JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

जैमिनी राय ने कला के किस क्षेत्र में नाम कमाया ? jamini roy was a famous for in hindi in which field name

jamini roy was a famous for in hindi in which field earn name जैमिनी राय ने कला के किस क्षेत्र में नाम कमाया ?

अवनींद्र नाथ टैगोर
उन्हें ‘इंडियन सोसायटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट‘ का प्रवर्तक और प्रमुख माना जाता है। वे एक कुशल चित्रकार थे और बहुत ही प्रभावशाली ‘बंगाली स्कूल ऑफ आर्ट‘ के संस्थापक थे। ये दोनों संस्थान आधुनिक भारतीय चित्रकला को आगे लाए। उन्हें बच्चों के लिए लेखन के लिए भी जाना जाता है और वे छद्म नाम ‘अबान ठाकुर‘ का प्रयोग करते थे। उन्होंने पहले से विद्यमान मुगल और राजपूत शैलियों का, आधुनिकीकरण करके भारतीय कला पर ब्रिटिश प्रभाव का प्रतिकार किया। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में ‘गणेश जननी‘, ‘वीना प्लेयर‘, ‘भारत माता‘ आदि सम्मिलित हैं। उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

जैमिनी राय
वह अत्युकृष्ट भारतीय चित्रकार थे और भारत में आधुनिक कला लाने से भी जुड़े थे। अवनींद्र नाथ टैगोर ने उन्हें गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट में पढ़ाया था। वह बंगाल की आदिवासी और लोक कला के साथ आधुनिक कला के तत्वों का संयोजन करने के लिए प्रसिद्ध था। वह विशेष रूप से चित्रकला की कालीघाट शैली में रुचि रखते थे। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में माता और शिशु, कृष्ण और राधा नृत्य, मकर आदि सम्मिलित हैं। उन्हें पद्म भूषण और ललित कला अकादमी फेलोशिप से भी सम्मानित किया गया था ।

सतीश गुजराल
वह न केवल चित्रकला के लिए बल्कि मूर्तिकारी, ग्राफिक डिजाइनिंग और भित्ति चित्र बनाने के लिए भी जाने जाते हैं। वह जे.जे स्कूल ऑफ आर्ट्स से स्नातक हैं। भारत के विभाजन का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा और यह उनके जीवन में प्रतिबिंबित भी होता है। वह नई दिल्ली में बेल्जियम दूतावास के भी वास्तुकार हैं, जिसने उन्हें इंटरनेशनल फोरम ऑफ आर्किटेक्टस से उत्कृष्टता का पुरस्कार भी दिलवाया। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में ‘मौर्निंग इन मॉस‘ (Mourning enMasse) ‘मीरा बाई‘, ‘रेजिंग ऑफ लाजरस‘ आदि सम्मिलित हैं। उन्होंने वर्ष 1999 में पद्म विभूषण भी प्राप्त किया।

एस.एच. रजा
सैयद हैदर रजा विश्व भर में सबसे व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त भारतीय कलाकारों में से एक है। उन्होंने भारतीय पौराणिक कथाओं और ब्रह्माण्ड विज्ञान से बहुत कुछ लिया और उसका पश्चिमी तत्वों के साथ संयोजन किया। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना ‘बिन्दु‘ या डॉट है, जिसने, उनके काम में आयाम जोड़ा।
वे ‘रजा फाउंडेशन‘ के भी संस्थापक हैं जो युवा कलाकारों की अपनी रचना दर्शाने और प्रदर्शित करने में सहायता करता है। सभी पद्म पुरस्कार, ललित कला अकादमी फेलोशिप आदि जैसे उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान दिए गए हैं। वैश्विक परिदृश्य में उन्हें फ्रांस की सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘लीजन ऑफ ऑनर‘ दिया गया है।

तैयब मेहता
तैयब मेहता भारत के सबसे अच्छे आधुनिकतावादी चित्रकारों में से एक हैं जो शक्तिशाली बॉम्बे प्रगतिशील कलाकार समूह में थे। वह क्यूबाई आंदोलन, अभिव्यक्तिवादी शैली आदि जैसी पश्चिमी अवधारणाओं के साथ प्रयोग करने वाले पहले भारतीय चित्रकारों में से एक हैं। वह भारतीय मूल के सबसे महंगे कलाकारों में से भी एक हैं जिनकी रचनाएं क्रिस्टी की नीलामी में बेची गई हैं। वह अपनी ‘ट्रिपटिक सेलीब्रेशन‘ के लिए सुविदित हैं। भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया है।

नंदलाल बोस
उन्होंने भारतीय कला में प्रासंगिक आधुनिकता आंदोलन का बीड़ा उठाया। वे अवनींद्र नाथ टैगोर के छात्र थे और आधुनिकता को पौराणिक कथाओं, ग्रामीण जीवन और महिलाओं के संपर्क में लाए। उनकी रचनाएं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित किए जाने और निर्यात बंद किए जाने योग्य कला मानी जाती है। उन्हें ललित कला अकादमी का फैलो बनाया गया और वर्ष 1954 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

