JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Biology

Prokaryota in hindi प्रोकैरयोटा क्या है , prokaryotes in hindi प्रोकैरियोटिक कोशिका किसे कहते हैं उदाहरण सहित समझाइए

जानिये Prokaryota in hindi प्रोकैरयोटा क्या है , prokaryotes in hindi प्रोकैरियोटिक कोशिका किसे कहते हैं उदाहरण सहित समझाइए ?

प्रोकैरयोटा (Prokaryota)

प्रोकैरयोटा संरचना एवं संगठन (The Prokaryota structure organization)

सूक्ष्मजीवों (microorganisms) का एक विशाल विषमजातीय ( heterogeneous) समूह है जिसे वर्गिकीविज्ञों (taxonomists) ने अनेक उप समूहों में विभाजित किया है। सूक्ष्मजीवों को सर्वप्रथम जन्तु एवं वनस्पति जगत् के अन्तर्गत ही वर्गिकीविज्ञों द्वारा रख दिया गया था, किन्तु इस वर्गीकरण के अपूर्ण एवं असुविधाजनक होने के कारण एक तृतीय जगत् प्रोटीस्टा (protista आद्यजीव), बना कर इन सभी सूक्ष्मजीवों को इनमें सम्मिलित किया गया है। प्रोटीस्टा जगत् को दो जगतों में विभक्त किया गया है।

  1. प्रोकैरयोटा अर्थात् असीम केन्द्रकी
  2. यूकैरयोटा अर्थात् ससीम केन्द्रकी
  3. प्रोकैरयोटा जगत् में जीवाणु (bacterial) एवं साइनोबैक्टीरिया (cynobacteria) को सम्मिलित किया गया है।
  4. यूकैरयोटा जगत् में फफूंद (mould) कुछ शैवाल (algae) श्लेष्माभ कवक (slime fungi) और प्रोटोजोआ (protozoa) एवं मेटाजोआ (metazoa) एवं शेष सभी पादप (plants), एवं जन्तु (animals) सम्मिलित किये गये हैं।

वर्गीकरण की रूपरेखा (Out lines of classification)

इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज के साथ वैज्ञानिकों की विचारधारा में अध्ययन के फलस्वरूप परिवर्तन होने लगे। जगत् प्रोटीस्टा को उपविभाजित कर दो समूह निम्न प्रोटीस्टा (lower protista) व उच्च प्रोटीस्टा (higher protista) बनाये गये। चर्तुजगत् पद्धति के अन्तर्गत निम्न प्रोटीस्टा को एक अलग जगत् मोनेरा (monera) के अन्तर्गत रखा गया। इसमें प्रोकैरियोटिक सूक्ष्मजीव सम्मिलित किये गये। उच्च प्रोटीस्टा को जगत् प्रोटीस्टा में रहने दिया गया। शेष दो उपजगत् एक मेटाफाइटा (metaphyta) में ब्रायोफाइट्स, टेरिडोफाइट्स, जिम्नोस्मम्स व एन्जिओपम्स व मेटाजोआ (metazoa) जिसमें प्रोटोजोआ के अतिरिक्त सभी जन्तु आते हैं, बनाये गये। पंच जगत् पद्धति के संस्थापकों में विटेकर (Whittaker ; 1969) ने कवक में पोषण प्रणाली अवशोषण प्रकार की पायी गयी, जो जीवजगत् में अन्य विशुद्धतः पृथक प्रकार की है अतः पोषण को आधार मानकर वर्गीकरण हेतु पाँच जगत् स्थापित किये। मोनेरा में प्रोकैरयोट्स बैक्टीरिया व साइनोबैक्टीरिया को रखा गया है। प्रोटीस्टा में प्रोटोजोआ व नीली- हरी शैवाल के अतिरिक्त अन्य शैवालों को सम्मिलित किया गया। जगत् माइकोफाइटा (mycophyta) में सभी प्रकार के कवक सम्मिलित किया गया। जगत् एनिमेलिया (animalia) में प्रोटोजोआ के अतिरिक्त सभी प्राणियों को सम्मिलित किया गया। विटेकर द्वारा

