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सरीसृप वर्ग अथवा रेप्टीलिया (reptilia class in hindi) सरीसृप का अर्थ क्या होता है , किसे कहते हैं reptiles in hindi

(reptiles in hindi) सरीसृप वर्ग अथवा रेप्टीलिया (reptilia class in hindi) सरीसृप का अर्थ क्या होता है , किसे कहते हैं ? परिभाषा , उदाहरण नाम , अंतर |

सरीसृप वर्ग अथवा रेप्टीलिया (reptilia class ) : सरीसृप ऐसे कशेरुकियों के प्रथम वर्ग का प्रतिनिधित्व करते है जो स्थल पर शुष्क स्थानों में जीवन के लिए पूर्णतया अनुकूलित होते है .सरीसृपों में स्वयं के कोई स्पष्ट निदानीय लक्षण नहीं होते जो उन्हें कशेरुकियों के अन्य वर्गों से तुरंत पृथक करते है। वास्तव में , सरीसृपों के लक्षण उन लक्षणों का सम्मिश्रण है जो एक ओर तो मछलियों तथा उभयचरों में तथा दूसरी ओर पक्षियों तथा स्तनधारियों में पाए जाते है। वर्ग का नाम प्रचलन की पद्धति को इंगित करता है।

(repere or reptum = to creep or crawl , रेंगना अथवा विसर्पण करना)
सरीसृपों का अध्ययन सरीसृप विज्ञान अथवा हरपिटोलोजी कहलाता है। (herpeton = reptiles , सरीसृप)

सामान्य लक्षण (general characters of class reptilia)

1. प्रमुखतया स्थलीय , रेंगने वाले अथवा बिलकारी , अधिकतर माँसाहारी , वायु श्वासी , शीत रुधिरिय अथवा असमतापी , अंडज तथा चतुष्पादी कशेरुकी।
2. शरीर द्विपाशर्व सममित तथा 4 क्षेत्रों – सिर , ग्रीवा , धड़ तथा पुच्छ में विभाजनशील होता है।
3. पाद दो जोड़ी , पंचांगुली। अंगुलियाँ श्रृंगी पंजो सहित लेकिन कुछ छिपकलियों तथा समस्त सर्पो में पाद अनुपस्थित।
4. बाह्य कंकाल श्रृंगी अधिचर्मीय शल्कों , विशल्कों , प्लेटों तथा प्रशल्कों द्वारा निर्मित।
5. त्वचा सुखी , किणभूत तथा ग्रंथिहीन।
6. मुख अन्तस्थ। जबड़ों पर साधारण शंक्वाकार दांत। कछुओं के दांत श्रृंगी चोंच द्वारा प्रतिस्थापित होती है।
7. आहारनाल एक अवस्करीय छिद्र में समाप्त होती है।
8. अन्त:कंकाल अस्थिल। करोटि एक कन्दीय अर्थात एक अनुकपाल अस्थिकंद सहित। एक विशिष्ठ T रुपी इंटरक्लेविकल विद्यमान।
9. ह्रदय प्राय: 3 कक्षीय , मगरमच्छों में 4 कक्षीय। शिरा कोटर लघुकृत। दो दैहिक चाप वर्तमान। लाल रुधिर कण अंडाकार तथा केन्द्रकयुक्त पाया जाता है। शीत रुधिरीय अथवा अनियततापी।
10. जीवनपर्यन्त फेफड़ों द्वारा श्वसन।
11. वृक्क पश्चवृक्कीय। उत्सर्जन यूरिकाम्ल उत्सर्गी होता है।
12. मस्तिष्क उभयचरों की अपेक्षा अधिक अच्छे विकसित प्रमस्तिष्क सहित। कपाल तंत्रिकाएं 12 जोड़ी पायी जाती है।
13. पाशर्व रेखा तंत्र अनुपस्थित। मुखगुहा की छत में जैकब्सन अंग विद्यमान।
14. लिंग पृथक। नर प्राय: एक पेशीय मैथुन अंग सहित।
15. निषेचन आंतरिक। अधिकतर अंडज। चमडैले कवच से ढके बड़े पीतकयुक्त अंशभंजी अंडे , सदैव भूमि पर दिए जाते है। परिवर्धन काल में भ्रूणीय कलाएँ (ऐमनिअन , कोरिअन , योक सैक तथा एलेंटोइस) प्रकट होती है। कोई कायांतरण नहीं होता है। शिशु वयस्कों के समान होते है।
16. पैतृक रक्षण सामान्यतया नहीं पाया जाता है।