रंगमंच
पृथ्वीराज कपूर
पृथ्वीराज ‘बॉलीवुड का प्रथम परिवार‘, कहलाने वाले ‘कपूर‘ (Kapoors) के संस्थापक थे। पृथ्वीराज कपूर केवल रंगमंच में ही नहीं अभिरुचि रखते थे बल्कि एक अभिनेता, एक निर्माता और एक संपादक भी थे। वह भारतीय जन-नाट्य संघ (इप्टा) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वे पृथ्वी रंगमंच के संस्थापक भी थे, जिन्होंने उनके कई नाटकों को प्रस्तुत किया।
उनके कुछ प्रसिद्ध नाटकों में कालिदास के अभिज्ञानशाकुंतलम का पुनर्मचन सम्मिलित हैं। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और उसकी आजीवन फेलोशिप, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (मरणोपरांत) और वर्ष 1969 में पद्म भूषण जैसे कई पुरस्कारो से सम्मानित किया गया। उनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया गया है।

हबीब तनवीर
तनवीर सर्वाधिक सुविदित उर्दू नाटककारों और रंगमंच निर्देशकों में से एक है। उन्होंने छत्तीसगढ़ी जनजातियों के साथ काम करने पर केंद्रित नये रंगमंच की स्थापना की। उनके कुछ सबसे लोकप्रिय नाटकों में आगरा बाजार, चरणदास चोर आदि सम्मिलित हैं। वह राज्यसभा के भी सदस्य थे और ग्रामीण भारत के वास्तविक लोगों‘ के नाटकों को शहरी जनता के लिए लाने की दिशा में भी काम किया। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और अनुवर्ती फैलोशिप जैसे कई पुरस्कार भी प्रदान किए गए। उन्हें कालिदास सम्मान और पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।

गिरीश कर्नाड
भारतीय रंगमंच के प्रमुख महापुरुषों में से एक, गिरीश रघुनाथ कर्नाड प्रसिद्ध अभिनेता, निर्देशक और लेखक भी हैं। वह आधुनिक भारतीय रंगमंच, (विशेष रूप से कन्नड़ में) के अग्रदूत थे। उन्होंने ययाति, तुगलक आदि जैसे सफल नाटकों का लेखन किया है। इन नाटकों का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है और विभिन्न निर्देशकों द्वारा मंचन किया गया है। उन्होंने भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त किया। उन्हें पद्म श्री और पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया है।

नसीरुद्दीन शाह
भारतीय सिनेमा के विषय में कुछ न जानना और नसीरुद्दीन शाह के काम को न पहचानना कठिन है। वह न केवल रंगमंच और फिल्मों के अभिनेता हैं बल्कि सफल निर्देशक और भारतीय समानांतर सिनेमा में एक महान हस्ती भी हैं। वह ‘मोटले प्रोडक्शंस‘ नामक रंगमंच समूह के संस्थापक सदस्यों में से भी एक हैं। उन्होंने मंटो, इस्मत चुगताई आदि द्वारा लिखित कई नाटकों का निर्देशन भी किया है, भारत सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, पद्म श्री और पद्म भूषण जैसे कई पुरस्कारों से समानित किया गया है।

जोहरा सहगल
जोहरा मुमताज उल्लाह खान ने रंगमंच से अपना कैरियर आरंभ किया था और बॉलीवुड फिल्मों में अभिनय करते हुए भी रंगमंच में अभिनय करना जारी रखा था। उन्होंने भारतीय जन-नाट्य संघ (इप्टा) और पृथ्वी थियेटर्स के साथ काम किया। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में ‘धरती के लाल‘, ‘दीन के अंधेर‘, ‘एक थी नानी‘ आदि सम्मिलित हैं।
वे नाट्य अकादमी की निदेशिका भी थीं, जो युवा लोगों को अभिनय कौशल सिखाती थी। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार , उसकी फैलोशिप और कालिदास सम्मान जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। वे 102 वर्ष की परिपक्व आयु तक जीवित रहीं और भारतीय रंगमंच और सिनेमा में अपने योगदान के लिए सभी तीनों पद्म पुरस्कारः पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण प्राप्त किए।