प्रस्तावित यह पंच-जगत् पद्धति मारगुलिस (Margulis, 1971) द्वारा परिवर्तित की गयी सभी वैज्ञानिकों ने पूर्ण रूप से स्वीकारा है। पंच जगत् प्रणाली उद्विकासिक सम्बन्धों पर आधारित है एवं आधुनिक आनुवंशिक, जैव रसायनिक, परासंरचनात्मक अध्ययनों के अनुकूल है एवं आनुवंशिक अन्त: सहजीवन (hereditary endosymbiosis) परिकल्पना की समर्थक है।

आधुनिक विचारधारा के अनुसार पंच जगत् प्रणाली में भी कुछ और कार्य किया गया है। वूज एवं फोक्स (Woese and Fox ; 1977) के अनुसार प्रोकैरयोट्स या मोनेरा में दो भिन्न कोटि के जीव आते हैं। आर्किबैक्टीरिया (Archaebacteria) व यूबैक्टीरिया (Eubacteria) अर्थात् वास्तविक जीवाणु एवं साइनोबैक्टीरिया। ग्रे एवं डूलिटिल (Gray and Doolittle ; 1982) ने कोशिय जीवों के दो अधि जगत् (Super kingdom) प्रोकैरयोटा व यूकैरयोटा बनाए हैं। अधि जगत् प्रोकैरयोटा को दो जगतों आर्कीबैक्टीरिया व व यूबैक्टीरिया में विभक्त किया है। यूकैरयोटा में चार जगत् प्रोटीस्टा, फंजाई या माइकोफाइटा, प्लान्टी व एनीमेलिया बनाए हैं। कुमार एवं राय (Kumar and Rai ; 1986) की मान्यता है कि सायनोबैक्टीरिया को यूबैक्टीरिया से पृथक् कर अलग जगत् बनाया जाना चाहिये, जो जगत् आर्कोबैक्टीरिया को यूबैक्टीरिया से सहयोग करे क्योंकि इनमें विशिष्ट उपापचय (फाइकोबिलीप्रोटीन्स, मिक्सोजेन्थिन, एकिनेनान) पाये जाते हैं; प्रकाश संश्लेषणी उपापचय (ऑक्सीजेनिक), शैवालीय आदतें एवं कशाभ अनुपस्थित होते हैं। ये गुण इनमें एकाकी रूप से पाये जाते हैं, आर्कीबैक्टीरिया एवं यूबैक्टीरिया में नहीं पाये जाते ।

इस प्रकार सूक्ष्मजीव ग्रे व डूलिटिल द्वारा प्रदत्त छ: जगत् प्रणाली के अनुसार 6 जगतों में से चार जगतों में पाये जाते हैं।

  1. जगत् आर्कोबैक्टीरिया – आर्कीबैक्टीरिया प्रोकैरियोट्स
  2. जगत् यूबैक्टीरिया वास्तविक जीवाणु एवं साइनोबैक्टीरिया
  3. जगत् प्रोटीस्टा सूक्ष्म शैवाल एवं प्रोटोजोआ
  4. जगत् माइकोफाइटा यीस्ट एवं मोल्डस

सूक्ष्म जीवों के साथ विषाणु (virus) एवं समान प्रकार की संरचनाओं का भी अध्ययन किया जाता है, किन्तु इनकी प्रवृति अकोशीय होने के कारण इन्हें किसी भी प्रकार के वर्गीकरण में स्थान नहीं मिला है तथा इन्हें जीव स्तर माना जाये अथवा नहीं यह अभी तक विवाद का विषाय बना हुआ है।

क्र.

