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दीमक किसे कहते हैं , दीमक को सामाजिक कीट क्यों कहा जाता है termites in hindi दीमकों के प्रकार types
पढ़े दीमक किसे कहते हैं , दीमक को सामाजिक कीट क्यों कहा जाता है termites in hindi दीमकों के प्रकार types ?
दीमक या मधुमक्खी में सामाजिक संगठन (Social Organization in Termites and Bees)
परिचय (Introduction)
जन्तु जगत के अधिकांश जीव एकल (solitary) अवस्था में रहते हैं। ऐसे जीव प्रजनन हेतु स्थाई या अस्थाई जोड़ा बनाते हैं। चूँकि एक ही जाति के जन्तुओं की आवश्यकताएँ एक समान होती है अतः एकल जीवन से यह स्पर्धा टल जाती है। कुछ एकल जन्तु कुछ क्षेत्र अपने अधिकार में ले लेते हैं जिसे उसकी टेरीटॉरी (territory) नाम दिया जाता है। इस अधिकृत क्षेत्र में ये अपनी जाति के दूसरे जन्तुओं का प्रवेश भी सहन नहीं करते हैं।
कुछ दूसरे प्रकार के जन्तु समूह बना कर रहते हैं। यह समूह संयोगवश नहीं बने होते हैं वरन इन समूहों का अपना स्पष्ट लाभ होता है। ऐसे जीव यूथी ( gregarious) कहलाते हैं। यूथी जीव साथ-साथ अवश्य रहते हैं परन्तु इनमें परस्पर निर्भरता कम होती है। एक यूथ ( group) के जन्तु यूथ के अन्य सदस्यों के बिना भी जीवनयापन कर सकते हैं। पक्षियों, स्तनियों, टिड्डों में इस तरह की प्रकृति पाई जाती है। एकल जीव जहाँ शक्तिशाली होते हैं (बाघ, शिकारी पक्षी आदि) वहीं यूथी जीव कमजोर होते हैं, परन्तु यह कोई दृढ़नियम नहीं है ।
एक अन्य तरह का आन्तरजातीय (intraspecific) सम्बन्ध निबह (colony) कहलाता है। एक निबह के जन्तु सामान्य तौर पर आपस में अविच्छिन्न रूप से जुड़े रहते हैं तथा इनमें संरचनात्मक व कार्यात्मक विभेदन पाया जाता है। फाइजेलिया, जैली- फिश, कोरल आदि इस तरह के निबही जन्तु हैं जो आपस में भौतिक रूप से इस तरह जुड़े होते हैं कि यह कहना कठिन जान पड़ता कि ये एक ही जन्तु के विभिन्न भाग हैं अथवा अलग-अलग जन्तु हैं।
इन तीन अन्तरजातीय सम्बन्धों के अतिरिक्त एक अन्य सम्बन्ध एक ही जाति के जीवों के बीच मिलता है जिसे समाज (society) कहते हैं। एक समाज के जीव परस्पर निर्भरता प्रदर्शित करते हैं। समाज में कार्य का विभाजन भी पाया जाता है यानि समाज के कुछ जीव कोई विशेष कार्य करते हैं तो दूसरे जीव कोई अन्य कार्य सम्पादित करते हैं। सामाजिक जीव अपनी जाति के जीवों के साथ सहयोग करते हैं। इस सहयोग की मात्रा अलग-अलग जातियों में कम या ज्यादा हो सकती है। कुछ जातियों जैसे दीमक व मधुमक्खी में तो यह सहयोग इतना अधिक बढ़ जाता है कि जाति के कुछ जीव स्वयं प्रजनन त्याग कर अन्य प्रजनन सजातियों का हाथ बंटाते हैं।
