JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: sociology

तर्कसंगत पूँजीवाद क्या है | तर्क संगत पूंजीवाद किसे कहते है , कारक बताइए rational capitalism weber definition in hindi

rational capitalism weber definition in hindi  तर्कसंगत पूँजीवाद क्या है | तर्क संगत पूंजीवाद किसे कहते है , कारक बताइए ?

तर्कसंगत पूँजीवाद की पूर्व-शर्तेः पूँजीवाद किस तरह के सामाजिक-आर्थिक परिवेश में पनप सकता है?
वेबर के अनुसार, आधुनिक पूँजीवाद का बुनियादी सिद्धांत समाज की रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने वाले उत्पादक उद्यम का तर्कसंगत संगठन है। इस इकाई में तर्कसंगत पूँजीवाद के लिए जरूरी पूर्व-शर्तों और उसके लिए उचित सामाजिक-आर्थिक परिवेश की चर्चा की जाएगी।

प) उत्पादन के भौतिक संसाधनों पर निजी स्वामित्वः इन भौतिक संसाधनों में भूमि, मशीनें, कच्चा माल, फैक्टरी की इमारत आदि शामिल हैं। उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण होने से ही निजी उत्पादक व्यापार या उद्यम को संगठित कर सकते हैं और उत्पादन के साधनों को व्यवस्थित कर वस्तुओं के उत्पादन की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
पप) मुक्त बाजारः व्यापार पर कोई रोक-टोक नहीं होनी चाहिए। राजनैतिक स्थिति आम तौर शांतिपूर्ण होनी चाहिए। इससे आर्थिक गतिविधियां बिना किसी बाधा के चल सकेंगी।
पपप) उत्पादन और वितरण की तर्कसंगत तकनीकः इस में उत्पादन बढ़ाने के लिए मशीनों का इस्तेमाल शामिल है। साथ ही, इसमें वस्तुओं के उत्पादन और वितरण में विज्ञान और तकनीकी का प्रयोग भी शामिल है ताकि व्यापक मात्रा में विविध प्रकार की वस्तुएं ज्यादा से ज्यादा कुशलता से तैयार की जा सकें।
पअ) तर्कसंगत कानूनः समाज के सभी लोगों पर लागू होने वाली कानूनी प्रणाली होनी चाहिए। इससे आर्थिक अनुबंध करने की प्रक्रिया सरल हो जाती है। हर व्यक्ति के कुछ कानूनी दायित्व और अधिकार हो जाते हैं और इन्हें लिखित नियमों के रूप में संहिताबद्ध कर लिया जाता है।
अ) स्वतंत्र श्रमिकः श्रमिकों को अपनी इच्छानुसार कहीं भी और कभी भी काम करने की कानूनी रूप से स्वतंत्रता होती है। मालिक से उनके संबंध अनिवार्य रूप से बाध्यकारी नहीं, बल्कि स्वेच्छा से किये गये अनुबंध पर आधारित होते हैं। लेकिन मार्क्स की तरह वेबर भी इस बात को स्वीकार करता है कि कानूनन स्वतंत्र होते हुए भी आर्थिक दबाव और भूख उन्हें झुकने पर मजबूर कर देती है। उनकी स्वतंत्रता कहने भर की है। वास्तव में तो जरूरत उन्हें श्रम करने पर विवश करती है।
अप) अर्थव्यवस्था का वाणिज्यिक स्वरूपः तर्कसंगत पूँजीवादी व्यवस्था में यह पाया जाता है कि हर व्यक्ति उद्यम में भाग ले सकता है। हर व्यक्ति को स्टॉक, शेयरया बांड खरीदने का अधिकार होता है। इस प्रकार उद्यम में जन सामान्य भाग ले सकते हैं।

संक्षेप में, तर्कसंगत पूँजीवाद ऐसी आर्थिक प्रणाली है जिसमें उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व तथा नियंत्रण होता है। तर्कसंगत तकनीकी की मदद से वस्तुओं का व्यापक स्तर पर उत्पादन होता है तथा बाजार में बिना किसी रोक-टोक से व्यापार होता है। श्रमिक नियोजकों से अनुबंध करते हैं क्योंकि वे कानूनी तौर पर स्वतंत्र होते हैं। सभी लोगों पर समान कानूनी प्रणाली लागू होती है, इससे व्यापारिक अनुबंध करना आसान हो जाता है, इस प्रकार इस प्रणाली के लक्षण अपनी पूर्ववती प्रणालियों से भिन्न हैं।

