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sterilization in hindi in biotechnology , निर्जर्मीकरण किसे कहते हैं , कैसे किया जाता है , प्रक्रिया
जाने sterilization in hindi in biotechnology , निर्जर्मीकरण किसे कहते हैं , कैसे किया जाता है , प्रक्रिया ?
निर्जर्मीकरण (Sterlization)
वह प्रक्रिया जिसके द्वारा कोई भी पदार्थ, उपकरण सतह (surface) अथवा माध्यम (medium) कीटाणुरहित किया जाता है निर्जमीकरण (sterlization) कहलाती है। इस प्रक्रिया में सभी सूक्ष्मजीवों को उनके बीजाणु (spore) सहित नष्ट किया जाता है। किसी भी प्रकार के सभी बीमारी पैदा करने वाले जीवों को नष्ट करना निर्जर्मीकरण (desinfection) कहलाता है।
निर्जमीकरण (sterlization) निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है-
(A) भौतिक एजेन्ट (Physical agents)
(1) सूर्य प्रकाश (Sun light)
(2) शुष्कीकरण (Drying)
(3) शुष्कताप (dry heat)
(4) गर्म हवा (Hot air)
(5) नम ताप, पाश्चरीकरण, सामान्य दाब पर पानी से उत्पन्न भाप द्वारा
(Boiling steam under normal pressure)
(6) निस्पंदन (Filtration) : एस्बेस्टस पैड, झिल्ल्यिाँ (membranes)
(7) रेडियोधर्मिता (Radiation)
(8) अल्ट्रासोनिक तथा सोनिक वाइब्रेशन (Ultrasonic and sonic vibrations)
(B) रसायन (Chemical)
(1) एल्कोहल (Alcohols) : इथाइल आइसोप्रोपाइल, ट्राइक्लोरोब्यूटेन
(2) एल्डिहाइड (Aldehyde) : फार्मेल्डिहाइड
(3) रंजित पदार्थ (Dyes)
(4) हेलोजन (Halogens)
(5) फीनोल (Phenols)
(6) सतह सक्रिय कारक (Surface active agents)
(7) मिटैलिक लवण (Metallic salts)
(8) गैस (Gases) : इथाइलीन ऑक्साइड (Ethylene oxide),
- सूर्य प्रकाश (Sunlight)
सूर्य का प्रकाश जीवाणुओं की वृद्धि रोकने में सहायक होता है और बैक्टीरियानाशक है। अतः प्राकृतिक परिस्थितियों में यह निर्जमीकरण (sterlization) करने में प्रमुख भूमिका निभाता है। इसमें पराबैंगनी किरणें व ओजोन प्रमुख हैं।
ऊष्णकटिबन्धीय राष्ट्रों (tropical countries) में पराबैंगनी किरणें व सीधी गर्म किरणें मिलकर रोगाणुनाश में सहायक होती हैं।
- शुष्कीकरण (Drying)
जीवाणुओं की वृद्धि के लिये नमी अत्यन्त आवश्यक कारक है अतः वायु में शुष्कीकरण द्वारा कुछ कीटाणु समाप्त हो जाते हैं परन्तु यह प्रभावकारी नहीं सिद्ध हुआ है क्योंकि बैक्टीरिया स्पोर (spores) शुष्कीकरण में नष्ट नहीं हो पाते हैं।
- ताप (Heat)
जीवाणु के निर्जर्मीकरण (sterlization) में ताप सबसे विश्वसनीय विधि है। ऐसे पदार्थ जो अधिक ताप पर नष्ट हो सकते हैं उन्हें निम्न ताप पर अधिक दिन तक रख कर सुरक्षित रखा जाता है। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित कारक प्रमुख हैं जो प्रभावित करते हैं-
(1) शुष्क अथवा नम ताप अर्थात् ताप की प्रकृति
(2) ताप जिस अवधि के लिए दिया गया हो
(3) जीवाणुओं की मात्रा
(4) जीवाणुओं की प्रकृति
(5) वह पदार्थ जो निर्जमीकृत (sterlize) किया जाना हो
तापमान निम्न प्रकार का दिया जा सकता है-
(i) गर्म हवा अवन (Hot air oven)
(ii) शुष्क ताप (Dry heat)
(iii) इन्सरनेशन (Incineration)
