JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: 10th science

तीन R का नियम और इसका महत्व किसे कहते हैं three r concept in hindi definition and importance

three r concept in hindi definition and importance क्या है , तीन R का नियम और इसका महत्व किसे कहते हैं :-

पुनः उपयोग (reuse): पुनः उपयोग में हम किसी वस्तु का बार-बार उपयोग करते हैं जिसे हम पुन: उपयोग में ले सकते हो। पुनः उपयोग, पुनःचक्रण से भी अच्छा तरीका है क्योंकि पुनःचक्रण में कुल उर्जा का कुछ भाग व्यय होता है। उदाहरण: लिफाफों को फेंकने की अपेक्षा हम फिर से उपयोग में ले सकते हैं। विभिन्न खाद्य पदार्थों के साथ आई प्लास्टिक की बोतलें, डिब्बे इत्यादि का उपयोग रसोईघर में वस्तुओं को रखने के लिए किया जा सकता हैं।

पुनः प्रयोजन (repurpose) : इसका अर्थ यह है कि जब कोई वस्तु जिस उपयोग के लिए बनी है उस उपयोग में नहीं आने पर उस वस्तु को किसी अन्य उपयोगी कार्य के लिए प्रयोग करना चाहिए। उदाहरण के लिए टूटे-फूटे चीनी मिट्टी के बर्तनों में पौधे उगाना आदि।

पुनःचक्रण(recycle) : इसका अर्थ है कि हम प्लास्टिक, कागज, काँच, धातु की वस्तुएँ तथा ऐसे ही पदार्थों का पुनःचक्रण करके उपयोगी वस्तुएँ बना सकते है । जब तक अति आवश्यक न हो इन वस्तुओ का नया उत्पादन/संश्लेषण विवेकपूर्ण नहीं है। इनके पुनः चक्रण के लिए पहले हमें इन अपद्रव्यों को अलग करना होगा जिससे कि पुनःचक्रण योग्य वस्तुएँ दूसरे कचरे के साथ भराव क्षेत्र में न फेंक दी जाएँ और फिर इन वस्तुओ का पुनःचक्रण करके उपयोग में ले ली जाती है।

तीन R का नियम और इसका महत्व

तीन R का मतलब होता है REDUCE(कम उपयोग), RECYCLE(पुन: चक्रण) , REUSE(पुन: उपयोग) । इस नियम का उपयोग करने पर हम पर्यावरण में बढ़ रहे अपशिष्ट को कम कर सकते है और इनसे हो रहे पर्यावरण को नुकसान से भी बचा जा सकता है।

यही नहीं हम दैनिक आवश्यकताओं और क्रियाकलापों पर निर्णय लेते समय भी हम पर्यावरण संबंधी निर्णय ले सकते हैं। इसके लिए हमें यह जानने की आवश्यकता है कि कोई वस्तु पर्यावरण पर किस प्रकार निर्भर करती है तथा इसका उपयोग करने पर पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ सकता है तथा ये प्रभाव तात्कालिक,दीर्घकालिक अथवा व्यापक हो सकते हैं।

संपोषित विकास

संपोषित विकास की संकल्पना से मतलब यह है की ऐसा विकास जो की पर्यावरण को बिना नुकसान पहुचाऐ मनुष्य की वर्तमान आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति एवं विकास को प्रोत्साहित करती ही है साथ ही साथ भावी पीढ़ी के लिए इन संसाधनों का संरक्षण भी करती है।

संपोषित विकास का उदेश्य

1. संपोषित विकास मनुष्य की वर्त्तमान आवश्यताओ की पूर्ति एवं इसके विकास को प्रोत्साहित करता है।

2. संपोषित विकास से आर्थिक विकास भी सभव है।

3. संपोषित विकास आने वाली पीढ़ी के लिए भी प्राकृतिक संसाधनों को बचने का कार्य करती है।