अलिक पद्मसी
अलिक पद्मसी हालांकि वह ‘भारत के विज्ञापन गुरु‘ के रूप में अधिक सुविदित हैं, पद्मसी वयोवृद्ध रंगमंच कलाकार हैं, जिन्होंने कई सफल नाटकों में काम किया है। उन्होंने लगभग 70 नाटकों का निर्देशन किया है जिसमें से एविता, तुगलक, टूटी छवियां आदि समीक्षकों द्वारा अत्यंत प्रशंसित हैं। वह शेक्सपियर से प्रेरित थे और ओथेलो, हेमलेट और जूलियस सीजर जैसे उनके कई नाटकों को अपनाया है। पद्मसी रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गांधी में मोहम्मद अली जिन्ना की भूमिका के किरदार के साथ सुर्खियों में आए। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री और संगीत नाटक अकादमी द्वारा रवीन्द्रनाथ टैगोर रत्न पुरस्कार जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

वास्तुकार
ली कार्बुजियर
ली कार्बुजियर भारत के अग्रणी आधुनिक वास्तुकारों में से एक हैं और चंडीगढ़ नगर के वास्तुकार के रूप में इतिहास में अमर हो गए हैं। पंजाब सरकार ने उन्हें नियोजित नगर का निर्माण करने का कार्य सौंपा जो उस समय एक नवीन अवधारणा थी। उन्होंने तीन चरणों में नगर का निर्माण किया और उसे तीन खण्डों में विभाजित किया। प्रथम खंड ‘शीर्ष‘ था, जिसमें प्रशासनिक, राजनीतिक, नौकरशाही भवन रखे गए। ‘शरीर‘ में आवासीय परिसर और राज्य विश्वविद्यालय सम्मिलित थे। अंतिम खंड या ‘पाद‘ औद्योगिक क्षेत्र और रेलवे स्टेशन थे।

चार्ल्स कोरिया
वह बीसवीं सदी के सर्वाधिक सुविदित नगर नियोजक और वास्तुकारों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने शहरी गरीबों की आवासीय आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित किया और तद्नुसार अपने वास्तुशिल्प डिजाइन को ढाला। उनकी सबसे प्रसिद्ध डिजाइनों में से एक अहमदाबाद में साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी स्मारक संग्रहालय जयपुर में जवाहर कला केंद्र है और नवी मुंबई की योजना बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय के वास्तुकार के रूप में उन्हें देशभर में व्यापक मान्यता मिली। उन्हें वर्ष 2006 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ी और रॉयल इंस्टीट्सयूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स से वास्तुकला के लिए रॉयल स्वर्ण पदक जीतने वाले कुछ भारतीयों में से एक हैं।

बी. वी. दोशी
दक्षिण एशियाई वास्तुकला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता, बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी आईआईएम बंगलुरु के भवन के निर्माण में व्यक्ति के रूप में सुविदित हैं। वह वास्तुकला से संबंधित बौद्धिक विचारों में अपने योगदान के लिए सम्मानित हैं। उन्होंने पर्यावरण डिजाइन में अध्ययन और अनुसंधान के लिए वास्तु-शिल्प फाउंडेशन की स्थापना की है। यह आम जनता की सहायता करने के लिए कम लागत वाले आवासों पर केंद्रित हैं, जो नगर योजना के साथ सम्मिश्रित हो। उन्हें पद्म श्री और फ्रांस की सरकार से ऑर्डर ऑफ आर्टस एंड लेटर्स से सम्मानित किया गया है।

राज रेवाल
वे हमारे देश के अग्रणी वास्तुकारों में हैं और योजना और वास्तु विद्यालय, दिल्ली से जुड़े हैं। वे आधुनिकीकरण तकनीकों के साथ पारंपरिक वास्तुकला के संयोजन में विश्वास रखते हैं। उनकी कुछ अत्यधिक प्रसिद्ध रचनाएं दिल्ली में संसद पुस्तकालय, प्रगति मैदान प्रदर्शनी केंद्र में राष्ट्रों का हॉल और बंगलुरू में एनसीबीएस (राष्ट्रीय जैव वैज्ञानिक केन्द्र) परिसर हैं।
उन्हें इंडियन इंस्टीटडूट ऑफ आर्किटेक्ट्स से स्वर्ण पदक और राष्ट्रमंडल एसोसिएशन से रॉबर्ट मैथ्यू पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनके सबसे प्रतिष्ठित भवनों में से एक नई दिल्ली में ‘एशियाड विलेज‘ है जिसे विशेष रूप से वर्ष 1982 के एशियाई खेलों के लिए बनवाया गया था।

पीलू मोदी
पीलू मोदी न केवल वास्तुकार थे बल्कि राजनीतिक नेता भी थे। स्वतंत्रता के बाद तत्काल आवास की आवश्यकता का सामना कर उन्हें प्रसिद्धी मिली । वे स्वतंत्र पार्टी के सदस्य थे और चैथी और पांचवीं लोकसभा के भी सदस्य थे। उसके बाद वर्ष 1978 से अपनी मृत्यु तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे। वे कटक में प्रतिष्ठित पीलू मोदी कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर के संस्थापक थे।

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

2 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

4 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

7 days ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

7 days ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

7 days ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now