हिंदी माध्यम नोट्स
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना कब की गयी थी , science and technology department was established in which year
science and technology department was established in which year in hindi विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना कब की गयी थी ?
भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ढांचा
किसी भी राष्ट्र के विकास का आधार है विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का विकास तभी संभव है, जब उसकी आधारभूत संरचना सुव्यवस्थित तथा सुस्पष्ट हो। भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की परम्परा तो सुदृढ़ रही है, परन्तु मध्यकाल में सामंतशाही विचारधारा के अभ्युदय तथा वैज्ञानिक विचारधारा के पृष्ठभूमि में चले जागे के कारण इसका पर्याप्त विकास नहीं हो पाया। इसका परिणाम यह हुआ कि आधुनिक विश्व में भारत अन्य देशों की अपेक्षा पिछड़ गया। अंग्रेजों ने भी अपने दो सौ वर्षों के शासनकाल में कहने को तो आधुनिकीकरण के बहुत से प्रयास किए, परन्तु भारत में वैज्ञानिक विचारधारा को कभी भी विकसित नहीं होने दिया।
स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद जब सरकार द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास की ओर ध्यान केंद्रित किया गया, तब ऐसा अनुभव हुआ कि अभी भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की आधारभूत संरचना का निर्माण ही आवश्यक है। विगत 67 वर्षों में भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की आधारभूत संरचना का पर्याप्त विकास हुआ है और उसी का परिणाम है कि भारत, रक्षा-प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष-प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्राॅनिक्स, संचार-प्रौद्योगिकी आदि के क्षेत्र में विश्व की महाशक्ति बन चुका है।
भारत में वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी गतिविधियां केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, उच्चतर शैक्षणिक क्षेत्र, सार्वजनिक तथा गिजी क्षेत्र के उद्योगों और बिना लाभ के कार्य करने वाले संस्थानों, संघों समेत एक विस्तृत ढांचे के अंतग्रत संचालित की जाती हैं। संस्थागत प्रतिष्ठानों ने अपनी अनुसंधान प्रयोगशालाओं के जरिए देश में अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया है। इनमें प्रमुख हैं वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद। इसके अतिरिक्त विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के अधीन प्रयोगशालाएं हैं, जैसे परमाणु ऊर्जा विभाग, महासागर विकास विभाग, इलेक्ट्राॅनिक्स विभाग, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, अंतरिक्ष विभाग, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, अक्षय ऊर्जा स्रोत मंत्रालय। उल्लेखनीय है कि औद्योगिक उपक्रमों की अपनी लगभग 12,000 अनुसंधान और विकास इकाइयां हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों में भी विज्ञान संबंधी अनुसंधान एवं विकास कार्य जारी हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से सम्बद्ध केंद्रीय स्तर की योजनाओं का निर्माण योजना विभाग द्वारा निर्मित होता है। भारत सरकार के अधीन सभी मंत्रालयों में अधुनातन प्रौद्योगिकी तथा सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों के बीच समन्वय एवं अपेक्षित प्रौद्योगिकी के निर्माण के लिए सलाहकार समितियों की व्यवस्था की गई है।
भारत में वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय गतिविधियों से संबंधित छह विभाग केन्द्र सरकार के अधीन कार्यरत हैंः
(i) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग;
(ii) वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग;
(iii) जैव-प्रौद्योगिकी विभाग;
(iv) सामुद्रिक विकास विभाग;
(v) अन्तरिक्ष विभाग, और;
(vi) परमाणु ऊर्जा विभाग।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग : वर्ष 1971 में भारत सरकार के अधीन एक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना की गयी। इस विभाग ने अपनी नीति तथा कुछ निश्चित दिशा-निर्देश निर्धारित किए हैं और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में समन्वय स्थापित करने की व्यवस्था की है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से सम्बद्ध सभी अनुसंधानात्मक और विकासात्मक कार्यो को प्रोत्साहन तथा अनुदान देना इस विभाग का प्रमुख कार्य है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की सकारात्मक पहल से राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में इस क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रयासों को सबल आधार प्राप्त हुआ है।
