rajasthan customs and traditions in hindi राजस्थान के रीति और रिवाज ? एवं प्रमुख प्रथाएं , प्रश्न उत्तर ?
रीति रिवाज
राजस्थान के रीति – रिवाज की सबसे बड़ी विशेषता उनका सादा एवं सरल होता है। तथा गीतों में व्यग्यात्मक गाली देना एक अन्य विशेषता है। यहाँ के रीति – रिवाज मुख्यत:जन्म , प्रण एवं मरण से जुड़े हुए है। (नांगल = गृह प्रवेश )
जन्म से जुड़े रीति – रिवाज
संस्कार
(1 ) गर्भाधान = गर्भ से पूर्व धार्मिक क्रिया
(2 ) पुंसवन = पुत्र प्राप्ति की याचना
(3 ) सिंमतोंत्रयन = गर्भवती स्रीयों को अमंगल से बचाने हेतु
(4 ) जातकर्म = बालक के जन्म पर किया जाने वाला संस्कार
(5 ) नामकरण = शिशु का नाम रखने हेतु
(6 ) निष्क्रमण = प्रथम बार सूर्य – चंद्र दर्शन (4 th मास )
(7 ) अन्नपाशन = प्रथम बार अन्न का आहार (6 th मास )
(8 ) चूड़ाकर्म (जडूला ) = पहले या तीसरे वर्ष मुण्डन
रीति – रिवाज
(1 ) थाली बजाना = पुत्र जन्म की शुभ सुचना की अभिव्यक्ति थाली बजाकर की जाती है।
(2 ) न्हाण = जच्चा एवं बच्चा प्रथम बार स्नान न्हाण कहलाता है।
(3 ) आख्या (सात्यां ) = बालक के जन्म के आठवे दिन परिवार की बहिन बेटिया आख्या (सात्यां )करती है।
(4 ) जलवा पूजन = कुआँ बालक के जन्म पर माँ को कुछ दिनों पशचात कुए पर ले जा कर जलवा पूजन करवाया जाता है।
(5 ) जामणा = बालक के ननिहाल से पोतड़ा पक्ष के लोग बालक होने की ख़ुशी मे उपहार , कपड़े ,मिठाई देते है।
(6 ) मुंडन ,जडूला (लटुरिया ) = बालक के तीसरे वर्ष मे प्रथम बार केश उतारे जाते है। (मावलिया)
(7 ) जनेऊ (उपनयन )= दस वर्ष की आयु के पशचात बाह्राण ,ज्ञत्रिय एवं वेश्यो के बच्चों के जनेऊ डाली जाती है वह रस्म यज्ञोपवती कहलाती है (उत्तम दिन – रक्षा बंधन )
(8 ) हलाणो = प्रथम प्रसव के उपरांत कन्या को दिया जाने वाला सामान व विदाई
(9 ) ढूंढ = बच्चे के जन्म की प्रथम होली पर किया जाने वाला रिवाज।
लोकगीत
(1 ) जच्चा – होलर = जच्चा को धन्यवाद एवं बच्चे कि सुख समृद्दि हेतु।
(2 ) पीलो = पीहर पक्ष से आने वाले वस्त्र के संबध मे।
(3 ) हीलो = बच्चे के लिए गाया जाने वाला लोरी गीत।
लोकदेवीया
(1 ) मावलिया – महामाया = निर्विधन प्रसव एवं बच्चे की सूखा रोग से रक्षा करने हेतु मावलिया – महामाया की पूजा की जाती है।
(2 ) शीतला माता = बच्चे को चेचक – बोदरी से बचाने के लिए शीतला माता की पूजा की जाती है।
विवाह (प्रण )से संबधित संस्कार
गृहस्थाश्रम मे प्रवेश के समय किया जाने वाला संस्कार जो पितृ ऋण से मुक्ति हेतु किया जाता है।
1. सगाई
2. लगन टीका
3. बिंदौला
4. तेल -बान (पीठी ) (कांकन -डोरा )
5. चाक पूजन
6. मुगधणा
7. भात (माहेरा )
8. घुड़चढ़ी
9. निकासी
10. बारात
11. डेरा
12. सामेला (ठुमाव )
13. जला (जलाल )
14. कोरथ
15. तोरण
16. बरी – पड़ला – बिनोटा
17. चँवरी पूजन
18. फेरे
19. रंगभरी (पहरावणी )
20. चिकनी कोथली
21. कुँवर कलेवा
22. गंगा पूजन
23. सोटा – सोटी
24. फेरमोडा
25. मिलनी
26. मेल -मांडा (सांकडीरात )
27. बढ़ार
28. मुकलावा (गौना )
29. खेहटियो विनायक
विवाह गीत (परणेत )
1. बन्ना – बन्नी
2. सांकड़ी विनायक
3. फलसड़ा
4. मेहंदी गीत
5. जला गीत
6. बधावा गीत
7. ओल्यू गीत
8. गायड़मल
9. कुकड़ला
10. सिठड़ा (गालिगीत ) (जयपुर )
11. बयानों बयाणे = विवाह के समय प्रात: कालीन गाये जाने वाला मांगलिक गीत।
12. घुड़लो = विवाह मे पुत्री की विदाई पर गाया जाने वाला लोकगीत।
देवी =भीत भराड़ी – भीलो (आदिवासियों )मे लाडा – लाडी भराडी देवी से आशीर्वाद लेते है।
अन्य रिवाज
1. औझण – उझणे = कन्या की विदाई के समय दिया जाने वाला सामान (दहेज )
2. छोल = दुल्हन की झोली भरने की रस्म।
3. गाधराणाे = पुनर्विवाह (विशेषकर देवर के साथ )
4. बरोटी = विवाह के बाद वधू के स्वागत मे किया जाने वाला भोज
5. हिरावणी = विवाह के समय नव वधू को दिया गया कलेवा।
6. हथबौलणे = नवागन्तुक वधू का प्रथम परिचय।
7. सावोे = विवाह का शुभ मुहूर्त
8. विदडी = विवाहादि मांगलिक कार्यो का नियंत्रण पत्र