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Categories: Physics

विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम किसे कहते हैं , विद्युत चुम्बकीय तरंगों का स्पेक्ट्रम , अवशोषण , उत्सर्जन spectrum of electromagnetic waves in hindi

spectrum of electromagnetic waves in hindi , विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम किसे कहते हैं , विद्युत चुम्बकीय तरंगों का स्पेक्ट्रम , अवशोषण , उत्सर्जन स्पेक्ट्रम :-

विद्युत चुम्बकीय तरंगों का स्पेक्ट्रम : जब विद्युत चुम्बकीय तरंगों को उनकी आवृति या तरंग दैर्ध्य के बढ़ते या घटते क्रम में व्यवस्थित कर दिया जाए तो इन विद्युत चुम्बकीय तरंगो के समूह को ही विद्युत चुम्बकीय तरंग का स्पेक्ट्रम कहते है।

विद्युत चुम्बकीय तरंगो का स्पेक्ट्रम मुख्यतः दो प्रकार का होता है –

1. अवशोषण स्पेक्ट्रम (absorption spectrum) : किसी पदार्थ द्वारा अवशोषित विद्युत चुम्बकीय तरंगो को उनकी आवृति या तरंग दैर्ध्य के बढ़ते या घटते क्रम में व्यवस्थित कर दिया जाए तो इसे विद्युत चुम्बकिय तरंगो का अवशोषण स्पेक्ट्रम कहते है।

विद्युत चुंबकीय तरंगो के अवशोषण स्पेक्ट्रम में पदार्थ के दीप्त पृष्ठ पर कुछ काली रेखाएँ दिखाई देती है। यह रेखायें उन विद्युत चुम्बकीय तरंगों की रेखाएं होती है जिनका इस पदार्थ द्वारा अवशोषण हुआ है।

2. उत्सर्जन स्पेक्ट्रम (emission spectrum) : किसी पदार्थ द्वारा उत्सर्जित विद्युत चुम्बकीय तरंगो को उनकी आवृत्ति या तरंग दैर्ध्य के बढ़ते या घटते क्रम में व्यवस्थित कर दिया जाए तो विद्युत चुम्बकीय तरंगो के इस समूह को उत्सर्जन स्पेक्ट्रम कहते है।

उत्सर्जन स्पेक्ट्रम में पदार्थ के अदिप्त पृष्ठ पर कुछ चमकीली रेखाएँ दिखाई देती है। यह रेखाएं उन विद्युत चुम्बकीय तरंगो की रेखाएं होती है जिनका इस पदार्थ द्वारा उत्सर्जन होता है।

किसी भी पदार्थ का अवशोषण स्पेक्ट्रम व उत्सर्जन स्पेक्ट्रम अद्वितीय होता है अर्थात किसी भी पदार्थ का अवशोषण स्पेक्ट्रम व उत्सर्जन स्पेक्ट्रम एक फिंगर प्रिंट की तरह कार्य करता है।

हाइड्रोजन परमाणु का रेखिल स्पेक्ट्रम एवं उसकी व्याख्या

सर्वप्रथम बामर नामक वैज्ञानिक ने बंद कांच की नली में न्यून दाब व न्यून ताप पर हाइड्रोजन गैस भरकर उसमे धारा प्रवाहित की तो बामर ने देखा की हाइड्रोजन परमाणु से अलग अलग आवृति व अलग अलग तरंग दैर्ध्य की विद्युत चुम्बकीय तरंगे उत्सर्जित होती है। उत्सर्जित विद्युत चुम्बकीय तरंगो को बामर ने क्रमशः Hα , Hβ , Hγ , Hζ ………. नाम रखा।
बामर ने देखा की हाइड्रोजन परमाणु से उत्सर्जित विद्युत चुम्बकीय तरंगो की तीव्रता व उनके मध्य की दूरी समय के साथ परिवर्तित होती है।
बामर ने हाइड्रोजन परमाणु से उत्सर्जित विद्युत चुम्बकीय तरंगों की तरंग दैर्ध्य ज्ञात करने के लिए अनुभव के आधार पर निम्न सूत्र दिया जो सैध्दांतिक नहीं था।
λ = (364.56 n2)/(n2-4) नैनो मीटर
रिडबर्ग नामक वैज्ञानिक ने हाइड्रोजन परमाणु से उत्सर्जित विद्युत चुम्बकीय तरंगो की तरंग दैर्ध्य ज्ञात करने के लिए अनुभव के आधार पर बामर के सूत्र का संशोधन सूत्र दिया जो सैधांतिक नहीं था।
  • बामर के अलावा भी हाइड्रोजन परमाणु से उत्सर्जित विद्युत चुम्बकीय तरंगो की अलग अलग वैज्ञानिको ने खोज की जिनकी विद्युत चुम्बकीय तरंगो के समूह की श्रेणियों को उनके सम्मान के आधार पर खोजकर्ता के नाम के अनुसार लाइमन श्रेणी , बामर श्रेणी , पाश्चन श्रेणी , ब्रेकेट श्रेणी व फुण्ड श्रेणी रखा गया।
  • लाइमन श्रेणी पैराबैंगनी क्षेत्र में , बामर श्रेणी दृश्य क्षेत्र में तथा शेष तीनो श्रेणियों अवरक्त क्षेत्र में पायी गयी , इस प्रकार हाइड्रोजन परमाणु के रेखिल स्पेक्ट्रम की व्याख्या की।