अब इस बात की चर्चा की जाएगी कि वेबर ने आर्थिक प्रणाली के तर्कसंगत होते चले जाने की कैसे व्याख्या की। तर्कसंगत पूँजीवाद का विकास कैसे हुआ? पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कार्ल मार्क्स ने पूँजीवाद के विकास को कैसे समझाया। मार्क्स ने उत्पादन की प्रणाली में परिवर्तन के आधार पर इसकी व्याख्या की। क्या मैक्स वेबर भी मूलतः आर्थिक आधार पर ही जोर देता है? क्या वह सांस्कृतिक और राजनैतिक कारकों पर भी ध्यान देता है? अगले उप-भाग में यह बताया जाएगा कि किस तरह वेबर पूँजीवाद को एक जटिल अवधारणा मानता है और उसके अनुसार किसी एक कारक के आधार पर अथवा मशीनी या एककारणीय संबंध से इसे नहीं समझा जा सकता। तर्कसंगत पूँजीवाद के विकास के पीछे अनेक कारक हैं। इन सभी कारकों की आपसी क्रिया-प्रतिक्रिया से तर्कसंगत पूँजीवाद के लक्षण विकसित होते हैं। आइए अब वेबर द्वारा बताए गए आर्थिक, राजनैतिक तथा सांस्कृतिक अथवा धार्मिक कारकों पर नजर डालें।

 तर्कसंगत पूँजीवाद के कारक
कुछ विद्यार्थी और विद्वानों के मन में आमतौर से यह धारणा है कि वेबर पूँजीवाद के विश्लेषण में आर्थिक कारकों की अनदेखी करता है। यह सही नहीं है। सच्चाई यह है कि वह आर्थिक कारकों पर मार्क्स के बराबर जोर नहीं देता परंतु आर्थिक कारकों के महत्व को नकारता भी नहीं। अब पूँजीवाद के विकास में आर्थिक और राजनैतिक कारकों की भूमिका के बारे में वेबर के विचारों की संक्षिप्त चर्चा की जाएगी।

प) आर्थिक कारकः वेबर ने यूरोप में “घरेलू कामकाज” और व्यापार के बीच धीरे-धीरे आये अंतर का उल्लेख किया है। घरेलू इस्तेमाल के लिए छोटे पैमाने पर वस्तुओं के उत्पादन की जगह फैक्टरियों के बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा। घरेल कामकाज और कारखानों के काम के बीच अंतर बढ़ने लगा। परिवहन और संचार के विकास में अर्थव्यवस्था को तर्कसंगत रूप देने में मदद मिली। समान मुद्रा के चलन तथा बही-खाता प्रणाली से आर्थिक लेन-देन आसान हो गया।

पप) राजनैतिक कारकः आधुनिक पाश्चात्य जीवाद का विकास नौकरशाही पर आधारित तर्क-विधिक राज्य के विकास से जुड़ा है। इसमें नागरिकता की धारणा महत्वपूर्ण हो जाती है। नागरिकों के कुछ वैधानिक अधिकार और कर्तव्य होते हैं। नौकरशाही पर आधारित राज्य में सामंतवादी व्यवस्था टूटती है और इस तरह पूँजीवाद बाजार के लिए मुक्त भूमि और श्रम उपलब्ध होते हैं। ऐसी राज्य व्यवस्था विशाल क्षेत्र में शांतिपूर्वक राजनैतिक नियंत्रण बनाये रखने के अनुकूल होती है। फलस्वरूप व्यापरिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाए जाने का अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण राजनैतिक वातावरण मिल जाता है। तर्कसंगत नौकरशाही राज्य व्यवस्था में संपूर्ण रूप से विकसित हो जाती है। इस प्रकार की राज्य व्यवस्था में तर्कसंगत पूँजीवाद पनप सकता है।

हमने पढ़ा कि वेबर किस तरह पूँजीवाद के विकास में आर्थिक तथा राजनैतिक कारकों के योगदान का विवरण करता है। हमने यह समझा कि कैसे घरेलू उत्पादन के स्थान पर फैक्टरी में उत्पादन मुद्रा का व्यापक चलन, संचार के साधनों और तकनीकी की सहायता से नयी आर्थिक प्रणाली विकसित होती है। हमने यह भी देखा कि किस प्रकार नौकरशाही पर आधारित राज्य व्यापार के फलने-फूलने के लिए उपयुक्त राजनैतिक वातावरण तथा वैधानिक अधिकार और सुरक्षा प्रदान करता है।

