सेफ्टी वाल्व थ्योरी किसने दिया ? , तड़ित चालक सिद्धांत कांग्रेस kisne diya safety valve theory in hindi

safety valve theory in hindi सेफ्टी वाल्व थ्योरी किसने दिया ? , तड़ित चालक सिद्धांत कांग्रेस ‘कांग्रेस का जन्म’ सेफ्टी वॉल्व के रूप में हो रहा है, निम्न में से यह किसका कथन था ?

प्रश्न: सेफ्टी वॉल्ब मिथक
उत्तर: मिथक यह है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का आरम्भ ए. ओ. ह्यूम और अन्य द्वारा, ऐसे आधिकारिक निर्देश, मार्गदर्शन और सलाह के अधीन किया गया जो वायसराय लॉर्ड डफरिन से कमतर किसी व्यक्ति की नहीं थी, ताकि एक सुरक्षित, सौम्य, शान्तिपूर्ण और संवैधानिक निकास या सुरक्षा वाल्व, जन-समूह के बीच उठते हुए उस असंतोष के लिए प्रदान किया जा सके, जोकि अपरिहार्य रूप से एक लोकप्रिय और हिंसक क्रान्ति की ओर बढ़ रहा था। परिणामतः उसकी क्रान्तिकारी संभाव्यता को आरम्भ में ही दबा दिया गया। अधिकांश लेखक मिथक के इस मर्म को स्वीकार करते हैं कि एक हिंसक क्रान्ति उस समय होने ही वाली थी और उसका परिहार केवल कांग्रेस के संस्थापन से हुआ, ……. वे सभी इससे सहमत हैं कि कांग्रेस के जन्म की रीति ने इसके आधारभूत चरित्र और भावी कार्य को निर्णायक तरीके से प्रभावित किया।

प्रश्न: अभिनव भारत
उत्तर: वी.डी. सावरकर (The Indian war of Independence, 1909) ने 1906 में अभिनव भारत नामक क्रांतिकारी संस्था की स्थापना महाराष्ट्र में की। इसके जरिये उसने क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम दिया।
प्रश्न: मुस्लिम लीग [RAS Main’s]2012,
उत्तर: 30 दिसम्बर, 1906 को ढाका में मोम्डन एजुकेशनल कॉन्फ्रेंस की बैठक हुई व इसी सम्मेलन में ढाका नवाब सलीमुल्लाह ने मुस्लिम लीग की स्थापना की जो एक मुस्लिम संगठन था।
प्रश्न: अनुशीलन समिति
उत्तर: पी.के. मित्रा ने 1907 में अनुशीलन समिति नामक क्रांतिकारी संस्था की स्थापना बंगाल में की। बारीन्द्र कुमार घोष भूपेन्द्र दत्त, सचिन्द्र सान्याल आदि इस समिति के प्रमुख सदस्य थे।
प्रश्न: साबरमती आश्रम
उत्तर: दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के बाद गांधीजी ने अहमदाबार मे सत्याग्रह आश्रम स्थापित किया था. जो बाद में साबरमती नदी के किनारे स्थानानतरित कर दिया गया और साबरमती आश्रम कहलाया। यह आश्रम 150 एकड़ भूमि में है।
प्रश्न: हिन्दुस्तान (हिन्द स्वराज)।
उत्तर: दक्षिण अफ्रीका से लौटते वक्त गांधीजी ने हिन्दुस्तान की रचना की, जिसमें उन्होंने हिन्द स्वराज की अवधारणा के साथ अहिंसा एवं सत्याग्रह पर भी अपने विचार प्रकट किए।
प्रश्न: गदर पार्टी
उत्तर: गदर पार्टी एक क्रांतिकारी संगठन था, जिसकी स्थापना श्द गदरश् नामक पत्रिका को केन्द्र बनाकर की गयी थी। इसका मुख्यालय सेन फ्रांसिस्को में था तथा इसकी शाखाएं अमेरिका कनाडा और सुदूर पूर्वी देशों में थी। इस संगठन में मख्यतः पंजाब से आये पूर्व सैनिक और किसान थे। लाला हरदयाल, मुहम्मद बरकतुल्लाह, भगवान सिंह, रामचन्द्र और सोहन सिंह भखना गदर पार्टी के कुछ प्रमुख नेता थे।
प्रश्न: गांधीजी ने भारत में पहले सार्वजनिक उपस्थिति कब और कहां दी गई?
