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पुनर्योगज Ti डीएनए (Recombinant Ti DNA in hindi) पादप कोशिका का रूपान्तरण (Transformation of plant cells)
पुनर्योगज Ti डीएनए (Recombinant Ti DNA)
उच्च पादपो में (द्विबीजपत्री) एग्रोबैक्टीरियम जीवाणु को जीन स्थानान्तरण के लिए वाहक के रूप में विकसित किया गया है । इसमें गांठ उत्पन्न करने वाले जीन को हटा कर (निरस्त्रिकण) निवेशित डीएनए को समाकलित किया जाता है। सामान्यतः द्विवाहक (binary vector) का पयोग करते हैं। इस तरह पुनर्योगज Ti डीएनए (Ti DNA) को एग्रोबैक्टीरियम में प्रविष्ट करवाते है।
पादप कोशिका का रूपान्तरण (Transformation of plant cells)
एग्रोबैक्टीरियम में निहित रूपान्तरित ज्प डीएनए जिसमें निवेशित डीएनए उपस्थित हैं, को निम्न विधि से पादप कोशिकाओं में प्रवेश करवाया जाता है।
एग्रोबैक्टीरियम का ऊतक कर्तोतकों एक्सप्लान्ट के साथ सहसंवर्धन (co-culture/Agrobacterium with tissues व fexplants) : जिस पादप को रूपान्तरित करना है जैसे टमाटर, बैंगन, कपास, इत्यादि उनकी पत्तियों के छोटे टुकड़े कर्तोतकध्डिस्क को एग्रोबैक्टीरियम के साथ पोषक माध्यम पर संवर्धन करते हैं। पत्तियों द्वारा उत्पन्न एसिटोसिंगरोन (acetosingrone) स्रावित होकर विर (vir) जीन को सक्रिय करता है जिससे ट्रांसजीन युक्त डीएनए विभिन्न कोशिकाओं में प्रवेश करके पादप के जीनोम के साथ समाकलित हो जाता है।
पादप कोशिकाओं के रूपान्तरण के पश्चात् इसे पुनः कैनामाइसीन व काबेनिसिलिन युक्त पोष पदार्थ पर संवर्धित करवा कर प्ररोह पुनर्जनन (shooting) करवाते हैं। इसमें दमव जीन उपस्थित होने के कारण रूपान्तरित कोशिकायें चयनित हो जाती हैं तथा एग्रोबैक्टीरियम कोशिकायें नष्ट हो जाती हैं। उत्पन्न प्ररोहों को अलग करके जड़ें उत्पन्न करवा कर मिट्टी में स्थानान्तरित करते हैं। एकबीजपत्री पादपों में एग्रोबैक्टीरियम द्वारा जीन स्थानान्तरण
एसीटोसिरिगोन नामक पदार्थ द्विबीजपत्री के घाव से स्रावित होता है जो एग्रोबैक्टीरियम को आकर्षित करता है। एकबीजपत्री पादपों में भी इसके द्वारा संक्रमण करवाया जा सकता है चूंकि एकबीजपत्री पादपों में यह स्रावित नहीं होता है अतः इसके लिए बाहर से एसिटोसिरिगोन मिलाना पड़ता है। मक्का, एस्परेगस चावल इत्यादि में भी एग्रोबैक्टीरियम से ट्रांसजीन पादप बनाने में सफलता प्राप्त हुई है।
पादप रूपान्तरण (In planttransformation)
इसके अन्तर्गत अरेबिडोप्सिस पादप जो क्रूसीफेरी का सदस्य है (n = 1), के बीजों को एग्रोबैक्टीरियम के ताजा संवर्धित स्टॉक में भिगो कर अन्तःशोषण (imbition) करवाने से कुछ बीजांकुरों में स्थायी रूपान्तरण हो जाता है।
अरेबिडोप्सिस के पादपों के पुष्पांकन से पहले इन्हें ताजे कल्चर में भिगोने से भी इनमें रूपान्तरण होता है।
प्रत्यक्ष जीन स्थानान्तरण (Direct gene transfer)।
प्रत्यक्ष जीन स्थानान्तरण निम्न विधियों द्वारा सम्पन्न होता है- .
