हिंदी माध्यम नोट्स
विशिष्ट चालकता specific conductance in hindi क्या होती है ? विशिष्ट चालकता किसे कहते है , मात्रक , विमा
(specific conductance in hindi) विशिष्ट चालकता किसे कहते है , मात्रक , विमा , विमीय सूत्र क्या होता है ?
चालकता और विशिष्ट चालकता (conductance and specific conductance) :
चालकता : प्रतिरोध के व्युत्क्रम को ही चालक की चालकता कहते है। इसे G से व्यक्त करते है। अत: R प्रतिरोध वाले चालक की चालकता –
G = 1/R . . . . . .. . . समीकरण-1
चालकता का SI मात्रक प्रति ओम (Ω-1) है जिसे म्हो (mho) भी कहते है। SI पद्धति में चालकता का एक अन्य मात्रक साइमन भी है जिसे S से व्यक्त करते है।
विशिष्ट चालकता : किसी पदार्थ के विशिष्ट प्रतिरोध के व्युत्क्रम को विशिष्ट चालकता कहते है। इसे σ से व्यक्त करते है।
चूँकि σ = 1/ρ . . . . . .. . . समीकरण-2
ओम के नियम के सदिश रूप में ,
J = σE . . . . . .. . . समीकरण-3
चूँकि σ = J/E = i/AE . . . . . .. . . समीकरण-4
तथा Vd = i/Ane
i = Vd Ane
चूँकि
Vd = μE जहाँ μ गतिशीलता है |
अत: i = μE.Ane
समीकरण-4 से
σ = μE.Ane/AE
या
σ = μne
मात्रक : चूँकि σ = 1/ρ
अत: σ का मात्रक = 1/Ω.m
Ω-1m-1 = mho.m-1
विशिष्ट प्रतिरोध पर ताप का प्रभाव (effect of temperature on specific resistance)
ताप के साथ धात्विक चालक , मिश्र धातु और अर्द्धचालक की प्रतिरोधकता में परिवर्तन समान नहीं होता है , बल्कि अलग अलग होता है।
(A) धात्विक चालक की प्रतिरोधकता पर ताप का प्रभाव : विशिष्ट प्रतिरोध निम्न सूत्र से दिया जाता है –
ρ = m/ne2τ . . . . . .. . . समीकरण-1
जहाँ m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान
n = एकांक आयतन में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या
e = इलेक्ट्रॉन का आवेश
τ = श्रांतिकाल
सूत्र-1 में m और e पर ताप वृद्धि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है तथा यदि ताप वृद्धि बहुत अधिक नहीं है तो n भी अप्रभावित रहेगा। अब हमें श्रांतिकाल τ पर ताप के प्रभाव का अध्ययन करना है।
चूँकि श्रान्तिकाल τ = λ/vr
जहाँ λ माध्य मुक्त पथ और vr अनियमित गति में इलेक्ट्रॉन की वर्ग माध्य मूल चाल है।
ताप बढाने पर चालक के अणुओं की दोलन ऊर्जा बढती है , अत: उनके दोलन का आयाम बढ़ जाता है। फलस्वरूप माध्य मुक्त पथ λ का मान कम हो जाता है।
दूसरे ताप बढाने पर इलेक्ट्रॉनों की वर्ग माध्य मूल चाल का मान भी बढ़ जाता है। इस प्रकार λ का मान कम होने तथा vr का मान बढने से श्रान्तिकाल τ का मान कम हो जाता है। अत: समीकरण-1 से स्पष्ट है कि τ का मान कम होने से ρ का मान बढ़ जायेगा।
इस प्रकार ताप बढाने से विशिष्ट प्रतिरोध अर्थात प्रतिरोधकता बढ़ जाती है। धात्विक चालक की प्रतिरोधकता का परिवर्तन आगे दिए गए चित्र में प्रदर्शित है। ताप के साथ प्रतिरोधकता का परिवर्तन आगे सूत्र से मिलता है –
