धातु ऑक्साइड का धातु में परिवर्तन (Reduction of Metals (Extraction from Ore in hindi))

(Reduction of Metals (Extraction from Ore in hindi)) धातु ऑक्साइड का धातु में परिवर्तन : किसी धातु ऑक्साइड से धातु को प्राप्त करने के लिए इसका अपचयन किया जाता है , जिससे हमें धातु ऑक्साइड से शुद्ध मात्रा में धातु प्राप्त हो जाती है।
धातु ऑक्साइड की प्रकृति के आधार पर अपचयन की कई विधियाँ काम में ली जाती है जो निम्न प्रकार है –
1. वायु की उपस्थिति में धातु ऑक्साइड को गर्म करने अपचयन करना
2. कार्बन से अपचयन द्वारा
3. प्रगलन प्रक्रिया द्वारा
4. एलुमिनियम चूर्ण द्वारा अपचयन या थर्माइट विधि या एल्युमीनोटापी विधि
5. विद्युत अपघटनीय विधि
6. अवक्षेपण विधि या धातु विस्थापन विधि
7. स्व: अपचयन विधि
8. हाइड्रोजन द्वारा अपचयन
अब हम इन सभी विधियों का अध्ययन करते है और देखते है किस विधि में किस प्रकार धातु ऑक्साइड से धातु प्राप्त की जाती है।

1. वायु की उपस्थिति में धातु ऑक्साइड को गर्म करने अपचयन करना

जब धातुओं को उनकी सक्रियता के घटते हुए क्रम में रखा जाता है तो वे धातुएं जो श्रेणी में नीचे स्थित होती है उन धातुओं के ऑक्साइड का अपचयन करके उनसे शुद्ध धातुएँ प्राप्त की जाती है।
इस विधि में सांद्रित अयस्क का वायु की उपस्थिति में भर्जन किया जाता है और भर्जन के बाद जो अयस्क प्राप्त होता है उस अयस्क को तेजी के साथ गर्म करके धातु ऑक्साइड , धातु में परिवर्तित हो जाते है , इसलिए ही इस विधि को वायु की उपस्थिति में धातु ऑक्साइड को गर्म करके अपचयन करना कहते है , इसमें मुख्य रूप से HgO का अपचयन करते है।

2. कार्बन से अपचयन द्वारा

जब किसी अयस्क में जिंक , लोहा , कॉपर आदि धातुएं उनके ऑक्साइड के रूप में उपस्थित हो तो ऐसी धातुओं को उनके ऑक्साइड में से प्राप्त करने के लिए उन्हें कार्बन के साथ गर्म किया जाता है।
इसमें धातु ऑक्साइड , ऑक्सीजन को बाहर निकालती है और इनका अपचयन हो जाता है कार्बन ऑक्सीजन को ग्रहण कर लेता है जिससे यह ओक्सिकृत हो जाता है।

3. प्रगलन प्रक्रिया द्वारा

अयस्क से धातु को प्राप्त करने के लिए इस विधि का उपयोग बहुत अधिक किया जाता है , मुख्य रूप से इस विधि द्वारा चाँदी , सोना , तांबा आदि धातुओं को उनके अयस्क से प्राप्त करने के लिए किया जाता है , निस्तापन या भर्जन के बाद प्राप्त धातु ऑक्साइड से शुद्ध धातु को प्राप्त करने के लिए इस धातु ऑक्साइड अयस्क को किसी ओक्सिकारक जैसे वायु या किसी अपचायक जैसे कोक के साथ गलनांक से अधिक ताप पर गर्म किया जाता है जिससे आधात्री धातुमल के रूप में बाहर निकल जाती है और हमें शुद्ध धातु प्राप्त हो जाती है।

4. एलुमिनियम चूर्ण द्वारा अपचयन या थर्माइट विधि या एल्युमीनोटापी विधि

कुछ धातुएं ऐसी होती है जिनका अपचयन , कार्बन अपचयन विधि द्वारा नहीं किया जा सकता है जैसे TiO2
, Mn
2O3 आदि। ऐसी धातु ऑक्साइड से धातु को प्राप्त करने इस विधि को काम में लिया जाता है।
इसमें धातु के ऑक्साइड तथा एल्युमिनियम चूर्ण को एक क्रूसीबल पर रखकर मैग्नीशियम के एक फीते , जिसके सिरे पर Mg+ चूर्ण  और BaO2 के मिश्रण की पोटली बंधी हुई रहती है , के द्वारा प्रज्वलित किया जाता है।

5. विद्युत अपघटनीय विधि

इस विधि द्वारा सक्रीय धातुओं जैसे K , Na , Al आदि का निष्कर्षण उनके गलित लवणों के विद्युत अपघटन द्वारा किया जाता है।

6. अवक्षेपण विधि या धातु विस्थापन विधि

इस विधि में धातु अयस्क को उसके जल में विलेयशील जटिल यौगिक में परिवर्तित किया जाता है , चूँकि अशुद्धियाँ जल में अविलेय रहती है इसलिए इन्हें यहाँ से अलग कर लिया जाता है और बचे जटिल यौगिक के जलीय विलयन में सक्रीय धातु जैसे Zn मिलाया जाता है जिससे धातु अयस्क में से शुद्ध धातु इस पर अवक्षेपित हो जाती है।

7. स्व: अपचयन विधि

अयस्क से शुद्ध धातु प्राप्त करने के लिए विभिन्न पद काम में आते है , कुछ अयस्क ऐसे होते है जो इन विभिन्न पदों के दौरान ऐसे यौगिक बना लेते है जो आपस में ही पुन: क्रिया करके शुद्ध धातु मुक्त करते है जिससे हमें शुद्ध धातु प्राप्त हो जाती है जैसे पारा , लेड आदि के सल्फाइड अयस्क द्वारा स्व: अपचयन दर्शाया जाता है।

8. हाइड्रोजन द्वारा अपचयन

हाइड्रोजन को भी अच्छे अपचायक के रूप में माना जाता है , जब किसी धातु ऑक्साइड से शुद्ध धातु प्राप्त करने के लिए हाइड्रोजन का उपयोग अपचायक के रूप में किया जाता है तो ऐसी विधि को हाइड्रोजन द्वारा अपचयन कहलाती है।