लेकिन वेबर के अनुसार केवल यही व्याख्याएं पर्याप्त नहीं है। उसके अनुसार मानव-समुदाय अपनी परिस्थितियों को जिस रूप में समझता है, उन्हें जो अर्थ देता हैय मानवीय व्यवहार उसी का प्रतिबिंब है। मानवीय व्यवहार के पीछे एक विशिष्ट नैतिकता तथा विश्व के प्रति एक विशिष्ट दृष्टिकोण होता है। इसी से मनुष्यों की गतिविधियां प्रेरित होती हैं। सबसे प्राचीन पश्चिमी पूँजीपतियों के व्यवहार के पीछे कौन सी नैतिकता थी? परिवेश के प्रति उनकी धारणा क्या थी और वे इस परिवेश में अपनी भूमिका किस प्रकार से समझते थे?

वेबर ने आंकड़ों के आधार पर कुछ रोचक तथ्य प्रस्तुत किये हैं। उसके अनुसार उस समय के ज्यादातर व्यापारी विभिन्न पेशों के विशेषज्ञ और नौकरशाह प्रोटेस्टेंट धर्म के अनुयायी थे। इसके आधार पर वेबर का ध्यान एक महत्वपूर्ण प्रश्न की ओर आकर्षित हुआ, वह यह कि क्या प्रोटेस्टेंट मान्यताओं का आर्थिक व्यवहार पर कोई असर है? वेबर की प्रख्यात रचना द प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म के बारे में खंड 4 की इकाई 15 में विस्तृत चर्चा की जा चुकी है। आइए, अब पहले सोचिए और करिए 2 को पूरा करें तथा फिर आर्थिक व्यवहार के निर्धारण में धार्मिक विश्वासों की भूमिका पर नजर डालें।

सोचिए और करिए 2
इस भाग (21.3) को ध्यानपूर्वक पढ़ें। पूँजीवादी व्यवस्था के विकास में आर्थिक कारकों की भूमिका के बारे में वेबर और मार्क्स के विचारों के बारे में एक पृष्ठ की टिप्पणी लिखें। अगर संभव हो तो अपनी टिप्पणी की अध्ययन केन्द्र में अन्य विद्यार्थियों की टिप्पणियों से तुलना करें।

पपप) धार्मिक/सांस्कृतिक कारक – प्रोटेस्टेंट नैतिकता का सिद्धांतः सबसे पहले यह समझना आवश्यक है कि “प्रोटेस्टेंट नैतिकता‘‘ और पूँजीवादी प्रवृत्ति (जो कि वेबर द्वारा विकसित आदर्श प्ररूप है) के बीच कोई यांत्रिक संबंध नहीं है, न ही प्रोटेस्टेंट नैतिकता पूँजीवाद के विकास का एकमात्र कारण है। वेबर के अनुसार, प्रोटेस्टेंट नैतिकता तर्कसंगत पूँजीवाद के विकास के विभिन्न स्रोतों में से एक है।

कल्विन धर्म प्रोटेस्टेंट पंथों में से एक है। वेबर ने इस पंथ में पूर्व-नियति की चर्चा की। पूर्व-नियति से तात्पर्य इस विश्वास से है कि कुछ लोगों को ईश्वर ने मुक्ति पाने के लिए चुना है। इसके परिणामस्वरूप अनुयायियों ने धार्मिक ग्रंथों को महत्व देना बंद कर दिया। धार्मिक अनुष्ठानों और प्रार्थना का भी महत्व कम हो गया। पूर्व-नियति के सिद्धांत ने बड़ी व्याकुलता और अकेलेपन की भावना पैदा की। प्रारंभिक प्रोटेस्टेंट मत के अनुयायियों ने