उत्तर: गाँधीजी पहली महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपस्थिति फरवरी, 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के उद्घाटन समारोह में हुई। इस समारोह में आमंत्रित व्यक्तियों में वे राजा और मानवप्रेमी थे जिनके द्वारा दिए गए दान ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान दिया। समारोह में एनी बेसेंट जैसे कांग्रेस के कुछ महत्वपूर्ण नेता भी उपस्थित थे।
प्रश्न: चंपारन सत्याग्रह
उत्तर: भारत में गांधीजी का प्रथम सत्याग्रह चंपारन सत्याग्रह (1917) था। यह सत्याग्रह तिनकठिया प्रथा के विरोध में था, जिसमें किसानों को भूमि के 3/20 भाग पर नील उत्पादन के लिए बाध्य किया जाता था। गांधीजी ने सरकार को एक जांच समिति बनाने के लिए बाध्य किया जिसके स्वंय भी सदस्य बने। यह गांधीजी के सविनय अवज्ञा आंदोलन की प्रथम विजय थी।
प्रश्न: अगस्त, 1917 की घोषणा
उत्तर: मांटेग्य ने 20 अगस्त, 1917 की घोषणा की जिसके अनुसार ब्रिटिश साम्राज्य के एक अभिन्न अंग के रूप में भारत में एक उत्तरदायी सरकार की अधिकाधिक स्थापना की दृष्टि से स्वशासी संस्थाओं का क्रमिक विकास करना उसकी नीति है।
प्रश्न: रॉलेट एक्ट
उत्तर: इस एक्ट (1919) में सरकार को यह अधिकार प्राप्त था कि वह किसी भी भारतीय को बिना मुकदमा चलाये और दंड दिये जेल में बन्द करे। इस एक्ट के विरोध में गांधीजी ने 6 अप्रैल, 1919 को हड़ताल का आह्वान किया था।
प्रश्न: चेम्बर ऑफ प्रिन्सेज ध्नरेन्द्र मण्डल
मान्टफोर्ड सुधार के द्वारा 1921 में निर्मित भारतीय राज्यों (रजवाड़ो) का नरेन्द्र मंडल, जो सलाहकार का कार्य करता था। इसके पहले चांसलर बीकानेर महाराजा गंगासिंह थे।
प्रश्न: अली बंधु
अली बंधु (मुहम्मद अली और शौकत अली) तथा अबुल कलाम आजाद ने खिलाफत आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। खिलाफत आन्दोलन के समय ही अली बन्धुओं ने सरकारी नौकरी छोड़ दी और राष्ट्रीय आन्दोलन से जुड़ गये। उन्होंने असहयोग आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की तथा जेल गये। वे हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने ‘अंजुमन-ए-काबा‘ की स्थापना की।
प्रश्न: चैरी-चैरा कांड
उत्तर: 5 फरवरी 1922 के दिन गोरखपुर जिले की चैरी-चैरा पुलिस चोकी को उग्र भीड़ ने जला दिया जिसमें 20 पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई। इसी बात को आधार बनाकर गांधीजी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।
प्रश्न: निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
(1) गुरु का बाग सत्याग्रह (2) झण्डा सत्याग्रह (3) बरसाड़ सत्याग्रह
(4) तारकेश्वर आंदोलन (5) वायकोम सत्याग्रह
उत्तर: (1) गुरु का बाग सत्याग्रह अगस्त, 1922 में अमृतसर पंजाब में चलाये गये इस सत्याग्रह का कारण अपदस्थ महन्त और नवगठित शिरोमणि गुरू द्वारा प्रबंधक कमेटी के बीच विवादित भूमि पर स्थित एक पेड़ को काटे जाने के कारण हुआ।
(2) झण्डा सत्याग्रह 1923 में कांग्रेस के ध्वज के प्रयोग को रोकने के विरुद्ध नागपुर में हुआ। यह एक स्थानीय आदेश था। इस सत्याग्रह में गुजरात से आंदोलनकारियों के गुट नागपुर आये।
(3) बरसाड़ सत्याग्रह खेड़ा जिले में स्थित बरसाड़ में डकैतियों की घटनाओं को रोकने के लिए अपेक्षित पुलिस दलों की नियुक्ति हेतु प्रत्येक वयस्क पर दो रूपये सात आने का कर लगाया गया जिसके विरुद्ध किया गया सत्याग्रह सफल रहा। हार्डीमन ने बरसाड़ सत्याग्रह को ग्रामीण गुजरात का प्रथम सफल सत्याग्रह कहा।
(4) तारकेश्वर आंदोलन 1924 में बंगाल स्थित एक भ्रष्ट महंत के विरुद्ध स्वामी विश्वानंद ने प्रारंभ किया, कालांतर में सी.आर. दास भी इससे जुड़ गये।
(5) वायकोम सत्याग्रह 1924-25 में केरल के त्रावणकोर राज्य एझवा कांग्रेसी नेता टी.के. माधवन ने मंदिर में प्रवेश के लिए चलाया।
