WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

p-n सन्धि डायोड , pn संधि डायोड ,अर्धचालक डायोड क्या है , पी एन जंक्शन डायोड (pn junction diode in hindi)

(pn junction diode in hindi) p-n सन्धि डायोड , pn संधि डायोड ,अर्धचालक डायोड क्या है , पी एन जंक्शन डायोड : पहले हम अध्ययन करेंगे की pn संधि डायोड क्या होता है और उसके बाद कैसे बनता है और उसे बनाने की विधियाँ कौन कौन सी होती है।

pn संधि डायोड (pn junction diode) :जब एक p टाइप के अर्धचालक के क्रिस्टल के टुकड़े को , n टाइप के अर्धचालक के क्रिस्टल के टुकड़े के संपर्क में लाया जाता है अर्थात दोनों को जोड़ा जाता है तो उनकी परिसीमा को अर्थात जहाँ दोनों क्रिस्टल (p टाइप , n टाइप) मिलते है उसे pn संधि (pn junction) कहते है।
p टाइप अर्धचालक वाले भाग को एनोड कहा जाता है तथा n टाइप अर्धचालक वाले भाग को कैथोड कहा जाता है , जब दोनों भाग को बैटरी के एनोड और कैथोड से जोड़ा जाता है तो इससे होकर धारा प्रवाह होने लगता है लेकिन इसका विपरीत करने पर अर्थात एनोड को बैट्ररी के कैथोड से और इसके कैथोड को बैटरी के एनोड से जोड़ने पर इससे होकर कोई धारा प्रवाह नहीं होता है , यह एक ऐसी युक्ति बन जाती है जिससे होकर केवल एक दिशा में धारा प्रवाह होता है , इसे pn संधि डायोड कहते है। इसे ऊपर दिए गए चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है।

pn संधि बनाने की विधियाँ (method of forming pn junction)

हमने यह तो कह दिया कि जब p टाइप और n टाइप अर्धचालक को संपर्क में लाया जाता है pn संधि बन जाती है लेकिन यह यह संपर्क ऐसा नही है कि दोनों को पास पास रख दिया और pn संधि बन गयी।
इस संधि को बनाने के लिए अर्थात दोनों के मध्य संपर्क स्थापित करने के लिए कुछ विधियाँ है जिनकी सहायता से pn संधियाँ बनाई जाती है।
pn संधि बनाने की तीन विधियाँ सबसे प्रचलित है –
1. मिश्र धातु विधि (alloy method)
2. विसरण विधि (diffusion method)
3. वाष्प निक्षेपित सन्धि (vapour deposited junction or epitaxial junction)

1. मिश्र धातु विधि (alloy method)

इस विधि में ge ya si क्रिस्टल के ऊपर तीसरे समूह की अशुद्धि जैसे इण्डियम का छोटा सा टुकड़ा रखकर उस टुकड़े को विशेष विधि द्वारा पिघलाया जाता है जिससे चित्रानुसार pn संधि बन जाती है।

2. विसरण विधि (diffusion method)

इस विधि में p प्रकार के अर्धचालक को निर्वात में गर्म किया जाता है और फिर इस पर पांच संयोजक वाली अशुद्धि वाष्प को छोड़ा जाता है , ऐसा करने से यह अशुद्धि p प्रकार के अर्धचालक में विसरित हो जाती है इसलिए इसे विसरण विधि कहते है।

 

3. वाष्प निक्षेपित सन्धि (vapour deposited junction or epitaxial junction)

जब हमें n-si या p-si की परत बनानी हो तो p-si को फास्फोरस की वाष्प के संपर्क में लाया जता है इससे p-si पर n-si की एक परत बन जाती है अर्थात p-n संधि बन जाती है , इस विधि को वाष्प निक्षेपित संधि कहते है।