बोर द्वारा H-परमाणु के रेखिल स्पेक्ट्रम की व्याख्या

बोर के अनुसार जब किसी हाइड्रोजन परमाणु को निम्न ताप पर ऊर्जा दी जाती है तो हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन निम्न कक्षा से उच्च कक्षा में संक्रमण नहीं करता है जिसके कारण वह किसी प्रकार की विद्युत चुम्बकीय तरंग का न तो अवशोषण करता है और न ही उत्सर्जन करता है परन्तु जब हाइड्रोजन परमाणु के इलेक्ट्रॉन को कक्षीय ताप से अधिक ताप पर या विद्युत क्षेत्र द्वारा ऊर्जा दी जाती है तो परमाणु का इलेक्ट्रॉन निम्न ऊर्जा स्तर से उच्च ऊर्जा स्तर में स्थानांतरित हो जाता है।
परन्तु 10-8 सेकंड पश्चात् इलेक्ट्रॉन वापस अपनी मूल अवस्था में लौटता है उस दौरान विद्युत चुम्बकीय तरंगो का उत्सर्जन करता है। उत्सर्जित विद्युत चुम्बकीय तरंग की ऊर्जा संक्रमित कक्षाओ की उर्जाओं के अंतर के बराबर होती है अर्थात बोर की तृतीय परिकल्पना से –
ΔE = En2 – En1
hv = En2 – En1 समीकरण-1
hv = फोटोन की ऊर्जा
n1 वीं कक्षा में इलेक्ट्रोन की ऊर्जा –
En1 = -(Z2/n12)(me4/8h2E02)  समीकरण-2
n2 वीं कक्षा में इलेक्ट्रोन की ऊर्जा –
En2 = -(Z2/n22)(me4/8h2E02)  समीकरण-3
समीकरण-2 व समीकरण-3 का मान समीकरण-1 में रख कर हल करने पर –
1/ λ = Z2R(1/n12 – 1/n22)
यहाँ R = me4/8h3E02C = 1.097 x 107 मीटर-1 रिडबर्ग नियतांक है .
हाइड्रोजन परमाणु के लिए Z = 1 होगा इसलिए
1/ λ = R(1/n12 – 1/n22)
1. लाइमन श्रेणी : जब हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रोन उच्च ऊर्जा स्तर की कक्षाओं से पहली कक्षा में संक्रमण करता है तो प्राप्त विद्युत चुम्बकीय तरंगो की इस श्रेणी को लाइमन श्रेणी कहते है।
1/ λ = R(1/12 – 1/n2)
n1 = 1
n2 = n = 2 , 3 , . . . . ..  . ∞
लाइमन श्रेणी पैराबैंगनी क्षेत्र में पाई जाती है।
2. बामर श्रेणी : जब हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रोन उच्च ऊर्जा स्तर की कक्षाओ से दूसरी कक्षा में संक्रमण करता है तो प्राप्त विद्युत चुम्बकीय तरंगो की श्रेणी को बामर श्रेणी कहते है।
1/ λ = R(1/22 – 1/n2)
n1 = 2
n2 = n = 3 , 4 , 5 , . . . . ..  . ∞
बामर श्रेणी दृश्य क्षेत्र में पाई जाती है।
3. पाश्चन श्रेणी : जब हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तर की कक्षाओं से तीसरी कक्षा में संक्रमण करता है तो प्राप्त विद्युत चुम्बकीय तरंगो की श्रेणी को पाश्चन श्रेणी कहते है।
1/ λ = R(1/32 – 1/n2)
n1 = 3
n2 = n = 4 , 5 , 6 . . . . ..  . ∞
पाश्चन श्रेणी अवरक्त क्षेत्र में पायी जाती है।
4. ब्रेकेट श्रेणी : जब हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तर की कक्षाओं से चौथी कक्षाओं में संक्रमण करता है तो प्राप्त विद्युत चुम्बकीय तरंगो की श्रेणी को ब्रेकेट श्रेणी कहते है।
1/ λ = R(1/42 – 1/n2)
n1 = 4
n2 = n = 5 , 6 , 7  . . . . ..  . ∞
ब्रेकेट श्रेणी अवरक्त क्षेत्र में पाई जाती है।
5. फुण्ड श्रेणी : जब हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तर की कक्षाओं से पाँचवी कक्षा में संक्रमण करता है तो प्राप्त विद्युत चुम्बकीय तरंगो की श्रेणी को फुण्ड श्रेणी कहते है।
1/ λ = R(1/52 – 1/n2)
n1 = 5
n2 = n = 6 , 7 , 8   . . . . ..  . ∞
फुण्ड श्रेणी अवरक्त क्षेत्र में पाई जाती है।
बामर श्रेणी का कुछ भाग पैराबैंगनी क्षेत्र में अतिव्यापित होता है इसलिए बामर श्रेणी एक ऐसी श्रेणी है जो दृश्य क्षेत्र व पैराबैंगनी क्षेत्र दोनों में पाई जाती है।
हाइड्रोजन परमाणु के उत्सर्जन स्पेक्ट्रम में पाँचो श्रेणियां विद्यमान होती है परन्तु हाइड्रोजन परमाणु के अवशोषण स्पेक्ट्रम में केवल लाइमन श्रेणी विद्यमान होती है क्योंकि हाइड्रोजन परमाणु में केवल एक ही इलेक्ट्रॉन होता है जो इसकी पहली कक्षा में विद्यमान रहता है। जब हाइड्रोजन परमाणु को ऊर्जा दी जाती है तो इसका इलेक्ट्रॉन पहली कक्षा से उच्च कक्षा में संक्रमण करता है। इसलिए इसके अवशोषण स्पेक्ट्रम में केवल लाइमन श्रेणी पायी जाती है।
सूर्य के अत्यधिक ताप के कारण हाइड्रोजन परमाणु उत्तेजित अवस्था में रहता है। [सूर्य पर] जिसके कारण उसका इलेक्ट्रोन कभी कभी पहली व कभी कभी दूसरी कक्षा में उपस्थित रहता है जिसके कारण उसके अवशोषण स्पेक्ट्रम में लाइमन श्रेणी व बामर श्रेणी दोनों विद्यमान रहती है।

