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prostaglandins in hindi , use , प्रोस्टाग्लैंडीन क्या होता है , कार्य बताइए , फिरोमोन्स (Pheromones)

पढों prostaglandins in hindi , use , प्रोस्टाग्लैंडीन क्या होता है , कार्य बताइए , फिरोमोन्स (Pheromones) ?

पैराहार्मोन्स (Parahormones)

वैज्ञानिकों द्वारा कुछ अन्य रासायनिक पदार्थों की भी खोज की गयी है जो हारमोनों की भाँति ‘मुख्य क्रियाऐं करते हैं, इसमें प्रोस्टाग्लैन्डिन्स व फिरमोन्स है।

चित्र 8.3 ऋणात्मक पुननिर्वेश नियंत्रण

(i) प्रोस्टाग्लेंडिन्स (Prostaglandins) : इनको सर्वप्रथम के वीर्य (semen) में खोजा गया था तथा यह भी पाया गया कि ये सर्वाधिक मात्रा में प्रोस्ट्रेट ग्रन्थि में उपस्थित होते हैं । किन्तु बाद की खोजों में पाया गया कि इस प्रकार के कुछ पदार्थ केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र, आमाशय, आन्त्र, प्लीहा, अधिवृक्क, नेत्र एवं वसीय उत्तकों में भी पाये जाते हैं। यद्यपि इनका प्रभाव वृहत् क्षेत्री होता है किन्तु ये प्रबल गर्भाशय-संकोची (oxytocic) प्रभाव रखते हैं। अत: निरोधक के रूप में प्रयुक्त किये जाते हैं। लगभग 20 प्रकार के प्रोस्टोग्लेंडिक्स पृथक् किये गये हैं जो चक्रीय ऑक्सीजिनेटेड वसीय अम्ल हैं और 20 कार्बन परमाणु युक्त होते हैं। इनके प्रभाव भी अनेकों परिणाम करते हैं।

(ii) फिरोमोन्स (Pheromones) : ग्रीक भाषा से लिये गये इस शब्द से तात्पर्य है “उत्तेजिम करने हेतु वहन करना।” फीरोमोन्स (pheromones) वे रसायनिक पदार्थ हैं जो जंतुओं द्वारा किये जाते हैं तथा ये अपनी ही जाति के अन्य जन्तुओं को व्यवहार एवं परिवर्धन करने कार्य करते. हैं। आरम्भ में इन्हें बाह्य हार्मोन्स (ecthormones) का नाम दिया गया, किन्तु कार्लसन एवं ब्यूटेनडेण्ट (Karison and Butenandt; 1959) ने इन्हें फीरोमोन्स का नाम दिया।

चित्र 8.4 – कोशिका कला स्तर पर हॉरमोन की क्रियाविधि

ये वास्तविक हारमोन्स नहीं है। ये बाह्य स्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रवित रसायनिक प्रेषी पदार्थ है जो हारमोन्स के प्रभाव से उत्तेजित होने पर स्रवित किये जाते है।

हॉरमोन के लक्षण (Characteristics of hormones)

  • ये लक्ष्य विशिष्ट होते हैं अर्थात् इनके कार्य स्थल (target site) होते हैं। • प्रत्येक हॉनमोन का स्रावण एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप में होता है।
  • रुधिर में इनकी मात्रा समन्वित करती है।
  • हॉरमोन्स उपापचयी गतिविधियों की दर को घटाते या बढ़ाते हैं, लेकिन नयी जैव क्रियाओं को उत्पन्न नहीं करते हैं।
  • ये रुधिर तथा शरीरिक ऊत्तकों में लगातार अनुत्तेजित होते रहते हैं तथा शरीर से पित्त या मूत्र द्वारा बाहर निकलते रहते हैं।

. इनकी स्रावण दर कभी स्थिर नहीं होती परन्तु या स्रावी उत्तेजनाओं की प्रकृति एवं तीव्रता पर आधारित होती है।

  • रुधिर में ये बहुत कम मात्रा में उपस्थित होते हैं तथा ये विशिष्ट वाहक प्रोटीन्स (specific carrier proteins) से जुड़कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचते हैं।
  • इनका स्रावण विशिष्ट स्रावी उत्तेजना के कारण होता है।
  • ये आसानी से कोशिकाओं झिल्ली द्वारा विसरणशीलता ( diffusable) होते हैं।
  • ये जल में घुलनशील (soluble) होते हैं।
  • ये कार्य में आने के पश्चात् नष्ट कर दिये जाते हैं।
  • ये शरीर में संग्रहित नहीं किये जा सकते हैं।

हॉरमोन एवं एन्जाइम (Hormone and enzyme)

  • हॉरमोन एवं एंजाइम ने निम्न समानताऐं होती है-
  1. दोनों ही ग्रन्थियों (glands) द्वारा स्रावित होते हैं।
  2. दोनों ही शरीर की उपापचयी (metabolic) क्रियाओं को प्रभावित करते हैं।
  3. दोनों विशिष्ट (specific) कार्यों का नियंत्रण करते हैं।
  4. दोनों की उत्प्ररेक (catalyst) की तरह कार्य करते हैं।
  • हॉरमोन एवं एंजाइम में निम्नलिखित विभिन्नताएं है-