प्रश्न: हिन्दस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन (HRA)
उत्तर: क्रांतिकारी नेताओं ने अक्टबर. 1924 को कानपुर सम्मेलन में हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन (भ्त्।) की स्थापना की।
एच.आर.ए. ने बम व पिस्तौल की राजनीति से देश को आजाद कराने का बीड़ा उठाया।
प्रश्न: काकोरी काण्ड, अगस्त, 1925
उत्तर: एच.आर.ए. के रोशन लाल. अशफाक उल्लाह खां, राजेन्द्र लाहिडी सहित 10 क्रांतिकारियों ने रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 9 अगस्त. 1925 को काकोरी (सहारनपुर) नामक स्थान पर रेल से सरकारी खजाने को लूट लिया जिसे काकोरी काण्ड के नाम से जाना जाता है। रामप्रसाद बिस्मिल, रोशन लाल, अशफाक उल्लाह खां, राजेन्द्र लाहिडी को 1927 में फांसी दे दी गई।
प्रश्न: बटलर कमेटी रिपोर्ट
उत्तर: बटलर कमेटी रिपोर्ट देशी रियासतों से संबंधित है। यह कमेटी ‘सर्वोच्चता‘ (पैरामाउण्टसी) को परिभाषित करने के लिए बनायी गयी थी, परन्तु इस रिपोर्ट ने सर्वोच्चता को अपरिभाषित ही रखा और अत्यधिक आलोचनाओं की शिकार हुई।
प्रश्न: बारदोली सत्याग्रह
उत्तर: बारदोली नामक स्थान गुजरात में स्थित है। बारदोली के किसानों ने लगान वृद्धि के विरुद्ध संघर्ष प्रारम्भ किया। इसी आन्दोलन (1928) ने सरदार वल्लभाई पटेल को चर्चित नेता बना दिया।
प्रश्न: उत्तरदायी सरकार-अधिराज्य
उत्तर: नेहरू रिपोर्ट 1928 में सरकार से उत्तरदायी सरकार एवं अधिराज्य की मांग की और इसे स्पष्ट किया गया। उत्तरदायी सरकार का संबंध इस बात से था कि देश में शासन प्रणाली किस प्रकार की होगी। डोमिनियन स्टेटस का संबंध इस बात से था कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की दृष्टि से देश का दर्जा क्या है, सरकार स्पष्ट करें।
प्रश्न: खुदाई खिदमगार
उत्तर: यह प्रसिद्ध राष्ट्रवादी खन अब्दुल गफ्फार खान द्वारा 1929 में गठित यह संगठन अहिंसावादी क्रांतिकारियों का एक दल था। यह संगठन सुधारवादी तथा सामाजिक बदलाव का पक्षधर एवं कट्टर मुस्लिम विचारधारा का विरोधी था।
प्रश्न: दांडी प्रयाण
उत्तर: गांधीजी ने साबरमती आश्रम से 12 मार्च-6 अप्रैल, 1930 में 78 सदस्यीय कार्यकर्ताओं के साथ दांडी तक की 276 मील लम्बी पद यात्रा की थी। दांडी में गुजरात में अरब सागर तट पर स्थित है। सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरूआत यहीं से हुई थी। दांडी मार्च के बाद गांधीजी ने यहीं पर नमक बनाकर सत्याग्रह की (1930) शुरूआत की थी।
प्रश्न: साम्प्रदायिक घोषणा (Communal Award)
उत्तर: साम्प्रदायिक घोषणा 17 अगस्त, 1932 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्से मैकडोनाल्ड द्वारा की गई। इस घोषणा में मुसलमानों तथा ईसाईयों के अतिरिक्त हरिजनों के साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व का भी समर्थक किया गया था। इसमें भारतीय दलितों को केन्द्रीय विधानमंडल में 9 प्रतिशत तथा प्रान्तीय विधानमंडलों में 71 स्थान निर्धारित किए। महात्मागांधी ने इसके विरोध में उपवास किया। बाद में विरोध होने पर इसे 20 सितम्बर, 1932 को वापस ले लिया गया था।
प्रश्न: हरिपुरा
उत्तर: हरिपुरा में 1938 में कांग्रेस अधिवेशन हुआ था, जिसमें सुभाष चन्द्र बोस को अध्यक्ष बनाया गया था। यह पहला अवसर था, जब किसी गांव में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था।
प्रश्न: अगस्त प्रस्ताव, 1940
उत्तर: वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने 8 अगस्त, 1940 को एक घोषणा की, जिसके अंतर्गत डोमिनियन स्टेटस, युद्ध पश्चात् संविधान बनाने के लिए एक निकाय के गठन, वायसराय की कार्यकारिणी का विस्तार तथा एक युद्ध समिति के गठन का प्रस्ताव था।
प्रश्न: बाटों और छोड़ो की नीति कब और किसके द्वारा शुरू की गई?