स्वायत्त संस्थानः देश में 18 ऐसेे स्वायत्त वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय सस्ंथान हैं, जो राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की निगरानी में कार्य करते हैं। इनमें से अधिकांश संस्थानों की स्थापना प्रमुख वैज्ञानिकों द्वारा की गई थी। इन संस्थानों के सफल कार्यों के परिणामस्वरूप भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हो सकी है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से सम्बद्ध प्रमुख स्वायत्त संस्थान निम्न हैंः
ऽ आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान (Aryabhatta Research Institxte of Observational Science—ARIES) देश में सबसे ऊंचाई पर नैगीताल में स्थित है। पचास वर्ष पुरानी इस राज्य प्रेक्षणशाला को परिष्कृत एवं नवीनीकरण कर मार्च 2004 में अस्तित्व में लाया गया। यह प्रयोगशाला भूर्गीा, भू-भौतिकी और परमाणविक भौतिकी सहित मौसम परिवर्तन आदि के क्षेत्र में प्राथमिक वैज्ञानिक अनुसंधानों के लिए समर्पित है। एरीज लगभग 180 अंश देशांतर बन्ध के मध्य स्थित है। यहां अत्याधुनिक भू-गर्भीय सुविधाएं प्राप्त हैं। यह केनारी आइलैण्ड (-20° प.) और पूर्वी आस्ट्रेलिया (-155° पू.) के मध्य है। वे परीक्षण जो कि केनारी आइलैण्ड और आस्ट्रेलिया में दिन की रोशनी के कारण संभव नहीं हैं उन्हें ‘एरीज’ के माध्यम से देखा जा सकता है। अनुसंधान के मुख्य क्षेत्र हैं आकाश गंगाओं का दीप्तिकालिक अध्ययन (Photometric Studies of Galaxies), ग्रहीय भौतिकी, सौर क्रियाएं, सूर्य का स्पेक्ट्रम विज्ञान, तारीय संगुच्छ (Star Clusters), तारीय ऊर्जा वितरण, तारीय संख्या तथा उसकी परिवर्तनशीलता।
ऽ तरल क्रिस्टल अनुसंधान केंद्र (Center for Liquid Crystal Research—LCR) 1995 में एक स्वायत्त संस्था के रूप में बंगलुरू में स्थापित किया गया। इसे सूचना-तकनीक विभाग, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में रखा गया है। लिक्विड क्रिस्टल मैटेरियल के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास में कुशलता पाने के लिए इस केंद्र की स्थापना की गई है। दिसम्बर 2002 से यह विज्ञान और तकनीकी विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य कर रहा है। CLCR के दीर्घकालिक लक्ष्यों में नए लिक्विड क्रिस्टलाइन मैटेरियल को निकालना और नए उत्पादों एवं प्रक्रियाओं से सम्बन्धित तकनीकों की खोज करना शामिल है।
ऽ इण्डियन एसोसिएशन फाॅर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस, कोलकाता की स्थापना वर्ष 1876 में हुई थी। यह संस्थान भारत सरकार द्वारा निर्धारित अभावग्रस्त क्षेत्रों एवं प्राथमिकताओं के अनुरूप कार्य करता है।
ऽ जगदीश चन्द्र बोस संस्थान, कोलकाता की स्थापना वर्ष 1917 में प्रख्यात वैज्ञानिक श्री जगदीश चन्द्र बोस ने की थी। जीव-विज्ञान पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए यह संस्थान मौलिक एवं अनुप्रयुक्त विज्ञानों के संबंध में अनुसंधान कार्य करता है।
ऽ महाराष्ट्र एसोसिएशन फाॅर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस, पुणे की स्थापना वर्ष 1946 में हुई थी। जीव-विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य करना इस संस्थान का कार्य है।
ऽ बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान, लखनऊ की स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी। यह संस्थान पुरावनस्पति विज्ञान के मौलिक एवं अनुप्रयुक्त दोनों ही क्षेत्रों में अनुसंधान करता है तथा उसे प्रोत्साहन प्रदान करता है।
ऽ रमन अनुसंधान संस्थान, बंगलुरू की स्थापना वर्ष 1948 में प्रख्यात वैज्ञानिक डाॅक्टर सी.वी.रमन ने की थी। 1970 में रमन की मृत्यु के बाद आधारभूत वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए रमन अनुसंधान संस्थान को राष्ट्रीय संस्थान के रूप में पुनग्रठित किया गया। खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी, रवादार द्रव आदि के क्षेत्र में अनुसंधान इस संस्थान के प्रमुख कार्य हैं।
ऽ वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान, देहरादून की स्थापना वर्ष 1968 में हुई। यह संस्थान हिमालय में जैव-स्तर,शैल, भू-रसायन, अवसाद, विवर्तन, वातावरण आदि से सम्बद्ध विभिन्न क्षेत्रों में मौलिक अनुसंधान का कार्य करता है।
ऽ भारतीय भू-चुम्बकत्व संस्थान, कोलाबा (मुम्बई) की स्थापना वर्ष 1971 में की गई। यह संस्थान भू-भौतिकी, ठोस भूमि, वायुमण्डल और अंतरिक्ष भौतिकी के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य करता है।
