ribosomal rna in hindi , राइबोसोमल आरएनए पर टिप्पणी लिखिए क्या है , r – आरएनए की संरचना (Structure of r-RNA)

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राइबोसोमल आरएनए (Ribosomal RNA)

r- आरएनए को सर्वप्रथम टीसियर्स तथा वाटसन (Tissieres and Watson, 1958) ने खोजा था। यह आरएनए का सर्वाधिक स्थाई (stable) रूप होता है और राइबोसोम का 40 से 60% तक भाग निर्मित करता है। इसमें क्षारक का अनुपात A G :G: C हो ऐसा जरूरी नहीं होता है। यह केन्द्रिक संगठन (nucleolar organiser) में पायी जाने वाली जीन के द्वारा बनाये जाते हैं तथा इनका निर्माण केन्द्रिक (nucleous) में पूरा होता है जिसके बाद राइबोसोम दो इकाइयों में छोटी 30s व बड़ी 50s के रूप में बाहर कोशिका द्रव्य में गमन कर जाता है अत: कोशिकीय आरएनए (cellular RNA) का अधिकांश भाग राइबोसोमल आरएनए (Ribosomal RNA ) या r- आरएनए होता है। यह कोशिका के कुल आरएनए का लगभग 80% होती है। यह राइबोसोम में पाई जाती है जो कि न्यूक्लियोप्रोटीन अणु होते हैं।

r- आरएनए (r-RNA )

राइबोसोमल आरएनए (r – RNA ) वास्तव में राइबोसोम के आरएनए घटक है जो प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होते हैं। इनमें मुख्यत: 2 प्रमुख आरएनए एवं 50 से अधिक प्रोटीन्स उपस्थित रहते हैं यह 60 तथा 40 प्रतिशत होते हैं।

राइबोसोमल आरएनए अघुलनशील आरएनए हैं । यह कोशिका के कुल आरएनए का 80% भाग बनाते हैं। यह एक कुण्डलीय संरचना है जबकि कुछ एक स्थानों पर हाइड्रोजन बन्ध द्वारा लूप का निर्माण भी करते हैं। इसका निर्माण केन्द्रक में होता है। आर-आरएनए दोनों प्रोकेरियोटिक व यूकेरियोटिक कोशिकाओं में पाया जाता है ।

r – आरएनए की संरचना (Structure of r-RNA)

राइबोसोमल आरएनए में दो उपइकाइयाँ उपस्थित रहती है एक बड़ी उपइकाई (USU) तथा दूसरी छोटी उपइकाई (SSU) यह दोनों बड़ी के ऊपर छोटी उपइकाई व्यवस्थित होती है जिनके मध्य m-आरएनए पाया जाता है। राइबोसोम – आरएनए में दो अमीनो अम्ल के मध्य पेप्टाइड बन्ध निर्मित करता है। विषाणु में एक अथवा द्विलड़ी (double stranded) आरएनए तथा विखण्डित आरएनए यीस्ट में रिपोर्ट किया गया है।

प्रोकेरियोटिक आरएनए (Prokaryotic RNA)

प्रोकेरियोटिक कोशिका 23, 16 तथा 5S आर – आरएनए युक्त होती है। प्रोकेरियोटिक राइबोसोम की बड़ी 50S इकाई 23 व 5S आर’ – आरएनए युक्त तथा छोटी 30S इकाई 16S आर – आरएनए युक्त होती है। इस प्रकार के आर- आरएनए अमीनो अम्लों के बहुलीकरण तथा पॉलीपेप्टाइड के स्थायित्व के लिए प्रयोग में आते हैं

यूकेरियोटिक आर. एन.ए (Eukaryotic RNA )

यूकेरियोटिक कोशिकाओं में तीन विभिन्न आकार के आरएनए पाये जाते हैं। यह 28S, 18S तथा 5S हैं। (28S) तथा (5S) प्रकार के आरएनए 80S राइबोसोम की वृहत् इकाई में पाये जाते हैं। सूक्ष्म 40S ईकाई 18S प्रकार के आरएनए युक्त होती है

r – आरएनए का जीवात जनन ( Biogenesis of r-RNA)

r-RNA यद्यपि राइबोसोम में पाया जाता है तथापि इसका संश्लेषण केन्द्रक में होता है। केन्द्रिक से संबद्ध डीएनए, r-RNA के संश्लेषण कूट ( code ) के उत्तरदायी है। डीएनए के इस भाग को केन्द्रिक संगठन (nucleolar organizer) कहते हैं। जीवाणुओं में लगभग 10-200 सिस्ट्रॉन r-RNA के संश्लेषण से संबंधित हैं। उच्च जीवों में लगभग 200-2000 गुंथे (clustered) r-DNA सिस्ट्रॉन r- RNA के संश्लेषण में भाग लेते हैं।