अतः संपोषित विकास से जीवन के सभी आयाम में परिवर्तन निहित है। यह लोगों के ऊपर निर्भर है कि वे अपने चारों ओर के आर्थिक- सामाजिक एवं पर्यावरणीय स्थितियों के प्रति अपने दृष्टिकोण में कितना परिवर्तन लाते है तथा प्रत्येक व्यक्ति को प्रकृति के संसाधनों के वर्तमान उपयोग में परिवर्तन अर्थात् कम से कम करने को तैयार रहना होगा।

प्राकृतिक संसाधनों का प्रबधन करते समय किन किन बातो धयान देना चाहिए

1. प्राकृतिक संसाधनों को भावी पीढ़ी के लिए बचाने के लिए।

2. प्राकृतिक संसाधनों को प्रदूषित होने से बचने के लिए।

3. प्राकृतिक संसाधनों का समाज के सभी वर्गों में उचित वितरण होना चाहिए तथा उन्हें शोषण से बचाने के लिए।

4. प्राकृतिक संसाधनों के प्रबधन में अपशिष्ट के निपटाने के लिए एक व्यवस्था होनी चाहिए।

वन एवं वन्य जीवन

वन जैव विविधता के विशिष्ट स्थल हैं जहा पर अलग अलग तरीके के जीव निवास करते है। जैव विविधता का एक आधार उस क्षेत्र में पाई जाने वाली विभिन्न स्पीशीज की संख्या है। परंतु जीवों के विभिन्न स्वरूप (जीवाणु, कवक, फर्न, पुष्पी पादप, सूत्रकृमि, कीट, पक्षी, सरीसृप इत्यादि) भी महत्वपूर्ण हैं। वन न केवल उस जगह के सभी जीवो को प्राकृतिक संरक्षण प्रदान करता है बल्की वन उनके विकास के लिए पोषण प्रदान करता है। परन्तु आजकल जैव विविधता के नष्ट होने पर पारिस्थितिक स्थायित्व भी नष्ट हो सकता है।

जैवविविधता के नष्ट होने के परिणाम

आजकल जैव विविधता के नष्ट होने पर पारिस्थितिक स्थायित्व भी नष्ट हो सकता है। अत: किसी भी वन में उपस्थित सभी जैव तथा अजैव जीव उस पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित बनाते है। और जैसे जैसे यह जैव विविधता नष्ट होती है पारिस्थितिक तंत्र असंतुलित होता जाता है।

ऐसा जगह जहा पर अलग अलग प्रकार की सम्पदा होती है तप्त स्थल कहलाते है। ऐसे लोग जिनका जीवन , कार्य किसी चीज पर निर्भर करता है वह उस चीज के दावेदार कहलाते है।

वनों के दावेदार

1.वन के अन्दर या इसके बाहर रहने वाले लोग इन वनों का उपयोग करते है।

2.सरकार और वन विभाग जो की इन वनों का उपयोग करते है।

3.वन से बने उत्पादको पर अनेक व्यापारी निर्भर करते है।

4. वन्य जीव और पर्यावरण प्रेमी

मनुष्य की गतिविधिया जो की वनों को प्रभावित करती है

1.स्थानीय लोगों को ईंधन के लिए जलाऊ (लकड़ी) छोटी लकडि़याँ एवं छाजन की काफी मात्रा में आवश्यकता होती है। अत: उन्हें यह वन से प्राप्त होता है

2.बाँस का उपयोग झोपड़ी बनाने, भोजन एकत्र करने एवं भंडारण के लिए होता है।

3.खेती के औजार, मछली पकड़ने एवं शिकार के औजार मुख्यतः लकड़ी के बने होते हैं। इसके अतिरिक्त वन, मछली पकड़ने एवं शिकार-स्थल भी होते हैं।

4.विभिन्न व्यक्ति फल, नट्स तथा औषधि एकत्र करने के साथ-साथ अपने पशुओं को वन में चराते हैं अथवा उनका चारा वनों से एकत्र करते हैं।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now