Sewage treatment in hindi , सीवेज उपचार किसे कहते हैं , परिभाषा , क्या है

पढ़िए Sewage treatment in hindi , सीवेज उपचार किसे कहते हैं , परिभाषा , क्या है ?

सीवेज उपचार ( Sewage treatment)

सीवेज उपचार का मूलभूत सिद्धान्त अपशिष्ट पदार्थों को जल से पृथक् करना है, इसके अन्तर्गत ठोस कार्बनिक पदार्थ सूक्ष्मजीवों के द्वारा नाइट्रेट, सल्फेट, कार्बोनेट, कार्बन डाई ऑक्साइड एवं मीथेन जैसे सरल यौगिकों में विघटित हो जाते हैं। लघु स्तर पर प्रत्येक घर एवं वृहत् स्तर पर नगर परिषदों द्वारा इसके लिये सेसपूल या सेप्टिक टेंक (cesspool or septic tank) बनाये जाते हैं। सेसपूल जमीन के नीच बना एक गढ्डा होता है जिसकी दीवारें सीमेंट कंकरीट से बनी होती है

इनमें चलनी के समान छिद्र होते हैं नीचे से पैंदा खुला होता है । मल-मूत्र युक्त जल इसमें डाला जाता है, जल रिस-रिस कर मिट्टी में सोख लिया जाता है व कार्बनिक पदार्थ सूक्ष्मजीवों द्वारा विघटित होते रहते हैं। यदि छिद्र बन्द हो जाते हैं तो पेंदें में जमी मोटी पर्त जिसे स्लज (sludge) कहते हैं पम्प द्वारा बाहर निकाल दी जाती है । छिद्र अम्ल डालकर पुनः खोल दिये जाते हैं। ऐसे गढ्डों के मुख पर लोहे का ढक्कन लगाकर बन्द कर दिया जाता है। सूक्ष्मजीव अवायुवीय प्रकृति के होते हैं अत: इन परिस्थितियों में सक्रिय बने रहते हैं।

सेप्टिक टैंक का उपयोग भी घरों पर किया जाता है, यह कंकरीट की बनी संरचना होती है जिसमें नीचे कार्बनिक पदार्थ जमा होते हैं व जल ऊपर से बह कर वितरण कक्ष में लाया जाता है जो शहर से दूर स्थित होता है। सेप्टिक टैंकों व वितरण कक्ष लम्बी पाइप लाइन ( सीवर लाइन) से जुड़े रहते हैं। छोटे स्तर पर लाया गया यह जल शहर से बाहर एकत्रित होता है जिसे ऑक्सीकरण ताल (oxidation lagoon) कहते हैं, सूक्ष्म जीवों द्वारा एवं वायु के प्रवाह से अहानिकारक हो जाता है अतः विभिन्न उपयोग में लाया जाता है। इस ऑक्सीकरण ताल में वायुवीय सूक्ष्मजीव वृद्धि करते हैं जो कार्बनिक पदार्थों का पाचन करते हैं। क्लोरेला पाइरीनॉइडोसा (Chlorella pyrenoidosa) नामक शैवाल भी इसमें लगाई जाती है।

वृहत्त स्तर पर अर्थात् बड़े शहरों में सीवर लाइन द्वारा एकत्रित जल एवं अपशिष्ट की मात्रा अत्यधिक होती है जो प्राकृतिक रूप से नष्ट नहीं हो पाती और लम्बे समय तक बने रहने पर प्रदूषण फैलाती है अत: यांत्रिक विधि से समापन की प्रक्रिया काम में लायी जाती है। चित्र 26.7 में अपशिष्ट उपचार संयंत्र का रेखा चित्र दर्शाया गया है।

अपशिष्ट उपचार की क्रिया तीन चरणों में सम्पन्न होती है जिन्हें प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक उपचार कहते हैं जो निम्नलिखित प्रकार से हैं –