28S तथा 18S प्रकार के r-RNA का अनुलेखन (trascription) 215S की एकल लंबोतर इकाई (single elongated unit) के रूप में संगठक डीएनए से होता है । केन्द्रिक nucleolus) के अन्दर ये 45S डीएनए मिथाइलीकरण (methylation) के बाद प्रोटीन के साथ कॉम्पलेक्स (complex) बनाता है।

अंततः अनेक क्रमबद्ध चरणों में यह विदलित (cleaved ) होकर 325 तथा 18S खण्ड बनाता है। 18S आरएनए क्षारक प्रोटीन (basic protein) से संबद्ध होकर राइबोसोम की छोटी उपइकाई बनाता है। 32 खण्ड पुनः विदलित होकर 285 खण्ड बनाता हैं। ये 28S आरएनए भी प्रोटीन के साथ संबद्ध होकर वृहद उपइकाई (large subunit) बनाती है। ये उपइकाई केन्द्रक से बाहर कोशिकाद्रव्य में आ जाती हैं।

5S उपइकाई केन्द्रिक संगठन के बाहर पाई जाने वाली जीन के अनुलेखन से बनता है। यह राइबोसोम की प्रत्येक बड़ी उपइकाई (large subunit) के साथ संबद्ध होता है ।

r-आरएनए का महत्व (Importance of r- RNA )

r-आरएनए प्रोटीन संश्लेषण में सहायता प्रदान करता है क्योंकि इसके 3′ सिरे पर 181 – आरएनए के m-आरएनए कैप के लिए बंधन स्थल (binding site) उपस्थित होता है एवं इसके 5sr-आरएनए पर t-आरएनए के लिए भी बंधन स्थल पाया जाता है। इसके अलावा लघु केन्द्रक आरएनए (small nuclear RNA-Sn RNA ) केन्द्रक में r – आरएनए व m – आरएनए की प्रोसेसिंग में सहायता करता | लघु जीवद्रव्य आरएनए (small cytoplasmic RNA – ScRNA) जीवद्रव्य में ER से राइबोसोम के बंधन में सहयोग प्रदान करता है। कुछ विषाणुओं आरएनए में आनुवंशिक पदार्थ के रूप में भी कार्य करता है जैसे तम्बाकू मौज़ेक वायरस ( TMV)।

स्थानान्तरण आरएनए (Transfer RNA)

वह आरएनए का अणु जिसमें केवल एक विशिष्ट अमीनो अम्ल से संयुक्त होने की क्षमता होती है व इस क्रिया को एक अमीनो अम्ल विशिष्ट विकर अमीनो एसिल t-आरएनए (aat-RNA) सिन्थटेज करती है स्थानान्तरण आरएनए कहलाता है क्योंकि यह उस विशेष अमीनो अम्ल को उसके समूह से हटाकर प्रोटीन संश्लेषण के स्थल पर एन्टीकोडोन को पहचान कर स्थानान्तरित (transfer) करता है। इस प्रक्रिया में 1- आरएनए बेहद जटिल कार्य करते हुए प्रोटीन संश्लेषण में सहायता प्रदान करता है।

स्थानान्तरण आरएनए (transfer RNA) या t-RNA आकार में छोटे तथा लगभग 60 प्रकार के राइबोन्यूक्लिक अम्लों द्वारा बनता है। ये स्वतंत्र रूप से कोशिकाद्रव्य में रहते हैं। ये कोशिकाद्रव्य में अमीनों अम्ल के अणुओं को अपने साथ संलग्न करके m – RNA की उपस्थिति में जोड़कर पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला के निर्माण में मदद करता है। इसके राइबोन्यूक्लिक अम्ल m-RNA पर स्थित कोडोन की पहचान करते हैं तथा ये सक्रिय 20 अमीनो अम्लों के प्रति अत्यधिक बंधुता (affinity) के कारण, संयुक्त होकर उनको प्रोटीन संश्लेषण के स्थल तक पहुँचाती हैं। t-RNA को घुलनशील आरएनए (soluble RNA), अधिप्लवी आरएनए (Supernatant RNA ) या अडेप्टर आरएनए (Adaptor RNA ) भी कहते हैं। यह कोशिका में कुल आरएनए का लगभग 10-15% होता है। इनका अवसादन स्थिरांक (sedimentation constant) 4S तथा अणुभार लगभग 25,000 डाल्टन होता है। इसकी न्यूक्लियोटाइड श्रृंखला तीन स्थलों पर अपने ऊपर वलित (fold) होकर एक केन्द्रीय तथा दो पार्श्व द्विसूत्रीय (double stranded) कुण्डल बनाती है।

t-आरएनए में A: U तथा G: C क्षारकों का अनुपात सदैव लगभग एक ही रहता है। यह लगभग 70-75 न्यूक्लिओटाइड की श्रृंखला होती है किन्तु यह देखा गया है कि इसका 80% तक भाग द्विलड़ी (double strand) हो जाता है। इसके C-5′ सिरे पर G रहता है तथा C-3′ सिरे पर C-C-A पाया जाता है। AUGC के अलावा कुछ असामान्य क्षारक भी उपस्थित होते हैं जैसे-

