stereochemistry in hindi pdf notes for BSc स्टीरियोरसायन त्रिविम रसायन क्या है परिभाषा बताइए

स्टीरियोरसायन त्रिविम रसायन क्या है परिभाषा बताइए stereochemistry in hindi pdf notes for BSc ?

स्टीरियोरसायन (Stereochemistry) :- स्टीरियोरसायन में हम किसी केन्द्रीय परमाणु या आयन के चारों ओर अन्तराल (space) में परमाणु या समूहों की आपेक्षिक व्यवस्था के विषय में बताते हैं। इस प्रकार की व्यवस्था मुख्यतः समन्वय संख्या से निर्धारित होती है। यह पाया जाता है कि किसी विशेष समन्वय संख्या के लिए एक विशेष व्यवस्था को वरीयता प्राप्त होती है क्योंकि ऐसी व्यवस्था के लिए ही समूहों के मध्य प्रतिकर्षण न्यूनतम होता है। हम जानते हैं कि आकर्षण बल बढ़ाने के लिए एक केन्द्रीय आयन अपने चारों ओर यथासम्भव अधिक से अधिक समूहों को व्यवस्थित करना चाहेगा जब तक कि समूहों के बढ़ने से अस्थायित्व नहीं बढ़ पाये। इस प्रकार, एक बड़ा केन्द्रीय आयन उच्च समन्वय संख्या वाली संरचना बनायेगा। पूर्व में यह भी बताया जा चुका है कि संक्रमण वर्गों के द्वितीय तथा तृतीय सदस्य आकार में समान होते हैं तथा प्रथम सदस्य की तुलना में बड़े होते हैं। इसलिए वर्गों में भारी धातुओं के ये युग्म आपस में स्टीरियोरसायन तथा अन्य गुणों में अत्यधिक समानता दर्शाते हैं तथा अपने हल्के समवर्गीय तत्वों से असमानता प्रदर्शित करते हैं। सामान्य रूप से द्वितीय तथा तृतीय संक्रमण श्रृंखला के तत्वों की समन्वय संख्याएँ प्रथम श्रृंखला के सदस्यों की अपेक्षा अधिक होती हैं क्योंकि इनकी आयनिक त्रिज्याएँ अपनी हल्की प्रजातियों की तुलना में 0.15 से 0.20 A अधिक होती हैं। इस कारण से भारी तत्वों के लिए चुम्बकीय संयोजन बहुत कम पाया जाता है, यद्यपि यह [WO4 ±, [ReO4 ] तथा [OsO4 प्रजातियों के लिए देखने को मिलता है। समतलीय वर्गाकार उपसहसंयोजन Rh (I) Pd (II), Pr (II) तथा Au(III) जैसे / प्रजातियों के लिए देखने को मिलता है। अष्टफलकीय संरचना सामान्य रूप से पाई जाती है तथा 7, 8, 9, व 10, समन्वय संख्याएँ भी काफी पाई जाती है।

एक बहुत बड़ी संख्या में संक्रमण धातुओं के उपसहसंयोजन यौगिक ज्ञात हैं जिनमें इनकी समन्वय संख्या 6 होती है। 3d तत्वों के लिए अन्य अति सामान्य समन्वय संख्या 4 है, जबकि भारी तत्वों के लिए यह 7 या 8 होती है। आगामी विवेचन से यह स्पष्ट है कि प्रथम, संक्रमण श्रृंखला के सदस्यों में छः से अधिक लिगण्डों से बंधित होने की प्रवृत्ति नहीं पाई जाती है, जबकि दूसरी तथा तीसरी श्रृंखलाओं की धातुओं में ऐसी स्टीरियोरासायनिक व्यवस्थाएँ प्राप्त करने की बहुत कम प्रवृत्ति पाई जाती है जिनमें समन्वय सख्या 6 से कम हो। जब किसी संक्रमण श्रृंखला में दायीं ओर चलते हैं तो समन्वय संख्या पर आकार का प्रभाव स्पष्ट हो जाता है। हम जानते हैं कि परमाणु संख्या बढ़ने पर परमाणु तथा आयन आकार में सिकुड़ जाते हैं जिसके कारण श्रृंखला के बायें छोर पर सबसे बड़े आयन तथा दांये छोर पर लघुतम आयन स्थित होते हैं। यही कारण है कि श्रृंखला के आरम्भ के तत्व उच्चतर समन्वय संख्या तथा अन्त के सदस्य निम्नतर समन्वय संख्या ग्रहण करते हैं ।

