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ताप विद्युत किसे कहते हैं , ताप विद्युत केंद्र का उदाहरण क्या है या कहाँ है thermal power plant in india in hindi
thermal power plant in india in hindi ताप विद्युत किसे कहते हैं , ताप विद्युत केंद्र का उदाहरण क्या है या कहाँ है ?
ताप-विद्युत (Thermal Electricity)
जिन क्षेत्रों में जल-विद्युत उत्पन्न करने के लिए भौगोलिक परिस्थितियाँ अनुकूल न हों या उन क्षेत्रों में विद्युत की माँग वहाँ के जल-विद्युत उत्पादन से अधिक हो तो कोयले, डीजल अथवा प्राकृतिक गैस के प्रयोग से ताप-विद्युत का उत्पादन किया जाता है। यद्यपि भारत में जल-विद्युत उत्पादन की अपार सम्भावनाएँ हैं तो भी उनका उचित लाभ नहीं उठाया जाता और ताप-विद्युत का उत्पादन तथा प्रयोग किया जाता है। भारत की कुल विद्युत उत्पादन का लगभग 68 प्रतिशत उत्पादन क्षमता ताप विद्युत की है। इससे हमारे देश में ताप-विद्युत के महत्व का अनुमान हो सकता है।
यदि हम विभिन्न राज्यों में जल-विद्युत तथा ताप-विद्युत के सापेक्षिक महत्व को देखें तो हमें पता चलता है कि केवल आठ राज्यों (भाखड़ा मैनेजमैण्ट बोर्ड को छोड़कर) में जल-विद्युत अधिक है। इनमें केरल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, नागालैण्ड, त्रिपुरा तथा सिक्किम सम्मिलित हैं। ताप-विद्युत का योगदान जम्मू-कश्मीर, उड़ीसा तथा कर्नाटक में भी कम है। इन राज्यों में ताप-विद्युत की उत्पादन क्षमता क्रमशः 12%, 39% तथा 17% है। आंध्र प्रदेश में 46% ताप-विद्युत है। अन्य सभी राज्यों में ताप-विद्युत का महत्व जल-विद्युत से अधिक है। बिहार, पश्चिम बंगाल तथा गुजरात मुख्यतरू ताप-विद्युत वाले राज्य हैं। दिल्ली, हरियाणा तथा असम में तो शत-प्रतिशत ताप-विद्युत का उत्पादन होता है।
1. महाराष्ट्र : कुल ताप विद्युत क्षमता की दृष्टि से महाराष्ट्र सबसे आगे है। यहाँ पर 5,555 मेगावाट ताप-विद्युत उत्पादन की क्षमता है। चोला वाष्प शक्ति गृह (क्षमता 118 हजार किलोवाट), ट्रॉम्बे वाष्प शक्ति गृह (क्षमता 337 हजार किलोवाट), कोल्हापुर डीजल शक्ति केन्द्र, पारस (क्षमता 62.5 हजार किलोवाट), नासिक (क्षमता 280 हजार किलोवाट) तथा नागपुर जिले में कोराडी (क्षमता 480 हजार किलोवाट) महत्वपूर्ण ताप-विद्युत उत्पादक केन्द्र हैं। भुसावल, पारली, तथा उरान अन्य उत्पादक केन्द्र हैं। उरान गैस टर्बाइन, पारली, खापरखेड़ा तथा भुसावल का विस्तार किया जा रहा है। चन्दरपुर स्थान पर एक अन्य ताप-विद्युत उत्पादक केन्द्र स्थापित किया जा रहा है।
2. उत्तर प्रदेश : ताप विद्युत उत्पादन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का द्वितीय स्थान है। यहाँ कोयला नहीं मिलता और यह झारखण्ड तथा अन्य राज्यों से मँगवाया जाता है। यहाँ पर ओबरा, हरदुआगंज, पनकी, कानपुर आदि के ताप विद्युत केन्द्र प्रसिद्ध हैं।
