JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: BiologyBiology

मूल में द्वितीयक वृद्धि (secondary growth in roots in hindi) | जड़ या जड़ों में द्वितीयक वृद्धि क्या है ?

(secondary growth in roots in hindi) मूल में द्वितीयक वृद्धि जड़ या जड़ों में द्वितीयक वृद्धि क्या है ? की परिभाषा किसे कहते है पार्ट्स और भाग कौन कौनसे है ?

मूल में द्वितीयक वृद्धि (secondary growth in roots) : तने के समान मूल में भी उसकी मोटाई या घेरे में वृद्धि होती है। यह वृद्धि पहले से उपस्थित प्राथमिक ऊत्तकों में वृद्धि के फलस्वरूप होती है जिससे द्वितीयक ऊतकों का निर्माण होता है।

आवृतबीजी जड़ों में द्वितीयक वृद्धि की प्रक्रिया केवल द्विबीजपत्रियों में ही पायी जाती है। एकबीजपत्री में द्वितीयक वृद्धि अनुपस्थित होती है। इसके अतिरिक्त जिम्नोस्पर्म्स में भी द्वितीयक वृद्धि देखी जा सकती है। जड़ों में द्वितीयक वृद्धि की प्रक्रिया प्राय: बहुवर्षीय शाक , झाड़ियों और वृक्षों में पायी जाती है। द्वितीयक वृद्धि का नये ऊतकों के निर्माण में विशेष महत्व होता है। यह ऊतक रूपांतरित जड़ों में खाद्य पदार्थ के संचय के लिए विस्तृत प्ररोह तंत्र को समुचित आधार प्रदान करने के लिए और परित्वक के द्वारा जड़ों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी होते है। तने और जड़ों में द्वितीयक वृद्धि की प्रक्रिया अलग अलग तरीके से संचालित होती है लेकिन यहाँ जाइलम और फ्लोयम एक ही प्रकार के विभाज्योतक से निर्मित होते है। यहाँ नई जड़ों में द्वितीयक वृद्धि के परिणामस्वरूप बनने वाले संवहन बंडल अत: आदिदारुक (endarch अर्थात प्रोटोजाइलम केंद्र की तरफ) और द्विबीजपत्री तने के समान ही होते है .द्विबीजपत्री जड़ में तने के समान ही दो प्रकार के विभाज्योतक द्वितीयक वृद्धि की प्रक्रिया हेतु विकसित होते है। यह है –
(1) संवहन कैम्बियम : यह कैम्बियम रम्भ क्षेत्र में स्थित होता है और इसकी सक्रियता से द्वितीयक संवहन ऊतक (जाइलम और फ्लोयम)  बनते है।
(2) कॉर्क कैम्बियम : यह केम्बियम वल्कुट के बाहरी क्षेत्र में विकसित होता है और इसकी सक्रियता से पेरीडर्म का निर्माण होता है।
द्वितीयक वृद्धि प्रारंभ होने पर संवहन कैम्बियम की सक्रियता कार्क कैम्बियम से पहले प्रारंभ होती है।

1. संवहन कैम्बियम की उत्पत्ति और सक्रियता (origin structure and function of vascular cambium)

यहाँ संवहन कैम्बियम की उत्पत्ति प्राकएधा के विभाजन से होती है। यह प्राकएधा कोशिकाएँ अरीय स्थिति में पायी जाती है और शुरू में प्राथमिक फ्लोयम और प्राथमिक जाइलम के मध्य में अविभेदित अवस्था में रह जाती है। इस प्रकार शुरू में फ्लोयम के नीचे की और प्रोटोजाइलम के बाहर की तरफ उपस्थित कोशिकाएँ कैम्बियम का निर्माण करती है। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि जड़ में जितनी संख्या में संवहन बंडल अथवा गुच्छ पाए जाते है तो उतनी ही चापाकार कैम्बियम पट्टियाँ बनती है। यह केम्बियम एक सम्पूर्ण वलय बनाने में सक्षम नहीं होता क्योंकि द्विदारुक जड में दो कैम्बियम पट्टियाँ , चतुष्दारूक जड़ में चार कैम्बियम पट्टियाँ बनती है। अत: कैम्बियम वलय को पूरा करने के लिए अथवा निरंतरता प्रदान करने के लिए प्रोटोजाइलम के ऊपर परिरंभ और जाइलम के नीचे संयोजी ऊतक और इन दोनों के मध्य की अन्य मृदुतकी कोशिकाएँ विभाज्योतकी होकर संवहन कैम्बियम के रूप में विकसित होती है और एक पूर्ण अनियमित लहरदार कैम्बियम वलय का निर्माण करती है। आगे चलकर कैम्बियम वलय पूरी तरह से गोलाकार हो जाती है और इसके द्वारा भीतर की तरफ द्वितीय जाइलम और बाहर की तरफ द्वितीयक फ्लोयम बनने लगता है।
इस प्रकार हम देखते है कि द्विबीजपत्री जड़ में द्वितीयक वृद्धि के समय बनने वाला संवहन कैम्बियम द्वितीयक उत्पत्ति का ही होता है और यह दो प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बनता है , ये है –
(1) फ्लोयम गुच्छ के नीचे प्राकएधा द्वारा निर्मित संयोजी ऊतक की मृदुतकी कोशिकाएँ
(2) प्रोटोजाइलम के ऊपर उपस्थित परिरंभ की मृदुतकी कोशिकाएं।
द्विबीजपत्री जड़ में भी द्वितीयक जाइलम और द्वितीयक फ्लोयम कोशिकाएँ संरचनात्मक रूप से तने से समानता प्रदर्शित करती है।
अत: द्विबीजपत्री जड़ में द्वितीयक वृद्धि के पश्चात् जड़ और तने का विभेद संभवत: केन्द्र में उपस्थित बाह्यदारुक जाइलम बंडलों को देखकर ही किया जा सकता है।
संरचनात्मक दृष्टि से यद्यपि जाइलम और फ्लोयम तत्व एक समान होते है परन्तु फिर भी यह देखा जाता है कि केम्बियम की सक्रियता भीतर की तरफ अधिक होती है जिससे जाइलम ऊतक अधिक मात्रा में बनते है और बाहर की तरफ कम होती है जिससे फ्लोयम ऊतक कम मात्रा में बनते है। द्वितीयक वृद्धि के परिणामस्वरूप प्राथमिक जाइलम बण्डल केंद्र में आ जाते है। मज्जा ख़त्म हो जाती है और प्राथमिक फ्लोयम को परिधि की तरफ धकेल दिया जाता है। प्राथमिक फ्लोयम प्राय: द्वितीयक फ्लोयम के दबाव के कारण नष्ट हो जाता है। जड़ों में बनने वाले द्वितीयक जाइलम वाहिकीय तत्वों का लिग्नीकरण तने की तुलना में कम मात्रा में होता है और फ्लोयम में रेशे भी अपेक्षाकृत कम मात्रा में बनते है।