(i) 5′ राइबोसिल यूरेसिल (5’Ribosyl uracil)

(ii) डाइहाइड्रोयूरिडाइलिक अम्ल (DHA)

(ii) स्यूडोयूरिडिन (Pseudouridine psi )

(iv) AGC के मिथाइलेटिड क्षारक इन क्षारकों का कुल भार 10 से 20% तक रिपोर्ट किया गया है।

उपरोक्त असामान्य क्षारकों के बारे में वैज्ञानिकों को इसके द्विआयामी मॉडल बनाते समय पता चला क्योंकि t-आरएनए के अधिकांश क्षारक वॉटसन व क्रिक के मॉडल के समान ही युग्म बनाते हैं किन्तु इन असामान्य क्षारकों के लिए संभव नहीं होता है क्योंकि बंध (bond) बनाने वाले स्थल पर रूपान्तरण (modification) हो जाता है व इसी कारण युग्म ना बना सकते वाले क्षारक t-आरएनए में लूप निर्मित कर लेते हैं। इन्ही लूप पर कार्य करते हुए आर. डब्ल्यू. होले (R. W. Holley) ने 1965 में यीस्ट एलानीन t-आरएनए के लिए क्लोवर लीफ मॉडल प्रस्तुत किया ।

t – आरएनए की संरचना (Structure of t-RNA)

t-आरएनए की संरचना तथा कार्यप्रणाली समझने हेतु एक त्रि-आयामी मॉडल (Three dimensional model) एक्सरे क्रिस्टेलोग्राफी के सहयोग से निर्मित किया गया। इसे बनाने में नोबेल पुरस्कार विजेता एस. एच किम (S.H. Kim 1973) तथा ए. क्लग ( A. Klug 1982) का महत्वपूर्ण योगदान है। किम ने स्ट ऐलेनीन t-आरएनए का मॉडल बनाया जो अंग्रेजी के ‘L’ समान था व इसकी मोटाई 20A थी। इसमें निम्न क्षेत्र पाये जाते हैं-

  1. सिरे 3′ पर अमीनो अम्ल संलग्न स्थल (Amino Acid Attachment Site at 3′ End) : 3′ सिरे पर अमीनो अम्ल संलग्न स्थल होता है जो 7 या 9 क्षार युग्मों का ग्राही (receptor) क्षेत्र है । 3′ के अन्तर सिरे पर न्यूक्लिओटाइड C-C-A क्षारक क्रम होता है । यहाँ सक्रिय के – OH समूह मूलक के साथ जुड़ने हेतु स्वतन्त्र हैं जो ATP व विशिष्ट अमीनो अम्ल की उपस्थिति में अमीनो एसाइल t-आरएनए समूह बनाता है।
  2. सिरा 5′ (5′ end) : श्रृंखला के अंतिम 5 सिरे पर ग्वानीन क्षारक व फॉस्फेट समूह उपस्थित होता है ।

III. अभिज्ञान स्थल (Recognition Site ) : CCA पुच्छ (tail) सायटोसीन – सायटोसीन – एडीनोसीन अनुक्रम (sequence) है जो आरएनए अणु के 3′ सिरे पर उपस्थित होते हैं । अमीनो अम्ल – आरएनए पर अमीनो एसिड t-आरएनए सिन्थटेज के द्वारा जुड़ता है तथा जुड़कर अमीनो अम्ल – आरएनए निर्मित करता है। यह 3′ OH समूह पर सहसंयोजक बंध (covalent bond) द्वारा CCA पुच्छ पर बनता है। CCA अनुक्रम एन्जाइम को 1- आरएनए को चिन्हित (recognise) करने में सहायक होते हैं ।