वर्गवार स्टीरियोरसायन विवेचन नीचे दिया गया है जिससे उनके मध्य समानताएँ तथा विषमताएँ स्वयं ही स्पष्ट हो जाती है-

संक्रमण तत्वों IVB वर्ग- जिस सीमा तक टाइटेनियम या जिर्कोनियम का अध्ययन किया जा चुका है उस सीमा तक हैफनियम का अध्ययन नहीं किया गया है। तथापि, यह स्पष्ट है कि जिर्कोनियम तथा हैफनियम के आचरण में अत्यधिक समानता पाई जाती है। इन तत्वों के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण ऑक्सीकरण अवस्था इनकी वर्ग ऑक्सीकरण अवस्था अर्थात् + 4 है। भारी M (IV) आयन इतने बड़े हैं कि वे 8 या अधिक समन्वय संख्या प्राप्त कर सकते हैं। इतनी अधिक समन्वय संख्या सामान्य रूप के लिए नहीं पाई जती है। इस वर्ग में सबसे छोटे आयन Ti (IV) के लिए भी इंस समन्वय संख्या वाले यौगिक नहीं बनते हैं, लेकिन Zr तथा Hf के 8 समन्वय संख्या वाले स्थायी यौगिक ज्ञात है। छोटा टाइटेनियम 6 या कम समन्वय संख्या के यौगिक बनाता है जबकि शेष दोनों तत्वों के लिए 6 या अधिक समन्वय संख्या के उपसहसंयोजित यौगिक बनते हैं। d° विन्यास की गोलाकार सममिति होने के कारण इनकी बहुत सी स्टीरियोरसायन देखने को मिलती है जैसा कि सारणी 2.8 में बताया गया है।

उपर्युक्त सारणी से यह देखा जा सकता है कि पंचभुजीय द्विपिरेमिड तथा द्वादशफलकी (dodecahedral) स्टीरियोरासायनिक व्यवस्थाएँ क्रमशः समन्वय संख्या 7 व 8 से सम्बद्ध होती हैं । त्रिभुजीय द्विपिरॅमिड तथा वर्गाकार पिरॅमिड संरचनाएँ 5 समन्वय संख्या से सम्बद्ध होती है, जबकि 4- उपसहसंयोजित संकुल यौगिक चतुष्फलकीय होते हैं।

VB वर्ग- कई प्रकार से VB वर्ग के तत्व अपने पूर्ववर्ती IVB वर्ग के तत्वों से काफी मिलते हैं। इस वर्ग के तीनों तत्व V. Nb तथा Ta की रसायनों की तुलना करने पर हम पाते हैं कि यहाँ भी द्वितीय तथा तृतीय तत्वों के मध्य काफी समानता पाई जाती है। +4 ऑक्सीकरण अवस्था में ये धातु आयन IVB तत्व के चतुर्धनीय की तुलना में छोटे होते हैं जिसके कारण इनके लिए उच्चतम समन्वय 8 तक की पाती है (जबकि IVB तत्वों के लिए 12 होती है)। +5 अवस्था में केवल Nb तथा Ta ही इतने बड़े है कि ये 8 समन्वय संख्या प्रदर्शित कर सकते हैं। सारणी 2.9 में V. Nb तथा Ta की स्टीरियोरसायन दी गई है। सारणी 2.9 से स्पष्ट है कि छोटे वैनेडियम आयन में अपने चारों ओर कम परमाणुओं को व्यवस्थित करने की प्रवृत्ति होती है जबकि भारी धातु आयनों के चारों ओर इतना स्थान उपलब्ध होता है कि वे बहुत से स्थाई पंचभुजीय द्विपिरेमिड (सं. संख्या = 7) तथा द्वादशफलकी (स. सं. = 8 ) अणु बनाते हैं। निम्नतर समन्वय संख्या से सम्बद्ध स्टीरियोरसायन वैनेडियम के लिए पाई जाती है।