ρt = ρ0(1 + αt) . . . . . .. . . समीकरण-2
यहाँ ρt = t डिग्री सेल्सियस पर विशिष्ट प्रतिरोध ; ρ0 = शून्य डिग्री सेल्सियस पर विशिष्ट प्रतिरोध
α = प्रतिरोध ताप गुणांक
नोट : वह घटना , जिसमें किसी पदार्थ को क्रांतिक ताप तक ठंडा करने पर वह प्रतिरोध के सभी चिन्हों को खो देता है अर्थात उसका प्रतिरोध शून्य हो जाता है , अतिचालकता (Superconductivity) कहलाती है।
वे पदार्थ जो अतिचालकता प्रदर्शित करते है , अतिचालक (superconductor) कहलाते है।
जब किसी चालक का ताप कम किया जाता है तो उसका प्रतिरोध घटता है अर्थात यह अच्छा चालक बन जाता है।
अतिचालकता अनेक धातुओं और मिश्र धातुओं द्वारा प्रदर्शित की जाती है। अतिचालकता का कारण यह है कि अतिचालक में इलेक्ट्रॉन आपस में कला सम्बद्ध होते है। धन आयनों के दोलन , जो धातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉनों को विक्षेपित कर सकते है , अतिचालक में कला सम्बद्ध मुक्त इलेक्ट्रॉनों को विक्षेपित करने में असमर्थ होते है।
उपयोग–
- अतिचालकों का प्रयोग सुपर कंप्यूटर बनाने में किया जाता है।
- अतिचालक केबिल के उपयोग से बिना ऊर्जा क्षय के विद्युत ऊर्जा का स्थानान्तरण किया जा सकता है।
- बिना विद्युत शक्ति के व्यय के अतिचालक उच्च चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न कराने में सहायक हो सकते है।
(B) मिश्रधातु की प्रतिरोधकता पर ताप का प्रभाव (effect of temperature on resistivity of an alloy)
मिश्र धातु जैसे नाइक्रोम के लिए प्रतिरोधकता काफी अधिक होती है तथा ताप पर इसकी निर्भरता बहुत क्षीण होती है। उदाहरण के लिए , मैंगनीन जो ताम्बे , निकल , लोहे और मैग्नीन की मिश्रधातु होती है ; का प्रतिरोध शुद्ध तांबे के प्रतिरोध का 30 से 40 गुना होता है। परन्तु इसका प्रतिरोध ताप गुणांक बहुत कम (0.00001 डिग्री C-1) होता है। इसी कारण यह प्रामाणिक प्रतिरोध कुंडली बनाने के लिए आदर्श पदार्थ है। चित्र में मिश्रधातु के लिए ताप के साथ प्रतिरोधकता का परिवर्तन प्रदर्शित है।
(C) अर्द्धचालक और अचालक की प्रतिरोधकता की ताप पर निर्भरता (temperature dependence of resistivity of a semiconductor and insulator)
अर्द्धचालक और अचालक की प्रतिरोधकता का ताप के साथ परिवर्तन , धात्विक चालकों की प्रतिरोधकता के ताप के साथ परिवर्तन से भिन्न होता है। चालक के लिए ताप के साथ प्रतिरोधकता का परिवर्तन रैखिक होता है। अर्द्धचालक अथवा अचालक की प्रतिरोधकता का ताप के साथ परिवर्तन चरघातांकी वक्र द्वारा प्रदर्शित होता है।
अर्द्धचालक अथवा अचालक की प्रतिरोधकता का ताप के साथ निम्नलिखित सम्बन्ध होता है –
ρt = ρ0 eEg/kT . . . . . .. . . समीकरण-1
ρt = t0 C पर प्रतिरोधकता
ρ0 = शून्य डिग्री सेल्सियस पर प्रतिरोधकता
Eg = ऊर्जा अंतराल