अपने पेशेवर क्षेत्र में सफलता के प्रयास किए और ऐसी सफलता को ईश्वर द्वारा अपने “चयन‘‘ का संकेत माना । ईश्वरीय “आह्वान‘‘ (बंससपदह) की धारणा के फलस्वरूप अथक परिश्रम तथा समय के सदुपयोग पर जोर दिया गया। लोगों ने अत्यंत अनुशासित और सुसंगठित तरीके से जीना शुरू किया। इच्छा-शक्ति के सुसंबद्ध तरीके के इस्तेमाल से निरंतर आत्म-नियंत्रण की प्रवृति पनपी जिससे व्यक्तिगत आचार के तर्कसंगत बनाने में मदद मिली। यह प्रवृत्ति व्यापार के तरीकों में भी आयी। मुनाफे का इस्तेमाल विलासिता के लिए नहीं किया गया बल्कि व्यापार को और आगे बढ़ाने के उद्देश्य से मुनाफे का फिर निवेश किया गया। इस तरह, इहलौकिक आत्मसंयम (जीपे ूवतकसल ंेबमजपबपेउ) जोकि प्रोटेस्टेंट विचारधारा का महत्वपूर्ण अंग है, रोजमर्रा के कामकाज को तर्कसंगत बनाने में सहायक हुआ। यह आत्मसंयम अथवा कड़ा अनुशासन और आत्मनियंत्रण साधु-सन्यासियों और पुरोहितों तक सीमित नहीं था । बल्कि यह सामान्य लोगों का भी जीवन-मंत्र बन गया जिन्होंने स्वयं को तथा अपने परिवेश को अनुशासित करने का प्रयास किया। परिवेश पर नियंत्रण रखना पूँजीवाद का एक महत्वपूर्ण विचार और लक्षण है। इस तरह प्रोटेस्टेंट नैतिकता और उसके दृष्टिकोण ने तर्कसंगत पूँजीवाद को स्वरूप देने में योगदान दिया।

 तर्कसंगत पाच्शत्य समाज का भविष्यः “लोहे का पिंजरा‘‘
हमने देखा कि वेबर तर्कसंगति को पाश्चात्य सभ्यता को प्रमुख लक्षण माना है। आर्थिक प्रणाली, राजनैतिक प्रणाली, संस्कृति और रोजमर्रा के कामकाज को तर्कसंगत बनाने के महत्वपूर्ण परिणाम होते हैं। तर्कसंगतिकरण की इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप विश्व के प्रति विरक्ति की भावना पैदा होती है। चूंकि विज्ञान के जरिए लगभग सभी रहस्य, सारे सवाल सुलझाए जा सकते है। इसलिए मानव-जाति का विश्व के प्रति आदरयुक्त भय समाप्त हो जाता है। दैनिक जीवन को तर्कसंगत बनाने से लोग एक घिसे-पिटे तय शुदा तरीके से जीने को मजबूर हो जाते हैं। जीवन मशीनी, पूर्व निर्धारित, नियमबद्ध और आकर्षणहीन हो जाता है। इससे मानवीय रचनात्मकता कम हो जाती है और लोगों में नीरस एवं नियमबद्ध दिनचर्या को तोड़कर कुछ नया करने का उत्साह कम हो जाता है। मानव जाति अपने ही बनाए कारागार में फंस जाती है। इस ‘‘लोहे के पिंजर‘‘ से निकलने का कोई रास्ता नहीं बचता। तर्कसंगत पूँजीवाद और इसकी सहयोगी तर्कसंगत नौकरशाही वाली राज्य-व्यवस्था जीवन की ऐसी पद्धति को स्थायी रूप देते हैं जिसमें मानवीय रचनात्मकता और साहस समाप्त हो जाते हैं। आस-पास के परिवेश का आकर्षण ही समाप्त हो जाता है। इससे मनुष्य मशीन जैसा बन जाता है। बुनियादी तौर से, यह अलगाव पैदा करने वाली प्रणाली है दिखिये चित्र 21.1ः भविष्य के बारे में वेबर की कल्पना)।
चित्र 21.1ः भविष्य के बारे में वेबर की कल्पना
हमने पढ़ा कि वेबर ने तर्कसंगत पूँजीवाद जैसी जटिल व्यवस्था के विकास की कैसे विवेचना की। वेबर अपनी व्याख्या को आर्थिक और राजनैतिक कारणों मात्र तक सीमित नहीं रखता। वह इन कारकों की अनदेखी भी नहीं करता पर वह तर्कसंगत पूँजीवाद में निहित मनोवैज्ञानिक अभिप्रेरणा (चेलबीवसवहपबंस उवजपअंजपवदे) पर जोर देता है। ये अभिप्रेरणाएं परिवेश के बारे में बदलते दृष्टिकोण से पैदा हुई हैं। मानव-जाति ने स्वयं को प्रकृति के चक्र का असहाय शिकार न मानते हुए अपने मन पर और बाहरी दुनिया पर नियंत्रण पाने की नैतिकता को अपनाया है। इस बदले हुए दृष्टिकोण को बनाने में प्रोटेस्टेंट पंथों जैसे कि कल्विनधर्म के विचार सहायक थे। ईश्वरीय आव्हान और पूर्व-नियति की परिकल्पनाओं ने अनुयायियों को दुनिया में फलने-फूलने और इस पर नियंत्रण पाने की प्रेरणा दी। इससे एक ऐसी आर्थिक नैतिकता विकसित हुई जिसमें व्यक्तिगत जीवन और व्यापार को तर्कसंगत बनाने पर जोर दिया गया। काम का बोझ केवल जरूरत न मान कर पवित्र कर्तव्य माना गया। ईश्वरीय आव्हान की धारणा के कारण अनुशासित श्रमिक का दल निर्मित हुआ जिसने पूँजीवाद के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इस तरह, वेबर ने अनेक स्तरों पर पूँजीवाद का विश्लेषण किया। उसने बदलती भौतिक और राजनैतिक स्थितियों के साथ-साथ बदलते जीवन-मूल्यों तथा विचारों के आधार पर यह विश्लेषण किया।

