हिंदी माध्यम नोट्स
अर्द्ध विक्षेप विधि से धारामापी का प्रतिरोध तथा दक्षतांक ज्ञात करना। To Determine Resistance of a Galvanometer By Half-deflection Method
To Determine Resistance of a Galvanometer By Half-deflection Method in hindi
(प्रयोग-6)
उद्देश्य (Object) :
अर्द्ध विक्षेप विधि से धारामापी का प्रतिरोध तथा दक्षतांक ज्ञात करना।
उपकरण (Apparatus):
धारामापी, बैटरी, उच्च प्रतिरोध बॉक्स (H.R.B), प्रतिरोध बॉक्स (R.B.), दो कुंजी तथा संयोजक तार आदि।
परिपथ चित्र (Circuit Diagram) :
जहां
E = बैटरी HRB = उच्च प्रतिरोध बॉक्स . RB = प्रतिरोध बॉक्स G = धारामापी Kh , KP = कुंजियां
सिद्धान्त (Theory) :
यदि कुंजी K2 के खुले होने पर, धारामापी के श्रेणीक्रम में प्रयुक्त प्रतिरोध RH के लिए कुंजी K1 के बन्द होने पर धारामापी में विक्षेप n अंश हो तथा धारामापी के समान्तर क्रम में प्रतिरोध R प्रयुक्त कर कुंजी K2 के बन्द करने पर यह विशेष आधा अर्थात् n/2 रह जाये तो
धारामापी का प्रतिरोध G = RH × R / RH – R
तथा धारामापी का दक्षतांक X = I/n = 1/n ; E/ RH ़ G)
जहां RH = उच्च प्रतिरोध बॉक्स में प्रयुक्त प्रतिरोध, R = धारामापी के समान्तरक्रम में प्रयुक्त प्रतिरोध, E = सेल (बैटरी) का विद्युत वाहक बल
प्रेक्षण (Observations) :
सेल (बैटरी) का विद्युत वाहक बल E = 3 वोल्ट
धारामापी के एक ओर के कुल भाग N = 30
सारणी क्रम
क्रम
संख्या भ्ण्त्ण्ठण् में प्रयुक्त प्रतिरोध RH (ओम) धारामापी में विक्षेप n (अंश) अर्द्ध
विक्षेप
n/2
अंश अर्द्ध-विक्षेप
के लिए
R.B. में
प्रयुक्त
प्रतिरोध R
(ओम) धारामापी का
प्रतिरोध
G= RH×R/ RH-R
(ओम) धारामापी का माध्य
प्रतिरोध
G (अंश) धारामापी का
दक्षतांक
X= 1/n; E/RH़G)
(ओम) धारामापी का माध्य
दक्षतांक X एम्पियर/भाग
1.
2.
3.
4.
5. 4700
4900
5200
5500
5900 26
24
22
20
18 13
12
11
10
9 90
90
90
90
90
G1=91.75
G2=91.68
G3=91.58
G4=91.49
G5=91.39
91.58 X1=2.4×10-3
X2=2.5×10-3
X3=2.57×10-3
X4=2.6×10-3
X5=2.7×10-3
2.55×10-3
SECTION-B
;प्रयोग-1)
उद्देश्य (Object):
अवतल दर्पण के लिए न के विभिन्न मानों के लिए v के मान ज्ञात करना तथा उसकी फोकस दूरी ज्ञात करना।
उपकरण (Apparatus) :
प्रकाशीय बेंच, अवतल दर्पण, दो पिन, एक दर्पण, एक दर्पण स्टैण्ड, दो पिन स्टैण्ड, स्पिरिट लेवल आदि।
किरण चित्र (Ray Diagram)ः
सिद्धान्त (Theory):
यदि कोई वस्तु अवतल दर्पण के सामने u दूरी पर रखी जाये और उसका प्रतिबिम्ब दर्पण से v दूरी पर बने तब अवतल दर्पण की फोकस दूरी, दर्पण सूत्र से अवतल दर्पण के लिए u एवं v दोनों ऋणात्मक होती है।
1/f = 1/-v ़ 1/-u
⇒ 1/f = -(u v)/ uv
या फोकस दूरी f= -uv / uv
अतः अवतल दर्पण की फोकस दूरी भी ऋणात्मक प्राप्त होती है जो कि चिन्ह परिपाटी के अनुकूल ही है।
प्रेक्षण सारणी (Observation Table)ः
क्रम
संख्या अवतल दर्पण की स्थिति ं (सेमी.) वस्तु पिन की स्थिति इ (सेमी.) प्रतिबिम्ब पिन की स्थिति c (सेमी.) u = b-a
(सेमी.) v = c-a
(सेमी.)f = -uv/uv
(सेमी.)
1.
2.
3.
4.
5. 5
5
5
5
5 45
47.5
50
52.5
55 71
65.2
61.3
57.8
55 40
42.5
45
47.5
50 66
60.2
56.3
52.8
50 f1= 24.9f
2= 24.9f
3= 25f
4= 25f
5= 25
गणना (Calculation) :
सूत्र f = -uv / uv से
प्रथम प्रेक्षण के लिए f1 = – 40 × 66/ ;40़ 66) = -24.9 सेमी.
द्वितीय प्रेक्षण के लिए f2 = – 42.5 × 60.2/ ;42.5़ 60.2) = -24.9 सेमी.
तृतीय प्रेक्षण के लिए f3 = – 45 × 56.3/ ;45़ 56.3) = -25 सेमी.