K = वोल्ट्जमैन नियतांक
T = (273 + t) K , ताप केल्विन स्केल में।
नोट :
थर्मिस्टर – थर्मिस्टर एक ऐसा ऊष्मा सुग्राही प्रतिरोधकता होता है जो सामान्यतया अर्द्धचालक पदार्थ से बनाया जाता है तथा ताप परिवर्तन से इसके प्रतिरोध में अच्छा परिवर्तन हो जाता है।
थर्मिस्टर अर्द्धचालकों के ऑक्साइडो से बनाये जाते है। थर्मिस्टर की संरचना के आधार पर इनका प्रतिरोध परिवर्तन 0.1Ω से 107 Ω तक हो सकता है।
थर्मिस्टर साधारण प्रतिरोधक से निम्नलिखित प्रकार भिन्न होता है –
- थर्मिस्टर का प्रतिरोध ताप परिवर्तन के साथ तेजी से बदलता है।
- थर्मिस्टर का प्रतिरोध ताप गुणांक बहुत उच्च होता है।
- थर्मिस्टर का प्रतिरोध ताप गुणांक धनात्मक और ऋणात्मक दोनों हो सकता है।
उपयोग :
- ताप के साथ तीव्र प्रतिरोध परिवर्तन के कारण इनका उपयोग छोटे ताप परिवर्तन के संकुचन और निम्न ताप (10K) के मापन के लिए किया जाता है।
- इनका उपयोग ताप नियंत्रण इकाइयों और मोटर बाइंडिंग जेनरेटर और ट्रांसफोर्मर के संरक्षण के लिए किया जाता है।
- इनका उपयोग धारा परिवर्तन के कारण TV सेट के हीटर की सुरक्षा के लिए किया जाता है।
- इनका उपयोग वोल्टता नियंत्रण , ताप नियंत्रण और रिमोट सूक्ष्मग्रहण में किया जाता है।
(D) प्रतिरोध पर ताप का प्रभाव (effect of temperature on resistance) : हम जानते है कि किसी चालक का विद्युत प्रतिरोध R = ρl/A
यदि ताप वृद्धि बहुत अधिक नहीं है तो l और A पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा। अत:
R ∝ ρ
अत: ताप बढाने पर विशिष्ट प्रतिरोध बढ़ता है अत: ताप बढाने पर प्रतिरोध भी बढेगा।
अत: Rt/R0 = ρt/ρ0
यहाँ Rt = t डिग्री सेल्सियस पर प्रतिरोध और R0 = 0 डिग्री सेल्सियस पर प्रतिरोध
ρ0(1+αt)/ρ0
अथवा
Rt/R0 = (1+αt)
या
Rt = R0(1+αt)
यहाँ α , प्रतिरोध ताप गुणांक है तथा उक्त समीकरण से इसका मान
α = (Rt + R0)/ R0.t
यदि t10C पर प्रतिरोध R1 और t20C का प्रतिरोध R2 हो तो
R1 = R0(1+αt1)
R2 = R0(1+αt2)
अत: R1/ R2 = 1+ αt1/1+αt2
अत: α = (R2-R1)/(R1t2-R2t1)
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1 : एक तार का प्रतिरोध 22°C पर 7.5 ohm और 175°C पर 15.7 ओम है , पदार्थ के प्रतिरोध ताप गुणांक का मान ज्ञात कीजिये ?
उत्तर : प्रतिरोध ताप गुणांक = α = (R2-R1)/(R1t2-R2t1)
मान रखकर हल करने पर –
प्रतिरोध ताप गुणांक = α = 8.47 x 10-3 ohm-1
प्रश्न 2 : प्लेटिनम प्रतिरोध तापमापी के प्लेटिनम के तार का प्रतिरोध हिमांक पर 5Ω और भाप बिंदु पर 5.23Ω है। जब तापमापी को किसी तप्त ऊष्मक में प्रविष्ट कराया जाता है तो प्लैटिनम के तार का प्रतिरोध 5.795Ω हो जाता है। ऊष्मक का ताप परिकलित कीजिये।
उत्तर : सूत्र t = (Rt-R0)/(R100-R0)x100
मान रखकर हल करने पर –
t = 345.65 °C
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…