संवहन रश्मियाँ (vascular rays)

द्वितीयक वृद्धि के समय जड़ों में कैम्बियम की कुछ कोशिकाएं जाइलम और फ्लोयम बनाने के स्थान पर अरीय रूप से सुदिर्घित मृदुतकी कोशिकाओं का निर्माण करती है। यह मृदुतकी कोशिकाएँ संवहन बंडलों के मध्य में विकसित होती है और द्वितीयक फ्लोयम और द्वितीयक जाइलम में से होती हुई जड़ के केन्द्रीय भाग तक पहुँच जाती है। प्रोटोजाइलम के सम्मुख परिरंभ से बनने वाला कैम्बियम अरीय मृदुतक बनाता है और यह काफी चौड़ी होती है। इनको प्राथमिक संवहन रश्मियाँ कहते है। द्वितीयक संवहन ऊतक के मध्य विकसित होने वाली मृदुतकी कोशिकाएं द्वितीयक संवहन रश्मियाँ कहलाती है। संवहन रश्मियाँ तने की तुलना में जड़ों में अधिक मात्रा में पायी जाती है।
2. कॉर्क कैम्बियम की उत्पत्ति और सक्रियता (origin and function of cork cambium)
जड़ों में द्वितीयक वृद्धि के प्रारंभ होने के पश्चात् संवहन कैम्बियम की सक्रियता के परिणामस्वरूप द्वितीयक जाइलम और द्वितीयक फ्लोयम काफी अधिक मात्रा में निर्मित हो जाते है। परिणामस्वरूप अन्तश्त्वचा के बाहर उपस्थित ऊतक अर्थात वल्कुट और मूलीय त्वचा पूर्णतया नष्ट हो जाते है। ऐसी अवस्था में परिरंभ परत की मृदुतकी कोशिकाएं सक्रीय होकर विभाज्योतकी प्रवृत्ति धारण कर लेती है और यह कॉर्क कैम्बियम अथवा कागजन का निर्माण करती है। यह कॉर्क कैम्बियम कोशिकाएँ विभाजित होकर बाहर की तरफ सुबेरिनयुक्त कॉर्क कोशिकाएं बनाती है , इनको फेल्लम भी कहते है। जबकि अन्दर की तरफ कॉर्क कैम्बियम की सक्रियता के परिणामस्वरूप सामान्य मृदुतकी कोशिकाएं निर्मित होती है जिसे द्वितीयक वल्कुट अथवा काग अस्तर कहते है। यह तीनों प्रकार के ऊतक अर्थात कॉर्क , कॉर्क कैम्बियम अथवा कागजन और द्वितीयक वल्कुट मिलकर संयुक्त रूप से परित्वक अथवा पेरीडर्म कहलाते है। जड़ में विकसित कॉर्क कैम्बियम ऊतक लम्बे समय तक क्रियाशील रह सकता है लेकिन किसी कारणवश जब यह कॉर्क कैम्बियम नष्ट हो जाता है , इसका स्थान लेने के लिए कॉर्क कैम्बियम की एक नयी परत बनती है जो बाहर की तरफ कॉर्क और अन्दर की तरफ द्वितीयक वल्कुट की कोशिकाएँ बनाने लगती है।
कुछ आवृतबीजी कुलों जैसे मिरटेसी और रोजेसी के सदस्यों की जड़ों और भूमिगत भागों में एक विशेष प्रकार का संरक्षक अथवा सुरक्षात्मक ऊतक पाया जाता है , इसे पोलीडर्म कहते है। पोलीडर्म में दो ऊतक परत एकांतर क्रम में पायी जाती है। एक प्रकार की परत की कोशिकायें एक पंक्ति में व्यवस्थित होती है और इनकी भित्तियों पर सुबेरिन का स्थूलन पाया जाता है। जबकि दूसरी परत की कोशिकाएं अनेक पंक्तियों में व्यवस्थित रहती है और इनकी भित्तियों पर सुबेरिन का स्थूलन नहीं पाया जाता है। इस प्रकार की एकांतर परतों की संख्या पोलीडर्म में 20 तक हो सकती है।
Sbistudy

Recent Posts

द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन क्या हैं differential equations of second order and special functions in hindi

अध्याय - द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन (Differential Equations of Second Order…

10 hours ago

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

3 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

5 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

1 week ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

1 week ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now