ऽ श्री चित्रा तिरूनल आयुर्विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान, त्रिवेन्द्रम इस संस्थान को वर्ष 1981 में राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में स्वीकृत किया गया। जैव-चिकित्सा अभियांत्रिकी ,वं प्रौद्योगिकी का विकास करना, रोगी की निगरानी के उच्च स्तर को कायम रखना। स्नातकोत्तर शिक्षण कार्यक्रम प्रायोजित करना संस्थान के प्रमुख कार्य हैं।
ऽ सत्येन्द्र नाथ बोस राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र, कोलकाता की स्थापना वर्ष 1986 में की गई थी। भौतिक विज्ञान की चुनी हुई शाखाओं में उच्च अध्ययन के विकास को प्रोत्साहन प्रदान करना, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के बीच व्यक्तिगत सम्पर्क तथा बौद्धिक विचार-विमर्श के लिए एक माध्यम के रूप् में कार्य करना संस्थान का प्रमुख उद्देश्य है।
ऽ जवाहर लाल नेहरू सेंटर फाॅर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, बंगलुरू की स्थापना वर्ष 1989 में की गई। विज्ञान के कुछ प्रमुख क्षेत्रों में सीमांत अनुसंधान करना, भारतीय विज्ञान संस्थान एवं देश के अन्य संस्थाओं के वैज्ञानिकों के साथ सहयोगात्मक अनुसंधान को प्रोत्साहित करना, देश के भीतर वैज्ञानिकों के लिए आवश्यक रुचि के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण वैज्ञानिक विषयों पर गहन विचार-विमर्श के लिएएक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करना, प्रतिभाशाली युवा विशेषज्ञों के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करना आदि इस संस्थान के प्रमुख कार्य हैं।
ऽ प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान, गांधीनगर की स्थापना वर्ष 1989 में की गई। उच्च तापमान पर चुम्बकीय शक्ति से आबद्ध प्लाज्मा के संबंध में मौलिक अनुसंधान करना।
ऽ भारतीय तारा भौतिकी संस्थान, बंगलुरू की खगोल विज्ञान, भौतिकी एवं तारा भौतिकी के अध्ययन के लिए स्थापना की गई है। बंगलुरू, कावलूर, कोडेकनाल एवं गौरी बिदनूर की चार प्रयोगशालाओं में संस्थान के अनुसंधान कार्य चल रहे हैं।
ऽ भारतीय उष्णक्षेत्रीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे की उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान में मूल तथा अनुप्रयुक्त अनुसंधान के उद्देश्य से स्थापना की गयी। उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से संबद्ध मौसम रूपांतरण सहित मौसम विज्ञान के सभी पहलुओं का अनुसंधान करना तथा उन्हें प्रोत्साहन प्रदान करना।
ऽ व्यावसायिक निकायः विज्ञान एवं तकनीकी विभाग कुछ व्यावसायिक निकायों को भी अनुदान देता है वे हैंः
ऽ भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, नई दिल्ली की देश में प्राकृतिक विज्ञान के विकास एवं वृद्धि के उद्देश्य से स्थापना की गई। प्रसिद्ध वैज्ञानिकों को फैलोशिप देना, वरिष्ठ वैज्ञानिकों को सम्मानित करना, युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करना।
ऽ राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, इलाहाबाद की स्थापना वर्ष 1931 में की गई। अनुसंधान कार्य से सम्बद्ध सामग्रियों का प्रकाशन तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से सम्बद्ध विभिन्न कार्यों को प्रोत्साहन देने के लिए एक राष्ट्रीय माध्यम के रूप् में कार्य करना।
ऽ भारतीय विज्ञान अकादमी, बंगलुरू का उद्देश्य दैनिक प्रकाशन करना,सेमिनार का आयोजन करना और वैज्ञानिक योग्यता की पहचान कर उसे पुरस्कार प्रदान करना।
ऽ भारतीय राष्ट्रीय अभियांत्रिकी अकादमी, नई दिल्ली इंजीनियरों की संगोष्ठी का आयोजन करता है तथा युवा इंजीनियरों द्वारा उत्तम डिजाइनों के निर्माण किए जागे पर उन्हें पुरस्कार प्रदान करता है।
ऽ भारतीय विज्ञान कांग्रेस संगठन, कोलकाता की वार्षिक विज्ञान कांग्रेस जो वैज्ञानिक शोध प्रस्तुत करती है, उसे संभालने का कार्य करती है।
ऽ वैज्ञानिक सेवाएंः विज्ञान एवं प्रौद्योगिक विभाग निम्नलिखित वैज्ञानिक सेवाएं प्रदान करता है।
ऽ भारतीय सर्वेक्षण विभाग, देहरादून भारत में विकास कार्यों एवं रक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप विविध प्रकार के राष्ट्रीय मानचित्र निर्मित करता है। इसके द्वारा सिंचाई, विद्युत, संचार, बाढ़-नियंत्रण, जलापूर्ति, वानिकी, कोयला आदि विकास परियोजनाओं के लिए भूमि के अनेक प्रकार के सर्वेक्षण किए गए हैं। (यह एक राष्ट्रीय एजेंसी है जिस पर भौगोलिक नामों के मानकीकरण का उत्तरदायित्व है। विमान द्वारा सम्पूर्ण देश का चित्र लेना भी इसी विभाग से संबंधित कार्य है।)
ऽ नेशनल एटलस एंड थिमेटिक मैपिंग आर्गेनाइजेशन (एनएटीएमओ) थिमेटिक मानचित्र तैयार करने के क्षेत्र में अग्रणी संगठन है। यह भारत की राष्ट्रीय एटलस और पर्यावरणीय एवं सम्बद्ध पहलुओं तथा सामाजिक और आर्थिक विकास पर उनके प्रभाव पर शोध अध्ययन पर आधारित थिमेटिक मानचित्रों का संकलन करता है।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…