मीनाकारी की कला राजस्थान में सर्वप्रथम किसके द्वारा लाई गई ? हस्तकला किसे कहते हैं : राजस्थान की प्रमुख हस्तकला rajasthan me hastkala सम्बंधित प्रश्न और उत्तर पीडीऍफ़ ?
हस्तकला
राजस्थान राज्य सरकार को वर्तमान में सर्वाधिक विदेश मुद्रा हस्तकला से अर्जित होती है।
मुद्रा जवाहरात एवं आभूषण से प्राप्त होती है।
एशिया की मीनाकारी की सबसे बड़ी मण्डी सीतापुरा (जयपुर ) में स्थित है।
राजस्थान में पहली बार औधोगिक नीति की घोषणा 1978 में जनता पार्टी के भैरोसिंह शेखावत द्वारा की गई।
बीजेपी की स्थापना अप्रैल 1980 को हुई थी।
1991 को औधोगिक नीति के तहत राजस्थान में तीन शिल्प की स्थापना की गई।
जवाहर कला केन्द – जयपुर
वस्तुकार – चालर्स कोरिया
उदधाटन – 1993 , राष्ट्रपति , शंकर दयाल शर्मा
वर्तमान में राजस्थान के सर्वाधिक सांस्कृतिक कार्यक्रम इसी केन्द्र में किए जाते है। पाल शिल्प ग्राम – जोधपुर
हवाला शिल्प ग्राम – उदयपुर
वर्तमान में नागौर जिले में बहु गाँव में uno के द्वारा कशीदे की जूतियाँ बनाने की योजना बनाई जा रही है।
कला स्थान
1. जरी जयपुर
2. फड़ शाहपुर (भीलवाड़ा )
3. नांदणे शाहपुर (भीलवाड़ा )
4. पिछवाईयाँ नाथद्वारा
5. तारकशी के जेवर ` नाथद्वारा
6. मिट्टी / मृग मूर्ति / टेराकोटा मोलेजा (नाथद्वारा )
7. संगमरमर मूर्तिया (i ) जयपुर (ii ) अलवर
8. पीतल की मूर्तियाँ (i ) जयपुर (ii ) अलवर
9. उस्ता कला बीकानेर
10. सुराही बीकानेर
11. कूपी बीकानेर
12. मथेरणा बीकानेर
13. दर्पण (मिरर्र का कार्य ) जैसलमेर
14. पोकरण पॉटरी पोकरण (जैसलमेर )
15. अजरक प्रिंट / अजरख बीकानेर
16. मलीर प्रिंट बीकानेर
17. अमरबेला फालना (पाली )
18. रेडियो फालना (पाली )
19. टीवी फालना (पाली )
20. खेसले लेटा (जालौर )
21. कृषि के औजार नागौर
22. दरियाँ टांकला (नागौर ) टोंक
23. सुंघनी नसावर / नसवार ब्यावर
24. ठप्पा / टाबू (i ) बगरु (जयपुर )
(ii ) छिपो का आकोला (चितौड़ )
(iii ) सवाई माधोपुर
25. ऊनी कंबल व कालीन (i ) जैसलमेर
(ii ) बीकानेर
26. कागच / पाने बनाने की कला सांगानेर ( जयपुर )
27. मोठडे सांगानेर (जयपुर )
28. बटवे सांगानेर (जयपुर )
29. जस्ते की मूर्ति सांगानेर (जयपुर )
30. हाथी दाँत की चूडियाँ सांगानेर (जयपुर )
31. सलमल मथानिया वतनसुख (जोधपुर )
32. ओढ़नी / लहरिया / चुनरियाँ (i ) जयपुर (ii ) जोधपुर
33. लाख / काँच का समान (i ) जयपुर (ii ) जोधपुर
34.नगाड़े एवम मोदियाँ (i ) जोधपुर (ii ) भीनमाल
35. तलवार सिरोही
36. खेल सामग्री हनुमानगढ़
38. गलीचे टोंक
39 नमदे टोंक
40. सोफ्ट स्टोन / रमकड़ा (खिलौना ) उद्योग गलिया कोट (डूंगरपुर )
41. खस इत्र (1 ) सवाई माधोपुर
(2 ) भरतपुर
42. तुड़िया ,पायल ,पाजेब धौलपुर
43. ब्लच / ब्लू पॉटरी जयपुर
44. कठपुतली उदयपुर
45. काठड़ बस्सी (चित्तौड़गढ़ )
46. देवाण / बेवाण बस्सी (चित्तौड़गढ़ )
47. गणगौर बस्सी (चित्तौड़गढ़ )
48. जाजम प्रिंट / फर्श छवियो का आकोला (चित्तौड़गढ़ )
49. ब्लेक पॉटरी कोटा
50. मांगरोल कला बांरा
51. कॉंगली पॉटरी अलवर
52. कैथून / मसूरिया डोरियाँ कोटा (साड़िया )
53. सालावास कला जोधपुर
54. थेवा प्रतापगढ़
55. काफता कला जयपुर
56. मीनाकारी जयपुर
57. कुन्दन जयपुर
58. मुकेश (कला की साडिया दुपट्टा ) जयपुर
59. चन्दन मूर्तियाँ चूरू
60. पीला पोमचा शेखावाटी
61. पेंचवर्क शेखावाटी
62. चटापटी शेखावाटी
63. गोटा खण्डेला (सीकर )
64. बंधेज शेखावाटी
65. पाव रजाई जयपुर
66. पट्टू जैसलमेर , बाड़मेर (विष्नोईपमा दूल्हे को दहेज में मिलने वाला )
नांदणे = छपाई के घाघरे को नांदणे कहा जाता है।
पिछवाईया = कृष्ण की बाल लीलाओ को कपड़े पर चित्रित कर मंदिर में मूर्ति के पीछे दीवार पर जाता है।
उस्ता = मरे ऊंट की खाल पर जो नक्काशी का कार्य किया जाता है उसे उस्ता कहते है।
इस कला के प्रमुख कलाकार स्व हिसामुद्दीन उस्ता बीकानेर में इसका परिवार ‘उस्ताद ‘ कहलाता है।
सम्बंधित टॉपिक :
सीठणे = विवाह के अवसर पर दी जाने वाली गालिया
फड़ = लोक देवता के जीवन को जिस कपड़े पर चित्रित किया जाता है।
सबसे पुरानी फड़ = भोमा जी / देव जी
सबसे लोकप्रिय फड़ = पाबू जी
डाक टिकट पर जारी = देव नारायण जी