वेबर भविष्य की निराशापूर्ण तस्वीर पेश करता है। आर्थिक-राजनैतिक ढाँचे में तर्कसंगति से जीवन एक नीरस दिनचर्या में ढल जाता है। मानव-जाति के सामने प्रकृति के सभी रहस्य खुल जाते हैं, अतः जीवन का रोमांच तथा आकर्षण समाप्त हो जाता है इस तरह मानव-जाति अपने ही बनाये “लोहे के पिंजरे‘‘ में फंस जाती है।

बोध प्रश्न 3
प) निम्नलिखित प्रश्नों में प्रत्येक प्रश्न का तीन पंक्तियों में उत्तर दीजिए।
क) तर्कसंगत पूँजीवाद के विकास के लिए तर्क-विधिक व्यवस्था क्यों जरूरी है?
ख) पूर्व-नियति की धारणा से प्रोटेस्टेंट धर्म के लोगों का काम किस प्रकार प्रभावित हुआ?
पप) निम्न वाक्यों में से ष्सहीष् या “गलत‘‘ बताइए।
क) वेबर के अनुसार पूँजीवाद के उदय का सबसे महत्वपूर्ण कारण नौकरशाही पर आधारित राज्य का पनपना है।
सही/गलत
ख) पूर्व नियति की धारणा ने ज्यादातर प्रोटेस्टेंट धर्म के लोगों को प्रार्थना और धर्मग्रंथों के प्रति समर्पित जीवन बिताने के लिए प्रेरित किया। सही/गलत
ग) वेबर के अनुसार तर्कसंगत पाश्चात्य समाज ने मानव जाति को नीरस दिनचर्या से मुक्ति दिलाई। सही/गलत

बोध प्रश्न 3 उत्तर
प) क) तर्कविधिक व्यवस्था से तात्पर्य सभी के लिए समान वैधानिक प्रणाली से है। इसमें व्यक्तिगत कर्तव्यों और अधिकारों को लिखित रूप में संहिताबद्ध किया जाता है। इससे व्यापारिक कारोबार करना आसान हो जाता है और पूँजीवाद के विकास में मदद मिलती है।
ख) पूर्व-नियति की धारणा से अनुयायियों के मन में बड़ी व्याकुलता और असुरक्षा पैदा हुई। उन्होंने अपने ईश्वरीय चयन के संकेतों को, प्रार्थना और धार्मिक अनुष्ठानों में नहीं, बल्कि पेशे की सफलता में तलाशा। दुनिया में सफलता के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की ओर अतिरिक्त लाभ को फिर व्यापार में ही लगाया ताकि उत्पादन और बढ़ाने में इसका इस्तेमाल हो सके।
पप) क) गलत
ख) गलत
ग) गलत

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

1 day ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

3 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

5 days ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

5 days ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

5 days ago

FOURIER SERIES OF SAWTOOTH WAVE in hindi आरादंती तरंग की फूरिये श्रेणी क्या है चित्र सहित

आरादंती तरंग की फूरिये श्रेणी क्या है चित्र सहित FOURIER SERIES OF SAWTOOTH WAVE in…

1 week ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now