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Categories: 10th science
साबुन तथा अपमार्जक , साबुन की क्रियाविधि , मिसेल का निर्माण , अपमार्जक और साबुन में अंतर
साबुन तथा अपमार्जक
साबुन कार्बोक्सिलिक अम्ल की लम्बी श्रृंखला वाले सोडियम या पोटैशियम
लवण ( C17H35COOK) होते हैं। साबुनीकरण की क्रिया में वनस्पति तेल या वसा एवं
कास्टिक सोडा के जलीय घोल को गर्म करके रासायनिक
अभिक्रिया के द्वारा साबुन का निर्माण होता है। साधारण तापमान पर साबुन ठोस एवं अवाष्पशील
पदार्थ है। यह साबुन जल में घुलकर झाग
उत्पन्न करता है। इसका जलीय विलयन लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता है
लवण ( C17H35COOK) होते हैं। साबुनीकरण की क्रिया में वनस्पति तेल या वसा एवं
कास्टिक सोडा के जलीय घोल को गर्म करके रासायनिक
अभिक्रिया के द्वारा साबुन का निर्माण होता है। साधारण तापमान पर साबुन ठोस एवं अवाष्पशील
पदार्थ है। यह साबुन जल में घुलकर झाग
उत्पन्न करता है। इसका जलीय विलयन लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता है
साबुन की क्रियाविधि को समझने
के लिए हम एक क्रियाकलाप करंगे
के लिए हम एक क्रियाकलाप करंगे
1.सबसे पहले हम दो परखनली
लेंगे जिसमे पानी मिला हुआ होगा दोनों परखनली में एक-एक बूँद तेल की डालेंगे तथा उन्हें A एवं B नाम दीजिए।
लेंगे जिसमे पानी मिला हुआ होगा दोनों परखनली में एक-एक बूँद तेल की डालेंगे तथा उन्हें A एवं B नाम दीजिए।
2.परखनली B में साबुन के घोल की कुछ बूँदें डालेंगे ।
3.दोनों परखनलियों को समान समय तक जोर-जोर से हिलाइए। हिलाने के बाद दोनों
परखनलियों में आप तेल एवं जल की परतों को अलग-अलग देख सकते है
परखनलियों में आप तेल एवं जल की परतों को अलग-अलग देख सकते है
4. कुछ देर तक दोनों परखनलियों को स्थिर रखने पर आप तेल की परत को परक्नाली B अलग होते देख सकते हो इस क्रियाकलाप से साबुन का सफाई में प्रभाव का पता चलता है।
जब किसी कपडे पर साबुन लगाया जाता है तो उस पर जो अधिकांश मैल होता है वह तैलीय होता हैं और तेल पानी में अघुलनशील है। साबुन के अणु
लंबी शंृखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम एवं पोटैशियम लवण होते हैं।
साबुन का आयनिक भाग (Na,K) जल से जबकि कार्बन शृंखला (C17H35) तेल से पारस्परिक
क्रिया करती है। इस प्रकार से साबुन एक मिसेल का निर्माण करते है जहाँ पर अणु का
एक सिरा तेल कण की ओर तथा आयनिक सिरा बाहर की ओर होता है। इससे पानी में इमल्शन का
निर्माण होता है। साबुन का मिसेल मैल को पानी से बाहर निकलने में मदद करता है और
कपड़े साफ़ हो जाते है।
लंबी शंृखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम एवं पोटैशियम लवण होते हैं।
साबुन का आयनिक भाग (Na,K) जल से जबकि कार्बन शृंखला (C17H35) तेल से पारस्परिक
क्रिया करती है। इस प्रकार से साबुन एक मिसेल का निर्माण करते है जहाँ पर अणु का
एक सिरा तेल कण की ओर तथा आयनिक सिरा बाहर की ओर होता है। इससे पानी में इमल्शन का
निर्माण होता है। साबुन का मिसेल मैल को पानी से बाहर निकलने में मदद करता है और
कपड़े साफ़ हो जाते है।
मिसेल का निर्माण
साबुन के अणु दो सिरे से मिलकर होता है और दोनों सिरों के विभिन्न गुणधर्म
हाते है
हाते है
साबुन का एक सिरा जल में विलेय होता है जिसे जलरागी कहते हैं और दूसरा
सिरा हाइड्रोकार्बन में विलेय होता है जिसे जलविरागी कहते हैं।
सिरा हाइड्रोकार्बन में विलेय होता है जिसे जलविरागी कहते हैं।
जब साबुन जल की सतह पर होता है तब साबुन के अणु अपने को इस प्रकार
व्यवस्थित कर लेते हैं कि इसका आयनिक सिरा (जलरागी) जल के अदंर होता है जबकि हाइड्रोकार्बन पुंछ (जलविरागी) जल के बाहर
होता है। जल के अंदर इन साबुन के अणुओं की
एक विशेष व्यवस्था होती है जिसके कारण इसका हाइड्रोकार्बन सिरा(जलविरागी) जल के
बाहर बना होता है। इस तरह अणुऔ का एक बड़ा गुच्छा बन जाता है जिसमे आयनिक सिरा
गुच्छे की
व्यवस्थित कर लेते हैं कि इसका आयनिक सिरा (जलरागी) जल के अदंर होता है जबकि हाइड्रोकार्बन पुंछ (जलविरागी) जल के बाहर
होता है। जल के अंदर इन साबुन के अणुओं की
एक विशेष व्यवस्था होती है जिसके कारण इसका हाइड्रोकार्बन सिरा(जलविरागी) जल के
बाहर बना होता है। इस तरह अणुऔ का एक बड़ा गुच्छा बन जाता है जिसमे आयनिक सिरा
गुच्छे की