चतुर्थ प्रेक्षण के लिए f4 = – 47.5 × 52.5/k~ ;47.5़ 52.5) = -25 सेमी.
पंचम प्रेक्षण के लिए f5 = – 50 × 50/k~ ;50़50) = -25.9 सेमी.
माध्य फोकस दूरी f= -;24.9़24.9़25़25़25)/5 = -24.96 सेमी.
परिणाम (Result): दिए गए अवतल दर्पण की फोकस दूरी f= -24.96 सेमी.सेमी. प्राप्त हुई।
सावधानियां (Precautions):
(i) दर्पण के मुख्य अक्ष को प्रकाशीय बेंच की लम्बाई के समान्तर होना चाहिए।
(ii) वस्तु पिन और प्रतिबिम्ब पिन की नोकों को दर्पण के ध्रुव की सीध में अर्थात् मुख्य-अक्ष पर रहना चाहिए।
(iii) लम्बन दूर करते समय वस्तु पिन के उल्टा बने प्रतिबिम्ब की नोंक और प्रतिबिम्ब पिन की नोंक को एक-दूसरे को स्पर्श करना चाहिए।
(iv) वस्तु पिन और प्रतिबिम्ब पिन में अंतर स्पष्ट करने के लिए वस्तु पिन की नोक पर चॉक से निशान बना लेना चाहिए।
(v) लंबन दूर करते समय आंख को प्रतिबिम्ब पिन से 25-30 सेमी. दूर रखना चाहिए।
;प्रयोग-2)
उद्देश्य (Object)ः
उत्तल लैंस का उपयोग करके उत्तल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात करना।
उपकरण (Apparatus):
प्रकाशीय बेंच, उत्तल दर्पण, उत्तल लेंस, दो पिनें, एक दर्पण, एक दर्पण स्टैण्ड, एक लेंस स्टैण्ड, दो पिन स्टैण्ड,
स्परिट लेवल आदि।
किरण चित्र (Ray Diagram):
उत्तल लेंस की सहायता से उत्तल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात करना।
सिद्धान्त (Theory): यदि एक वस्तु O उत्तल लेंस के प्रथम फोकस से कुछ दूर रखी हो तो लेंस द्वारा वस्तु का वास्तविक एवं उल्टा प्रतिबिम्ब I प्राप्त होता है। अब यदि लेंस तथा प्रतिबिम्ब I के मध्य उत्तल दर्पण रखकर, दर्पण की स्थिति इस प्रकार समायोजित की जाए कि उत्तल लेंस तथा उत्तल दर्पण द्वारा वस्तु का प्रतिबिम्ब I श्वस्तु O पर ही बने। यह तभी संभव है जब उत्तल लेंस से अपवर्तित किरणें दर्पण पर अभिलम्बवत् आपतित हों तथा इसके वक्रता केन्द्र की ओर दिष्ट हों ताकि दर्पण से परावर्तन के पश्चात् अपने ही मार्ग पर लौटें अतः इस प्रकार का समायोजन प्राप्त करने पर केवल लेन्स द्वारा प्राप्त प्रतिबिम्ब स्थिति I , दर्पण का वक्रता केन्द्र होगी।
अतः दर्पण की वक्रता त्रिज्या R = PI
तथा फोकस दूरी f= R/2 = PI/2
प्रेक्षण (Observations) :
(i) उत्तल लेंस की लगभग फोकस दूरी fL = 15 सेमी.
(ii) बेंच त्रुटि (यदि है) b = ं 0 सेमी. .
(iii) प्रेक्षण सारणी:
क्रम
संख्या उत्तल दर्पण की स्थिति
P = A (सेमी.) प्रतिबिम्ब पिन की स्थिति
I = B (सेमी.) वक्रता त्रिज्या
Ùj PI=;B-A) (सेमी.) संशोधित वक्रता त्रिज्या
Ùj;B-A)-;़b)
(सेमी.) दर्पण की फोकस दूरी
f=R/2
(सेमी.) माध्य फोकस
दूरी
f (सेमी.)
1.
2.
3.
4. 47.5
53.1
62.5
70 67.5
73.1
82.5
90 20
20
20
20 20
20
20
20 f1= 10f
2= 10f
3= 10f
4= 10
10
गणना (Calculation):
माध्य फोकस दूरी f= f1़ f2़ f3़ f4 /4
f= 10़10़10़10/4 = 10 सेमी.
परिणाम (Result):
दिए गए उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 10 सेमी. प्राप्त होती है।
सावधानियाँ (Precautions):
पिनों की नोंक पतली होनी चाहिए।
प्रकाशीय बेंच पूर्णतः क्षैतिज तथा इस पर लगे स्टैण्ड ठीक ऊर्ध्व होने चाहिए।
पिनों की ऊँचाई इस प्रकार व्यवस्थित करनी चाहिए कि पिनों की नोंक तथा लेंस का का ध्रुव एक सरल रेखापर हो
तथा यह रेखा प्रकाशीय बैंच के समान्तर हो।
प्रेक्षण लेते समय लम्बन त्रुटि नहीं होनी चाहिए।
दर्पण को बैंच पर व्यवस्थित करते समय, वस्तु पिन, प्रतिबिम्ब पिन एवं उत्तल लेंस की स्थिति परिवर्तित नहीं होनी
चाहिए।
Recent Posts
सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ
कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…
रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?
अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…