VIB वर्ग- पिछले वर्गो के लिए पाई जाने वाली जिन प्रवृत्तियों का वर्णन किया गया है वे प्रवृत्तियाँ इस वर्ग के लिए भी लागू होती है, अर्थात् बड़े Mo तथा W आयन उच्चतम समन्वय संख्या समेत बहुत प्रकार की स्टीरियोरसायन प्रदर्शित करते हैं। वैसे तो 12 तक उपसहसंयोजन संख्या प्राप्त की जा सकती है, लेकिन Cr के लिए 7 से ऊपर तथा Mo व W के लिए 9 समन्वय संख्या से अधिक के जो यौगिक बनाये गये हैं उनमें परऑक्सी लिगण्ड या n – CH, या no – Co Hg की प्रकार के बंधित ऐरोमैटिक वलय यन्त्र पाये जाते हैं। इनकी स्टीरियोरसायन सारणी 2.10 में दी गई है।

निम्नतर समन्वय संख्या क्रोमियम के लिए अधिक सामान्य हैं, जबकि Mo तथा W के लिए कुछ ही उदाहरण ज्ञात हैं। जैसा कि अन्य वर्गों के भारी तत्वों के लिए पाया जाता है इस वर्ग में भी बड़े आकार के Mo(VI) तथा W (VI) आयन उच्च समन्वय संख्या के बहुत से यौगिक बनाते हैं। विभिन्न समन्वय संख्याओं के साथ अन्तराल में परमाणुओं तथा समूहों की वही व्यवस्था पाई जाती है जिसका पूर्व में IV B तथा VB वर्गों के लिए विवेचन किया गया है, अर्थात् चार- उपसहसंयोजित यौगिक चतुष्फलकीय, 6 के लिए अष्टफलकीय, 7 के लिए पंचभुजीय द्विपिरॅमिड तथा 8 के लिए द्वादशफलकी व्यवस्थाएँ पाई जाती हैं। पाँच समन्वय संख्या के लिए त्रिभूजीय द्विपिरेमिड तथा वर्गाकार पिरॅमिड यौगिक बनाये जा चुके हैं। अति उच्च समन्वय संख्या वाले यौगिक उन लिगण्डों द्वारा स्थाई होते हैं जिनमें विस्थानीकृत – π इलेक्ट्रॉन होते हैं।

VIIB वर्ग- जैसी कि अपेक्षा की जाती है, इस वर्ग के दोनों भारी तत्व टैक्नीशियम तथा रीनियम एक-दूसरे से काफी समानता रखते हैं तथा Mn से भिन्नता । इन बड़े तत्वों के लिए 6 समन्वय संख्या काफी सामान्य है, लेकिन मैंगनीज यौगिकों के लिए चतुष्फलकीय संरचना सर्वाधिक सामान्य है। इनके अतिरिक्त यह बिन्दु भी विशेष रूप से ध्यान देने योग्य हैं कि Mn या TC की तुलना में Re में उच्च समन्वय के यौगिक बनाने की अत्यधिक प्रवृत्ति पाई जाती है। इन तत्वों की स्टीरियोरसायन नीचे सारणी 2.11 में दी गई हैं :

