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राजस्थान में दुर्ग /गढ़ /गढ़ैया rajasthan fort in hindi | राजस्थान के किले जानकारी हिंदी में rajasthan me kitne kile h
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राजस्थान में दुर्ग /गढ़ /गढ़ैया
दुर्ग का 1. नाम
2.स्थान
3. उपनाम
4. निर्माता
5. सन
6. श्रेणी > शुक्र नीति के अनुसार = 9 प्रकार
1. स्थल दुर्ग = जमीन पर पर बने हुए दुर्गो को स्थल दुर्ग।
2. पहड़ी पर = गिरी दुर्ग
3. जल दुर्ग = पानी से घिरा हुआ
4 . धान्वन दुर्ग = रेत से घिरा
5. पारिख दुर्ग = खाई से घिरा
6. पारिध दुर्ग = दीवार से घिरा
7. सहाय दुर्ग = एक परिवार
8. सैन्य दुर्ग = सैनिको की दृष्टि
9. वन दुर्ग/ रुरण दुर्ग = जंगल से घिरा हुआ
जैसलमेर दुर्ग
उपनाम = स्वर्ण गिरी / सोनार गढ़ / 99 बुर्जो वाला / गलिये का दुर्ग / लिविंग फोर्ट – II त्रिकूट गढ़ / पश्चिमी सीमा का प्रहरी / भाटी भट किवाड़ लंगर लिरू हुए जहाज / रेगिस्तान का अण्डमान का गुलाब
निर्माता = 1155 में निर्माता = जैसल सिंह भाटी
श्रेणी = धान्व दुर्ग
= पहुँचने के लिए पत्थर की टांगे चाहिए अबुल – फजल
= हाल ही में डाक टिकट जारी हुआ
चुने का प्रयोग नही एंव यूनेस्को सूची में शामिल
= बादल महल, मोती महल ,रंग महल , जवाहर महल
= ऋषभदेव मंदिर , आदिनाथ मंदिर , स्वांगिया माता मंदिर (भाटियो की कुल देवी )
= प्राचीन जैन पाण्डुलिपि =जीन भद्र सूरी (लेखक )
= “गढ़ दिल्ली , गढ़ आगरा , अधगढ बीकानेर भलो चिणायो भाटिया गढ़ लो जैसलमेर ”
=”घोड़ा कीजै काठ का ,पग कीजै पाषाण ,
अख्तर कीजै लोहे का तब पहुंचे जेसाण ”
इसमें 2 1 _2 शाखा हुआ
चितौड़गढ़ दुर्ग
सबसे बड़ा (क्षेत्रफल की दृष्टि से )
उपनाम = चित्रकूट गढ़ / राजस्थान का गौरव / मालवा का प्रवेश द्वार खिजारबाद / लिविंग फोर्ट – 1
निर्माता = चित्रांगद मौर्य – आठवीं शताब्दी
= चित्रकूट पहाड़ी पर मेसा पठार पर स्थित
= अधिकांश महलो के निर्माता = कुंभा
3. शाके = 1. 1303 – पदमिनी – [अलाऊदीन खिलजी ]
2. 1534 – कर्मावती – [बहादुर शाह ]
3. 1567 – जयमल , पत्ता , रानियाँ – [अकबर ]
कुंभश्याम मंदिर ,कालिका मंदिर / सूर्य मंदिर राजस्थान का प्राचीनतम
= मीरा मंदिर
=तुलजा भवानी
=क्ष्रगांर चंवरी
= सतसीसी – जैनधर्म मंदिर छोटे – 2.
