second anglo sikh war in hindi , द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध कब हुआ पर संक्षिप्त लेख लिखिए , कारण , परिणाम

जानिये second anglo sikh war in hindi , द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध कब हुआ पर संक्षिप्त लेख लिखिए , कारण , परिणाम ?

प्रश्न: उन परिस्थितियों एवं घटनाओं का वर्णन कीजिए जिनसे ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने पंजाब का विलय किया।
उत्तर: 1. ब्रिटिश हित
(i) सामरिक महत्व (विस्तार-नेपोलियन व रूस के सन्दर्भ में)
(ii) सामरिक महत्व को उत्तर-पश्चिम सीमावर्ती क्षेत्र में प्रभाव की स्थापना के संदर्भ में समझा जाना।
(iii) कपास, नील एवं गेहूं की पेटी होना, जो औद्योगिक क्रान्ति के कच्चे माल की मांग की पूर्ति एवं खाद्यान निर्यात केसंदर्भ में अति महत्वपूर्ण था।
(iv) पंजाब का व्यापारिक एवं वाणिज्यिक महत्व
(v) एक विशिष्ट विचार का प्रभाव कि भारत में राजस्व प्राप्ति व प्रादेशिक विस्तार के किसी भी अवसर को चूकना नहीं … है। डलहौजी इस विचार का महानतम् प्रतिनिधि था।
2. अनुकूल परिस्थितियां
(i) पंजाब की पतोन्मुख परिस्थितियों के अंतर्गत नियंत्रण का सुनहरा अवसर प्राप्त था।
(ii) रणजीत सिंह के पश्चात् पंजाब का राजनीतिक पतन, कमजोर उत्तराधिकारी।
(iii) पंजाब का सैनिक पतन-पंजाब की सैन्य शक्ति महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में नहीं रही।
(iv) रणजीत सिंह की मृत्यु के पश्चात् पंजाब में राजनीतिक अराजकता एवं युद्ध की स्थिति से कम्पनी को लाभ।
महत्वपूर्ण घटनाएं
1. 1809 की अमृतसर की संधि से रणजीत सिंह का सतलज पूर्व एवं दक्षिण में विस्तार अवरुद्ध।
2. 1835 में कम्पनी द्वारा फिरोजपुर में सैन्य केन्द्र की स्थापना।
3. प्रथम आंग्ल-सिक्ख युद्ध (1845-46) में सिक्खों की पराजय।
4. 1846 में लाहौर की संधि से जलंधर से दोआब तक कम्पनी का अधिकार, जम्मू-कश्मीर पर अधिकार से साम्राज्य विस्तार।
5. संधि के तहत लाहौर में सहायक सेना की तैनातगी।
6. 1846 में भैरोंवाल की संधि से एक रीजेंट काउंसिल का निर्माण एवं प्रधान हेनरी लारेंस नियुक्त।
द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध (1848-49)
1. मुल्तान के गवर्नर मूलराज का विद्रोह, ब्रिटिश अधिकारियों की हत्या एवं पंजाब में विद्रोह।
2. लार्ड डलहौजी द्वारा युद्ध की घोषणा एवं कम्पनी की विजय तथा पंजाब का विलय (1849)।
1. महाराजा दलीपसिंह को 5 लाख रु. वार्षिक पेंशन देकर रानी जिंदा के साथ लन्दन भेज दिया।
2. पंजाब में प्रशासन के लिए तीन कमिश्नरों की एक समिति का निर्माण।
3. पंजाब विलय से भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को उत्तर-पश्चिम की ओर प्राकृतिक सीमाएं प्राप्त हो गई।
प्रश्न: “द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध अवसर की महत्ता एवं युद्ध के निर्णयकारी प्रभाव दोनों ही दृष्टि से भारतवर्ष के ब्रिटिश युद्धों के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण स्मरणीय युद्धों में से एक थाश्। विवेचना कीजिए।
उत्तररू गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी का विश्वास था कि हमें नए प्रदेश प्राप्त करने का अवसर नहीं खोना चाहिए। मुल्तान के गवर्नर मूलराज के विद्रोह ने पंजाब पर पुनः आक्रमण का अवसर प्रदान किया। 1846 में मूलराज से 20 लाख रु. नजराने की मांग, रावी नदी के उत्तर का प्रदेश लाहौर दरबार को सौंपने के आदेश, मुल्तान प्रान्त का कर तीन वर्ष के लिए 33 प्रतिशत बढ़ाना इन कारणों से मूलराज द्वारा त्यागपत्र देना। (दिसम्बर, 1847)
1. काहन सिंह को मुल्तान का गवर्नर नियुक्त किया साथ ही दो अंग्रेज अधिकारियों को कार्यभार सौंपा।
2. लाहौर के लोगों का विद्रोह एवं अंग्रेज अधिकारियों की हत्या, मूलराज ने विद्रोहियों का नेतृत्व किया।
3. विद्रोह का विस्तार (संपूर्ण पंजाब में) हजारा में चतरसिंह ने, शेरसिंह ने विद्रोह कर दिया, विद्रोह का एक जन आदोलन का रूप लेना।
4. अंग्रेज भी यही चाहते थे कि पंजाब में एक सामान्य क्रांति हो जाए ताकि पंजाब के विलय का बहाना मिल जाए।
इस प्रकार जिस अवसर की प्रतीक्षा में डलहौजी था वह स्वतः ही प्राप्त हो गया।
5. डलहौजी ने युद्ध घोषणा करते हुए कहा कि ष्सिक्खों ने बिना किसी कारण एवं पर्व चेतावनी के युद्ध की मांग की है, और वह उसे पूरा करेंगा।श् तोपो के युद्व (गुजरात) 1849 में सिक्खों की पराजय। मार्च 1849 में पंजाब के विलय की घोषणा।
परिणामों की महत्ता (युद्ध के निर्णयकारी प्रभाव)
1. परिणामों की महत्ता का एक पक्ष सामरिक महत्व का होना था। अब सिंध एवं अफगानिस्तान का विलय आसान हो गया।
2. दूसरा पक्ष ब्रिटिश साम्राज्य विस्तार था – ब्रिटिश साम्राज्य को उत्तर-पश्चिम की ओर प्राकृतिक सीमाएं मिल गई।
3. महत्ता का तीसरा पक्ष इस क्षेत्र के व्यापारिक-वाणिज्यिकताओं की प्राप्ति।
4. महत्ता का चैथा पक्ष अन्तिम महान् वीरों (सिक्खों के) का दमन व समाप्ति।