घटती आयनिक त्रिज्या का समन्वय संख्या पर प्रभाव उपर्युक्त सारणियों से स्वतः स्पष्ट हो जात है। क्योंकि प्रत्येक आवर्त में बायीं ओर चलने पर आयनो का आकार घटता है, उच्च समन्वय सख्य वाले यौगिक बनाने की प्रवृत्ति भी घटती जाती है | Fe, Ru तथा Os के लिए सर्वसामान्य व्यवस्था अष्टफलकीय है। उच्चतर ऑक्सीकरण अवस्था में Ru की अपेक्षा Os में 6 समन्वय संख्या प्राप्त करने की अधिक प्रवृत्ति होती है। इस प्रकार, RuO4 की तुलना में OsO4 अपने उपसहसंयोजन क्षेत्र को [OsO4(OH)2]2-जैसे यौगिक बनाने के लिए अधिक तेजी से विस्तारित करता है, तथा [RuO] या [RuOqJ2-के अनुरूप Os4-उपसहसंयोजित यौगिक नहीं बनाता है। कोबाल्ट तथा निकल वर्गों की ओर जब हम और आगे चलते हैं तो पाते हैं कि उच्चतर समन्वय संख्या के यौगिक बनाने की प्रवृत्ति और भी कम हो जाती है। इन समूहों के तत्वों के लिए 6 से अधिक समन्वय संख्या के यौगिक से देखने को मिलते हैं। इन तीनों स्तम्भों के सदस्य स्थाई ऑक्सोऋणायन का निर्माण नहीं करते हैं बहुत कठिनाई वास्तव में Ru तथा Ir पहले ऐसे संक्रमण तत्व हैं जिनके लिए अधिकतम समन्वय संख्या 6 पाई गई है तथा जो ऑक्सोऋणायन युक्त यौगिक नहीं बनाते हैं। इसका कारण सम्भवतः यह है कि स्थाई ऑक्सोऋणायन तभी बन सकता है जब ऑक्सीजन से धातु d कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों का स्थानान्तरण हो सके। लेकिन आठवें संक्रमण समूह के तत्वों में d-कक्षक लगभग पूर्ण रूप से भरे होते हैं जिससे 0 → Mπ-स्थानान्तरण सम्भव नहीं हो पाता है । द्विधनीय ऑक्सीकरण अवस्था से निकल के तथा रोचक समन्वय संख्या तथा स्टीरियोरसायन वाले यौगिक देखने को मिलते हैं । Pd तथा Pt में बहुत से वर्गाकार समतलीय ज्यामिति के यौगिक निर्माण की अधिक प्रवृत्ति पाई जाती है। + 4 ऑक्सीकरण अवस्था में Pt अष्टफलकीय उपसहसंयोजन यौगिक बनाता है।

IB वर्ग- इस स्तम्भ के लिए पुन: 6 से अधिक समन्वय संख्या के यौगिक दुर्लभ हैं, लेकिन एक संयोजकीय धातुएँ 2 समन्वय संख्या के यौगिकों का निर्माण अवश्य करती है जो संक्रमण श्रृंखलाओं के लिए असामान्य हैं।

प्रश्नावली (Exercises)

(A) अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

  1. तृतीय संक्रमण श्रेणी के तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास क्या होता है ?

What is the general electronic configuration of third transition elements. 2. [Z1F7] 3 की (NH4)3 [ZrF] में संरचना कैसी है ?

What is the structure of [ZrF7] 3– in (NH4)3 [ZrF7] ?

  1. Y तथा Os के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिये ।

Write electronic configuration of Y and Os.

  1. Zr तथा Hf की सहसंयोजक त्रिज्या का मान लगभग समान क्यों होता है?

Why are covalent radii of Zr and Hf more or less same.

  1. Mo तथा W का परमाणु आकार लगभग समन है जबकि ये एक ही वर्ग में है, समझाइये। Atomic size of Mo and W is almost same, through they belong to the same group, explain.
  2. मॉलिब्डेनम (परमाणु क्रमांक 42 ) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखो ।

Write electronic configuration of molybdenum (atomic number 42)

  1. द्वितीय संक्रमण श्रेणी का कौन सा तत्व पृथ्वी पर नहीं पाया जाता।’

Which of the second transitions series element is not found on the earth.

