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Polymerases in hindi , dna polymerase , पॉलीमरेसिस किसे कहते हैं , परिभाषा क्या है , आरएनए प्राइमर (RNA Primer)
आरएनए प्राइमर (RNA Primer) Polymerases in hindi , dna polymerase , पॉलीमरेसिस किसे कहते हैं , परिभाषा क्या है ?
आरएनए प्राइमर (RNA Primer)
एक नये पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला को प्रारम्भ करने के लिये आरएनए प्राइमर की आवश्यकता होती है। डीएनए पुनरावृत्ति डीएनए पॉलीमरेज || एन्जाइम की उपस्थिति में सम्पन्न होता है परन्तु यह पॉलीमराइजेशन को प्रारम्भ नहीं कर सकता है अर्थात् यह पुत्री डीएनए श्रृंखला के संश्लेषण हेतु प्रथम न्यूक्लियोटाइड को नहीं जोड़ सकता है। डीएनए पॉलीमरेज न्यूक्लियोटाइड की श्रृंखला में उन्हीं न्यूक्लियोटाइड का जोड़ सकता है जो टेम्पलेट डीएनए के साथ युग्म बना चुके हों। इसीलिये एक अन्य एन्जाइम आरएनए पॉलिमरेज जिसे प्राइमेज (Primase) भी कहते हैं की आवश्यकता होती है। यह डीएनए की जनक श्रृंखला के पूरक अनुक्रम युक्त आरएनए न्यूक्लियोटाइड का छोटा आरएनए ओलिगोन्यूक्लियोटाइड खण्ड संश्लेषित करता है जिसे आरएनए प्राइमर (RNA primer) कहते हैं। डीएनए पॉलिमरेज III प्राइमर को पहचान कर 3′ सिरे पर डीएनए न्यूक्लियोटाइड को जोड़ कर नयी डीएनए शृंखला निर्मित करता है। आरएनए प्राइमर कट कर हट जाता है तथा डीएनए न्यूक्लियोटाइड उसका स्थान ले लेते हैं।
डीएनए संश्लेषण के एन्जाइम्स (Enzymes for DNA Synthesis)
डीएनए संश्लेषण में डीएनए पॉलीमरेज (DNA polymerase) तथा पॉलीन्यूक्लियोटाइड लाइगेज (polynucleotide ligase) नाम के दो एन्जाइम आवश्यक हैं। डीएनए पॉलीमरेज में तीन सक्रिय स्थल पाए जाते हैं। ये एन्जाइम डीएनए प्राइमर (DNA primer) में ट्राई फॉस्फेट न्यूक्लियोटाइड्स जोड़ता है। डीएनए के अणु नए सूत्र ( strand) में संश्लेषित होते हैं। ये संश्लेषित खण्ड पॉली न्यूक्लियोटाइड लाइगेज (ligase) एन्जाइम की उपस्थिति में आपस में जुड़ जाते हैं।
(1) डीएनए पॉलिमरेज ( DNA Polymerase) : यह डीएनए संश्लेषण के लिए सबसे जरूरी एन्जाइम है जो आगे विस्तार पूर्वक वर्णित है।
(2) डीएनए लाइगेज (DNA Ligase)- यह, एन्जाइम पॉलीन्यूक्लियोटाइड खण्डों को सलंग्न करता है। यह कटे अथवा ओकाजाकी खण्डों को आपस में जोड़ देता है। यह निम्नलिखित कार्यों में संलग्न रहता हैः-
(i) यह पॉलीमरेज एन्जाइम के साथ डीएनए पुनरावृत्ति में सहायक होता है।
(ii) द्विसूत्रीय डीएनए खण्ड के एक सूत्र में लगे ‘कट’ (cut) को जोड़ता है।
(iii) दो सूत्रीय डीएनए में दोनों सूत्रों में लगे ‘कट’ (cut) को भी जोड़ता है।
(3) हेलीकेज (Helicase)- यह एन्जाइम डीएन के दोनों सूत्रों को अकुण्डलित करता है जिससे दोनों दोनो सूत्र अलग हो जाते हैं। यह एन्जाइम एटीपी के साथ हाइड्राक्सीकरण करके हाइड्रोजन बन्ध को तोड़ देता है जिससे दोनों सूत्र चेन के समान खुल जाते हैं।
(4) टोपोआइसोमिरेसिस (Topoisomerases ) : प्राकेरियोटिक और यूकेरियोटिक रेप्लीकेशन कुछ ऐसे एन्जाइमों की आवश्यकता होती है जो कि DNA द्विसूत्र की अति कुण्डलित अवस्था (super coiled state) को परिवर्तित कर देते हैं। इन्हें टोपोआइसोमरेज कहा जाता है क्योंकि यह DNA अणु की टोपोलॉजी (topology) परिवर्तित कर देते हैं।