(1) रासायनिक विधियाँ (Chemical methods)
(2) इलेक्ट्रोपोरेशन (Electroporation)
(3) गन मशीन (Gun machine)
(4) सूक्ष्म इंजेक्शन (Micro injection)
(5) स्थूल इंजेक्शन (Macro injection)
(6) पराग रूाणनगा
ट्रांसजीन सूक्ष्म जीवाणु (Transgenic microbes)
सर्वप्रथम जीवाणू कोशिकाओं को रूपान्तरित करने में सफलता प्राप्त हुई। इनसे इन्सुलिन डायबिटीज के इलाज हेतु, खून में थक्का जमने के लिए जिम्मेदार घटक हीमोफीलिया के रोग के इलाज के लिए, वृद्धि हार्मोन, एड्स व हीपेटाइटिस वायरस के इलाज के लिए रूपान्तरित जीवाणुओं द्वारा प्रतिजन प्रोटीन निर्मित किये गये।
सिसजीनिक पादप (Cisgenic plants)
रूपान्तरित चुकन्दर में प्रोटीन की अधिकता, सुनहरा चावल में विटामिन । की प्रचुर मात्रा तथा गाजर में कैल्सियम का उत्पादन इत्यादि ऐसी खोजे हैं जो मानव के लिए हितकारी साबित हुई हैं।
ऐसा जीव जिसके आनुवंशिक पदार्थ में आनुवंशिक यांत्रिकी का प्रयोग करके कुछ रूपान्तरण किया हो जेनेटिकली मोडीफाइड आर्गेनिज्म (GMO) कहलाता है। यह विशिष्ट तकनीक जिसके अन्तर्गत अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग करके रूपान्तरण किया जाता है। पुनर्योगज डीएनए तकनीक (recombinant DNA Technology) कहलाती है। इसमें विभिन्न स्रोत से प्राप्त डीएनए को एक अणु में दाल कर नया जीनों का सेट निर्मित करते हैं। तत्पश्चात् इन पुनर्योगज डीएनए को किसी जीव मे स्थानान्तरण किया जाता है।
ट्रांसजीन पादप ळडव् का सबसैट (sub set) होता है जो ऐसे जीन होते हैं जिनमें निवेशित डीएनए उपस्थित रहता है जो भिन्न जातियों से लिया गया है। कुछ ऐसे पादप होते हैं जिनमें बाहरी डीएनए तो नहीं होता परन्तु यह आनुवंशिकी यांत्रिकी से तैयार होते हैं वे सिसजीनी (cisgeny) पादप कहते हैं।
पराजीनी जंगली पादप (Transgenic wild plants)
जाति जीवाणु जीन स्थानान्तरण
एजाडाइरेक्टा इण्डिका
(Azadirecta indica) ए. ट्यूमीफेसेन्स न्यूमाइसीन फोस्फोट्रांसफरेज प्प्
केथेरेन्थस रोजियस
(Catharanthus roseus) ए. राइजोजीन एग्रोपीन
सेन्टेलम एल्बम
(Santalum album) ए. ट्यूमीफेसेन्स न्यूमाइसीन फोस्फोट्रांसफरेज II
डिजिटलिस परपुरिया
(Digitalis purpurea) ए. ट्यूमीफेसेन्स न्यूमाइसीन फोस्फोट्रांसफरेज प्प्
पराजीनी वेजीटेबल फसलें (Transgenic vegetable crops)
पादप विधि जीन स्थानान्तरण
पत्तागोभी ए. ट्यूमीफेसेन्स β ग्लकन आइडेस (β glucurn idase)
गाजर ए. राइजोजीन्स नियोमायसीन फास्फो ट्रांसफरेज II
मटर ए. ट्यूमीफेसेन्स नियोमायसीन फास्फो ट्रांसफरेज II
टमाटर ए. ट्यूमीफेसेन्स नियोमायसीन फास्फो ट्रांसफरेज II
बैंगन ए. ट्यूमीफेसेन्स नियोमायसीन फास्फो ट्रांसफरेज II
आलू ए. ट्यूमीफेसेन्स नियोमायसीन फास्फो ट्रांसफरेज II
ट्रांसजीनी पादपों के विभिन्न अनुप्रयोग (Application of Transgenic Plants)
ट्रांसजीनी पादप विभिन्न उद्देश्यों की आपूर्ति हेतु भिन्न-भिन्न कम्पनियों द्वारा उत्पादित किये जा सके हैं जिनमें प्रमुख इस प्रकार हैं-
(A) ट्रांसजीनी पादप द्वारा जैव नियन्त्रण (Bio-control using transgenic plants)
(B) ट्रांसजीनी पादप द्वारा फसलों में सुधार
(C) ट्रांसजीनी पादप द्वारा दवाइयों का उत्पादन
(D) ट्रांसजीनी पादप द्वारा मार्कर का उत्पादन