ऐसे जीव जिनमें समाज के संगठन में सिर्फ सजातियों की संततियों या अण्डों की देख-भाल व पोषण का कार्य ही पाया जाता है, सामाजिक कल्प या सामाजिक प्राय: (quasisocial) जीव कहलाते हैं। सामाजिककल्प की सभी मादाएँ प्रजनन कर सकती हैं परन्तु पालन में ये परस्पर सहयोग करती हैं। इसके अलावा कुछ जातियों में सहकारी अध्यासन (co-operative brood care) यानि संतति पालन में सहयोग तो पाया ही जाता है, साथ ही जाति के सदस्यों में जननिक कार्य विभाजन (reproductive divisin of labour) भी पाया जाता है। ऐसी जातियों को अर्ध सामाजिक (semi social) कहा जाता है। समाज का चरमोत्कर्ष मधुमक्खियों में देखने को मिलता है जहाँ समाज में निम्न तीन गुण पाए जाते हैं-
- सहकारी – अध्यासन (Co-operative brood-care)
- जननिक – कार्य विभाजन (Reproductive division of labour)
- पीढ़ी-अतिव्यापन (Overlapping between generations)
ऐसे जन्तुओं को सुसामाजिक (Eusocial) कहा जाता है। इस अध्याय में हम दीमक व मधुमक्खी के सामाजिक संगठन का अध्ययन अरज्जुकियों के प्रतिनिधि समाजों के रूप में करेंगे। दीमक का सामाजिक संगठन
दीमक या सामाजिक संगठन
दीमक (termite or white ant) एक सामाजिक कीट है। यह संघ आर्थोपोडा के वर्ग इन्सेक्टा (Insecta) के तहत गण आइसोप्टेरा (Isoptera) में वर्गीकृत की जाती है। दीमक सामाजिक संगठन प्रदर्शित करती है। इसकी अधिकांश जातियों के सभी सदस्य जीवन हेतु आवश्यक सभी कार्य पूर्ण नहीं करते बल्कि आपस में श्रम (कार्य) का बँटवारा कर विशेष कार्य ही पूर्ण करते हैं। इस कार्य को सम्पादित करने हेतु इसकी बनावट में भी अन्तर पाया जाता है। इनकी आकारिकी के आधार पर इन्हें चार जातियाँ (castes) में बाँटा जा सकता है। सामान्य भाषा में इन्हें जाति कहा जा सकता है परन्तु यह शब्द हम स्पीशीज (species) के लिए काम लेते रहे हैं तथा प्रभेद स्ट्रेन (Strain) हेतु उपयोग में लेते रहे हैं, अतः इन्हें ज्ञातियाँ नाम देना उचित प्रतीत होता है। ये ज्ञातियाँ दो समूहों में बाँटी जा सकती है।
(A) जनन क्षम ज्ञातियाँ (Fertile castes )
जननक्षम ज्ञातियाँ प्रजनन योग्य होती हैं। समाज में इनकी संख्या कम होती है परन्तु इनका महत्त्व बहुत होता है। समाज में नए सदस्य (सभी जातियों के) इन्हीं के द्वारा उत्पन्न होते हैं इनके निम्न प्रकार पाये जाते हैं।
- प्राथमिक प्रजनक ( Primary Reproductives)
प्राथमिक प्रजनक नर व मादा, क्रमश: राजा (king) व रानी ( queen) कहलाते हैं। इस जोड़े को राजसी जोड़ा (Royal couple) कहते हैं। नर व मादा एक बिल से चींटी जैसे छोटे स्वरूप में निकलते हैं। इनमें दो जोड़ी पारदर्शक पंख पाये जाते हैं जिनकी सहायता से ये उड़ सकते हैं। बड़े पंखों के कारण इन्हें दीर्घपंखी (macropterus ) रूप भी कहा जाता है। ये पंख सिर्फ कामद उडान (nupital flight) में ही काम आते हैं तथा इसके बाद झड़ जाते हैं। इनके सिर पर संयुक्त नेत्र भी पाए जाते हैं। प्रजनन के उपरान्त नर व मादा एक बस्ती बनाते हैं। मादा अण्डोत्पादन के लिए अनुकूलित हो जाती है। मादा का उदर उसके शेष शरीर से कई गुना बढ़ जाता है अत: यह गमन नहीं कर पाती हैं। उदर की इस स्थिति को शूनोदरता (physogastry) कहते हैं। यह एक राजसी कक्ष (royal chambers) में रह कर अण्डे देती है। नर निषेचन का कार्य करता है तथा श्रमिक इन्हें भोजन देते हैं।
