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Ringing or girdling experiment in hindi , वलयन अथवा मेखला प्रयोग क्या है , एफिड शूकिका से प्राप्त रस का विश्लेषण (Analysis of sap from aphid stylet)
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कार्बनिक विलेय पदार्थों का स्थानान्तरण (Transport of Organic Solutes)
परिचय (Introduction)
पादपों में हरितलवक युक्त कोशिकाओं में प्रकाश संश्लेषण के फलस्वरूप कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण होता है। खाद्य पदार्थों के संश्लेषण का स्थल स्रोत (source) तथा संचय स्थल (storage site) तथा खाद्य पदार्थों के उपापचय स्थल (site for metabolism) जैसे मूल, तना, बीज इत्यादि सिंक (sink ) कहलाते हैं।
विभिन्न कार्बनिक एवं अकार्बनिक विलेय पदार्थों का उच्च पादप के एक भाग अर्थात् संश्लेषी से दूसरे भाग में चालन अथवा गमन उन का स्थानांतरण (translocation) कहलाता है। कार्बनिक विलेय पदार्थों (organic solutes) का इस प्रकार का स्रोत से सिंक तक का चालन कार्बनिक विलेयों का स्थानांतरण (translocation of organic solutes) कहलाता है।
स्थानांतरण का पथ (Pathway for translocation)
निम्न वर्ग के पादपों का आकार छोटा होता है एवं लगभग सभी कोशिकाएं हरित युक्त होती हैं अतः संश्लेषित भोजन के स्थानांतरण की विशेष समस्या नहीं होती। कुछ पादपों में संचयी कोशिकाएं हरित कोशिकाओं के समीप ही होती हैं व पदार्थों का स्थानान्तरण सरलता से हो जाता है। उच्च वर्गीय पादपों की ऊँचाई अधिक होती है व इनमें हरित कोशिकाओं के अतिरिक्त अनेक क्लोरोफिल विहीन कोशिकाएँ होती है, जो श्वसन एवं जैव संश्लेषण हेतु भोज्य आपूर्ति के लिए हरित कोशिकाओं पर निर्भर करती हैं। इन कोशिकाओं के मध्य अधिक दूरी होने के कारण सुविकसित, दक्ष संवहन तंत्र की आवश्यकता होती है।
उच्च पादपों में दारू ( जायलम xylem) एवं पोषवाह (फ्लोएम phloem) संवहन ऊतक होते हैं। जायलम एवं फ्लोएम दोनों मिल कर संवहन पूल ( vascular bundles ) बनाते हैं। ये संवहन पूल द्विबीजपत्रियों में वलय के रूप में तथा एकबीजपत्रियों में बिखरे हुए रहते हैं । द्वितीयक वृद्धि के बाद में फ्लोएम जायलम के बाहर की ओर पूरे वलय के रूप होती है । जायलम एवं फ्लोएम दोनों ही जटिल (complex) ऊतक हैं।
जायलम में वाहिकाओं तथा फ्लोएम में चालनी नलिकाओं में संरचनात्मक एवं कार्यिकी लक्षणों को तुलनात्मक अध्ययन से भी ऐसा प्रतीत होता है कि कार्बनिक पदार्थों का स्थानांतरण फ्लोएम द्वारा होता है। कार्बनिक विलेयों का स्थानांतरण का मार्ग सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न वैज्ञानिकों ने अनेक प्रयोग किये हैं जिनके द्वारा यह सिद्ध होता है कि पत्तियों द्वारा संश्लेषित कार्बनिक विलेयों का स्थानांतरण फ्लोएम के माध्यम से होता है।
विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा किये गये प्रयोगों में सरलतम एवं महत्वपूर्ण वलयन प्रयोग (ringing experiment) है जो ब्रोथर्टन एवं हुक (Brotherton and Hooke. 1671), माल्पिघी (Malpighi, 1679), मेसन एवं मास्केल (Mason and Maskell, 1928) इत्यादि अनेक वैज्ञानिकों द्वारा किया गया था ।