= नवलखा भण्डार
= रैदास की छतरी
= कल्ला जी की छतरी
= गौमुख कुण्ड
= गौरा – बादल महल
= पदमिनी महल
= जलमल हवेली
= भीम तालाब
= सात दरवाजे
= विजय स्तभ्भ
= कीर्ति स्तभ्भ प्रसंशित
= एक मात्र दुर्ग जिसमें खेती की जाती है।
नाहरगढ़ – जयपुर
सुर्दशन गढ़ / जयपुर ध्वज / जयपुर मुकुट / महलों का दुर्ग
निर्माता = सवाई जयसिंह
सन = 1733
श्रेणी = गिरी दुर्ग , पर्वतमाला = अरावली
सवाई जयसिंह नें इस दुर्ग का निर्माण मराठों में सुरक्षा हेतु करवाया था।
एक समान नौ महल है।
घोड़े की मजार।
नाना जी झालरा।
उमादे ने जीवन व्यकित किया।
द्वारा शिकोह ने शरण ली।
मराठों का प्रत्यक्ष रूप से अधिकार।
सर्वाधिक स्थानीय आक्रमण।
मेहरानगढ़ दुर्ग – जोधपुर
(मेहर नामक व्यक्ति की बली )
मयूरध्वज गढ़ / गढ़ चिंतामणि (अर्थ – चिन्ताओ से मुक्ति दिलाना )
सूर्यगढ़ / काग मुखी / चिड़िया ट्रक गढ़ (योगी चिड़िया नाथ )
मरुस्थल का प्रवेश द्वार
निर्माता = राव जोधा सन – 1459
नींव रखी – रिद्धिबाई , / करणीमाता
चामुण्डा माता का मंदिर इसके सामने – जसवन्त थड़ा राजा का महल
मान प्रकाश पुस्तकालय
मेहर खां की मजार
शेरशाह सूरी मस्जिद
गणगौर सवारी व राम जी की सवारी निकलती है।
भरतपुर दुर्ग
लोहागढ़ / अजयगढ़ / अभेद दुर्ग / मिट्टी का किला .
निर्माता = सूरजमल जाट सन = 1733
अषटधातु दरवाजा = जवाहर सिंह लाये दिल्ली से (लाल किले से )
बिहारी मंदिर
जवाहर बुज
राजस्थान का प्रवेश द्वार व पूर्वी द्वार
सूरजमल जाट द्वारा 1733 में शहर बसाया था
सिवाना दुर्ग – बाड़मेर
मारवाड़ के राजा की शरण स्थली / जालौर दुर्ग की कुंजी / खैराबाद
श्रेणी = गिरी
निर्माता = वीरा नारायण पवार
यह दुर्ग शीतलादेवी की आन – बान के लिये जाना जाना है।
कुम्भलगढ़ दुर्ग / कुम्भल मेरू – राजसमंद
श्रेणी = गिरी दुर्ग
पर्वतमाला = अरावली
निर्माता = कुम्भा
सन – 1457 – 58
वास्तुकार – मण्डन
इसी दुर्ग में कटारगढ़ दुर्ग बना हुआ है।
जिसमे कुंभा स्वय निवास करता था तथा मेवाड़ की निगरानी रखता था इसलिए इसे ” मेवाड़ की आँख ” कहा जाता है।
अबुल – फजल ने कटारगढ़ के लिए कहा है की ” यह दुर्ग इतनी बुलंदी पर बना हुआ है कि इसे देखने पर सिर की पगड़ी भी गिरी जाती है। ”
इस दुर्ग में प्रताप का बचपन गुजरा है।
उदयसिंह का राज्याभिषेक हुआ।
पृथ्वीराज सिसोदिया की छतरी।
झाली रानी का मालिया (चौबारा ) है।
अजमेर का किला
अजयमेरू / गढ़ बिठली – बिठलीदास गौड़ / तारागढ़ / अरावली की आत्मा / राजस्थान का ह्दय / राजपुताना की कुंजी / पूर्व का जीरबालट हैदर विशप ने
श्रेणी – गिरी दुर्ग
निर्माता – अजयराज
सन = 1113