उत्तर: 1943 में मुस्लिम लीग ने कराची अधिवेशन में बांटों और छोड़ों का नारा दिया। 23 मार्च, 1943 को पाकिस्तान दिवस मनाया गया।

लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न: भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विभिन्न चरणों के बारे में बताइए।
भारत में राष्ट्रीय आंदोलन की शुरूआत 1885 में कांग्रेस की स्थापना से मानी जाती है। राष्ट्रीय आंदोलन को तीन चरणों में बांटा जाता है।
1. प्रथम चरण (1885 – 1905 ई.): उदारवादी युग: नेता – दादा भाई नारौजी, फिरोजशाह मेहता, गोपाल कृष्ण गोखले, के.टी. शाह तेलंग, बदरूद्दीन तैयबजी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी आदि। नीति संवैधानिक तरीके।
2. द्वितीय चरण (1905 – 1919 ई.): उग्रवादी युग: नेता – लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक, विपिन चन्द्रपाल अरविंद घोष, बिल्लभाई पटेल नीति – उग्र एवं आक्रामक राष्ट्रवाद
3. तृतीय चरण (1920 – 1947 ई.): गांधीवादी युग: नेता-महात्मा गांधी, सहायक – जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, नीति-संघर्ष-समझौता-संघर्ष।
प्रश्न: कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्य क्या थे?
कांग्रेस के प्रथम सम्मेलन में निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य बताये गए।
1. देशहित की दिशा में प्रयत्नशील भारतीयों के बीच परस्पर समन्वय स्थापित कर मित्रता को प्रोत्साहित करना।
2. देश में व्याप्त धर्म, वंश एवं प्रान्त संबंधी विवादों को समाप्त कर राष्ट्रीय एकता की भावना को प्रोत्साहित करना।
3. शिक्षित वर्ग की सहमति से आवश्यक सामाजिक विषयों पर विचार-विमर्श करके भविष्य में भारतीय जन-कल्याण के लिए नीति निर्धारण करना।
4. भारत के प्रति अन्यायपूर्ण परिस्थितियों को खत्म करके भारत और ब्रिटेन के संबंधों को घनिष्ठ बनाना।
5. जनता की मांगों का सूत्रीकरण और उसका प्रस्तुतीकरण करना।
6. भारत के सभी वर्गों और समुदायों को एकत्रित करके उनमें एक राष्ट्र की भावना उत्पन्न करना।

प्रश्न: भारत राजनीति में नरम दल का उत्कर्ष एवं पराभव।
उत्तर: नरम दल वालों द्वारा भारतीयों को अधिक राजनीतिक अधिकार दिये जाने, प्रशासन को और अधिक उत्तरदायी बनाने, भारत का आर्थिक शोषण कम किये जाने आदि से संबंधित मांगों को अंग्रेजी शासन द्वारा नहीं माने जाने के कारण इनका प्रभाव भारतीयों पर से समाप्त होता गया। साथ ही, जनता नरम दल की कार्यपद्धति ‘क्रमिक विकास तथा संविधानवाद‘ एवं प्रार्थना, ज्ञापन तथा विरोध की अभिव्यक्ति को असम्मानजनक और अंग्रेजी शिक्षित भारतीय कुलीनों की भिक्षावृत्ति के रूप में देखती थी। दूसरी तरफ अरविन्द घोष, तिलक, पाल, लाला लाजपत राय एवं रवीन्द्र नाथ टैगोर जैसे लोगों ने नरम दल वालों की प्रार्थनाओं और दरख्वास्तों के बदले ‘आत्मनिर्भरता‘, ‘रचनात्मक कार्यो‘, और ‘स्वदेशी‘ के नये नारे को प्रचारित कर नरम दलों के भीखमंगेपन पर कड़ा आघात किया था। साथ ही नरम दल वाले अपनी कम संख्या, जनता का पूर्ण समर्थन नहीं मिलने और अंग्रेजों की न्यायप्रियता पर अधिक विश्वास रखने के कारण अंग्रेजों से इच्छित प्रत्युत्तर प्राप्त करने में भी असफल रहे।