  1. परमाणु क्रमांक 41 व 43 वाले तत्वों के नाम लिखिये ।

Write names of element with atomic number 41 and 43.

  1. [TcO4] स्थायी है जबकि [MnO4] प्रबल ऑक्सीकारक; समझाइये ।

[TcO4] is stable whereas [MnO4] is strongly oxiding agent, explain.

 

(B) लघुत्तरात्मक प्रश्न ( Short Answer Type Questions)

  1. तृतीय संक्रमण श्रेणी के तत्वों का घनत्व उच्च होता है।

The elements of third transiction series have very high density. 2. Os का घनत्व Fe एवं Ru से अधिक क्यों होता है ?

Why density of Os is more than Fe and Ru.

रसायन

  1. द्वितीय व तृतीय संक्रमण श्रेणी के तत्वों के चुम्बकीय आघूणों की गणना केवल चक्रण सूत्र

नहीं की जा सकती है, क्यों ?

Magnetic moment of 2nd and 3rd transition series element can not be calculated by sp

only formula. Why ?

  1. द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी के संक्रमण धातुओं के परमाण्विक तथा आयनिक त्रिज्याओं के मान आहे

सारणी में किस प्रकार परिवर्तित होते हैं ?

How the values of atomic and ionic radii of second and third transition series met

vary in the peric lic table.

  1. द्वितीय एवं तृतीय श्रृंखला के संक्रमण तत्वों के त्रिविम रसायन को समझाइये।

Discuss the streochemistry of transition element II and III series.

  1. द्वितीय एवं तृतीय संक्रमण श्रेणी के तत्व अधिकांशतः निम्न चक्रण संकुल बनाते हैं, समझाइये II and III transition elements form mostly low spin complexes, Explain.

(C) दीर्घउत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

  1. II व III संक्रमण श्रेणी के तत्वों के चुम्बकीय गुणों की I संक्रमण श्रेणी के तत्वों से तुलना कीजिए Compare the magnetic property of II and III transition series elements with I transition series elements.
  2. प्रथम संक्रमण श्रेणी की तुलना में तुलना में द्वितीय तथा तृतीय संक्रमण श्रेणी के तत्वों की ऑक्सीकरण अवस्थाओं की व्याख्या कीजिए ।

Discuss the oxidation state of element of 2nd and 3rd transition series in comparision to the elements of 1st transition series.

  1. (a) द्वितीय तथा तृतीय संक्रमण श्रृंखला के तत्वों की स्टीरियो रसायन की विवेचना कीजिए तथा इनकी सवर्गीय हल्के तत्वों से तुलना कीजिए ।

Discuss the stereo chemistry of second and third transition series elements and compare them with their lighter congres.

(b) संक्रमण तत्वों के गुणों पर लैन्थेनाइड संकुचन के प्रभाव का विवेचन कीजिए।

Discuss the effect of Lanthanide contraction on the behaviour of transition elements 5. द्वितीय एवं तृतीय संक्रमण श्रेणी के तत्वों के संकुल बनाने की प्रवृत्ति पर एक निबन्ध लिखिए प्रत्येक हेतु दो उदाहरण दीजिए ।

Write a detailed note on ability of second and third transition series to form complexes giving examples for each sreies.

  1. द्वितीय तथा तृतीय संक्रमण श्रृंखला के लिए इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तथा ऑक्सीकरण अवस्था का विवेचन कीजिए तथा उनकी प्रथम संक्रमण श्रृंखला के साथ तुलना कीजिए ।

Discuss electronic configuration and oxidation states of second and third tranfition series and compare them with those of the first transition series.

  1. द्वितीय तथा तृतीय संक्रमण श्रृंखला के तत्वों की स्टीरियोरसायन का विवेचन कीजिए तथा इनकी अपने संवर्गीय हल्के तत्वों से तुलना करो ।

Discuss stereochemistry of second and third transition series elements and compare them with their lighter congeners.