(a) प्राथमिक उपचार (Primary tretatment )- कच्चा सीवेज जो कि बड़े पादपों द्वारा लाया जाता है। बड़े खुले टैंक में डाला जाता है, इसमें से अघुलनशील पदार्थों को छानकर अलग किया जाता है, इस प्रकार तैरने वाली व अघुलनशील वस्तुएँ अलग हो जाती है। ठोस कार्बनिक पदार्थ स्लज टैंक में भेजे जाते हैं, जहाँ इनका समापन होता है । उर्णी पदार्थ सतह पर तैर कर व भारी कार्बनिक पदार्थ तल पर बैटकर जल से पृथक हो जाते हैं। प्राथमिक उपचार में 90 से 120 मिनट का समय लगता है।

(b) द्वितीयक उपचार ( Secondary treatment) – यह दो भागों में पूरा होता है। प्रथम भाग में तरल पदार्थों का उपचार किया जाता है, इसके अन्तर्गत जल भाग में वायु प्रवाहित करते हैं व सूक्ष्मजीवों के क्रिया करने हेतु उचित माध्यम बनाते हैं अतः सूक्ष्मजीव कार्बनिक पदार्थों को पचाकर अमीनो अम्ल शर्करा, वसा व ग्लिसरॉल में बदल जाते हैं। आशिक पाचन के कारण अम्ल व एल्कोहॉल भी बनता है। पूर्ण पाचन के दौरान कार्बन-डाई ऑक्साइड बनती है, इसके उपरान्त जल के छनके (filter or clarifier) से गुजरते हैं अतः सूक्ष्मजीव व कार्बनिक पदार्थ जल से अलग हो जाते हैं। इसके उपरान्त जल को झील या नदी में बहा देते हैं । द्वितीय भाग में ठोस पदार्थों का उपचार या समापन किया जाता है।

ठोस पदार्थों को स्लज टैंक में डाला जाता है, इसकी अनेक पर्तें चित्र के अनुसार बनाई जाती है। अवायुवीय जीवाणुओं की वृद्धि हेतु उचित माध्यम बनाया जाता है। कार्बनिक पदार्थों का विघटन सरल यौगिकों में किया जाता है। सूक्ष्मजीवों द्वारा पाचन के द्वारा ये क्रियाएँ होती हैं। इस दौरान बनी मीथेन गैस का उपयोग संयंत्र को चलाने हेतु ऊर्जा के रूप में किया जाता है। अमोनिया व सल्फर गैसों का उपयोग अन्य उद्योगों में किया जाता है जो इस दौरान बनती हैं। पचित स्लज को सुखाकर खाद के रूप में बेचा जाता है जो उच्च कोटि की हानिकारक खाद होती है। अनुपयोगी पदार्थों को परत के रूप में काम में लाते हैं। इस क्रिया में एसिनेटोबैक्टर ( Acinetobacter), एल्केलिजेन्स (Alcaligenes). बैवीबैक्टीरियम (Brevibacteriaum), कॉलोबैक्टर (Caulobacter). सूडोमोनेस (Pseudomonas), हाइपोमाइक्रोबियम (Hypomicrobium), फ्लैवोबैक्टिरियम (Flavobacterium). स्फेरोटिलस (Sphaerotilus) व डेब्रोमाइसेज (Debromyces) जाति के यीस्ट प्रमुख भूमिका निभाते हैं। जीवाणुओं व कवक द्वारा सीवेज उपचार के उपरान्त रहे शेष पदार्थ अन्य जन्तुओं जैसे सीलिएट्स (ciliates), रोटीफर ( rotifers ), निमेटोड (nematodes) आदि के लिये उपयुक्त पोषण हासित हो जाते हैं। द्वितीयक उपचार हेतु अल्पगति छनके (trickling filter) चित्र 26.9 का उपयोग करते हैं। सीवेज को इनमें एक परिक्रामी भुजा में संवाहित करते हैं, जहाँ रेत व ग्रिट का बना स्तर (stone bed) होता है, इस पर यह बूंदों के रूप में डाला जाता है व रिस कर नीचे आता है। ग्रिट स्तर पर सूक्ष्मजीवों का स्तर उपस्थित रहता है जो कार्बनिक पदार्थों का स्थायीकरण (stabilization) करते