- वलयन अथवा मेखला प्रयोग ( Ringing or girdling experiment)
यह प्रयोग सामान्यतः काष्ठीय द्विबीजपत्री पादपों (woody dicot plants) में किया जाता है, जिसमें द्वितीयक संवहन ऊतक वलय में बनते हैं। इस प्रयोग में संवहन ऊतक की सततता (continuity) को नष्ट करने के लिए सबसे निचली पत्ती के नीचे एक वलय में छाल ( जिसमें काग, कागएधा, वल्कुट एवं द्वितीयक पोषवाह शामिल होते हैं) अर्थात् संवहन एधा से बाहर के सभी ऊतकों को हटा दिया जाता है।
ऐसी स्थिति में पादप में वलय के ऊपर का भाग निचले भाग से मज्जा एवं जायलम के द्वारा जुड़ा रहता है। कुछ दिनों पश्चात् वलय के ऊपर छाल का निचला सिरा फूल जाता है क्योंकि इसमें पत्तियों द्वारा संश्लेषित भोजन निचले भाग में न जा पाने के कारण एकत्रित हो जाता है। कभी-कभी कुछ सप्ताहों पश्चात् फूले हुए सिरे से अपस्थानिक मूल (adventitious roots) निकलते हैं। किसी पादप में वलय में छाल हटा देने पर जड़ें सबसे पहले मृत हो जाती हैं क्योंकि फ्लोएम की अनुपस्थिति के कारण उन्हें भोजन नहीं मिल पाता जबकि ऊपर की ओर जायलम के द्वारा जल एवं लवण इत्यादि की पहले की भांति आपूर्ति बनी रहती है अतः ऊपरी भाग पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता। जड़ों के मृत होने के साथ धीरे-धीरे ऊपरी भाग भी मृत हो जाता है।
- एफिड शूकिका से प्राप्त रस का विश्लेषण (Analysis of sap from aphid stylet)
फ्लोएम की चालनी नलिकाओं के रस के रासायनिक विश्लेषण से ज्ञात होता है कि अधिकांश पादपों के फ्लोएम में मुख्यतः शर्करा होती है जिसमें से अधिकांशतः सूक्रोस (sucrose) तथा कुछ मात्रा में ग्लूकोज एवं फ्रक्टोस होती है। पादप रस पर निर्भर एफिड पादप में अपनी शूकिका के माध्यम फ्लोएम से चूस कर रस प्राप्त करते हैं। इस प्रयोग में इन्हें CO2 द्वारा तनिक बेहोश कर उनका सिर उनके मुख के शूकिका (stylet) से काट दिया जाता है। चालनी नलिकाओं में अधिक जलस्थैतिक दाब (hydrostatic pressure, 15-35 atm) होने के कारण कुछ समय तक रस उसमें से आता रहता है। इसके अध्ययन से मालूम पड़ता है कि कार्बनिक पदार्थों का स्थानांतरण फ्लोएम में चालनी नलिका द्वारा होता है। 3. समस्थानिक CO2 के द्वारा अध्ययन (Studies using isotopic CO2)
पादप की कुछ पत्तियों को इससे संलग्न अवस्था में ही अलग कक्ष में रख कर उन्हें C14O2, से पोषित किया जाता है। पत्तियाँ इस C14O2, का प्रकाश संश्लेषण में उपयोग करती हैं तथा संश्लेषित शर्करा में C14 होता है। पादप के विभिन्न भाग एवं ऊतकों के स्वकिरणीचित्रण (autoradiography) द्वारा C14 युक्त शर्करा की उपस्थिति संबधित पत्तियों की कोशिकाओं एवं फ्लोएम में एवं विशेषरूप से चालनी नलिकाओं में पाई गई। इससे सिद्ध होता है कि संश्लेषित कार्बनिक विलेय पदार्थों का स्थानातंरण फ्लोएम एवं मुख्यतः चालनी नलिकाओं द्वारा होता है।
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