प्रतिरोध बॉक्स किसे कहते हैं Resistance Box in hindi definition meaning प्रतिरोध बॉक्स क्या होता है

प्रतिरोध बॉक्स क्या होता है प्रतिरोध बॉक्स किसे कहते हैं ? Resistance Box in hindi definition meaning चित्र ?

 प्रतिरोध बॉक्स (Resistance Box)
इस बॉक्स में भिन्न-भिन्न मान की कई प्रतिरोध कुण्डलियाँ श्रेणी क्रम में जुड़ी हुई रहती हैं। चित्र (2.6) देखो। वांछित प्रतिरोध के तार को दोहरा कर प्रेरण (induction) को प्रभावहीन करने के लिए एक लकड़ी के बेल पर लपेट देते हैं और उनका एक-एक सिरा क्रमशः दो धातुओं के गट्टों से जोड़ देते हैं। इन दोनों धातुओं के गट्टो के बीच में एक धातु का डाट लगा सकते हैं। जब डाट लगा रहता है तब विद्युत धारा सीधी धातुओं के गट्टों से होती हुई रहती है। परन्तु जब डाट निकला रहता है तब धारा एक गट्टे से तार की कुण्डली में होकर दूसरे गट्टे तक पहुँचती है और इस प्रकार कुण्डली का प्रतिरोध परिपथ में आता है। चूंकि सब कुण्डलियाँ एक-दूसरे से श्रेणी क्रम में सम्बन्धित हैं, इसलिए दो डाट निकालने पर दोनों कुण्डलियों का प्रतिरोध जुड़ जाता है। इस प्रकार 1 ओम ओर 2 ओम का डाट निकालने पर कुल प्रतिरोध 1 + 2 = 3 ओम होगा। साधारणतया प्रतिरोध तार मेंगनिन, यूरेका अथवा कॉन्स्टेन्टेन के बने होते हैं। इसको मिश्रित धातुओं से इसलिए बनाया जाता है, क्योंकि इनका विशिष्ट प्रतिरोध (𝛒) अधिक होता है और प्रतिरोध ताप गुणांक (𝛂) कम होता है।
जहाँ बॉक्स पर ∝ लिखा जाता है, उन दो गट्टों के बीच कोई तार नहीं होता है और उनके बीच प्रतिरोध अनन्त होता है। प्रतिरोध बक्स को परिपथ में साधारणतः त्ण्ठण् से बताया जाता है।

कुजियाँ (Keys)
कुंजी की सहायता से परिपथ में जब चाहें तब विद्युत धारा प्रवाहित या बन्द की जा सकती है। ये दो प्रकार की होती है-(i) डाट कुजी और (ii) दाब कुंजी। डाट कुंजी में दो धातु के गट्टों के बीच धातु का डाट लगाने से धारा प्रवाहित होती है। एक, दो, तीन, अथवा चार डाट की कुंजियाँ होती हैं। चार डाट की कुंजी दिक्कपरिवर्तक का भी काम देती है। कुजियाँ साधारणतया चिन्ह ज्ञ से बताई जाती हैं। दाब कुंजी को दबाने से परिपथ पूरा होता है। विभिन्न कुंजियों व इनके परिपथ संकेतों लो चित्र (2.1) से (2.5) में दिखाया गया है। चित्र (2.1)ं एक डाट कुंजी है जो सर्वाधिक उपयोग में आती है। इसमें प्लग लगा देने पर परिपथ पूर्ण हो जाता है व धारा बहती है जबकि प्लग निकाल लेने पर परिपथ टूट जाता है तथा धारा प्रवाह बंद हो जाता है। चित्र (2.1) b व c में इन स्थितियों को दर्शाने वाले परिपथ संकेत हैं।
चित्र (2.2) ं दाब कुंजी को प्रदर्शित करता है। ग् व ल् सम्बन्धन के लिए टर्मिनल है। ल् से जुड़ी हुई एक धातु की घुडी हैर्। एक प्रत्यास्थ धातु की पत्ती है उसके सिरे च् पर भी धातु की एक धुंडी है। साधारणतया पत्ती ऐसी स्थिति में रहती है कि पुंडी P व धुंडी Y में सम्पर्क नहीं होता है। अतः कुंजी खुली रहती है। इसका संकेत चित्र (2.2) इ में दिया गया है। पत्ती को दबाने पर इनमें सम्बन्ध हो जाता है व कुंजी बन्द हो जाती है। इस स्थिति को चित्र (2.2) ब में दिखाया गया है।

चित्र (2.3) ं में दो डाट कुंजी दर्शाई गयी हैं। इसके तीन टर्मिनल x , y व z तथा दो डाट K1 व K2 हैं। टर्मिनल ल दोनों कुंजियों K1 व K2 में उभयनिष्ठ है। इस प्रकार की कुंजी को द्विमार्गी कुंजी (two & way key) भी कहते हैं। क्योंकि जो उपकरण टर्मिनल ल से संबंधित है, उसमें धारा के दो प्रवेश मार्ग हैं, K1 से अथवा K2 से। इस कुंजी का परिपथ संकेत चित्र (2.3) इ में दर्शाया गया है। एक समय K1 या K2 में से कोई एक ही बंद होती है, दूसरी कुंजी खुली रखी जाती है।

चित्र (2.4) a व b में दिक्क परिवर्तक कुंजियाँ दिखाई गयी हैं। चित्र 2.4(a) डाट कुंजियों वाला दिक्क परिवर्तक हैं। इसमें चार टर्मिनल हैं व चार डाट हैं जो चार कुंजियों का निर्माण करते हैं। एक साथ आमने-सामने की दो कुंजियाँ बंद व दो खुली रखी जाती हैं। स्पष्ट है कि एक बार टर्मिनल F का E से व G का H से संबंध होगा। जिस उपकरण में धारा की दिशा बदलनी हो उसे दो विपरीत टर्मिनलों जैसे F व H या E व G से संबंधित कर देते हैं व सेल परिपथ को अन्य दो विपरीत टर्मिनलों से संबंधित कर देते हैं। चित्र (2.4) b में भिन्न प्रकार की दिक्क परिवर्तक कुंजी है। इसमें दो टर्मिनल तो लकड़ी के आधार पर फिक्स है, परन्तु अन्य दो टर्मिनल एक लकड़ी व धातु की फ्रेम पर एक पेंच की। सहायता से ऐसे व्यवस्थित हैं कि एक स्थिति में ऊपर समझाई एक परिस्थिति होती है व दूसरी स्थिति में दूसरी परिस्थिति होती है। संबंध करते समय ध्यान रखें कि पट्टिका पर स्थित दोनों टर्मिनल विपरीत टर्मिनल हैं व आधार पर स्थित दोनों विपरीत टर्मिनल हैं।