जाने विस्तार में कि संदर्भ बिंदु किसे कहते हैं , reference point in hindi definition example उदाहरण क्या है परिभाषा लिखिए ?
निर्देश तंत्र (Frame of Reference)
जब किसी कण की स्थिति में समय के सापेक्ष परिवर्तन नहीं होता है और प्रेक्षक कण को एक ही स्थान पर देखता है, तो ऐसा कण स्थिर (at rest) अवस्था में कहलाता है। परन्तु यदि कण की स्थिति में समय के सापेक्ष परिवर्तन होता है और प्रेक्षक कण को भिन्न-भिन्न समयों पर भिन्न-भिन्न स्थानों पर देखता है तो कण गति (motion) की अवस्था में कहलाता है। अतः स्थिति की दृष्टि से कण की दो अवस्थायें होती हैं, विरामावस्था तथा गत्यावस्था । कण की ये अवस्थायें सापेक्ष (relative) होती हैं अर्थात् मुक्ताकाश (space) में इन अवस्थाओं को किसी अन्य पिण्ड या निकाय (system) के सापेक्ष ही ज्ञात कर सकते हैं।
उदाहरणतः पृथ्वी पर स्थित पेड़ पृथ्वी के सापेक्ष विरामावस्था में दिखाई देता है परन्तु सूर्य के सापेक्ष यह पेड़ पृथ्वी के साथ साथ घूर्णन करता हुआ दिखाई देगा या ट्रेन में बैठा व्यक्ति उस पेड़ को ट्रेन की गति के विपरीत गति करता हुआ देखेगा। वह निकाय या पिण्ड जिसके सापेक्ष कण की स्थिति को व्यक्त किया जाता है उसे निर्देश तन्त्र (frame of reference) कहते हैं।

कणों या पिण्ड़ों की स्थितियों को व्यक्त करने के लिए निर्देश तंत्र ऐसा होना चाहिए जिसे सर्वमान्य (agreeable) रूप से सुलभता (easily) से प्राप्त किया जा सके ताकि कणों की स्थितियों में परस्पर संबंध स्थापित हो जाय । ऐसा सरलतम निर्देश तंत्र कार्तीय निर्देशांक पद्धति (Cartesian coordinate system) होता है जिसमें निर्देश तंत्र के सभी गुण विद्यमान होते हैं। कार्तीय निर्देशांक पद्धति में परस्पर लंबवत् तीन सरल रेखीय अक्ष X, Y, व Z होते हैं जिनके प्रतिच्छेद बिन्दु 0 को मूल बिन्दु कहते हैं तथा यह संदर्भ बिन्दु (reference point)
चित्र (1) होता है।
इस निकाय में समय मापन के लिये उपयुक्त युक्ति (घड़ी) होती है। इस प्रकार के कातीय निदेश तंत्र को चित्र (1) प्रदर्शित किया गया है। यदि किसी वस्तु या कण के सब निर्देशांक समय के साथ अपरिवर्तित रहते हैं तो वह विरामावस्था में कहलाती है और यदि वस्तु के एक या अधिक निर्देशांक समय के साथ परिवर्तित होते हैं तो वस्तु गतिमान कहलाती है।