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पुष्पी पौधों में लैंगिक में जनन , पुष्पीय पादपों में जनन pdf Notes class 12 sexual reproduction in flowering plants class 12 notes
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अध्याय-2 पुष्पी पौधों में लैंगिक में जनन
पुष्प की संरचना
सहायक चक्र – बाह्यदल पुंज व दलपुंज
आवश्यक चक्र – पुभंग व आयोग
1. प्राथमिक भित्तिया कोशिका
यह कोशिका विकसित होकर 3 स्तरों में विभाजित होती है।
पराग कण की संरचना
केन्द्रक का विभाजन
बीजाण्ड की संरचना
भ्रूण कोश मे सात कोशिका एवं आठ केन्द्रक होता है।
गुरूबीजाणु जनन
बीजाणु जनन कोशिका में अर्धसूत्री विभाजन होता है जिन से चार आगुणित गुुरूबीजाणु बनता है।
इनमें तीन गुरूबीजाणु नष्ट हो जाता है सिर्फ एक क्रियाशील रहता है।
क्रियाशील गुरूबीजाणु समसूूत्री विभाजन द्वारा दो कोशिका बना लेता है-
इसमें फिर से समसूत्री विभाजन होता है तथा में दोनो कोेशिकाएं विभाजित होकर चार कोशिकाएं बना लेती है।
इनमें फिर से समसूूत्री विभाजन होता है जिससेे कुल आठ कोशिकाओें का निर्माण होता है जिसे भ्रूण कहते है।
येे कोशिकाएं व्यवस्थित होती है जिसमें एक कोशिका निभाग से केन्द्र में आकर द्वितीयक केन्द्रक बनाता है, तथा निभाग और बीजाण्डार में तीन-तीन कोशिकाएं बच जाती है, निभाग की तीनों कोशिकाओं के प्रतिमुख कोशिकायें कहते है।
बीजाण्उद्वार की तीनों कोशिकाओं मेें मध्य कोशिका को अण्ड कोशिका तथा किनारों की दोेनो कोशिकाओं को सहायक कोशिका कहते है।
परागकण (Pollination)
पराग कणों का परागकोष से निकलकर वर्तिकाग्र पर पहुुंचता है यह प्रक्रिया परागकण कहलाती है, ये दो प्रकार का होता है।
1. स्वपरागण (Self Pollination)
परागकण जब स्वंय परागकोश से निकलकर वर्तिकाग्र पर पहुंचता है।
2. परपरागण (Cross Pollination)
इसमेें परागकण परागकोश से वर्तिकाग्र में विभिन्न माध्यमो से पहुंचता है।
कृत्रिम परागकण
जब परागण क्रिया मानव द्वारा कराया जाय तो इस प्रक्रिया को कृत्रिम परागकण कहलाता है।
इसमें दो प्रक्रिया निम्नलिखित रूप से की जाती है।
i. विपुंसन (Emasculation)
जब पौधों का मादा युग्मक लेना हो तब उसके पुंकेसर को काट कर अलग कर दिया जाता है विपुंसन कहलाता है।
ii. थैलीकरण (Begging)
पौधों केे स्त्रीभाग के वर्तिक्राग पर थैली से ढक दिया जाता जिसे थैलीकरण कहते है।
परागण-स्त्रीकेसर संकर्षण या निषेचन
Pollen – Prstil interaction or Fertilizations
पहला नरयुग्म-
प्राथमिक भ्रूणकोष विकसित होकर भ्रूणपोस का निर्माण करता ये हमेशा त्रिगुणित युग्मनज बनता है।
दूसरा नरयुग्मक-
दूसरा नरयुग्म अण्डकोशिका संलयन करता है द्विगुणित युग्मनज का निर्माण करता है।
युग्मनज विकसित होकर भ्रूण बनाता है।
अण्डाशय विकसित होकर फल का निर्माण करता है तथा बीज काय विकसित होकर बीज का निर्माण करता है।
एक ही साथ दो नर युग्मको का संलयन होता है अतः हम दोहरा निषेचन भी कहते है।
अनिषेक फलन (Parthenocarpy)
जब पुष्प से बिना निषेचन के फल का निर्माण होता है।
उदाहरण- अंगूर, केला
अनिषेक जनन (Parthenogenesis)
इस प्रक्रिया में बिना निषेचन ही भूू्रण बनता है अनिषेक जनन कहलाता है।
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