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गोलीय लेंसों के लिये चिन्ह परिपाटी , sign convention for lens class 10 in hindi , चिन्ह परिपाटी के नियम
(sign convention for lens class 10 in hindi) गोलीय लेंसों के लिये चिन्ह परिपाटी
गोलीय लेंसों की चिन्ह परिपाटी गोलीय दर्पण के चिन्ह परिपाटी की तरह ही होता है। नयी चिन्ह परिपाटी को गोलीय लेंसों के लिये नयी कार्तीय चिन्ह परिपाटी का नियम भी कहते हैं।
नयी कार्तीय चिन्ह परिपाटी के नियम
गोलीय लेंस के प्रकाशीय केन्द्र, O को मूल बिन्दु या उदगम के रूप में लिया जाता है क्योकि गोलीय लेंस से जुड़े पद का मान जैसे फोकस, वक्रता केंद्र आदि को प्रकाशीय केन्द्र O से ज्ञात किया जाता है अर्थात सभी मानों की माप प्रकाशीय केन्द्र O से ली जाती है।
- लेंस के बायीं ओर हमेशा बिम्ब को रखा जाता है। जिसकी वजह से प्रकाश की किरणे लेंस पर हमेशा बायें से दायें की ओर पड़ती है।
- सभी दूरी को प्रकाशिक केन्द्र से मुख्य अक्ष के समानांतर हमेशा मापी जाती है।
- प्रकाशिक केन्द्र से दायीं ओर सभी दूरी की माप हमेशा धनात्मक ली जाती है तथा प्रकाशिक केन्द्र से बायीं ओर सभी दूरी की माप ऋणात्मक मानी जाती है।
- लेंस के मुख्य अक्ष के लम्बबत उपर की ओर सभी दूरी को धनात्मक लिया जाता है।
- लेंस के मुख्य अक्ष के लम्बबत नीचे की ओर सभी दूरी को ऋणात्मक लिया जाता है।
लेंस सूत्र तथा आवर्धन
लेंस से बिम्ब की दूरी (u), प्रतिबिम्ब की दूरी (v) तथा फोकस दूरी में संबंध को एक सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाया है इस सूत्र को लेंस सूत्र कहते है।
लेंस सूत्र के अनुसार प्रतिबिम्ब की दूरी का ब्युत्क्रम तथा बिम्ब की दूरी का ब्युत्क्रम का अंतर फोकस दूरी के ब्युतक्रम के बराबर होता है, अर्थात
1/v – 1/u == 1/f
समीकरण को लेंस सूत्र कहा जाता है। यह सूत्र व्यापक है जो की सभी प्रकार के गोलीय लेंस के लिये मान्य होता है।
आवर्धन
किसी गोलीय लेंस से अपवर्तन के बाद प्राप्त प्रतिबिम्ब बिम्ब की अपेक्षा कितना गुना अधिक या कम आवर्धित है यह ज्ञात आवर्धन के द्वारा किया जाता है।
लेंस द्वारा उत्पन्न आवर्धन प्रतिबिम्ब की उँचाई तथा बिम्ब की उँचाई के अनुपात के बराबर होता है तथा आवर्धन को अक्षर m द्वारा निरूपित किया जाता है। माना की प्रतिबिम्ब की उँचाई h’ तथा बिम्ब की उँचाई h है तो आवर्धन
m == प्रतिबिम्ब की उँचाई (h’) / बिम्ब की उँचाई (h)
लेंस द्वारा उत्पन्न आवर्धन (m) को प्रतिबिम्ब की दूरी तथा बिम्ब की दूरी से कुछ इस तरह संबंधित होता है।
अत:
m == प्रतिबिम्ब की दूरी (v) / बिम्ब की दूरी (u)
m == h’ / h == v / u
लेंस की क्षमता
किसी लेंस द्वारा प्रकाश की किरणों को अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा को लेंस की क्षमता के दवारा व्यक्त किया जाता हैं। लेंस द्वारा प्रकाश की किरणों को मोड़ने या विस्थापित करने की क्षमता को लेंस की क्षमता कहते है। लेंस द्वारा प्रकाश की किरणों को अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा उसकी फोकस दूरी के ब्युत्क्रमानुपाती होती है। अर्थात फोकस दूरी के बढ़ने पर लेंस के अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा घटती है तथा फोकस दूरी के घटने पर लेंस के अभिसरण या अपसरण करने की क्षमता बढ़्ती है।
