प्रकृति में वास्तविकता में कोई भी पिण्ड दृढ पिंड नहीं होता है लेकिन सामान्यतया ठोस पदार्थो को दृढ पिण्ड माना जाता है।
द्रव व गैसों का आकार व आकृति अनिश्चित होता है इसलिए इन्हें दृढ पिण्ड नहीं कहा जा सकता है।
उदाहरण : पहिया।
दृढ पिण्ड की मुख्य रूप से दो प्रकार की गतियाँ होती है।
(i) स्थानान्तरण या रेखीय गति।
(ii) घूर्णन गति।
(i) स्थानान्तरण या रेखीय गति : दृढ पिण्ड की होने वाली ऐसी गति जिसमे निकाय के प्रत्येक कण का वेग समान होता है , स्थानान्तरण गति कहलाती है।
उदाहरण : नत तल पर होने वाले किसी आयताकार गुटके की गति।
(ii) घूर्णन गति : किसी दृढ पिण्ड या निकाय की होने वाली ऐसी गति जिसमे प्रत्येक कण का वेग भिन्न भिन्न होता है , घूर्णन गति कहलाती है।
घूर्णन गति में प्रत्येक कण अपने घूर्णन अक्ष के चारों ओर गति करता है।
उदाहरण : नत तल पर बेलन की होने वाली गति (बिना फिसले हुए)
द्रव्यमान केन्द्र : द्रव्यमान केंद्र वह बिंदु है जहाँ पर निकाय के सम्पूर्ण द्रव्यमान को केन्द्रित माना जा सकता है , द्रव्यमान केंद्र कहलाता है।
माना किसी निकाय में दो कण है जिनके द्रव्यमान क्रमशः m1 व m2 है तथा मूल बिंदु से x1 व x2 दूरी पर स्थित है। अत: इनका द्रव्यमान केंद्र –
यदि निकाय में n कण उपस्थित हो तो –
यदि द्रव्यमानो केंद्र मूल बिंदु पर स्थित हो तो –
Rcm = 0
0 = m1x1 + m2x2 + m3x3 + m4x4 . . . . .mnxn
यदि द्रव्यमान केंद्र मूल बिंदु पर स्थित होता है तो द्रव्यमानों के आघूर्ण का सदिश योग शून्य होता है।
द्रव्यमान केंद्र की गति : माना किसी निकाय में n कण उपस्थित है जिनके द्रव्यमान m1 , m2 , m3 . . . . .. mn है तथा मूल बिन्दु के सापेक्ष स्थिति r1 , r2 , r3 . . . . . . rn है।
t के सापेक्ष अवकलन करने पर –
Vcm = [m1v1 + m2v2 + m3v3 + . . . . . mnvn]/M
द्रव्यमान केंद्र का त्वरण :
Vcm = [m1v1 + m2v2 + m3v3 + . . . . . mnvn]/M
acm = [m1a1 + m2a2 + m3a3 + . . . . . mnan]/M
. . . . .. + Pn
√x dM/ M
zcm
= √z dM/ M