हॉरमोन्स की रसायनिक प्रकृति (Chemical nature of hormones)

हॉरमोन्स की रसायनिक प्रकृति निम्न होती है-

  1. ग्लाइकोप्रोटीन (Glycoprotein)

उदाहरण- FSH, LH एवं TSH

  1. पोलीपेप्टाइड्स या प्रोटीन्स (Polypeptides of Proteins)

उदाहरण – ऑक्सीओसीन, वेसोप्रसीन, रिलेक्सिन (relaxin) एवं सीक्रेटिन (secretin) आदि

  1. स्टीरॉइड्स ( Steroids)

उदाहरण- एल्डोस्टीरॉन कोर्टीसोन एवं लिंगी हॉर्मोन्स

  1. अमीनों अम्ल व्यूप्तन्न ( Amines or catecholamines) उदाहरण – थायरोक्सिन

चित्र 8.4 – कोशिका कला स्तर पर हॉरमोन की क्रियाविधि

उदाहरण- ऐड्रेनिलीन (Adrenaline) एवं नॉरएड्रीनेलीन (Noradrenaline)

  1. एमाइन्स या कैटकलिमीन्स (Amines or catecholamines )

हॉरमोन्स की क्रिया विधि (Mechanism of normonal action)

हॉरमोन्स की क्रियाविधि निम्नलिखित होती है-

हॉरमोन की क्रियाविधि की खोज के लिये सुन्दरलैण्ड (Sutherlana, 1971) को नोबल

  • कोशिका कला स्तर पर (Action at cell membrane level)

इनके अनुसार हॉरमोन प्रथम दूत (primary messenger) के रूप में लक्ष्य कोशिकाओं की कला पर उपस्थित ग्राही प्रोटीन्स से जुड़ते हैं तथा दो प्रकार से कार्य करते हैं। (i) इससे कोशिका कला की चयनात्मक पारगम्यता (selective permeability) बदल जाती है।

(ii) कोशिका कला में उपस्थित ऐडिनिल साइक्लेज (adenyl cyclase) नामक एंजाइम प्रेरित होकर कोशिकाद्रव्य के ATP के अणुओं का चक्रिय AMP में विघटन कर दे है।

चक्रिक AMPकी मात्रा में परिवर्तन कोशिकाओं के उपापचयी क्रियाओं को प्रभावित कर सकता है।

  • इसी कारण हॉरमोन को “द्वितीय” (secondary) या अन्तः कोशीय दूत (inter-cellular messenger) कहा जाता है।

(2) जीन स्तर पर (At gene level)

  • कुछ हॉरमोन्स (स्टीरॉइड एवं थाइरॉइड) अपनी लक्ष्य कोशिकाओं में प्रवेश करके ग्राही प्रोटीन्स (receptor proteins) से जुड़ जाते हैं।
  • ये प्रोटीन्स इन हॉमोन्स को केन्द्रक (nucleus) में पहुँचा कर DNA की प्रोटीन्स से जोड़ देती है।

चित्र 8.5 जीन स्तर पर हॉरमोन की क्रियाविधि

ये हॉरमोन्स सक्रिय (active) जीन्स को निष्क्रिय (inactive) करके अथवा निष्क्रिय जीन्स को सक्रिय बनाकर mRNA के संश्लेषण को प्रभावित करते हैं।

. इस क्रिया से प्रभावित होकर कोशिका में इंजाइमों एवं प्रोटीन्स का संश्लेषण परिवर्तित होकर समस्त कोशिकीय उपापचयी तथा वृद्धि को प्रभावित करता है।

हॉरमोन का महत्त्व (Significance of hormones)

  • ये वृद्धि एवं विकास, सुरक्षा एवं आचरण, जनन एवं लैगिंक लक्षणों आदि का नियंत्रण करते हैं।
  • हॉरमोन्स शरीर की कोशिकाओं के उपापचय का नियंत्रण करके शरीर की कार्यात्मक लक्षता (functinal tempo) बनाये रखते हैं
  • ये शरीर के अन्तः वातावरण (internal environment of milieu interieor) को समान बनाये रखे का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।
  • हॉरमोन्स विभिन्न भागों की कोशिकाओं की क्रियाओं में तालमेल बनाये रखते हैं।
  • हॉरमोन्स की मात्रा ममें गड़बी होने पर कार्यात्मक रोग (functinal disease) हो जाते हैं। ये रोग हॉरमोन की आवश्यक मात्रा से कम स्रावण (hypsecretion) एवं अतिस्रावण (hypersecretion) के कारण होते हैं।

मुख्य अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ एवं हार्मोन्स (Chief endocrine glandsand horones)

उच्च हकशेरुकी जंतुओं की देह में पीयूष (pituitary), पीनियल (pineal), थायरॉइड (thymus), एवं अधिवृक्क ( adrenal) पूर्णरूपेण अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ है। कुछ अन्य उत्तक या अंग जैसे लैगरहेन्स द्वीप समूह, वृषण (testes), अण्डाशय, आमाशय एवं आंत्र भित्ति, प्लेसेन्टा (placenta), त्वचा, हृदय, वृक्क आदि अपने मूख्य कार्य के अतिरिक्त हॉरमोन्स का स्रावण भी करते हैं।

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