सरीसृपों का वर्गीकरण

बोगर्ट के अनुसार लगभग 16 गणों में समूहित सरीसृपों की 7000 से अधिक जीवित तथा अनेक लुप्त जातियां है। इन गणों में से केवल 4 गण जीवित है। करोटि के पश्च पाशर्व अथवा टेम्पोरल क्षेत्र में कतिपय छिद्रों की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति के आधार पर सरीसृपों को सर्वप्रथम 5 प्रमुख समूहों या उपवर्गों में विभाजित किया जाता है।
उपवर्ग I. ऐनैप्सिडा :
ठोस करोटि छत सहित आद्य सरीसृप। टेम्पोरल छिद्र नहीं होते है।
गण 1. किलोनिया अथवा टेस्ट्युडिनेटा :
(chelone = turtle , कूर्म + testudo = turtle कूर्म)
1. शरीर छोटा , चौड़ा तथा अंडाकार होता है।
2. पाद नखरित तथा/या पादजालयुक्त , क्षेपणी अथवा पैडल समान।
3. शरीर चर्मीय पट्टों के बने पृष्ठीय पृष्ठवर्म अथवा कैरोपेस तथा अधरीय अधरवर्म अथवा प्लेसट्रन के दृढ कवच से आवरित होता है। वक्षीय कशेरुकाएं तथा पशुर्कायें सामान्यतया पृष्ठवर्म से संयुक्त पायी जाती है।
4. करोटि अछिद्री , एकल नासाछिद्र सहित तथा बिना भित्तिय रंध्र के पायी जाती है। क्वाड्रेट अचल होती है।
5. उरोस्थि नहीं पायी जाती है।
6. दांत अनुपस्थित होते है। जबड़े श्रृंगी आच्छदों से युक्त पाए जाते है।
7. अवस्कर छिद्र एक अनुदैर्ध्य दरार।
8. आंशिक रूप से विभाजित निलय सहित ह्रदय अपूर्ण रूप से 4 कक्षीय होता है।
9. मैथुन अंग एकल तथा साधारण।
10. समुद्री कुर्मो , ताजे जल के कमठ तथा स्थलीय कच्छपों की लगभग 400 जातियां पायी जाती है।
उदाहरण : कीलोन , क्राइसेमिस , टेस्ट्यूडो , ट्राइओनिक्स , डर्मोकिलिस।
उपवर्ग II. यूरीएप्सिडा : लुप्त
करोटि प्रत्येक ओर नीचे से पोस्टऑर्बिटल तथा स्क्वैमोसल अस्थियो से सीमाबद्ध एकल पृष्ठ पाशर्व टेम्पोरल छिद्र सहित।
उपवर्ग III. पैरप्सिडा : लुप्त
करोटि प्रत्येक ओर नीचे से सुप्रा टेम्पोरल तथा पोस्ट-फ्रंटल अस्थियों से सीमाबद्ध एकल पृष्ठ पाशर्व टेम्पोरल छिद्र सहित।
उपवर्ग IV. सिनैप्सिडा : लुप्त
करोटि प्रत्येक ओर ऊपर से पोस्ट ऑर्बिटल तथा स्क्वैमोसल अस्थियों से सीमाबद्ध एकल पाशर्व टेम्पोरल छिद्र सहित।
उपवर्ग V. डाइएप्सिडा
करोटि प्रत्येक ओर पोस्ट ऑर्बिटल तथा स्क्वैमोसल अस्थियों से बनी शलाका द्वारा पृथक दो टेम्पोरल छिद्रों सहित।
गण 2. रिन्कोसिफैलिया
(rhynchos = snout प्रोथ + kephale = head सिर)
1. शरीर छोटा , लम्बा , छिपकली समान होता है।
2. पाद पंचंगुली , नखरित तथा बिलकारी।
3. त्वचा कणिकायुक्त शल्कों तथा कंटकों की एक मध्य पृष्ठ पंक्ति द्वारा ढकी हुई होती है।
4. द्विछिद्री करोटि। नासारंध्र पृथक। पैराइटल रंध्र अवशेषी पिनियल नेत्र सहित वर्तमान। क्वाड्रेट स्थिर।
5. कशेरुकायें उभयगर्ती अथवा द्विअवतल। अनेक उदरीय पर्शुकाएं वर्तमान।
6. दांत अग्रदन्ती। अवस्कर छिद्र अनुप्रस्थ।
7. ह्रदय अपूर्णतया 4 कक्षीय।
8. नर में मैथुन अंग नहीं।
उदाहरण : न्यूजीलैंड की “टुएटारा” अथवा स्फिनोडॉन पंकटेटम नामक एक ही जाति द्वारा निरुपित।
गण 3. स्क्वैमेटा :
(squama = scale , शल्क , अथवा squamatus = scaly शल्की)
1. छोटे अथवा माध्यम और लम्बे।
2. पाद नखरित , सर्पों तथा कुछ छिपकलियों में अनुपस्थित।
3. श्रृंगी अधिचर्मीय शल्कों , विशल्कों , कंटकों का बाह्य कंकाल।
4. करोटि द्विछिद्री। क्वाड्रेट चल।
5. कशेरुकायें अग्रगर्ती। पर्शुकायें एकलशिर्षी।
6. दांत अग्रदन्ती अथवा पाशर्वदन्ती।
7. ह्रदय अपूर्णतया 4 कक्षीय।
8. अवस्कर छिद्र अनुप्रस्थ होता है।
9. नर पराक्षेप्य दोहरे मैथुनी अंगों अथवा अर्धशिश्नों सहित।
10. छिपकलियों तथा सर्पों की लगभग 6800 जातियां पायी जाती है। इन्हें विरोधी लक्षणों वाले दो स्पष्ट उपगणों , लेसरटीलिया तथा ओफीडिया में बाँटा जाता है।
गण 4. क्रोकोडिलीया :
(krokodeilos = crocodile , मगर)
1. विकसित , बड़े आकार के , माँसाहारी तथा जलीय सरीसृप।
2. पुच्छ लम्बी , मजबूत तथा पाशर्वीय संपीडित।
3. पाद छोटे लेकिन शक्तिशाली , नखरित तथा पादजालयुक्त।
4. त्वचा मोटी , शल्कों , अस्थिल पट्टों तथा प्रशल्कों से युक्त।
5. करोटि द्विछिद्री। क्वाड्रेट अचल। पैराइटल रंध्र नहीं होता। एक कूटतालु वर्तमान।
6. द्विशिर्षी पर्शुकायें। उदरीय पर्शुकायें वर्तमान।
7. दांत अनेक , गर्तदन्ती , गर्तिकाओं में रखे।
8. ह्रदय पूर्णतया 4 कक्षीय पाया जाता है।
9. अवस्कर छिद्र एक अनुर्दधर्य दरार होता है।
10. नर एक मध्यस्थ , उत्थानशील , खाँचदार शिश्न सहित।
उदाहरण : क्रोकोडाइलस , गैविएलिस , एलीगेटर।
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