(i) टाईप I टोपोआइसोमरेजेजः : ये द्विसूत्र के एक सूत्र में एक अस्थायी कट लगाकर DNA की अतिकुंडलित अवस्था (supercoiled condition) को परिवर्तित कर देते हैं।
(ii) टाईप II टोपोआइसोमरेजेज : ये DNA के द्विसूत्र अणु के दोनों सूत्रों में एक अस्थायी लगाते हैं। ये एन्जाइम सूत्री विभाजन के दौरान द्विगुणित गुणसूत्रों के पृथक होने से पहले DNA अणुओं को अलग करने के आवश्यक हैं।
इनके अलावा भी समस्त यूकेरियोटिक व प्रोकेरियोटिक कोशिकाओं में तीन प्रकार के नाभिकीय एन्जाइम्स का अस्तित्व है जो कि DNA पर कार्य करते हैं जैसे न्यूक्लिएजिज पॉलीमिरेज़िज एवं लाइगेज़िज ।
(5) न्यूक्लिएज़िज एन्जाइम्स (Nucleases enzymes ) : यह पॉलीपेप्टाइड श्रंखलाओं को इसके घटकों अर्थात, न्यूक्लिओटाइड्स में तोड़ने या अलग-अलग करने कार्य करता है। श्रृंखला परस्पर 3′, 5′ फॉस्फोडाईइस्टर बन्धों द्वारा जुड़ी रहती है। यह एन्जाइम इन बन्धों के 3′ या 5′ सिरे पर क्रिया करता है। यह एन्जाइम दो प्रकार का होता है-
(i) एक्सोन्यूक्लिएज- जो पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला के स्वतंत्र सिरे पर क्रिया कर न्यूक्लिओसाइड मोनोफॉस्फेट अणुओं को मुक्त करता है।
(ii) एन्डोन्यूक्लिएज- यह एन्जाइम पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला के आंतरिक बंन्धों पर क्रियाशील होता है तथा इसे दो सूत्रों में अलग-अलग कर देता है।
पॉलीमरेजिस (Polymerases)
वह एन्जाइम जो न्यूक्लिक अम्ल का संश्लेषण करते हैं वह पॉलिमरेज कहलाते हैं। यह निम्न दो प्रकार के होते हैं।
(i) डीएनए पॉलिमरेज ( DNA Polymerase)
(ii) आरएनए पॉलिमरेज (RNA Polymerase)
(I) डीएनए पॉलीमरेज (DNA Polymerase)
यह डीएनए अणुओं का संश्लेषण करते हैं। यह एन्जाइम डीएनए पुनरावृत्ति के लिए आवश्यक है।
- प्रोकेरियोटिक डीएनए पॉलिमरेज (Prokaryotic DNA Polymerase)
प्रोकेरियोटिक कोशिकाओं में निम्न पांच प्रकार के डीएनए पॉलिमरेज पाये जाते हैं-
- एन्जाइम पॉलीमरेज-1 (Enzyme Polymerase-I) : यह ई. कोलाई में 1957 में कोर्नबर्ग द्वारा रिपोर्ट किया गया। इस एन्जाइम को डीएनए पॉलीमरेज । नाम कोर्नबग ने दिया। संरचनात्मक रूप से डीएनए पॉलीमरेज एक 109000 डाल्टन अणुभार युक्त पॉलीपेप्टाइड है। यह pot A जीन द्वारा कोडित होता है। यह डीएनए के 3′ सिरे पर मौजूद 3-OH समूह के साथ एक मोनोन्यूक्लियोटाइड इकाई को संलग्न करने के लिये प्रेरित करता है।
- एन्जाइम पॉलीमरेज – II (Enzyme Polymerase-II) : यह भी पॉलीपेप्टाइड है जो डीएनए में सुधार का कार्य करता है। 9000 डाल्टन अणुभार युक्त इस एन्जाइम की 40 तक संख्या मौजूद रहती है।
- एन्जाइम पॉलीमरेज-III (Enzyme Polymerase-III) : यह एक जटिल होलोएन्जाइम एन्जाइम है जो वास्तव में ई. कोलाई के डीएनए की अर्द्धसंरक्षी पुनरावृत्ति में प्रमुख भूमिका निभाता है। इसकी खोज भी. कॉर्नबर्ग तथा एम. एल गेफ्टर (ML. Gefter) ने 1972 में की थी। यह तीनो पॉलीमरेज में सबसे बड़ा तथा सक्रिय एन्जाइम है। इसका अणुभार 9,00,000 डाल्टन होता है। इसकी 10-20 उप इकाइयाँ होती है।
- एन्जाइम पॉलीमरेज-IV (Enzyme Polymerase-IV) : यह प्रोकेरियोट में उत्परिवर्तजन (mutagenesis) के दौरान सक्रिय होता है तथा डीएनए सुधार के लिए समय देता है।