- पूरक प्रजनन (Supplementary Reproductives)
दीमकों की कुछ जातियों में लघुपंखी (brachypterous) नर व मादा पाए जाते हैं। ये एक तरह से ऐसे अर्भक (nymph) माने जा सकते हैं जिनमें प्रजनन क्षमता पाई जाती है। ये लघुपंखी पूरक प्रजनक श्रमिक, सैनिक या अन्य पूरक प्रजनक उत्पन्न कर सकते हैं। परन्तु ऐसे प्रजनक स्वयं अपनी बस्ती नहीं बसा सकते हैं।
(B) बन्ध्य ज्ञातियाँ (Sterile castes)
जननक्षम जातियाँ गहरे रंगों की व पंख व संयुक्त नेत्र युक्त होती हैं। परन्तु दीमकों की बन्ध्य ज्ञातियों में जनन की क्षमता नहीं पाई जाती है। इनमें पंखों का अभाव होता है व अवशेषी संयुक्त नेत्र पाये जाते हैं, तथा ये रंगहीन होने के कारण पीली- सफेद दिखाई पड़ती है । बन्ध्य ज्ञातियाँ निम्न दो प्रकार की होती हैं।
- श्रमिक (Workers)
एक बस्ती की आबादी का अधिकांश भाग श्रमिक ही होते हैं। दीमक की अधिकांश जातियों के श्रमिकों में संयुक्त नेत्र नहीं पाए जाते हैं। श्रमिक बस्ती की सफाई करने, भोजन एकत्र कर बस्ती के अशक्त सदस्यों तक पहुँचाने, मार्ग बनाने आदि काम करते हैं। श्रमिकों में नर व मादा दोनों ही पाए जाते हैं तथा ये द्विगुणित (diploid) होते हैं। दीमकों की कुछ जातियों में श्रमिक पाए ही नहीं जाते हैं। इनमें श्रमिक का कार्य प्रजनकों की प्रारम्भिक अवस्थाओं द्वारा पूर्ण किया जाता है (उदाहरण, केलोटर्मेटिडी व टर्मोप्सिडी के सदस्य ) ।
- सैनिक (Soldiers)
दीमकों में एक या दो प्रकार के सैनिक भी मिलते हैं जिनका कार्य बस्ती की रक्षा करना होता है । सैनिक भी द्विगुणित (diploid) होते हैं तथा इनमें बन्ध्य नर-मादा पाए जाते हैं। सैनिक दो प्रकार के हो सकते हैं।
(i) चिबुकी सैनिक (Madibulate soldiers) : चिबुकी सैनिकों में सुविकसित मैन्डीबल पाए जाते हैं। ये सैनिक युद्ध का कार्य कर सकते हैं।
(ii) तुण्ड सैनिक (Nasute soldiers ) : इन सैनिकों में जबड़े छोटे व अवशेषी होते हैं परन्तु इन पर एक तुण्ड पाया जाता है।
‘सैनिक विभिन्न तरीकों से बस्ती की रक्षा करते हैं। अपने विशाल सिर से ये प्रवेश द्वारा बन्द कर सकते हैं। जबड़ों से शत्रु को काट सकते हैं। इसके अतिरिक्त अपनी ललाट ग्रंथि (frontal gland) से ये जहरीले, प्रतिकर्षी (repellent) अथवा चिपचिपे पदार्थ स्रावित कर ये आक्रान्त अथवा शत्रु को दूर रखते हैं। बस्ती में सैनिकों की संख्या एक से पन्द्रह तक हो सकती है।
इन चार प्रमुख ज्ञातियों या प्रकारों के अतिरिक्त एक बस्ती में अण्डे व शैशव अवस्थाएँ भी मिलती हैं। एक ही जाति का इस तरह विभिन्न रूपों में पाए जाना बहुरूपता (polymorphism) कहलाता है।
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