हैं। रिस कर नीचे आया एकत्रित जल शुद्धिकृत जल होता है। जीवाणुओं को जल से पृथक् कर लिया जाता है। पाचित ठोस पदार्थों से खाद बनाने की क्रिया डाइजेस्टर ( digester) नामक संयंत्र के ‘भाग में की जाती है।

(c) तृतीयक उपचार (Tertiary treatment)- द्वितीयक उपचार के उपरान्त प्राप्त जल में से शेष बचे अपशिष्ट पदार्थों को हटाने हेतु यह विधि अपनायी जाती है, इसमें रायायनिक व जैविक विधियाँ का उपयोग करते हैं। जल में रहे शेष पदार्थ फॉस्फेट व नाइट्रेट के यौगिक होते हैं, जिन्हें उचित रासायनिक पदार्थ बनाकर अवक्षेपित करते हैं। इस दौरान CO2 व NH, गैस बनती है जिनका अन्य प्रकार से उपयोग किया जाता है। डिटरजेन्ट, कीटनाशक तथा अन्य विषैले पदार्थों को सक्रियत कोयले (activated charcoal ) द्वारा पृथक किया जाता है। इस प्रकार प्राप्त जल को अनेक टैंकों में एकत्र करते हुए श्रृंखला में उपस्थित अनेक छनकों से गुजारा जाता है जिनमें रेत, कोयला व ग्रिट आदि होते हैं के द्वारा जल शुद्ध बनाया जाता है, इस जल में क्लोरीन मिलायी जाती है जिसके फलस्वरूप सभी सूक्ष्मजीवों से रहित शुद्ध पीने लायक जल प्राप्त होता है। इस क्रिया के दौरान अनेक सूक्ष्मजीवों जिनमें स्यूडोमोनेस (Pseudomonas ) व बैसिलस (Bacillus ) जाति के जीवाणु होते हैं का उपयोग करते हैं जो नाइट्रेट्स को नाइट्रोजन गैस में परिवर्तित कर जल से पृथक करने में सहायक होते हैं।

तृतीय उपचार विधि अन्यन्त जटिल व मंहगी प्रक्रिया है जिसका उपयोग बहुत कम किया जाता है, यह उन क्षेत्रों के लिये विकसित की गयी तकनीक है, जहाँ पीने का पानी कम मात्रा में उपलब्ध होता है। कैलिफोर्निया के दक्षिणी भाग में ताहो (tahoe) नामक क्षेत्र में इस विधि से प्रतिदिन 7 करोड़ गैलन जल का शुद्धिकरण किया जाता है।

इस प्रकार अपशिष्ट जल जो ऐसे कार्बनिक पदार्थों से युक्त होता है जिसमें सूक्ष्मजीव वृद्धि कर सकते हैं, पोषीजीवक यौगिक (xenobiotic compounds) युक्त होते हैं। विभिन्न उद्योगों से आया हुआ जल तैरने वाले अपशिष्ट पदार्थों व तेलीय प्रदूषक पदार्थों युक्त होता है का शुद्धिकरण पीने योग्य जल में परिवर्तन किया जाता है।

प्रश्न (Questions)

  1. निम्नलिखित के अतिलघु उत्तर दीजिये – Give very short answer of the following-
  2. जीवाणु या सूक्ष्मजीव जो भूमिगत धातुओं या पेट्रोलियम पदार्थों की उपस्थिति के बारे में बताते हैं, क्या कहलाते हैं।

Bacteria or microbes which show the presence of metals or petrolium substances in soil what they are called?

  1. सल्फाइड धातुओं के आक्सीकरण हेतु दो जीवाणुओं जिनका उपयोग किया जाता है, नाम लिखिये।

Write the names of two bacteria used for oxidation of sulphaide metals.

  1. ताँबे के अयस्क से धातु प्राप्ति हेतु कौनसा जीवाणु उपयोग में लाया जाता है ?

Which bacteria is used in extraction of metal from copper ore?

  1. तेल व गैस प्राप्ति हेतु खुदाई के समय किस प्रणाली का उपयोग किया जाता है ?