बोर मॉडल की कमियाँ

1. बोर केवल उनकी परमाणु का परमाणु मॉडल प्रस्तुत करता है जिनमे केवल एक इलेक्ट्रोन विद्यमान हो अर्थात दो या दो से अधिक इलेक्ट्रोन वाले परमाणु का परमाणु मॉडल प्रस्तुत करने में बोर असफल रहा।
2. बोर की द्वितीय परिकल्पना के अनुसार कक्षाओं के क्वांटिकरण का स्पष्टीकरण देने में भी बोर असफल रहा।
3. बोर के अनुसार परमाणु में नाभिक स्थिर रहता है। यह तभी संभव है जब नाभिक का द्रव्यमान अनंत हो।
4. बोर के अनुसार परमाणु में कक्षाएँ वृत्ताकार होती है जबकि वास्तविक में परमाणु की कक्षाएं दीर्घ वृत्ताकार होती है।
5. बोर हाइड्रोजन परमाणु के रेखिल स्पेक्ट्रम की तीव्रता को समझाने में असफल रहा।
6. H-परमाणु के रेखिल स्पेक्ट्रम का विद्युत क्षेत्र में विपाटन स्टार्क प्रभाव व चुम्बकीय क्षेत्र में विपाटन जिमोम प्रभाव को समझाने में बोर असफल रहा।
Sbistudy

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