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श्रोडिंगर समीकरण क्या है schrodinger wave equation in hindi आइगेन मान और आइगेन फलन , संकारक की परिभाषा
(schrodinger wave equation in hindi) श्रोडिंगर समीकरण : श्रोडिंगर equation को क्वांटम यांत्रिकी के अभिग्रहितो का उपयोग करके आसानी से व्युत्पन्न किया जा सकता है।
माना एक single particle या कण जैसे electron , जिसका द्रव्यमान m , वेग v हो तो इसकी कुल ऊर्जा गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा का योग होती है।
Ex = Tx + Vx …… (x coordinate के लिए )
परन्तु गतिज ऊर्जा Tx = Px2/2m
Ex = Px2/2m + Vx ……
माना एक single particle या कण जैसे electron , जिसका द्रव्यमान m , वेग v हो तो इसकी कुल ऊर्जा गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा का योग होती है।
Ex = Tx + Vx …… (x coordinate के लिए )
परन्तु गतिज ऊर्जा Tx = Px2/2m
Ex = Px2/2m + Vx ……
इस समीकरण को श्रोडिंगर समीकरण कहते है।
आइगेन मान और आइगेन फलन
यदि किसी संकारक A की फलन Ψ पर संक्रिया (process) द्वारा परिणाम के रूप में किसी गुणांक ai के साथ वही फलन प्राप्त हो तो ऐसे फलन को आइगेन फलन व गुणांक ai को आइगेन मान कहते है।
संकारक x आइगेन फलन = आइगेन मान x वही फलन
A Ψi = ai Ψi
यहाँ A = फलन का संकारक
Ψi = संकारक A का आइगेन फलन
ai = संकारक A का आइगेन मान
आइगेन मान वास्तविक व काल्पनिक हो सकता है , परन्तु यह सदैव स्थिर गणितीय मान होता है।
संकारक
संकारक एक बीज गणितीय पद है जो एक फलन को दूसरे फलन में परिवर्तित करने का निर्देश देता है।
संकारक x फलन = नया फलन
वह फलन जिस पर संकारक कार्य करता है , संकार्य (operent)
जैसे dfx/dx में d/dx = संकारक तथा fx = संकार्य
संकारको का बीजगणित
1. योग एवं व्यकलन : यदि संकारको को जोड़ा या घटाया जाता है तो नए संकारक प्राप्त होते है।
माना A तथा B दो भिन्न संकारक है तथा f एक फलन है तो
(A + B )f = Af + Bf
(A – B )f = Af – Bf
2. गुणात्मक संकारक : यदि A तथा B दो भिन्न संकारक है और f एक फलन है तो
(A.B)f = Af’ = f”
अत: किसी फलन पर दो या दो से अधिक संकारको की संक्रिया की जाए तो इसे गुणात्मक संकारक कहते है।
3. कम्यूटेटर operator : किसी फलन पर दो संकारको को किसी भी क्रम में संकारित करने जैसे एक जैसे परिणाम प्राप्त होते है तो संकारक कम्यूटेटर संकारक (operator) कहलाते है।
A तथा B दो संकारक कम्यूट कहलायेंगे यदि
(A.B)f = (B.A)f
दो कम्यूटेटर संकारको A व B के लिए [A.B] = 0
4. थालाशियन संकारक : यह अवकलन संकारक है इसे ∇2 से व्यक्त करते है।
∇2 = d2/dx2 + d2/dy2 + d2/dz2
5. हेमिल्टोनियन संकारक : किसी तंत्र की कुल ऊर्जा (स्थितिज ऊर्जा + गतिज उर्जा ) के लिए हेमिल्टोनियन संकारक को काम में लिया जाता है।
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