(E) ट्रांसजीनी पादपों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण
(F) ट्रांसजीनी पादपों द्वारा विभिन्न रसायनों का उत्पादन
(1) शाकनाशी रोधित ट्रांसजीनी पादप (Herbicide Resistant Transgenic Plants)
फसलों में अवांछनीय शाक अथवा खरपतवार इनकी पैदावार को हानि पहुंचाते हैं व इनके उत्पादन को कम करते हैं। अनेक बार यह ऐलीलोपैथी द्वारा टॉक्सिन पदार्थ का स्रावण करके फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। फसलों को मिलने वाले भोजन का शाक उपयोग करके इनकी वृद्धि रोकते हैं। इन्हें नष्ट करने के लिए जो शाकनाशी खेतों में प्रयोग करते हैं वह फसलों को भी हानि पहुंचाते हैं तथा मृदा को भी इनके हानिकारक प्रभाव को देखते हुए जैवविघटीय (biodegradable) शाकनाशियों का उपयोग किया जाने लगा है।
आजकल नयी उच्च जैव तकनीक का प्रयोग करके ऐसे ट्रांसजीनी फसली पादप तैयार किये जा रहे हैं जो शाकनाशी प्रतिरोधी होते हैं। जब खेतों में शाकनाशी छिड़का जाता है जब यह अप्रभावी रहते हैं। इनको विकसित करने के लिए वांछित जीन विभिन्न जीवाणु तथा पादपों से लेकर फसलों में स्थानान्तरित किये गये हैं। स्थानान्तरित होने वाले ट्रांसजीन द्वारा कोड़ित टारगेट अणु (प्रोटीन) शाकनाशी रोधी होते हैं। इन टारगेट प्रोटीन की क्रिया को यह ट्रांसजीन रोक देता है।
उत्परिवर्ती (mutant) जीन को प्राप्त करने के लिए पहले खरपतवार पर शाकनाशी छिड़का जाता है। ऐसा करने से अधिकतर कीट मर जाते हैं। कई बार कुछ खरपतवार में उत्परिवर्तन (mutation) हो जाने से एक दो पौधे बचे रह जाते हैं। इनसे उत्परिवर्तित जीन जो शांकरोधी होता है अलग कर लिया जाता है। फायलेरिस माइनर जो गेहूं का खरपतवार है तथा इसकी जलीय पादप हाइडिला में शाकनाशी रोधित समष्टियां हाल ही में रिपोर्ट की गयी हैं।
. एरेबिडोप्सिस पादप के उत्परिवर्ती (mutant) ऐसिटोलेक्टेट सिंथेंस (ALS) नामक एन्जाइम को अवरूद्ध कर देता है। इसके जीन को तम्बाकू में स्थानान्तरित करके शाकनाशी सल्फोनिल्यूरिया के प्रति तम्बाक की फसल में रोधिता उत्पन्न की गयी। अतः ट्रांसजीनी तम्बाकू के पादप इस शाकनाशी के प्रति सहनशील पाये गये।
(2) कीट रोधी ट्रांसजीनी पादप (Insect Resistant Transgenic Plants)
आज से कुछ वर्षों पूर्व तक ही नहीं वरन् विश्व के कीटों के आक्रमण द्वारा परी की परी फसल नष्ट हो जाती थी एवं इसको रोकने के सभी प्रयास विफल रहने पर वैज्ञानिकों को अन्ततः कीटरोधी ट्रांसजीन पादप विकसित करने में सफलता प्राप्त हुई। इनमें बीटी कपास (Bt~ cotton) प्रथम फसली पादप ह जिसमें कीट रोधिता सफलता पर्वक कपास के पौधे में रोपित की गयी। आज भारत में भी इसका उत्पाद व खेती की जा रही है। राजस्थान के गंगानगर में बीटी कॉटन उगायी जा रही है। पहले इसको उगाने के दौरान अनेक प्रकार के कीटों के आक्रमण को रोकने के लिए हानिकारक कीटनाशियों का प्रयोग समता से अधिक होता था परन्तु बीटी कॉटन के प्रयोग से इसमें कमी हुई है।
ंकीटरोधी जीन (Insect Resistant Gene)
कीटरोधी जीन प्राप्त करने के लिए मुख्यतः दो ट्रांसजीनों का उपयोग किया गया है।
1. बेसिलस थूरेन्जिनेसिस से प्राप्त क्राई (क्रिस्टल प्रोटीन) जीन
2. लोबिया पादप (Cowpea) से प्राप्त ट्रिप्सिन अवरूद्ध जीन (trypsin inhibitory gene)
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