Reactions to the perennial carcinogens अजीवीय कारको के प्रति अनुक्रियाएं :
शरीर का आंतरिक पर्यावरण सारे जैव रासायनिक अभिक्रियाओं और कायकीय प्रकार्यों को अधिक दक्षता होने देता है, यह निरंतरता शरीर के तापमान और तरल पदार्थों की परासरणी सांद्रता के कारण हो सकती है जीव कि यह अवस्था समस्थापन कहलाती है |
जीव बाह्य वातावरण के प्रति निम्न प्रतिक्रियाएं अपनाते हैं
- नियमन करना : कुछ जीव अपने शरीर का तापमान में परासरण की सांद्रता स्थिर रखते हैं यह क्रिया ताप नियमन व परासरण नियमन कहलाती है उदाहरण – स्तनधारी प्राणी व पत्तियों में
- संरूपण : कुछ प्राणियों के शरीर का तापमान वातावरणीय तापमान के अनुसार बदलता रहता है इसी तरह जलीय प्राणियों में शरीर के तरल की परासरण सांद्रता परिवेशी जल की परासरणी सांद्रता के अनुसार बदलती रहती है इस प्रक्रिया को संरूपण कहते हैं तथा एक जंतु और पादप समरूपी कहलाते हैं |
प्रश्न 1 : क्या कारण है कि बहुत छोटे प्राणी ध्रुवीय क्षेत्रों में कम पाए जाते हैं ?
उत्तर : छोटे प्राणियों का पृष्ठीय क्षेत्रफल उनके आयतन की अपेक्षा ज्यादा होता है इसलिए जब बाहर ठंड होती है तो उनके शरीर की ऊष्मा बहुत तेजी से कम होती है ऐसी स्थिति में उन्हें उपापचय अभिक्रिया द्वारा ऊष्मा पैदा करने के लिए काफी उष्मा खर्च करनी पड़ती है इसलिए छोटे प्राणी ध्रुवीय क्षेत्रों में कम पाए जाते हैं |
- प्रवास करना : प्रतिकूल वातावरण मैं जीव कुछ अवधि के लिए प्रवास करते हैं उदाहरण – शीतकाल में राजस्थान के भरतपुर में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान साइबेरिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों का स्वागत करता है |
- निलंबित करना : प्रतिकूल परिस्थितियों में कुछ प्राणियों का उपापचय तंत्र सुप्तावस्था में रहता है अर्थार्थ निष्क्रिय हो जाता है जैसे – ठंड से बचने के लिए भालू शीत निष्क्रियता तथा मछलियां गर्मी से बचने के लिए ग्रीष्म निष्क्रियता अपनाते हैं |
कुछ प्राणी प्लवक उदाहरण – डायटम , डायनो प्लेजीलेट , की अनेक जातियां उपरति अवस्था अर्थार्थ निलंबित अवस्था में रहती है
जीवाणु, कवको , वह निम्न पादपों में मोटी बुद्धि वाले बीजाणु बनते हैं जो अनुकूल वातावरण में प्रसुप्ति अवस्था में रखते हैं