हिंदी माध्यम नोट्स
अर्द्ध चालक डायोड किसे कहते हैं what is Semi Conductor Diode in hindi physics 12th class
what is Semi Conductor Diode in hindi physics 12th class अर्द्ध चालक डायोड किसे कहते हैं ?
अर्द्ध चालक डायोड (Semi Conductor Diode)
P-N संधि डायोड (N Junction Diode) : जब एक अर्द्धचालक क्रिस्टल के एक भाग में p प्रकार के व शेष भाग n प्रकार की अशुद्धि मिला दी जाये तो p – n संधि तल का निर्माण होता है। यह कार्य उच्च ताप पर परमाणुओं के विसरण द्वारा किया जाता है। संकेत के रूप में p – n संधि डायोड को निम्न प्रकार से प्रदर्शित करते है।
ds व शेष दूसरे M‚ के विसरण
सन्धि तल पर क्रिया – n भाग में मुक्त इलेक्ट्रॉन व च भाग में होल की सान्द्रता अधिक होती है। अत n से कुछ इलेक्ट्रॉन की ओर विसरित होते हैं और भाग से कुछ होल की ओर विसरित होते हैं सधि के समीप एक दूसरे से मिलकर सहसंयोनक बन्ध बना लेते हैं एवं उदासीन हो जाते हैं। इस प्रकार संधि के सो में इलेक्ट्रॉन व होल के संयोजन के पश्चात संधि क्षेत्र होल व इलेक्ट्रॉन रहित हो जाता है। इस क्षेत्र को अवक्षय क्षेत्र कहते हैं। मुक्त आवेश रहित परत को अवक्षय परत कहते हैं।
अवक्षय परत के द की ओर के स्थिर धन आयन च की ओर आने वाले होलों को प्रतिकर्षित करते हैं। इसी प्रकार अवक्षय परत के च की ओर के स्थिर ऋण. आयन द की ओर से आने वाले इलेक्ट्रॉनों को प्रतिकर्षित करते हैं। इस प्रकार संधि तल के पास च भाग में ऋण आवेश अधिक हो जाने के कारण उसमें ऋण विभव तथा संधि तल के पास n भाग में धन आवेश अधिक हो जाने के कारण उसमें धन विभव उत्पन्न हो जाता है।
इस प्रकार अवक्षय परत के सिरों पर विद्युत वाहक बल V व विद्युत क्षेत्र म्ठ उत्पन्न हो जाता है। उत्पन्न विद्युत वाहक बल को अवरोधी विभव कहते हैं। (इसे सम्पर्क विभव भी कहते हैं)। सम्पर्क विभव (अवरोधी विभव) का मान एवं अवक्षय क्षेत्र की मोटाई अर्ध चालक के प्रकार एवं इसमें अपद्रव्य की सान्द्रता पर निर्भर करती है।
p – n संधि-अग्र व उत्क्रम बायस (अभिनति)
p – n संधि पर एक बाह्य विद्युत स्त्रोत दो प्रकार से जोड़ा जा सकता है–
(i) अग्र बायस – इस विधि में p-n संधि के च प्रकार के क्रिस्टल को बैटरी के धन ध्रुव से तथा n प्रकार के क्रिस्टल को बैटरी के ऋण सिरे से जोड़ते हैं। इस समय बाह्य विद्युत स्त्रोत के कारण क्षेत्र E तथा अवरोधी विभव के कारण क्षेत्र EB अवक्षय परत पर विपरीत दिशा में होते हैं। फलस्वरूप अवरोधी विभव एवं अवक्षय क्षेत्र घट जाता है। अवरोधी विभव, का मान कम होता है। अतः थोड़ा सा ही अग्र विभव लगाने से अवरोध विभव सा हो जाता है। इस स्थिति में p की ओर से होल तथा n की ओर से इलेक्ट्रोन राशि की और आने लगते है एवं संधि से होकर धारा प्रवाहित होने लगता है।
(ii) उत्क्रम बायस – इस विधि में p-n संधि के च प्रकार के क्रिस्टल को बैटरी के ऋण ध्रुव से जोड़ते है। समय बाह्य विद्युत स्रोत के कारण क्षेत्र E तथा अवरोधी विभव के कारण विद्युत क्षेत्र EB एक दिशा में हो जाने के के कारण
अर्द्ध चालक डायोड (Semi Conductor Diode)