 

लक्षण

 

प्रोकैरियोटिक कोशिका यूकैरियोटिक कोशिका
1. आमाप 0.15.0 gm छोटी होती है 5-100 pm अपेक्षाकृत बड़ी होती है।
2. आवरण एक आवरण तंत्र युक्त होती है ।

 

द्विआवरण तंत्र युक्त होती है।
3. कोशिका भित्ति केवल जीवाणुओं में उपस्थित एवं पेप्टीडोग्लाइकन युक्त होती है।

 

केवल पादप कोशिकाओं में उपस्थित सेल्यूलोस से बनी, पेप्टीडोग्लाइकन अनुपस्थित होता है।
4. केन्द्रक

 

प्रारूपिक केन्द्रक अनुपस्थित, न्यूक्लिऑएड पाया जाता है।

 

प्रारूपिक केन्द्रक – केन्द्रक, कला युक्त, क्रोमेटिन, केन्द्रक द्रव्य, केन्द्रिक युक्त पाया जाता है।

 

5. डी.एन.ए. न्यूक्लिएड कोशिकाद्रव्य में मुक्त अवस्था में उपस्थित रहता है। सामान्यतः एक वृताकार प्रकृति का होता है। नग्न या हिस्टोन प्रोटीन रहित होता है डी. एन. ए. अंश कम मात्रा में होता है। G+ C% 28=73

 

यह केन्द्रक, माइटोकॉण्ड्रिया एवं लबक के भीतर रहता है सामान्यतः रेखीय प्रकृति के एक से अधिक होते हैं । हिस्टोन प्रोटीन के साथ संलग्न रहता है। डी.एन.ए. अंश अधिक मात्रा में रहता है। G + C = 40

 

6. प्लाज्मिड

 

उपस्थित हो सकते हैं। अनुपस्थित होते हैं
7. मीज़ोसोम कोशिका कला के अन्तर्वलन से बने हो सकते हैं अनुपस्थित होते हैं
8. तर्क उपकरण कोशिका विभाजन के समय तर्क उपकरण नहीं बनाता तर्क उपकरण कोशिका विभाजन के दौरान बनता है, गुणसूत्रों को दोनों ध्रुवों तक पहुँचाता है।
9. कशाभ

 

छोटा 4-5um x 12nm का, एक तन्तुकीय प्रकृति का होता है । बड़ा 150-200um x 200nm 11 तन्तुकीय होता है।

 

10. कोशिकाद्रव्य गति

 

अनुपस्थित होती है। कोशिकाद्रव्य गति साइक्लोसिस व अमीबीय गति पायी जाती है।

 

11. रिक्तिकाएँ सामान्य रिक्तिकाएँ अनुपस्थित गैस रिक्तिकाएँ

 

पायी जाती

है ।

11. अन्तः प्रद्रव्यी जालिका अनुपस्थित चिकनी या खुरदरी या दोनों प्रकार की पायी जाती है।
12. राइबोसोम कोशिकाद्रव्य में मुक्त रूप से उपस्थित। 70 S प्रकार के पाये जाते हैं। कोशिकाद्रव्य में अन्तः प्रद्रव्यी जालिका से संलग्न या मुक्त रूप से उपस्थित। 80 S प्रकार के पाये जाते हैं।
13. थायलेकॉइड यदि उपस्थित होते हैं तो कोशिकाद्रव्य में मुक्त रहते है पादप कोशिकाओं में केवल हरितलवकों के भीतर पाये जाते हैं।

 

14. माइटोकोन्ड्रिया अनुपस्थित उपस्थित रहते हैं।
15. गॉल्जी काय अनुपस्थित

 

उपस्थित रहते हैं।
16. लाइसोसोम अनुपस्थित उपस्थित रहते हैं।

 

17 सेन्ट्रोसोम

 

अनुपस्थित उपस्थित रहते हैं।

 

18. लैंगिक प्रजनन

 

नहीं पाया जाता

 

पाया जाता है।

 

19. पिलि उपस्थित

 

नहीं पाया जाती

 

20. सम्पुट जीवाणुओं में उपस्थित हो सकता है।

 

नहीं पाया जाती

 

21. विभाजन सरल विखण्डन समसूत्री / अर्धसूत्री विभाजन पाया जाता है।

 

1 सेंटीमीटर (Cm)                      = 10 मिलीमीटर (mm)

 

1 मिलीमीटर (mm)                       = 1000 माइक्रोमीटर (mm)
1 माइक्रोमीटर (um)                   = 1000 नैनोमीटर (mm) या मिली माइक्रोन्स (um)
1 नैनोमीटर (mm)                  = 10 ऍग्सट्राम्स (A)
Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

4 weeks ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

4 weeks ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

3 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now