- एन्जाइम पॉलीमरेज-V (Enzyme Polymerase-V) : यह प्रोकेरियोट में 50S अनुक्रिया (response) तथा डीएनए सुधार प्रक्रिया में सहायक है।
यूकेरियोटिक डीएनए पॉलीमिरेज़िज (Eukaryotic DNA polymerses)
यीस्ट, मानव, ट्यूमर कोशिकाओं, चूहे की यकृत कोशिकाओं इत्यादि में किये गये अध्ययनों से प्रदर्शित होता है कि DNA पॉलीमिरेज़िज के निम्न पांच प्रकार हैं।
(i) a = एल्फा DNA पॉलीमरेज़ यह यूकेरियोट्स के नाभिक और कोशिकाद्रव्य में उपस्थित रहता है । इसका आण्विक भार उच्च होने के कारण इसे वृहत्त पॉलीमरेज कहा जाता है और चूंकि यह कोशिकाद्रव्य में उपस्थित रहता है इसलिए इसे कोशिकाद्रव्यी पॉलीमरेज़ कहा जाता है।
(ii) B = बीटा DNA पॉलीमरेज इसका आण्विक भार अपेक्षाकृत कम होने कारण इसे लघु (small) पॉलीमिरेज कहा जाता है । इसके नाभिक (nucleus) में उपस्थित होने के कारण इसे नाभिकीय पॉलीमिरेज़ कहा जाता है।
(iii) y = गामा DNA पॉलीमरेज यह एन्जाइम नाभिक में कोडित किया जाता है और इसे माइटोकॉन्ड्रियल पॉलीमरेज़ भी कहा जाता है।
(iv) 8 = डेल्टा DNA पॉलीमरेज- यह एन्जाइम स्तनी (mammalian) कोशिकाओं में उपस्थित होता है।
(v) ε= एप्साइलोन DNA पॉलीमरेज – इसे पहले DNA पॉलीमरेज़ SII कहा जाता था । यह मुकुलित (budding) यीस्ट कोशिकाओं में उपस्थित होता है।
यूकेरियोटिक कोशिकाओं का ∝ DNA पॉलीमिरेज मुख्य रूप से DNA प्रतिकृति में भाग लेता है हाल ही में एक नये DNA पॉलीमरेज 6 के रेप्लीकेशन में भाग लेने का पता चला है ।
पॉलीमिरेजिज़ एन्जाइम के द्वारा डीएनए का स्व पात्रे संश्लेषण (In vitro DNA synthesis by polymerases enzymes)
1950, में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के आर्थर कॉनबर्ग ने एन्जाइम पर अध्ययन करते हुये जीवाण्वीय निष्कर्ष (extract) से एक एन्जाइम को पृथक किया जिसे DNA पॉलीमरेज नाम दिया गया और यह अम्ल में अघुलनशील बहुलक (DNA) में रेडियो सक्रिय डीएनए को समाहित कर सकता था। इसके लिए चार डी-ऑक्सी राइबोन्यूक्लिओसाइड ट्राईफॉस्फेट (dTTP, dATP, dCTP तथा GTP) डीएनए की आवश्यकता थी। यह प्रेक्षित किया गया कि इस . नये बने हुये रेडियोसक्रियता से अंकित DNA का क्षार क्रम और संगठन मूल अंकित DNA के समान था । इससे सिद्ध होता है कि यह मूल DNA पॉलीमरेज एन्जाइम की उपस्थिति में होने वाली पॉलीमिराइजेशन अभिक्रिया के लिए टेम्पलेट या प्रारूप की तरह कार्य करता है।
1960 में कोर्नबर्ग द्वारा संश्लेषित किया गया DNA पॉलीमरेज पहला एन्जाइम था जो DNA प्रतिकृति में सम्मिलित था । इसलिए इसे कोर्नबर्ग एन्जाइम भी कहा जाता है। आज DNA पॉलीमरेज एन्जाइम्स को रेल्पीकेटिंग (प्रतिकृति) एन्जाइम्स के बजाय DNA सुधार (repair ) एन्जाइम माना जाता है। इस एन्जाइम के 5 सक्रिय स्थल (active sites ) होते है।
(a) प्ररूप स्थल (Template site ) (c) 5′ → 3′ एक्सोन्यूक्लिएज़ स्थल
(e) 5’3′ विदलन स्थल
(b) प्राइमर स्थल (Primer site )
(d) न्यूक्लिओसाइड ट्राईफॉस्फेट स्थल
1969 तक ई.कोलाई का उत्परिवर्ती विभेद पृथक किया गया जिसमें DNA पॉलीमरेज II और DNA पॉलीमरेज III एन्जाइम की उपस्थिति प्रदर्शित की गई । अध्ययनों से पता चलता है कि जीवाणु कोशिका (ई.कोलाई) में DNA पॉलीमरेज अणु के विभिन्न प्रकार पाये जाते हैं।
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