डीजल विद्युत केन्द्र मुरादाबाद (600 किलोवाट) अलीगढ़ (11100 किलोवाट) टुण्डला ( 200 किलोवाट) मेरठ (850) किलोवाट) बहराइच ( 3234 किलोवाट) है। रोमा, जवाहरपुर, टाँडा, ऊँचाहार, दोहरीघाट रिहन्द आदि ताप विद्युत केन्द्र निर्माणाधीन हैं।
3. मध्य प्रदेश : बेतुल जिले में सतपुडा ताप विद्यत केन्द्र (क्षमता 312.5 हजार किलोवाट) प्रसिद्ध उत्पादक केन्द्र है। विन्ध्यांचल, विश्रामपुर, बीरसिंहपुर पेन्च आदि स्थानों पर ताप विद्युत केन्द्र निर्माणाधीन हैं।
4. छत्तीसगढ़ : इस राज्य का सबसे महत्वपूर्ण ताप-विद्युत केन्द्र बिलासपुर जिले में कोरबा नामक स्थान पर है। इसकी क्षमता 420 हजार किलोवाट है अमरकंटक (क्षमता 180 हजार किलोवाट) अन्य महत्वपूर्ण केन्द्र है। कोरबा ताप विद्युत केन्द्र का विस्तार किया जा रहा है।
5. गुजरातः गुजरात की कुल विद्युत क्षमता का 90ः भाग ताप विद्युत से प्राप्त होता है। यहाँ पर उतरान (क्षमता 67.5 हजार किलोवाट), सिक्का (16 हजार किलोवाट), शाहपुर (6 हजार किलोवाट), पोरबन्दर (15 हजार किलोवाट), कांधला (6 हजार किलोवाट) अहमदाबाद ( 110 मेगावाट), धुवरन (534 मेगावाट), उकाई (300 मेगावाट) तथा गाँधीनगर (240 मेगावाट) प्रमुख उत्पादक केन्द्र हैं। इनमें बहुत-से केन्द्रों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और बहुत-से केन्द्र निर्माण के विभिन्न चरणों में है।
6. झारखण्ड : झारखण्ड में कोयले की विस्तृत खानें हैं, जिससे ताप-विद्युत उत्पादन में सहायता मिलती है। यहाँ पर मुख्य उत्पादक दामोदर घाटी परियोजना के अन्तर्गत ताप-विद्युत केन्द्र है। इस क्षेत्र में बोकारो, चन्द्रपुरा, सिन्दरी, जमशेदपुर, बर्नपुर और सीतापुर नामक छह स्थानों पर तापीय शक्ति केन्द्र स्थापित करने की योजना है। इनमें से तीन केन्द्रों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। बोकारो ताप विद्युत गृह के निर्माण का कार्य सन् 1955 में समाप्त हो गया था। इसकी उत्पादन क्षमता 475 मेगावाट है। चन्द्रपुरा का ताप-विद्युत केन्द्र भी बनकर तैयार हो चुका है। इसकी उत्पादक क्षमता 420 मेगावाट है।
7. बिहार : बरौनी, परतालू तथा मुजफ्फरपुर ताप-विद्युत केन्द्र स्थापित किए गए हैं।
8. पश्चिम बंगाल : पश्चिम बंगाल में लगभग सारी ही ताप-विद्युत है और जल-विद्युत केवल नाममात्र ही है। यहाँ पर दुर्गापुर (दामोदर घाटी परियोजना) बुन्देल, टीटागढ़, सन्तालदोह तथा कोलकाता में ताप विद्युत केन्द्र लगे हुए हैं। वीरभूम कालाघाट मुर्शिदाबाद, फरक्का, मीजिया आदि केन्द्रों का निर्माण तथा विस्तार जारी है।
इसके अतिरिक्त तामिलनाडु में नेवेली (600 मेगावाट) मदुरै (11 हजार
किलोवाट), इन्नौर (450 मेगावाट), तूतीकोरिन मैटूरः आंध्र प्रदेश में रामगुण्डम, कोट्टागुण्ड्म, विजयवाडाय राजस्थान राणा प्रताप व कोटा, हरियाणा में फरीदाबाद पानीपत, यमुनानगर व झज्जर, पंजाब में भटिण्टा व रूपनगर, असम में नामरूप, बोंगाइगाँवय दिल्ली में इन्द्रप्रस्थ व बदरपुर आदि ताप-विद्युत केन्द्र कार्यरत हैं।
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