(i) गर्म हवा अवन (Hot Air Oven ) : कांच के उपकरण जैसे पैट्रीप्लेट्स, बीकर, फ्लास्क व औजार सामान्यतया अवन की शुष्क ऊष्मा द्वारा निर्जमीकृत किये जाते हैं। इसके लिए 100°C से 300°C तक के तापमान पर 1 घंटा रखने पर यह निर्जमीकृत हो जाते हैं। शुष्क ताप द्वारा जीवाणुओं का प्रोटीन नष्ट हो जाता है।
(ii) शुष्क ताप (Dry heat) : इस विधि में जीवाणु संरोपण ( innoculum) के दौरान प्रयोग किये जाने वाले सामान जैसे चिमटी, संरोपण सूचिका अथवा लूप (innoculation needle or loop) को निर्जमीकृत करने हेतु स्पिरिट में भिगो कर जलती अग्नि की लौ में लाल होने तक ( रक्ताभ) होने तक रखा जाता है। यह प्रक्रिया दो-तीन बार पुनः दोहराई जाती है। तत्पश्चात् इन औजारों को संरोपण के लिए प्रयोग करते हैं। संवर्धन नलिका (culture tube) का प्लग हटाते समय उसके मुंह को लौ के पास रखकर गर्म कर लिया जाता है जिससे संवर्धन कीटाणुरहित हो । खाली काँच अथवा टेफ्लॉन के पात्रों व औजारों के अवन में 160°C से 180°C तीन घंटे पर रख कर भी इन्हें निर्जमित किया जा सकता है। वर्तमान में ग्लास बीड स्टरलाइजर का भी उपयोग वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है। इसकी शुष्क ऊष्मा 300°C तक होती है ।
(iii) इन्सरनेशन (Incineration) : इस विधि द्वारा ड्रेसिंग, प्लास्टिक जैसे PVC. पॉलीथीन इत्यादि निर्जमीकृत किये जाते हैं।
(iv) ज्वाला निर्जमीकरण (Flame Sterilization) : बारम्बार उपयोग में आने वाले औजार यथा चिमटी, स्कैल्पल आदि को हर बार निर्जमीकृत करना आवश्यक होता है अतः इन्हें 95% एल्कोहल में डुबोकर जलाया जाता है जिससे यह पूर्णतया निर्जमीकृत हो जाता है। फ्लास्क, कल्चर, ट्यूब आदि के को भी ज्वाला द्वारा ही निर्जमित किया जाता है।
(v) ऑटोक्लेविंग (Autoclaving) : रिक्त अथवा पोष पदार्थों से भरे प्लग लगे कल्चर पात्रों को ऑटोक्लेव में 121°C तथा 15 पौण्ड प्रति वर्ग इंच (pound per square inch-psi = 1.06 kg/cm2) पर पंद्रह मिनट तक के लिये रखना ऑटोक्लेविंग कहलाता है। कुछ विशिष्ट प्लास्टिक पात्र व माइक्रोपिपेट आदि भी आसानी से ऑटोक्लेव किये जा सकते हैं। ऑटोक्लेव उपलब्ध नहीं होने पर बड़े प्रेशर कुकर में भी उपर्युक्त वस्तुओं को निर्जमिकृत किया जा सकता है। इसमें भी 15 मिनट तक का समय लगता है।
(vi) फिल्टर निर्जर्मीकरण (Filter Sterilization) : पादप कल्चर में जो पदार्थ उपयोग में लाये जाते हैं उनमें से कुछ ताप अस्थिर (heat labile) होते हैं अतः इनके लिये विशेष तौर पर फिल्टर तकनीक इस्तेमाल की जाती है। कुछ पदार्थ जैसे जिबरेलिन, जिऐटिन, एबसिसिक एसिड, कुछ विटामिन, विकर (enzyme) आदि ताप पर अस्थिर होते हैं अतः इनके लिए 0.45 अथवा इससे कम आमाप ( size) की झिल्ली फिल्टर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस्तेमाल करने से पहले यह जरूरी होता है कि इन उपकरणों युक्त फिल्टर को ऑटोक्लेव कर लिया जाए उसके पश्चात् ऑटोक्लेव किये हुए पोष पदार्थ में इसे मिला कर पादप कल्चर के लिए उपयोग किया जाता है।