P-N संधि डायोड ( P-N Junction Diode) : जब एक अर्द्धचालक क्रिस्टल के एक भाग में p प्रकार के व शेष दूसरे भाग में n प्रकार की अशुद्धि मिला दी जाये तो p – n संधि तल का निर्माण होता है। यह कार्य उच्च ताप पर परमाणुओं के विसरण द्वारा किया जाता है। संकेत के रूप में p-n संधि डायोड को निम्न प्रकार से प्रदर्शित करता है।
सन्धि तल पर क्रिया – n भाग में मुक्त इलेक्ट्रॉन व p भाग में होल की सान्द्रता अधिक होती है। अत n भाग से कुछ इलेक्ट्रॉन p की ओर विसरित होते हैं और p भाग से कुछ होल n की ओर दिसारित होते है। ये इलेक्ट्रॉन व होल सधि के समीप एक दूसरे से मिलकर सहसंयोजक बन्ध बना लेते हैं एवं उदासीन हो जाते है। इस प्रकार संधि के सभी में इलेक्ट्रॉन व होल के संयोजन के पश्चात संधि क्षेत्र होल व इलेक्ट्रॉन रहित g जाता है। इस क्षेत्र का अवक्षय कहते हैं। मुक्त आवेश रहित परत को अवक्षय परत कहते हैं।
अवक्षय परत के n की ओर के स्थिर धन आयन p की ओर आने वाले होलों को प्रतिकर्षित करते हैं। इसी प्रकार अवक्षय परत के p की ओर के स्थिर ऋण आयन n की ओर से आने वाले इलेक्ट्रॉनों को प्रतिकर्षित करते हैं। इस प्रकार संधि तल के पास p भाग में ऋण आवेश अधिक हो जाने के कारण उसमें ऋण विभव तथा संधि तल के पास n भाग में धन आवेश अधिक हो जाने के कारण उसमें धन विभव उत्पन्न हो जाता है।
इस प्रकार अवक्षय परत के सिरों पर विद्युत वाहक बल V व विद्युत क्षेत्र EB उत्पन्न हो जाता है। उत्पन्न विद्युत वाहक बल को अवरोधी विभव कहते हैं। (इसे सम्पर्क विभव भी कहते हैं)! सम्पर्क विभव (अवरोधी विभव) का मान एवं अवक्षय क्षेत्र को मोटाई अर्ध चालक के प्रकार एवं इस अपद्रव्य की सान्द्रता पर निर्भर करती है। दृ
p-n संधि-अग्र व उत्क्रम बायस (अभिनति)–
p-n संधि पर एक बाह्य विद्युत स्त्रोत दो प्रकार से जोड़ा जा सकता है.–
(i) अग्र बायस – इस विधि में p-n संधि के p प्रकार के क्रिस्टल को बैटरी के धन ध्रुव से तथा n प्रकार के क्रिस्टल को बैटरी के ऋण सिरे से जोड़ते है। इस समय बाह्य विद्युत स्त्रोत के कारण क्षेत्र E तथा अवरोधी विभव के कारण क्षेत्र EB अवक्षय परत पर विपरीत दिशा में होते हैं। फलस्वरूप अवरोधी विभव एवं अवक्षय क्षेत्र घट जाता है। अवरोधी विभव का मान कम होता है। अतः थोड़ा सा ही अग्र विभव लगाने से अवरोध विभव न हो जाता है। इस स्थिति में p की ओर से हाल तथा n की ओर से इलेक्ट्रान संधि की और आने लगते है एवं संधि से होकर धारा प्रवाहित होने लगता है।
(ii) उत्क्रम बायस – इस विधि में p-n संधि के p प्रकार के क्रिस्टल को बैटरी के ऋण ध्रुुव से जोड़ते हैं। इस समय बाह्य विद्युत स्रोत के कारण क्षेत्र E तथा अवरोधी विभव के कारण विद्युत क्षेत्र EB एक दिशा में हो जाने के कारण अवक्षय क्षेत्र की मोटाई बढ़ जाती है। इस समय होल स्त्रोत के ऋण सिरे की ओर तथा मुक्त इलेक्ट्रॉन स्त्रोत के धन सिरे की ओर आकर्षित होते हैं तथा दोनो संधि तल से दूर गति करते है। इस समय संधि तल से प्रभावी रूप से कोई इलेक्ट्रान या होल नहीं गुजरता है। अतः परिपथ में धारा प्रवाह लगभग शून्य होता है। संधि से अत्यल्प मान की धारा p भाग के अल्पसंख्यक इलेक्ट्रान एवं n भाग के अल्पसंख्यक होल के कारण होती है। उत्कम बायस पर संधि तल लगभग विद्युतरोधी की तरह कार्य करता है।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…