोज जिन्डर व लेडरबर्ग द्वारा 1952 में किस जीवाणु जाति में की गयी।

In which bacteria species discovery of transduction was done by Jinder and Lederberg in 1952.

  1. फेग की सुप्त प्रावस्था क्या कहलाती है।

What name is given to dormant stage of phage ?

  1. लघु उत्तर वाले प्रश्न ( Short answer questions)
  2. टिप्पणियाँ लिखिये (Write short notes on )

(i) पुटी (Cyst)

(ii) एण्डोस्पोर (Endospore) (iii) संयुग्मन (Conjugation) (iv) रूपान्तरण (Transformation) (v) पराक्रमण (Transduction) (vi) सैक्सडक्शन ( Sexduction) (vii)HFr प्रभेद (HFr strain) (viii) F कारक (F Factor )

  1. जेमिनि वायरस व कालिमो समूह में न्यूक्लिक अम्ल कौनसा प्रकार का होता है।

In Gemini virus and Caulimovirus group which in type nucleic acid.

III. दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long answer quastions)

  1. जीवाणुओं में अलैंगिक प्रजनन का वर्णन कीजिये ।

Describe a sexual reproduction in bacteria.

  1. जीवाणुओं में लैंगिक प्रजनन पर विस्तार से लिखिये ।

Write in detail on sexual reproduction in bacteria.

  1. जीवाणु कोशिका का संरचनात्मक (केवल चित्र ) संगठन

Structural organization of bacterial cell (only diagram)

  1. जीवाणुओं में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के संयुग्मों का वर्णन कीजिये ।

Describe The various types of conjugation found in bacteria.