(vii) लैमिनर फ्लो तकनीक (Laminar Flow Technique) : लैमिनर फ्लो में प्रयुक्त केबिनेट में 1.8 कि.मी. प्रति घंटे की गति से निर्जमित हवा का प्रवाह रहता है जिससे यह सदैव निर्जमित अवस्था में रहते हैं। हवा पहले से एक फिल्टर से प्रवाहित होती है जिससे हवा में उपस्थित कुछ बड़े कण फिल्टर हो जाते है तत्पश्चात् यह उच्च दक्षता वायु कण (high efficiency particulate Air-HEPA) फिल्टर से प्रवाहित होती है जिससे हवा में उपस्थित सभी कण जो 0.3 तक आमाप से अधिक बड़े होते हैं वह छन जाते हैं।
- नम ताप (Moist Heat)
(i) पाश्चराइजेशन (Pasteurization) : इस विधि में खाद्य पदार्थों को ऊष्म विधियों से निर्जमीकृत करने के बजाय नम ताप पर निम्न ऊष्मा द्वारा उनके कीटाणु नष्ट किये जाते हैं। इस विधि में 63°C तापमान पर आधा घंटा तक अथवा 72°C तापमान पर 20 मिनट तक रखकर एकदम से 13°C पर ठंडा कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया में बीजाणु रहित कीटाणु मायक्रोबेक्टीरिया, सालमोनेला, इत्यादि नष्ट हो जाते हैं।
- एल्कोहल द्वारा सतह निर्जमीकरण (Surface Sterilization Using Alcohol)
एल्कोहल द्वारा सतह को निर्जमित करने का तरीका का सर्वमान्य है ऐसी सतह जैसे प्रयोग करने वाले के हाथ, टेबिल, लैमिनर प्रवाह केबिनेट का प्लेटफार्म आदि जो किसी तरीके से निर्जमित नहीं हो पाते हैं 10% एल्कोहल से निर्जमित किया जाता है। इसके अलावा पादपों के कर्तोतक ( explant ) जिनका कल्चर किया जाना होता है उनका भी निर्जमीकरण 70% एल्कोहल द्वारा किया जाता है। एल्कोहल के अलावा कर्तोतकों का निर्जमीकरण निम्न रसायन जैसे कैल्सियम हाइपोक्लोराइट 9 से 10%, सोडियम हाइपोक्लोराइड 2%, मर्क्यूरिक क्लोराइड 0.1 से 1% ब्रोमीन का पानी 1 से 2% सिल्वर नाइट्रेट 1% हाइड्रोजन परऑक्साइड 10 से 12% का का भी उपयोग किया जाता है। उपरोक्त रसायनों से कर्तोतक को पंद्रह से तीन मिनट तक धोकर निर्जमित आसुत जल ( distilled water) से भली भांति धो लेते हैं जिससे सूक्ष्म जीव (microbes) पूर्ण रूप से नष्ट हो जाते हैं व कर्तोतक पूर्णतया रसायन से मुक्त हो भी हो जाते हैं।
- अंडाशय, परागकोष तथा बीज का सतह निर्जमीकरण (Surface Sterilization of Ovary, Anther and Seed)
अंडाशय, परागकोष में उपस्थित भ्रूण अथवा परागकण इतने सूक्ष्म होते हैं कि उनका अलग से निर्जमीकरण करना संभव नहीं होता है अतः अण्डाशय व परागकोष का सतह निर्जमीकरण करने के पश्चात् निर्जमीकृत स्थिति में भ्रूण व परागकण को अलग करके उनका कल्चर किया जाता है।
कुछ बीजों का आमाप बड़ा होता है अतः अगार उनका कल्चर करना हो तब उनकी सतह आसानी से निर्जमीकृत की जा सकती है। बीजों को निम्न चरणों में निर्जमीकृत किया जाता है-
(i) बीजों को सर्वप्रथम लैमिनर केबिनेट में रखते हैं फिर उन्हें 70% इथेनॉल से 30 सैकण्ड तक धोते हैं ।
(ii). 1 N HCI की कुछ बूंदों से अम्लीकृत करके 0.2% HgC12 के घोल से दर से पंद्रह मिनट तक बीजों को उपचारित करते हैं।
(iii) पुनः 70% इथेनॉल से धोते हैं व अंत में आसुत (distilled) जल से धो लेते हैं। इस पूर्ण प्रक्रिया से बीज पूर्ण रूप से निर्जमीकृत हो जाते हैं।
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