  1. एन्टीकोडोन या कोडोन अभिज्ञान स्थल (Anti Codon or Codon Recognition Site ) : प्रतिकोडोन लूप (anticodon loop) में 6 क्षार युग्म होते हैं जिसमें एन्टीकोडोन उपस्थित रहते हैं। एन्टीकोडोन 3 न्यूक्लिओटाइड का समूह होता है जो m क्षार पर उपस्थित कोडोन के तीन क्षार अनुक्रम के पूरक होते हैं। इस प्रकार प्रत्येक 1- आरएनए में विशिष्ट एन्टीकोडोन त्रिकूट अनुक्रम होते हैं जो अमीनो अम्ल के कोडोन के साथ क्षार युग्म बना सकते हैं।
  2. राइबोसोम अभिज्ञान स्थल (Ribosome Recognition Site ) : यह क्षेत्र लूप युक्त TYC भुजा बनाता है। इसमें 7 अयुग्मित क्षार होते हैं जिनमें स्यूडोयूरीडीन भी उपस्थित होता है। TYC भुजा का कार्य राइबोसोम की t-आरएनए से जोड़ना है। -आरएनए का मुख्य कार्य प्रोटीन संश्लेषण में भाग लेना है ।
  3. DHU लूप (DHU Loop) : यह लूप 6 क्षार युग्म का होता है जो अमीनो अम्ल सिन्थटेज को बांधता है। इसमें डाइहाइड्रोयूरीडीन पाया जाता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि इस t-आरएनए पर जो क्लोवर लीफ के समान होता है उसमें तीन सिरे होते हैं जो लूप कहलाते हैं। इनके मध्य में उभार (lump) होते हैं प्रत्येक भुजा की लम्बाई तथा उनके लूप का आकार जातियों के हिसाब से अलग-अलग होती है। ई. कोलाई में 30 से 40 प्रकार के t-आरएनए जीन पायी जाती है। उच्च पादपों में यह लगभग 60 प्रकार के विभिन्न t – आरएनए अणु उपस्थित होते हैं उपरोक्त सभी बीस अमीनो अम्लों का उपयोग प्रोटीन संश्लेषण में करने में सक्षम होते हैं अतः यह कहा जा सकता है कि एक से ज्यादा -आरएनए एक ही अमीनो अम्ल को पहचानते हैं जैसे ई. कोलाई में पाँच -आरएनए ल्यूसीन अमीनो अम्लों को पहचानने की क्षमता रखते हैं ।

t – आरएनए का संश्लेषण (Synthesis of t-RNA)

t- RNA का संश्लेषण डीएनए के विशिष्ट स्थानों पर होता है। आरम्भ में t – RNA के अणु में अपने विशिष्ट डीएनए सिस्ट्रॉन के समान मात्रा तथा क्रम में पूरक क्षारकों (complementary bases) का क्रम परिवर्तित हो जाता है।

जीवाणु में t-RNA के संश्लेषण में 40 से 80 जीन या सिस्ट्रॉन देखे गए हैं। ई. कोली (E. coli) में ये गुण सूत्रों पर छितरे (scattered) मिलते हैं। ड्रॉसोफिला में t-RNA संलेषण में 55 जीन भाग लेते हैं।

t-आरएनए के कार्य (Functions of t-RNA)

t-RNA की प्रोटीन संश्लेषण में प्रमुख भूमिका होती है। ये कोशिकाद्रव्य से विशिष्ट सक्रिय अमीनों अम्ल (specific activated amino acid) चुनकर प्रोटीन संश्लेषण के स्थान तक पहुँचाता है तथा m- RNA के विशिष्ट क्रम के अनुसार राइबसोम से जुड़ जाता है। अंततः ये अमीनो अम्ल को निर्माणधीन ‘ (manufacturing) पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला पर स्थानान्तरित कर देता है।

दूत आरएनए एक सूत्रीय श्रृंखला होती है जिस पर पूरक क्षार (complementary base) उपस्थित होते हैं। m आरएनए न्यूक्लियस के डीएनए से संदेश लेकर सायटोप्लाज्म में राइबोजोम तक लेकर जाता है। यह संदेश m आरएनए पर विशिष्ट अमीनों अम्ल के क्षार अनुक्रम के रूप में होते हैं जो बाद में एक पॉलीपेप्टाइड निर्मित करते हैं।

यह प्रोकेरियोटिक अनुलेख इकाईयों (transcription units ) के विपरीतार्थक सूत्र ( antisense strand) का क्षारक-प्रति क्षारक पूरक (complementary) होता है । परन्तु यूकिरियोटिक में प्राथमिक अनुलेख में स्प्लाइसिंग होता है जिसमें प्री- एमआरएनए पर उपस्थित नान कोडिंग जीन इन्ट्रॉन हटा कर 3’ सिरे पर पॉली (A) पूच्छ जोड़ दी जाती है। इस प्रक्रिया में मात्र कोडिंग जीन एक्सॉन आपस में जुड़ कर एमआरएनए निर्मित करते हैं।