Which method is used for drilling purpose of oil and gas?

  1. निः शोषित तेल कूपों से तेल निष्कासन हेतु किस जीवाणु का उपयोग किया जाता है ?

Which bacteria is used for extraction of oil from depleted oil fields.

  1. ऐसा उत्पाद या अवशेष जिसका पुनः उपयोग न किया जा सके क्या कहलाता है।

Such product or residue which can not be used again what it is called?

  1. वह अपशिष्ट पदार्थ जो पर्यावरण को हानि पहुँचाता है क्या कहलाता है?

A waster substance which harms environment what it is called?

  1. ऐसे यौगिक जिसका विखण्डन नहीं होता वातावरण में स्थायी रूप से एकत्रित होते हैं, क्या कहलाते हैं।

Such compounds which can not be decomposed accumulated in environment for ever, what they are called ?

  1. अपशिष्ट जल के द्वारा नदियों में कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थों के समावेश को क्या कहते हैं?

Accumulation of carbonic and inorganic substances in river what it is called?

  1. जल में उपस्थित रासायनिक रूप से ऑक्सीकृत होने वाले कार्बनिक पदार्थ की मात्रा को क्या कहते हैं?

The amount of carbonic substance which can be oxidised chemically present in water, what it is called ?

  1. लघु उत्तर वाले प्रश्न – Short answer questions
  2. पीने योग्य जल शुद्धिकरण हेतु की जाने वाली क्रिया का वर्णन कीजिये ।

Describe the method of water purification for drinking water.

  1. नाशक जीव नियंत्रण पर टिप्पणी लिखिये ।

Write a note on pest control.

  1. वातावरणीय जैवतकनीकी के लाभ बताइये ।

Explain the advantages of environmental biotechnology.

  1. सीवेज जल का पुनः चक्रण द्वारा उपयोग कैसे संभव है?

How sewage water can be bused by recycling.

  1. निम्न पर सूक्ष्म टिप्पणी मापन

(Write short notes on the following)

(i) सीवेज जल का उपचार ( Treatment of sewage water)

(ii) छनके (Filters)

(ii) स्लज टैंक (Sludge tank)

(iv) सेप्टी टैंक (Septic tank)

(v) जल शुद्धिकरण (Purification of water)

(vi) जल का प्रदूषण स्तर मापन (Measurement of the level of pollution in water)

(vii) सूक्ष्मजीव कीटनाशी (Microbial insecticides)

(viii) पेट्रोलियम प्राप्ति में सूक्ष्मजीव (Microbes in petrolium recovery)

 

(ix) जीवाणु एवं धातुओं की प्राप्ति (Microbes and Metal recovery )

(x) कीट नियंत्रण में सूक्ष्मजीवों की भूमिका । (Role of microbes in insects control)

(xi) बी ओ डी (BOD) :

III. दीर्घ उत्तर वाले प्रश्न- Long answer questions—

  1. धातुओं की पुनः प्राप्ति में सूक्ष्मजीवों के प्रयोग पर लेख लिखिये ।

Write an account on recovery of metals by application of microbes.

  1. पेट्रोलियम ग्रप्ति में कौनसी नयी जैव तकनीक कम में लायी जाने लगी हैं।

Which new biotechnological techniques are used in recovery of petrolium.

  1. अपशिष्ट जल उपचार पर निबन्ध लिखिये ।

Write an essay on waste water treatment.

  1. सीवेज जल को घरेलू उपयोग हेतु कैसे उपचारित किया जाता है।

How sewage water is treated for house hold use.

  1. जैव कीटनाशियों के उपयोग पर लेख लिखिये।

Write an account on use of bioinsecticides.

  1. पर्यावणीय जैवतकनीकी और प्रदूषण नियंत्रण में उसके योगदान के बारे में आप क्या जानते हैं?

What do you know about avironmental biotechnology and its role in pollution control.

  1. सूक्ष्मजीव कीटनाशी पर लेख लिखिये ।

Give an account of microbial insecticides.

  1. नाशक जीव नियंत्रण की विवेचना कीजिये ।

Discuss the role of microbes in pe control.