सतह पर होता है और जलविरागी पूँछ (हाइड्रोकार्बन पूँछ) गुच्छे के आंतरिक हिस्से में बन जाती है इस पूरी
संरचना को मिसेल कहते है
संरचना को मिसेल कहते है
मिसेल का उपयोग स्वच्छ करने
में किया जाता है जब किसी साबुन को जल में घोलते है तो वहा पर मिसेल का निर्माण
होता है जहा पर मिसेल के केंद्र में तैलीय
मैल जमा हो जाते है मिसेल का विलयन कोलॉइड के रूप में होता है जहा पर मिसेल के आयन
तैलीय मैल के आयन को अपने से दूर करने की
कोशिश करता है इस्सी प्रकार मिसेल निर्माण से तैलीय मैल को आसानी से दूर कर सकते
है
में किया जाता है जब किसी साबुन को जल में घोलते है तो वहा पर मिसेल का निर्माण
होता है जहा पर मिसेल के केंद्र में तैलीय
मैल जमा हो जाते है मिसेल का विलयन कोलॉइड के रूप में होता है जहा पर मिसेल के आयन
तैलीय मैल के आयन को अपने से दूर करने की
कोशिश करता है इस्सी प्रकार मिसेल निर्माण से तैलीय मैल को आसानी से दूर कर सकते
है
साबुन के मिसेल प्रकाश को गहण कर सकते है। यही कारण है कि साबुन का
घोल बादल जैसा दिखायी देता है।
घोल बादल जैसा दिखायी देता है।
कठोर जल CaCl2 , MgCl2 से बना होता है जब साबुन को कठोर जल में घोलते है तो साबुन कठोर जल के कैल्सियम एवं मैग्नीशियम
लवणों से अभिक्रिया करता है। जो की जल के साथ झाग मुश्किल से बनता है और झाग बनाने
के लिए बहुत अधिक साबुन की ज़रुरत होती है इस problem को दूर करने के लिए हम
अपमार्ज़क का उपयोग करेंगे
लवणों से अभिक्रिया करता है। जो की जल के साथ झाग मुश्किल से बनता है और झाग बनाने
के लिए बहुत अधिक साबुन की ज़रुरत होती है इस problem को दूर करने के लिए हम
अपमार्ज़क का उपयोग करेंगे
अपमार्ज़क
अपमार्जक सामान्यतः लंबी कार्बन शृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्ल के सल्फ़ोनिक लवण अथवा लंबी
कार्बन शृंखला वाले अमोनियम लवण होते हैं जो क्लोराइड या बोमाइड आयनों के साथ बनते
हैं। अपमार्जक का आवेशित सिरा (So4,NH4) कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम एवं
मैग्नीशियम आयनों के साथ अभिक्रिया कर
घुलनशील पदार्थ बनाता हैं। इस प्रकार अपमार्जक कठोर जल में भी झाग बनाते हैं। अपमार्जकों
का उपयोग शैंपू एवं कपड़े धोने के लिए होता है। अपमार्जक में मिसेल का निर्माण नहीं
होता है
कार्बन शृंखला वाले अमोनियम लवण होते हैं जो क्लोराइड या बोमाइड आयनों के साथ बनते
हैं। अपमार्जक का आवेशित सिरा (So4,NH4) कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम एवं
मैग्नीशियम आयनों के साथ अभिक्रिया कर
घुलनशील पदार्थ बनाता हैं। इस प्रकार अपमार्जक कठोर जल में भी झाग बनाते हैं। अपमार्जकों
का उपयोग शैंपू एवं कपड़े धोने के लिए होता है। अपमार्जक में मिसेल का निर्माण नहीं
होता है
अपमार्जक और साबुन में अंतर
साबुन = 1. साबुन लम्बी कार्बन शृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्ल के सोडियम
लवण होते है
लवण होते है
2. यह कठोर जल से कपड़े धोने के लिये उपयोग में नहीं होता, क्योंकि Ca++ तथा Mg++ आयन इससे संयोग करके
सफेद व चिकना अधुलनशील अवक्षेप बनाता हैं।
सफेद व चिकना अधुलनशील अवक्षेप बनाता हैं।
3. इसमें कम आर्द्रता का गुण
होता है।
होता है।
4. साबुन की अधिकता नदियों
में जाकर किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं करती, क्योंकि ये जैव निम्नकरणीय पदार्थ है।
में जाकर किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं करती, क्योंकि ये जैव निम्नकरणीय पदार्थ है।
5. साबुन को बनाने के लिये कच्चा पदार्थ पेट्रोलियम से प्राप्त होता हैं।
अपमार्जक
अपमार्जक लंबी कार्बन शृंखला वाले
कार्बोक्सिलिक अम्ल के सल्फ़ोनिक तथा अमोनियम लवण होते हैं
कार्बोक्सिलिक अम्ल के सल्फ़ोनिक तथा अमोनियम लवण होते हैं
यह कठोर जल में कपड़े धोने के काम में आता है, क्योंकि अपमार्जक कठोर जल में उपस्थित Ca++ तथा Mg++ आयनों के साथ घुलनशील विलयन बनाता हैं।
साबुन की अपेक्षा इसमें अधिक आर्द्रता गुण पाया जाता है।
अपमार्जक की अधिकता नदियों
में जाकर प्रदूषण करती है, क्योंकि यह जैव निम्नकरणीय नहीं है।
में जाकर प्रदूषण करती है, क्योंकि यह जैव निम्नकरणीय नहीं है।
अपमार्जक को बनाने के लिए कच्चा माल वनस्पति तेल से प्राप्त होता है।
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