स्रोत अनुगामी fet प्रवर्धक क्या है SOURCE FOLLOWÉR FET AMPLIFIER in hindi परिभाषा किसे कहते हैं ?
स्रोत अनुगामी FET प्रवर्धक (SOURCE FOLLOWÉR FETAMPLIFIER)
स्रोत अनुग्रामी JFET प्रवर्धक परिपथ BJT के उत्सर्जक अनुगामी (emitter follower) की भांति होता है। इसका निवेश प्रतिबाधा अत्यधिक तथा निर्गम प्रतिबाधा कम होने के कारण इस प्रवर्धक को उच्च आन्तरिक प्रतिबाधा के तथा कम प्रतिबाधा लोड के सुमेलन (matching ) के लिए प्रयुक्त करते हैं। इसमें निर्गत वोल्टता लगभग निविष्ट वोल्टता की अनुगामी होती है।
स्रोत अनुगामी का परिपथ व इसका सरलीकृत अन्तराचालकता प्रारूपी तुल्य परिपथ चित्र (7.3-1) व चित्र (7.3-2) में प्रदर्शित है। इस परिपथ में लोड (load) R स्रोत (source) तथा भूसंपर्कित (ground) के मध्य लगा होता है।
FET एक धारा जनित्र की तरह कार्य करता है जिसमें धारा gmVGs है तथा आन्तरिक प्रतिरोध है । स्रोत अनुगामी FET प्रवर्धक के तुल्य परिपथ को चित्र (7.3-3) द्वारा भी प्रदर्शित कर सकते हैं।
निर्गम प्रतिबाधा ज्ञात करने के लिए Vi = 0 लें तो परिपथ चित्र निम्न प्रकार का होगा।
………………..(5)
इस प्रकार स्रोत अनुगामी प्रवर्धक एकांक वोल्टता लाभ वाले प्रवर्धक की भांति कार्य करता है। इसका निवेश प्रतिबाधा बहुत अधिक व निर्गम प्रतिबाधा कम होता है।
FET परिवर्ती वोल्टता नियंत्रित प्रतिरोध के रूप में (FET AS VOLTAGE CONTROLLED RESISTOR) FET को वोल्टंता 1नयंत्रित प्रतिरोध के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है जहां इसमें निर्गम (drain) तथा स्रोत (source) के मध्य FET के प्रतिरोध को द्वार स्रोत (gate-source) वोल्टता द्वारा नियंत्रित करते हैं।
JFET के निर्गम अभिलाक्षणिक वक्र चित्र (7.4-1) पर विचार करते हैं जहाँ JFET का संकुचन वोल्टता (pinch) off voltage) Vp है।
अभिलाक्षणिक वक्र क्षेत्र के दो स्पष्टतः क्षेत्र होते हैं।
(i) संतृप्त क्षेत्र (saturation region) – जिसमें निर्गम धारा (drain current) लगभग स्थिर अर्थात् निर्गम-स्रोत (drain-source) वोल्टता Vds पर निर्भर नहीं करती है।
(ii) प्रतिरोधक या रेखीय क्षेत्र (Ohmic or linear region)- जिसमें निर्गम धारा निर्गम स्रोत वोल्टता VDs पर निर्भर करती है। यह क्षेत्र VDs के कम मानों के लिए होता है।
वक्र जो दोनों क्षेत्रों को पृथक् करता है, का समीकरण
समीकरण (2) में VDs/2 पर होने के कारण चैनल प्रतिरोध rDS निर्गम स्रोत वोल्टता VDs पर निर्भर करेगा अर्थात् rDs रैखिक न होकर अरैखिक होगा। इस अरैखिकता को दूर करने के लिये निम्न विधि द्वारा 0.5 VDs वोल्टता VGs वोल्टता में जोड़ते हैं। इसे निम्न परिपथ द्वारा प्राप्त करते हैं।