लेंस जिसकी फोकस दूरी कम होती है वह प्रकाश की किरणों को ज्यादा अभिसरित या अपसरित करता है तथा लेंस जिसकी फोकस दूरी ज्यादा होती है प्रकाश की किरणों को अभिसरित या अपसरित सापेक्ष रूप से कम मात्रा में करता है।
उदाहरण: बड़ी फोकस दूरी वाले उत्तल लेंस प्रकाश की किरणों को एक छोटे फोकस दूरी वाले उत्तल लेंस की तुलना में बड़े कोण पर अंदर की ओर मोड़ता है। उसी तरह से छोटे फोकस दूरी वाले अवतल लेंस बड़ी फोकस दूरी वाले अवतल लेंस की तुलना में प्रकाश की किरणों को बड़े कोण पर बाहर की ओर मोड़ता है।
किसी लेंस की क्षमता को अक्षर ‘P’ से निरूपित किया जाता है।
लेंस की क्षमता का मात्रक ‘डायोप्टर’ है, जिसे D से निरूपित किया जाता है।
यदि फोकस दूरी (f) को मीटर में (m) लिया जाता है, तो लेंस की क्षमता डायोप्टर D में व्यक्त किया जाता है। जिस लेंस की फोकस दूरी 1 मीटर हो उस लेंस की क्षमता 1 डाइऑप्टर होगी।
लेंस की धनात्मक तथा ऋणात्मक क्षमता
उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक (+) होती है तथा अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक (-) होती है।
Example: यदि डॉक्टर किसी मरीज को +1 डाइऑप्टर का लेंस पहनने की सलाह देता है इसका मतलब यह की लेंस उत्तल लेंस है। यदि डॉक्टर किसी मरीज को −1 डाइऑप्टर का लेंस पहनने की सलाह देता है, इसका मतलब यह है कि वह लेंस अवतल लेंस है।
लेंस की क्षमता का सूत्र
लेंस की क्षमता को अक्षर P से निरूपित किया जाता है।
लेंस की क्षमता (P) फोकस दूरी (f) के ब्युत्क्रम अनुपात में होता है।
लेंस की क्षमता P= 1 / f (मीटर)
जहाँ P = लेंस की क्षमता तथा f = लेंस की फोकस दूरी मीटर में है।
इस समीकरण को लेंस की क्षमता का सूत्र भी कहा जाता है।
यदि लेंस की क्षमता (P) या फोकस दूरी (f) दूरी में से कोई एक भी ज्ञात हो तो दूसरे की गणना समीकरण की मदद से की जा सकती है।
लेंस की कुल क्षमता
कई यन्त्र जैसे की दूरबीन आदि में इसकी आवर्धन क्षमता को बढाने के लिए एक से अधिक लेंस लगाए जाते है। प्रकाशिक यंत्र की कुल क्षमता इसमें लगे सभी लेंसों की क्षमता के योग के बराबर होता है।
यदि किसी प्रकाशिक यंत्र में चार लेंस लगे हैं और उन चारो लेंस की क्षमता क्रमश: P1, P2, P3, तथा P4 है, तो प्रकाशिक यंत्र में लगे लेंसों की कुल क्षमता (P) = P1 + P2 + P3 + P4
आँखों के डॉक़्टर द्वारा लेंस की क्षमता की गणना कुछ इस तरह से की जाती है
यदि डॉक्टर के द्वारा जाँच में क्रमश यह पाया जाता है कि किसी व्यक्ति की आँख के लिये को दो लेंस क्रमश: 2.00D तथा 0.25D का आवश्यक है, तो लेंस की कुल क्षमता की गणना निम्नांकित तरीके से की जाती है
लेंस की कुल क्षमता (P)=2.00D+0.25D=2.25D
डॉक़्टर संबंधित व्यक्ति को 2.25D क्षमता वाला लेंस पहनने की सलाह देता है।
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