धारामापी की सुग्राहिता , धारा सुग्राहिता , वोल्टता सुग्राहिता , दक्षतांक , प्रभावी करने वाले कारक

Sensitivity of galvanometer in hindi धारामापी की सुग्राहिता : अल्प से अल्प धारा को भी अच्छी सुग्राहिता वाली धारामापी द्वारा संसूचन कर सकते है। अतः हम कह सकते है की सुग्राहिता का तात्पर्य धारामापी की गुणवत्ता से है।

यदि किसी धारामापी की कुण्डली में एक बहुत अल्प धारा प्रवाहित की जाए तथा इस अल्प धारा का मापन धारामापी में अच्छा विक्षेप उत्पन्न कर उसका मान बता दे तो उस धारामापी को अच्छी सुग्राहिता वाली धारामापी कहते है। दूसरे शब्दों में जब कुण्डली के सिरों पर अल्प विभवान्तर आरोपित किया जाता है तो अच्छी सुग्राही धारा मापी द्वारा संसूचित किया जाता है।

धारा सुग्राहिता (current sensitivity)

किसी धारामापी की धारा सुग्राहिता का मापन कुण्डली में प्रति एकांक धारा के लिए उत्पन्न विक्षेप के आधार पर किया जाता है। इसको डिवीज़न/एम्पियर में मापा जा सकता है।

हम ज्ञात कर चुके है

धारा I = Cϴ/nAB = kϴ

धारामापी की धारा सुग्राहिता की परिभाषा अनुसार

धारा सुग्राहिता SI = ϴ/I  = nAB/C = 1/k

सूत्र को देखकर हम स्पष्ट रूप से यह कह सकते है धारा मापी की सुग्राहिता बढ़ाने के लिए फेरों की संख्या n , कुण्डली का क्षेत्रफल A तथा चुम्बकीय क्षेत्र का मान बढ़ा सकते है या C का मान कम रख सकते है।

वोल्टता सुग्राहिता (Voltage sensitivity )

कुण्डली के सिरों पर वोल्टेज V है तो ϴ/V को वोल्टेज सुग्राहिता कहते है , माना कुण्डली का प्रतिरोध R है तो
वोल्टेज सुग्राहिता = nAB/CR

धारामापी का दक्षतांक (Figure of merit of galvanometer )

धारा मापी में जितनी धारा मान एकांक विक्षेप उत्पन्न करने के लिए चाहिए उसे धारामापी का दक्षतांक कहते है या धारामापी की सुग्राहिता के व्युत्क्रम को धारामापी का दक्षतांक कहते है।
X = 1/S

धारामापी की धारा सुग्राहिता को प्रभावी करने वाले कारक

किसी भी धारामापी की धारा सुग्राहिता को निम्न प्रकार बढ़ाया जाता है
1. कुण्डली में फेरो की संख्या को बढाकर
2. कुंडली का क्षेत्रफल का मान बढाकर
3. चुम्बकीय क्षेत्रफल का मान बढाकर
4. मरोड़ी दृढ़ता (C) का मान घटाकर