मीशन साहब की दरगाह
विश्व का प्रसिद्व मंदिर ब्रह्मा जी का जो अजमेर में स्थित है।
गागरोन दुर्ग – झालावाड़
धूलरगढ़ / डोडगढ / मुस्तफाबाद /
निर्माता – देवी सिंह खींची
श्रेणी – जल दुर्ग / उदक दुर्ग
सगंम – कालीसिंध व आहु नदी का।
पृथ्वीराज राठौड़ ने ” बेलिकिशन रुकमणी ” की रचना की।
शिवदास गाडण ने ” अचलदास खींची री वचनिका ” नामक ग्रंथ की रचना इसी दुर्ग में की।
इसी दुर्ग में औरंगजेब नें ” मीठे शाह की दरगाह ” बनवाई।
संत पीपा का जन्म स्थल।
संत पीपा की छतरी।
इसी दुर्ग के समीप “हीरामन जाति का तोता ” निवास करता है।
खड़ी शिला पर बना दुर्ग , जिसके नींव का पत्थर नही है।
जालौर दुर्ग
जावालि दुर्ग / जलालाबाद / सुवर्णगिरि / सोनलगढ़ / सोनलग
श्रेणी – गिरी
डा , दशरथ शर्मा के अनुसार अरबी आक्रमणों का सफलतम मुकालबा करने हेतु प्रतिहार नरेश नागभट्ट – 1. ने इस दुर्ग का निर्माकरवाया था।
10. वी शताब्दी में इसका जीर्णोदार जीर्णोदार परमार शासक धरावर्ष ने किया था।
यह दुर्ग कान्हड़देव की आन – बान के लिये जाना जाता है।
जोगमाता मंदिर , चामुण्डा माता मंदिर , आशापुरा मंदिर
मलिक साहब की दरगाह , अलाउद्वीन खिलजी की मस्जिद
रणथम्भौर दुर्ग – सवाई माधोपुर
श्रेणी – तालाब
/ ओरण दुर्ग [गिरी + वन दुर्ग ]
निर्माता – महेशवर के ठाकुर रतिदेव रण +भोर +थम्म
दूर से नही देखा।
अबुल फजल ने कहा की “और सभी दुर्ग नंगे है और यह दुर्ग बख्तर बन्द है
जोगी महल
जौरा – भौर – महल
सुपारी महल
गुप्त गंगा
सदरुद्दीन की दरगाह
32. खम्बो की छतरी त्रिनेत्र गणेश मंदिर – भाद्र पद शुक्ल चतुर्थी
रणत भंवर का गजानन मंदिर
जयगढ़ दुर्ग – जयपुर
चिल्हाक टोला
श्रेणी – गिरी
पर्वतमाला – अरावली
निर्माता – मानसिंह – 1. सन – 1600 के लगभग
नामकरण – मिर्जा राजा जयसिंह के नाम से।
वर्तमान स्वरूप – सवाई जयसिंह ने प्रदान किये।
उपयोग – राजनैतिक कैदियों को रखने तथा खजाना छिपाने के लिए।
खजाने की – श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने
अचलगढ़ / अर्बुद दुर्ग – सिरोही
श्रेणी – गिरी
पर्वतमाला – अरावली
निर्माता – कुम्भा सन – 1453
यह दुर्ग राजस्थान में सबसे ऊंचाई पर स्थित है।
अचलेश्वर महादेव का मंदिर
सावन – भादो झील
कपूर सागर सरोवर
ओखा रानी का महल
सावन – भादो महल = डीग (भरतपुर )
सावन – भादौ नहर = कोटा
सावन – भादौ कढाईयाँ – देशनोक (बीकानेर )
भटनेर दुर्ग – हनुमानगढ़
उत्तरी सीमा का प्रहरी
उत्तर भड़ किवाड़
निर्माता – भाटी नरेश भूपत सन – 288 ेई (3 शताब्दी )
श्रेणी – जल दुर्ग ( नदी – धग्धर )
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